कंकाल तंत्र (Skeleton System)
बाह्य कंकाल (Exoskeleton)
उदाहरण नाखून, बाल।
आंतरिक कंकाल (Internal skeleton)
उदाहरण अस्थि, उपास्थि।
मानव कंकाल तंत्र (Human Skeleton System)
A) अक्षीय कंकाल (Axial skeleton) = 80 Bone
यह शरीर का अक्षीय बनाता है।
1 खोपड़ी (Skull) = 29 Bone
a) क्रेनियल बोन (Cranial bone) = 8 Bone
फ्रंटल बोन = 1
पैराइटल बोन = 2
टेम्पोरल बोन = 2
ऑक्सीपिटल बोन = 1
स्फेनाॅइड बोन = 1
एथमॉइड बोन = 1
b) फेशियल बोन (Facial bone) = 14 Bone
नेजल बोन = 2
इन्फेरिअर नेजल काॅनकाई = 2
वोमर =1
जाइगोमेटिक बोन = 2
लैक्राइमल बोन = 2
पैलेटाइन बोन = 2
मैक्सीलरी बोन = 2
मैण्डिबल बोन = 1
c) ईयर बोन (Ear bone) = 6 Bone
मेलियस = 2
इनकस = 2
स्टैपिस = 2
d) हायोइड (Hyoid) = 1 Bone
2 कशेरुक दंड (Vertebral column) = 26 Bone
सर्वाइकल = 7
थोरेसिक = 12
लम्बर = 5
सैक्रम = 1
कोक्किस = 1
3 उरोस्थि (Sternum) = 1
4 पसलियां (Ribs) = 24 (12 जोड़ी) Bone
वास्तविक पसलियां = 1 से 7वां जोड़ी।
कूट पसलियां = 8वां से 10वां जोड़ी।
फ्लोटिंग पसलियां = 11वां एवं 12वां जोड़ी।
B) उपांगीय कंकाल (Appendicular skeleton) = 126 Bone
यह शरीर के अक्ष से बनी संरचनाओं जैसे हाथ, पैर बनाता है।
1 मेखला (Girdle) = 6
a) अंश मेखला (Pectoral girdle) = 4
स्कैपुला = 2
क्लैविकल = 2
b) श्रोणि मेखला (Pelvic girdle) = 2 श्रोणि अस्थियों का बना होता है।
श्रोणि अस्थि तीन बोन से बना होता है।
इलियम
इश्चियम
प्यूबिस
2 पाद (Limb) = 120 Bone
a) अग्र पाद / हाथ (Fore limb) = 60 Bone
ह्यूमरस = 2×1 = 2
रेडियस = 2×1 = 2
अल्ना = 2×1 = 2
कार्पल्स = 2×8 = 16
मेटाकार्पल्स = 2×5 = 10
फैलेन्जस = 2×14 = 28
b) पश्च पाद (Hind limb) = 60 Bone
फीमर = 2×1= 2
टीबिया = 2×1 = 2
फिबुला = 2×1 = 2
पटेल्ला = 2×1= 2
टार्सल्स = 2×7 = 14
मेटाटार्सल्स = 2×5 = 10
फैलेन्जस = 2×14 = 28
Note : Human के दो हाथ और दो पैर होते हैं इसलिए 2× लिखा गया है अर्थात् दोगुना।
संधि के प्रकार (Types of joint)
1) अचल संधि : ऐसी अस्थि संधि जिसमें दो बोन एक-दूसरे से जुड़े होते हैं लेकिन उनमें कभी भी गति नहीं हो सकती, अचल संधि कहलाती है।
उदाहरण दांत, खोपड़ी।
2) अपूर्ण चल संधि : ऐसी अस्थि संधि जिसमें बोन एक-दूसरे से जुड़े होते हैं तथा उन्हें हल्की सी गति हो सकती है अपूर्ण चल संधि कहलाती है। इसमें उपास्थि पाई जाती है।
उदाहरण कशेरुक दंड, रिब्स।
3) पूर्ण चल संधि : ऐसी अस्थि संधि जिनके अस्थियों में गति होती है तथा यह विभिन्न दिशाओं में घूम सकता है पूर्ण चल संधि कहलाता है। अस्थियों के बीच-बीच में पतली उपास्थि पाई जाती है।
a) बॉल एंड सॉकेट जॉइंट: एक अस्थि प्याले के समान व दूसरी अस्थि गेंद के समान होती है। गेंद प्याले में इस प्रकार फिट हो जाता है जिससे कि वह प्याले में कई दिशाओं में घूमता है, इस प्रकार की अस्थि संधि को बॉल एंड सॉकेट जॉइंट कहते हैं।
ग्लिनाॅइड गुहा एवं ह्यूमरस
एसिटाबुलम गुहा एवं फीमर
b) सैडल ज्वाइंट: यह बॉल एंड सॉकेट जॉइंट का छोटा रूप होता है।
उदाहरण अंगूठा।
c) हिंज जॉइंट: ऐसी अस्थि संधि जिसमें अस्थि केवल एक ही दिशा में गति करता है हिंज जॉइंट कहलाता है।
उदाहरण घटना, कुहनी।
d) पियोइट जॉइंट: एक अस्थि में नुकीली संरचना एवं दूसरी अस्थि में गड्ढा होता है। अस्थि का नुकीला भाग गड्ढे में फिट हो जाता है तथा विभिन्न दिशाओं में गति होती है इस प्रकार के अस्थि संधि को पियोइट जॉइंट कहते हैं।
उदाहरण एटलस एवं एक्सिस के मध्य पाया जाता हैं। यह खोपड़ी को लेफ्ट एंड राइट दिशा में गति प्रदान करता है।
e) एलिप्सैड जॉइंट: खोपड़ी एवं एटलस के मध्य पाया जाने वाला जॉइंट एलिप्सैड जॉइंट कहलाता है।
f) ग्लाइडिंग ज्वाइंट: ऐसी अस्थि संधि जिसमें अस्थियां एक दूसरे पर फिसल सकती है, लेकिन मुड़ नहीं सकती ग्लाइडिंग ज्वाइंट कहलाती है।
उदाहरण : रेडियस एवं अल्ना।
MCQs
ग्लिनाॅइड गुहा कहां पाया जाता है?
Ans: अंश मेखला में।
एसिटाबुलम गुहा कहां पाया जाता है?
Ans: श्रोणि मेखला में।
अस्थि संधि में कौन सा द्रव पाया जाता है?
Ans: सिनोवियल द्रव।
अमीबा का प्रचलन अंग कौन सा है?
Ans: कुटपाद (स्युडोपोडिया)।
मनुष्य के भ्रूणीय अवस्था में कशेरुक दंड में कितनी अस्थियां पाई जाती है?
Ans: 33
हायऑइड अस्थि का आकार कैसा होता है?
Ans: U आकार।
अस्थियों में कौन सा ऊतक पाया जाता है?
Ans: संयोजी ऊतक।
मांसपेशियों में वह क्षेत्र जहां मायोसिन पाया जाता है क्या कहलाता है?
Ans: A-band
मांसपेशियों में वह क्षेत्र जहां केवल मायोसिन पाया जाता है क्या कहलाता है?
Ans: H-zone
मांसपेशियों में वह क्षेत्र जहां एक्टिन पाया जाता है क्या कहलाता है?
Ans: I-band
दो Z-lines के बीच की दूरी क्या कहलाती है?
Ans: सार्कोमियर।
मांसपेशियों की कोशिका झिल्ली को क्या कहते हैं?
Ans: सार्कोलेमा।
पेशीय संकुचन से किस-किस में परिवर्तन होता है?
Ans: सार्कोमियर की लंबाई कम होना, I-band का क्षेत्र कम होना।
Short Type Questions
Q.1 फ्लोटिंग रिब्स किसे कहते हैं? इसका कारण लिखिए।
फ्लोटिंग पसलियां = 11वां एवं 12वां जोड़ी
कारण: ये पीछे की ओर कशेरुक दंड से जुड़े होते है किंतु सामने की ओर उरोस्थि या किसी अन्य रिब्स से नहीं जुड़ा होता अर्थात् यह सामने की ओर स्वतंत्र होता है, इसलिए इसे फ्लोटिंग पसलियां कहते हैं।
Q.2 एसिटाबुलम गुहा कहां पाई जाती है? इसके उपयोग लिखिए।
Ans: एसिटाबुलम गुहा कमर में पाई जाती है|इस गुहा में शरीर की सबसे बड़ी अस्थि फीमर का बाॅल वाला सिरा जुड़ा होता है।
Q.3 बाॅल एंड सॉकेट जॉइंट किसे कहते हैं?
Ans: बॉल एंड सॉकेट जॉइंट: एक अस्थि प्याले के समान व दूसरी अस्थि गेंद के समान होती है। गेंद प्याले में इस प्रकार फिट हो जाता है जिससे कि वह प्याले में कई दिशाओं में घूमता है, इस प्रकार की अस्थि संधि को बॉल एंड सॉकेट जॉइंट कहते हैं।
ग्लिनाॅइड गुहा एवं ह्यूमरस
एसिटाबुलम गुहा एवं फीमर
Q.4 ऑस्टियोपोरोसिस किसे कहते हैं? इसके कारण लिखिए।
Ans: ऑस्टियोपोरोसिस : जब हड्डियों में कैल्शियम की कमी हो जाती है तब अस्थियों का क्षय होने लगता है इसे ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं। यह उम्र संबंधित विकार होता है। सामान्यतः यह एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में कमी के कारण होता है।
Q.5 सिनोवियल द्रव किसे कहते हैं?
Ans: अस्थि संधियों में एक द्रव पाया जाता है, जिसे सिनोवियल द्रव कहते हैं। इसकी कमी से आर्थ्राइटिस (अस्थि संधि विकार) होता है।
Q.6 रिगर मॉर्टिस किसे कहते हैं?
Ans: मनुष्य के मृत्यु के पश्चात् पेशियां लगातार संकुचित अवस्था में बनी रह जाती है जिसे रिगर मॉर्टिस कहते हैं। यह ATP की कमी के कारण होता है।
Q.7 आर्थ्राइटिस क्या हैं?
Ans: सिनोवियल द्रव की कमी के कारण संधियों में सूजन हो जाता है इसे आर्थ्राइटिस कहते हैं। यूरिक अम्ल के जमाव के कारण जोड़ों में दर्द होने लगता है।
Q.8 पियोइट जॉइंट किसे कहते हैं?
Ans: पियोइट जॉइंट: एक अस्थि में नुकीली संरचना एवं दूसरी अस्थि में गड्ढा होता है। अस्थि का नुकीला भाग गड्ढे में फिट हो जाता है तथा विभिन्न दिशाओं में गति होती है इस प्रकार के अस्थि संधि को पियोइट जॉइंट कहते हैं।
उदाहरण एटलस एवं एक्सिस के मध्य पाया जाता हैं। यह खोपड़ी को लेफ्ट एंड राइट दिशा में गति प्रदान करता है।
Q.9 सार्कोमियर किसे कहते हैं?
Ans: पेशीय के दो Z लाइनों के बीच की दूरी सार्कोमियर कहलाती हैं। इसकी लंबाई पेशीय संकुचन के कारण परिवर्तित होते रहता है।
Q.10 टेंडन एवं लिगामेंट को परिभाषित कीजिए।
Ans: टेंडन : ऐसा संयोजी ऊतक जो पेशीय एवं हड्डी को जोड़ने का कार्य करता है टेंडन कहलाता है।
लिगामेंट : ऐसा संयोजी ऊतक जो दो हड्डियों को जोड़ने का कार्य करता है लिगामेंट कहलाता है।
Long Type Questions
Q.1 अस्थि संधि किसे कहते हैं? इसके विभिन्न प्रकारों को समझाइए।
Ans: वह स्थान जहां पर दो अस्थियां एक दूसरे से जुड़ती है, उसे अस्थि संधि कहते हैं।
संधि के प्रकार (Types of joint)
1) अचल संधि : ऐसी अस्थि संधि जिसमें दो बोन एक-दूसरे से जुड़े होते हैं लेकिन उनमें कभी भी गति नहीं हो सकती, अचल संधि कहलाती है।
उदाहरण दांत, खोपड़ी।
2) अपूर्ण चल संधि : ऐसी अस्थि संधि जिसमें बोन एक-दूसरे से जुड़े होते हैं तथा उन्हें हल्की सी गति हो सकती है अपूर्ण चल संधि कहलाती है। इसमें उपास्थि पाई जाती है।
उदाहरण कशेरुक दंड, रिब्स।
3) पूर्ण चल संधि : ऐसी अस्थि संधि जिनके अस्थियों में गति होती है तथा यह विभिन्न दिशाओं में घूम सकता है पूर्ण चल संधि कहलाता है। अस्थियों के बीच-बीच में पतली उपास्थि पाई जाती है।
a) बॉल एंड सॉकेट जॉइंट: एक अस्थि प्याले के समान व दूसरी अस्थि गेंद के समान होती है। गेंद प्याले में इस प्रकार फिट हो जाता है जिससे कि वह प्याले में कई दिशाओं में घूमता है, इस प्रकार की अस्थि संधि को बॉल एंड सॉकेट जॉइंट कहते हैं।
ग्लिनाॅइड गुहा एवं ह्यूमरस
एसिटाबुलम गुहा एवं फीमर
b) सैडल ज्वाइंट: यह बॉल एंड सॉकेट जॉइंट का छोटा रूप होता है।
उदाहरण अंगूठा।
c) हिंज जॉइंट: ऐसी अस्थि संधि जिसमें अस्थि केवल एक ही दिशा में गति करता है हिंज जॉइंट कहलाता है।
उदाहरण घटना, कुहनी।
d) पियोइट जॉइंट: एक अस्थि में नुकीली संरचना एवं दूसरी अस्थि में गड्ढा होता है। अस्थि का नुकीला भाग गड्ढे में फिट हो जाता है तथा विभिन्न दिशाओं में गति होती है इस प्रकार के अस्थि संधि को पियोइट जॉइंट कहते हैं।
उदाहरण एटलस एवं एक्सिस के मध्य पाया जाता हैं। यह खोपड़ी को लेफ्ट एंड राइट दिशा में गति प्रदान करता है।
e) एलिप्सैड जॉइंट: खोपड़ी एवं एटलस के मध्य पाया जाने वाला जॉइंट एलिप्सैड जॉइंट कहलाता है।
f) ग्लाइडिंग ज्वाइंट: ऐसी अस्थि संधि जिसमें अस्थियां एक दूसरे पर फिसल सकती है, लेकिन मुड़ नहीं सकती ग्लाइडिंग ज्वाइंट कहलाती है।
उदाहरण : रेडियस एवं अल्ना।
Q.2 पेशीय एवं कंकाल तंत्र से संबंधित विकारों को लिखिए।
Ans: आर्थ्राइटिस : सिनोवियल द्रव की कमी के कारण संधियों में सूजन हो जाता है इसे आर्थ्राइटिस कहते हैं। यूरिक अम्ल के जमाव के कारण जोड़ों में दर्द होने लगता है।
ऑस्टियोपोरोसिस : जब हड्डियों में कैल्शियम की कमी हो जाती है तब अस्थियों का क्षय होने लगता है इसे ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं। यह उम्र संबंधित विकार होता है। सामान्यतः यह एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में कमी के कारण होता है।
स्लिप डिस्क : कशेरुक दंड के एक कशेरुक अपनी वास्तविक स्थान से खिसक जाते हैं, तो कशेरुक दंड को जोड़ने वाली टेंडन एवं लिगामेंट में अत्यधिक खिंचाव हो जाता है, इसे स्लिप डिस्क कहते हैं।
गाॅट : जब अस्थि संधियों में यूरिक अम्ल का जमा होने लगता है तो जोड़ों में दर्द होने लगता है, इसे गाॅट कहते हैं।
Q.3 गति एवं प्रचलन किसे कहते हैं? विभिन्न जीवों के प्रचलन अंग के नाम लिखिए।
Ans:
प्रोटोजोआ: अमीबा-कूटपाद, यूग्लीना-कशाभिका, पैरामीशियम-पक्ष्माभिका से
पोरिफेरा: स्काएका & ग्रैंशिया-सेडेंटरी से
सीलेंट्रेटा: हाइड्रा-स्पर्शक से
मोलस्का: यूनियन स्पर्शक, पाइला-मांसल पाद से
ऐनेलिडा: जोक-चूषक, केंचुआ-सीटी से
ऑर्थोपोडा: मक्खी-संधित उपांग, किट-उपांग से
इकाईनोडर्मेटा: स्टारफिश एस्टेरियास-नाल पाद (भुजा) से
पिसीज: पंख व पूंछ से
टेडपोल: पंख व पूंछ से
रेप्टाइल्स: पसलियां एवं शल्क से
मैमल्स: पेशी व कंकाल तंत्र से
Q.4 मांसपेशियों की संरचना का वर्णन करें।
Ans: पेशीय तंतुओं में बीच-बीच में Z-line होती है उन Z-line से एक्टिन जुड़ा होता है। एक्टिन के बीच में मोटे तंतु होते हैं जिसे मायोसिन कहते हैं। Z-line में जहां केवल पतले तंतु (एक्टिन) होते हैं, I-band कहलाते हैं। ऊपर से नीचे तक उस भाग को जहां केवल मोटे तंतु (मायोसिन) होते हैं, उसे A-band कहते हैं। A-band एक्टिन व मायोसिन दोनों से मिलकर बनी होती है। A-band का वह भाग जहां केवल मोटे तंतु (मायोसीन) होते हैं पतले तंतु (एक्टिन) नहीं होते, उसे H-zone कहते हैं। मायोसिन तंतु का बीच वाला भाग मोटा होता है जिसके कारण ऊपर से नीचे की तक गहरे रंग की रेखा दिखाई देती है, जिसे M-line कहते हैं। Z-lines के बीच की दूरी सार्कोमियर कहलाता है जो पेशियों की क्रियात्मक इकाई होती है।
Q.5 पेशीय संकुचन एवं शिथिलन की क्रियाविधि समझाइए।
Ans: हक्सले-फिसिलन तंतु सिद्धांत
जब आवेग तंत्रिकाओं के माध्यम से पेशी तक पहुंचता है तो पेशियां उत्तेजित हो जाती है और इसमें उपस्थित ATPase एंजाइम अपघटित होकर ऊर्जा मुक्त करता है, जिसके कारण I-band पर स्थित एक्टिन सार्कोमियर में स्थित मायोसिन के ऊपर आ जाता है और एक्टिन तंतु के सिरे एक दूसरे के ऊपर आ जाता है। जिसके कारण सार्कोमियर की लंबाई कम हो जाती है। इस प्रकार सार्कोमियर के संकुचन होने से पेशियों का भी संकुचन होता है।
जब एक्टिन व मायोसिन अपने स्थान पर वापस चले जाते हैं, तब सार्कोमियर शिथिल हो जाता है फलस्वरूप पेशियां भी शिथिल हो जाती है।
Q.6 लाल पेशी तंतु एवं श्वेत पेशी तंतु में अंतर लिखिए।
Q.7 अंश मेखला एवं श्रोणि मेखला में अंतर लिखिए।
Q.8 मायोसिन एवं एक्टिन में अंतर लिखिए।