नदियों की स्वच्छता हमारा नैतिक दायित्व
या
नदियों में बढ़ता प्रदूषण
हमारे त्योहारों तथा हमारी संस्कृति में नदियों का बड़ा ही महत्व है। प्राचीन समय से ही लोग नदियों को माता मानकर उनकी पूजा करते आ रहे हैं। गंगा नदी को लोग 'गंगा मैया' कह कर बुलाते हैं। परंतु प्रदूषण के कारण गंगा नदी प्रदूषित होती जा रही है तथा इसके साथ-साथ अन्य नदियां भी प्रदूषित हो रही है। घरों से निकलने वाले, कारखाने के जलीय अपशिष्ट नदियों में बहा दिए जाते हैं, जिसके परिणामस्वरुप नदियों में प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। इस स्थिति में नदियों का संरक्षण करना हमारा नैतिक दायित्व है। कारखाने चलाने वालों को, प्रदूषण फैलाने वाले आम नागरिकों को यह सोचना चाहिए कि क्या उन्हें भविष्य में पीने के लिए शुद्ध जल प्राप्त होगा?
"जल है तो कल है। जल ही जीवन है।"