बाल श्रमिक बर्बाद होता बचपन
बाल श्रम का अर्थ है - बचपन में मजदूरी करना। वर्तमान परिवेश में हमें अनेक नन्हें बच्चे काम करते हुए दिखाई देते हैं। जिस उम्र में उन्हें माता-पिता का प्यार, देखभाल प्राप्त होना चाहिए उस उम्र में उनके सिर पर काम का बोझ है। आज अनेक बच्चे दुकानों में, घरों में, छोटे-छोटे स्टोरों में, उद्योगों में, कारखाने में काम करते हुए दिखाई देते हैं। यह उनका शौक नहीं मजबूरी है। बाल श्रम के कारण बच्चों से उनका बचपन दूर हो रहा है और उनका शारीरिक व मानसिक विकास भी नहीं हो पता है।
बाल श्रम को रोकने के लिए कानूनों की कोई कमी नहीं है। लगभग सभी लोग इसे अपराध मानते हैं। सरकार इसे रोकने के लिए अनेकों नियम लागू करता है, किंतु सर्वप्रथम सरकार को इन बच्चों एवं उनके परिवार वालों के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना होगा तभी बाल श्रम को रोका जा सकता है।
"बचपन को बचाओ, बाल श्रम को रोको।"