रुबाइयाॅं
फिराक गोरखपुरी
फिराक गोरखपुरी
प्रश्न 1: रुबाईयाॅं में फिराक गोरखपुरी ने राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर क्या व्यंजित करना चाहते है ?
उत्तर: रुबाईयाॅं में फिराक गोरखपुरी जी ने राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर यह बानाना चाहते है कि रक्षाबंधन का पर्व सावन महिने में मनाया जाता है। इन दिनों जोरदार बारिश होती है, तो जिस प्रकार बादल में बिजली चमकती है उसी प्रकार चमकती हुई राखी बहन, भाई की कलाई में बाँधकर उसके उज्जवल भविष्य की कामना करती है। सावन संबंध घटा से, घटा का संबंध बिजली से है उसी प्रकार का संबंध भाई का बहन से होता है और राखी के लच्छे उसी संबंध का प्रतीक है। रक्षाबंधन एक मधुर प्रेम का बंधन है।
प्रश्न 2: खुद का परदा खोलने से क्या आशय है?
उत्तर: खुद का परदा खोलने से आशय है अपनी ही बुराइयों को प्रकट करना। कवि के अनुसार जो व्यक्ति उनकी बुराई करते है वह जाने अनजाने में संसार के सामने अपनी ही बुराइयाँ, कमजोरियाँ प्रकट करता है। दूसरों की निंदा (बुराई) करते करते व्यक्ति अपने ही राज, बुराईयां बता देता है, उसे इसका पता ही नहीं चलता।
प्रश्न 3: फिरोक की रुबाईयाॅं में उभरे घरेलू जीवन के बिंबो का सौंदर्य स्पष्ट करे।
उत्तर: फिराक की रुबाईयाॅं में घरेलू जीवन का चित्रण हुआ है। एक बिंब में माँ अपने बच्चे को गोद में लेकर आंगन में खड़ी है तथा वह अपने बच्चे को अपने हाथ से झुला रही है। बच्चे की तुलना चांद से की गई है। दूसरे बिंब में मां अपने बच्चे को नहलाकर कपड़ा पहनाती है और बच्चा उसे प्यार से देखा है। तीसरी बिंब में मां अपने बच्चे को दर्पण में चांद दिखाकर उसे बहलने का प्रयास कर रही है। यह सभी बिंब घरेलू जीवन में पाए जाते हैं।