भौतिकी (Physics) में, किसी भी भौतिक घटना या गुण को समझने और उसका अध्ययन करने के लिए हमें उसे मापना पड़ता है। मापने की क्रिया और उस क्रिया से जुड़ी अवधारणाएँ — अर्थात् “मापन” (Measurement) — और मापों को व्यक्त करने की प्रणाली — अर्थात् “मात्रक” (Units) — इस अध्याय का मुख्य विषय हैं।
नीचे इस अध्याय की प्रमुख अवधारणाएँ क्रमबद्ध रूप में दी गई हैं:
1. भौतिक राशियाँ (Physical Quantities)
परिमाण और दिशा — भौतिक राशियाँ दो प्रकार की होती हैं: स्केलर (scalar) और सदिश (vector)।
स्केलर राशियाँ — केवल परिमाण (Magnitude) होती है, जैसे तापमान, द्रव्यमान, समय।
सदिश राशियाँ — परिमाण + दिशा दोनों होती है, जैसे वेग, बल, विस्थापन।
मूल राशियाँ (Fundamental Quantities) — वे राशियाँ जिनका मापन प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है और जिन्हें किसी अन्य राशियों के संयोजन द्वारा व्यक्त नहीं किया जा सकता। SI प्रणाली में मूल राशियाँ हैं: लंबाई (Length), द्रव्यमान (Mass), समय (Time), विद्युत धारा (Electric current), ऊष्मा तापमान (Temperature), प्रकाश तीव्रता (Luminous intensity), और पदार्थ की मात्रा (Amount of substance).
व्युत्पन्न राशियाँ (Derived Quantities) — वे राशियाँ जो मूल राशियों के गुणन, भाग, घात आदि द्वारा व्यक्त की जा सकती हों। उदाहरण: गति (velocity = length/time), बल, दाब, ऊर्जा आदि।
2. मात्रक (Units) और इकाई प्रणालियाँ (Systems of Units)
मात्रक (Unit) — किसी भौतिक राशि का माप व्यक्त करने के लिए वह मान जिसे आधार (reference) माना जाता है। उदाहरण स्वरूप, “मीटर” एक इकाई है जो लंबाई मापन के लिए प्रयोग होती है।
मानक इकाइयाँ (Standard Units) — किसी विशेष प्रयोग या देश में सभी लोग समान इकाइयाँ उपयोग करें ताकि मापों में एकरूपता बने। अन्तरराष्ट्रीय रूप से प्रयुक्त प्रणाली है SI (Système International d’Unités)।
SI प्रणाली — 7 मूल इकाइयाँ:
1. लंबाई — मीटर (m)
2. द्रव्यमान — किलो (kg)
3. समय — सेकंड (s)
4. विद्युत धारा — एम्पीयर (A)
5. तापमान — केल्विन (K)
6. प्रकाश तीव्रता — कैन्डेला (cd)
7. पदार्थ की मात्रा — मोल (mol)
अन्य इकाई प्रणालियाँ: CGS (सेमी, ग्राम, सेकंड), FPS (फूट, पाउंड, सेकंड) आदि। लेकिन आधुनिक विज्ञान में अधिकांशत: SI प्रणाली ही स्वीकार्य है।
3. मापन एवं मापन की त्रुटियाँ (Measurement and Errors)
मापन (Measurement) — किसी भौतिक राशि की वास्तविक संख्या ज्ञात करना। लेकिन कोई भी मापन पूर्णत: सटीक नहीं होती; उसमें त्रुटि (Error or Uncertainty) रहती है।
त्रुटि (Error / Uncertainty)
A संबंधित त्रुटियाँ (Systematic Errors) — मापन में लगातार एक ही दिशा में अंतर रहना, जैसे उपकरण की कैलिब्रेशन त्रुटि।
B यादृच्छिक त्रुटियाँ (Random Errors) — मापन को बार-बार करने पर भिन्न परिणाम देना।
मापकीय (Instrumental) त्रुटियाँ
मानवीय त्रुटियाँ (Human Errors)
अपेक्षित मान (True Value / Exact Value) और प्रयोगात्मक मान (Measured Value) के बीच अंतर ही त्रुटि है।
सापेक्ष त्रुटि (Relative Error) = (त्रुटि / मापकीय मान)
प्रतिशत त्रुटि (Percentage Error)
संयुक्त त्रुटि (Propagation of Errors) — जब किसी भौतिक राशि को अन्य राशियों के गणितीय संयोजन (जोड़, गुणा, भाग इत्यादि) के द्वारा प्राप्त किया जाता है, तो त्रुटि कैसे बढ़ती/घटती है, इसे समझने के लिए नियम होते हैं।
महत्वपूर्ण (सार्थक) अंक (Significant Figures / Sig. Figs.) — वह अंक जो मापन में विश्वसनीय (reliable) माने जाते हैं। माप और परिणाम लिखते समय सही संख्या में महत्वपूर्ण अंकों का उपयोग करना अनिवार्य है।
4. लघु अनुपात (Least Count) और नापने की संवेदनशीलता (Precision)
लघु अनुपात (Least Count) — किसी माप यंत्र (जैसे मापनी, वर्नियर कैलिपर, माइक मीटर आदि) की सबसे छोटी मापन इकाई। उदाहरण: यदि वर्नियर की लघु अनुपात 0.01 cm है, तो उसी तक हमें माप देते समय ध्यान देना है।
सटीकता (Accuracy) — मापकीय मूल्य की वास्तविक मान के अत्यधिक निकटता।
प्राथमिकता (Precision) — बार-बार किए गए मापों में कितनी समानता है।
उपकरणों की नियमित जाँच एवं कैलिब्रेशन मापों की विश्वसनीयता बनाए रखने हेतु आवश्यक है।
5. विमाएँ एवं आयामी पद्धति (Dimensions and Dimensional Analysis)
विमाएँ (Dimensions) — मूल राशियों के प्रतीकात्मक मान (जैसे L = लंबाई, M = द्रव्यमान, T = समय) जिनके द्वारा किसी व्युत्पन्न राशि की संरचना (formula) प्रस्तुत की जा सकती है।
उदाहरण: आयतन की विमाएँ = L³, गति की विमाएँ = L T⁻¹ आदि।
आयामी व्युत्क्रिया (Dimensional Equation / Formula) — किसी व्युत्पन्न राशि को मूल राशियों के गुण/घात में व्यक्त करना।
आयामी जाँचना (Dimensional Checking / Consistency) — किसी भौतिक सम्बन्ध (equation) को सत्यापित करना कि दोनों पक्षों की विमाएँ समान हों। यदि नहीं, तो वह सम्बन्ध गलत है।
आयामी विश्लेषण (Dimensional Analysis) का उपयोग
1. किसी न ज्ञात संबंध का अनुमान लगाना
2. त्रुटि पहचानना
3. भौतिक सम्बन्धों में गलतियों की स्थिति में जाँच करना
4. एकाई परिवर्तन (Unit conversion) के पद्धति में सहायता करना
1. “पदार्थ की मात्रा (Amount of substance)” की मात्रक इकाई कौन सी है?
a) K
b) A
c) cd
d) mol✔️
2. निम्न में से कौन सी त्रुटि हर माप में होने की संभावना नहीं है?
a) यादृच्छिक त्रुटि
b) प्रणालीगत त्रुटि
c) मापकीय त्रुटि
d) शून्य त्रुटि (Zero error)✔️
3. किसी मापणी की “लघु अनुपात” (least count) 0.01 cm है, यदि आप 5.23 cm मापते हैं, तो माप की सटीकता कितनी हो सकती है?
a) ±0.01 cm✔️
b) ±0.001 cm
c) ±0.1 cm
d) ±0.005 cm
4. भौतिक सम्बन्ध ( v = u + at ) में, यदि v, u, t की त्रुटि क्रमशः δv, δu, δt है, तो δa का अनुमान (लगभग) कौन सा होगा?
a) (δv + δu) / t ✔️
b) (δv – δu) / t
c) (δv + δu + δt) / t
d) (δv + δu) / (t + δt)
5. निम्न में कौन सी प्रणाली अधिकांश विज्ञान में स्वीकार्य है?
a) CGS
b) FPS
c) SI✔️
d) MKS
6. यदि कोई समीकरण आयामी दृष्टि से अव्यवस्थित है, तो वह?
a) गलत है✔️
b) हो सकता है सही हो
c) केवल सांख्यिक गुणांक गलत है
d) ज्ञात नहीं किया जा सकता
7. विमाएँ L, M, T उपयोग करते हुए निम्न में से कौन सी राशि सही तरह व्यक्त की गई है?
a) ऊर्जा = ( M L^{2} T^{-2} ) ✔️
b) शक्ति = ( M L^{2} T^{-1} )
c) दबाव = ( M L T^{-2} )
d) घनत्व = ( M L^{-2} )
8. निम्नलिखित में से कौन-सी त्रुटि प्रणालीगत त्रुटि का उदाहरण नहीं है?
a) माप यंत्र का कैलिब्रेशन दोष
b) वायु का घनत्व बदल जाना ✔️
c) पर्यवेक्षक की दृष्टि दोष
d) प्रयोग को शुरू करने में देरी
9. एक लंबाई मापते समय माप यंत्र को सही शून्य बिंदु पर सेट नहीं करना — यह किस प्रकार की त्रुटि है?
a) यादृच्छिक त्रुटि
b) प्रणालीगत त्रुटि ✔️
c) मानवीय त्रुटि
d) मापकीय त्रुटि
10. “सापेक्ष त्रुटि (Relative Error)” की परिभाषा क्या है?
a) त्रुटि / अपेक्षित मान
b) त्रुटि × 100
c) त्रुटि / मापकीय मान ✔️
d) मापकीय मान / त्रुटि
1. भौतिक राशियाँ क्या होती हैं?
Ans: भौतिक राशियाँ वे मात्राएँ हैं जिन्हें मापा जा सकता है और जिनके मान को किसी निश्चित मात्रक में व्यक्त किया जा सकता है। जैसे — लंबाई, द्रव्यमान, समय, तापमान आदि। प्रत्येक भौतिक राशि का एक संख्यात्मक मान और एक मात्रक होता है, जैसे 5 मीटर, 10 किलोग्राम आदि।
2. मूल मात्राएँ क्या हैं?
Ans: वे राशियाँ जिन्हें अन्य राशियों से नहीं निकाला जा सकता, उन्हें मूल मात्राएँ कहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय पद्धति (SI) में सात मूल मात्राएँ हैं — लंबाई, द्रव्यमान, समय, तापमान, विद्युत धारा, ज्योतित तीव्रता और पदार्थ की मात्रा।
3. व्युत्पन्न मात्राएँ क्या होती हैं?
जो राशियाँ मूल मात्राओं के संयोजन से प्राप्त होती हैं उन्हें व्युत्पन्न मात्राएँ कहते हैं। उदाहरण— वेग (लंबाई/समय), त्वरण (वेग/समय), बल (द्रव्यमान × त्वरण) आदि। इनका मात्रक मूल मात्रकों के संयोजन से बनता है।
4. SI पद्धति क्या है?
SI (Systeme International d’Unités) पद्धति एक अंतर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली है जिसमें सात मूल मात्राएँ होती हैं। इसका उपयोग विश्वभर में किया जाता है ताकि मापन में एकरूपता बनी रहे। SI मात्रक उदाहरण: मीटर (m), किलोग्राम (kg), सेकंड (s) आदि।
5. मापन में त्रुटि क्या होती है?
Ans: जब किसी भौतिक राशि के मापन में प्राप्त मान और वास्तविक मान में अंतर होता है, तो उसे त्रुटि कहते हैं। यह मापन की सटीकता को प्रभावित करती है। त्रुटि पूर्ण (absolute), सापेक्ष (relative) या प्रतिशत (percentage) रूप में व्यक्त की जा सकती है।
6. महत्त्वपूर्ण (सार्थक) अंक (Significant Figures) क्या हैं?
Ans: महत्त्वपूर्ण (सार्थक) अंक वे अंक होते हैं जो किसी माप के परिशुद्धता को दर्शाते हैं। ये अंक निश्चितता और अनिश्चितता दोनों को दर्शाते हैं। उदाहरण— 2.35 में तीन महत्त्वपूर्ण अंक हैं। अधिक महत्त्वपूर्ण अंक का अर्थ है अधिक सटीक मापन।
7. माप की शुद्धता (Accuracy) और परिशुद्धता (Precision) में क्या अंतर है?
Ans: शुद्धता का अर्थ है वास्तविक मान के निकट होना, जबकि परिशुद्धता का अर्थ है बार-बार किए गए मापन का एक समान होना। उदाहरण— यदि सभी माप एक समान हैं पर वास्तविक मान से दूर हैं तो वे परिशुद्ध पर अशुद्ध हैं।
8. आयामी सूत्र (Dimensional Formula) क्या है?
Ans: किसी भौतिक राशि को मूल मात्राओं की घातों में व्यक्त करने से जो रूप मिलता है, उसे आयामी सूत्र कहते हैं। उदाहरण— बल का आयामी सूत्र [M¹L¹T⁻²] है। यह बताता है कि बल द्रव्यमान, लंबाई और समय पर निर्भर करता है।
9. आयामी विश्लेषण के उपयोग क्या हैं?
Ans: आयामी विश्लेषण से समीकरण की शुद्धता की जाँच, एक मात्रक प्रणाली से दूसरी प्रणाली में रूपांतरण, तथा नई व्युत्पन्न राशियों का सूत्र निकालने में सहायता मिलती है। यह भौतिकी में अत्यंत उपयोगी गणितीय उपकरण है।
10. भौतिक स्थिरांक क्या हैं?
Ans: भौतिक स्थिरांक वे राशियाँ हैं जिनका मान सदैव समान रहता है। जैसे — प्रकाश की गति (c = 3×10⁸ m/s), गुरुत्वीय नियतांक (G), प्लांक नियतांक (h) आदि। ये स्थिरांक प्रकृति के मूल नियमों को व्यक्त करने में प्रयुक्त होते हैं।
1. मापन की प्रक्रिया समझाइए।
Ans: किसी भौतिक राशि का मान ज्ञात करने की प्रक्रिया को मापन कहते हैं। इसमें तीन चरण होते हैं — (1) उपयुक्त मात्रक का चयन, (2) मापने के उपकरण का प्रयोग, (3) प्राप्त मान का अभिलेखन। मापन करते समय परिशुद्धता, त्रुटि, और शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है। हर माप में कुछ त्रुटि अनिवार्य होती है, इसलिए औसत मान लिया जाता है। उदाहरण के लिए, लंबाई मापने में स्केल या वर्नियर कैलिपर का प्रयोग किया जाता है। मापन का उद्देश्य किसी राशि की तुलना मानक मात्रक से करना है ताकि उसका संख्यात्मक मान ज्ञात हो सके। सही उपकरण और विधि से मापन करने पर परिणाम अधिक सटीक प्राप्त होता है।
2. मूल मात्राएँ और व्युत्पन्न मात्राओं में अंतर स्पष्ट कीजिए।
Ans: मूल मात्राएँ वे हैं जिन्हें अन्य राशियों से नहीं निकाला जा सकता, जैसे — लंबाई, द्रव्यमान, समय, तापमान, विद्युत धारा, ज्योतित तीव्रता, पदार्थ की मात्रा। इनका स्वतंत्र अस्तित्व होता है। व्युत्पन्न मात्राएँ वे हैं जो मूल मात्राओं के संयोजन से प्राप्त होती हैं, जैसे — वेग = लंबाई/समय, बल = द्रव्यमान × त्वरण, ऊर्जा = बल × दूरी आदि। व्युत्पन्न मात्राओं के मात्रक मूल मात्रकों से प्राप्त होते हैं। उदाहरण के लिए बल का मात्रक न्यूटन = kg·m/s²। अतः मूल मात्राएँ आधारभूत होती हैं और व्युत्पन्न मात्राएँ उनसे निकाली जाती हैं।
3. SI पद्धति के लाभ और मूल मात्रकों का विवरण दीजिए।
Ans: SI पद्धति एक अंतर्राष्ट्रीय मानक प्रणाली है जिसमें सात मूल मात्राएँ शामिल हैं: लंबाई (मीटर), द्रव्यमान (किलोग्राम), समय (सेकंड), विद्युत धारा (एम्पियर), तापमान (केल्विन), ज्योतित तीव्रता (कैंडेला), और पदार्थ की मात्रा (मोल)। इसके लाभ — (1) विश्वभर में एकरूपता, (2) वैज्ञानिक संचार में सुविधा, (3) रूपांतरण में सरलता, (4) प्रयोगशालाओं में समानता। इस प्रणाली को 1960 में अपनाया गया था। यह सबसे अधिक प्रचलित और सटीक मापन प्रणाली है।
4. त्रुटियाँ क्या हैं और उनके प्रकार बताइए।
Ans: त्रुटि वह अंतर है जो वास्तविक मान और मापे गए मान के बीच पाया जाता है। त्रुटियाँ मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं — (1) प्रणालीगत त्रुटियाँ (Systematic Errors): उपकरण या पर्यवेक्षक की गलती से उत्पन्न। (2) आकस्मिक त्रुटियाँ (Random Errors): मापन की अनिश्चितताओं से उत्पन्न। (3) परिहार्य त्रुटियाँ (Gross Errors): लापरवाही या गलत विधि से उत्पन्न। त्रुटि को प्रतिशत या सापेक्ष रूप में व्यक्त किया जा सकता है। कम त्रुटि का अर्थ है अधिक सटीक परिणाम।
5. शुद्धता और परिशुद्धता में अंतर समझाइए।
Ans: शुद्धता (Accuracy) किसी मापन के वास्तविक मान के निकट होने को दर्शाती है, जबकि परिशुद्धता (Precision) बार-बार किए गए मापों के एक-दूसरे के निकट होने को। उदाहरण— यदि एक वस्तु की वास्तविक लंबाई 50.0 सेमी है और किसी व्यक्ति के माप 50.1, 50.0, 50.2 हैं तो मापन शुद्ध और परिशुद्ध दोनों हैं। लेकिन यदि माप 47.0, 47.1, 47.2 हैं तो वे परिशुद्ध पर अशुद्ध हैं। वैज्ञानिक मापन में दोनों का संतुलन आवश्यक है।
6. आयामी विश्लेषण की सहायता से किसी समीकरण की शुद्धता की जाँच कैसे की जाती है?
Ans: आयामी विश्लेषण का सिद्धांत कहता है कि किसी भी भौतिक समीकरण के दोनों पक्षों में आयाम समान होने चाहिए। उदाहरण— बल = द्रव्यमान × त्वरण। दाएँ पक्ष का आयाम [M¹L¹T⁻²] है और बल का भी वही है, इसलिए समीकरण शुद्ध है। यदि दोनों पक्षों के आयाम भिन्न हों, तो समीकरण त्रुटिपूर्ण है। यह विधि समीकरणों की शुद्धता की जाँच में अत्यंत उपयोगी है।
7. महत्त्वपूर्ण (सार्थक) अंकों के नियम लिखिए।
Ans: महत्त्वपूर्ण (सार्थक) अंक वे अंक हैं जो माप की सटीकता को प्रदर्शित करते हैं। इसके नियम —
(1) शून्य के अतिरिक्त सभी अंक महत्त्वपूर्ण हैं।
(2) दो गैर-शून्य अंकों के बीच के शून्य महत्त्वपूर्ण हैं।
(3) दशमलव के बाद के शून्य महत्त्वपूर्ण हैं।
(4) आरंभिक शून्य महत्त्वपूर्ण नहीं होते।
(5) गणनाओं में परिणाम उतने ही महत्त्वपूर्ण अंकों में व्यक्त किया जाता है जितने न्यूनतम महत्त्वपूर्ण अंक इनपुट में हों।
8. आयामी सूत्र और इसके उपयोग समझाइए।
Ans: किसी भौतिक राशि को मूल मात्राओं की घातों में व्यक्त करने पर जो रूप मिलता है, उसे आयामी सूत्र कहते हैं। जैसे— बल का [M¹L¹T⁻²]। आयामी विश्लेषण के मुख्य उपयोग हैं — (1) समीकरण की शुद्धता की जाँच, (2) नई राशियों के सूत्र निकालना, (3) एक प्रणाली से दूसरी प्रणाली में रूपांतरण। यह विधि भौतिकी में अत्यंत प्रभावी और संक्षिप्त तरीका है।
9. विभिन्न मात्रक प्रणालियों का वर्णन कीजिए।
Ans: मुख्यतः चार मात्रक प्रणालियाँ प्रचलित हैं —
(1) CGS प्रणाली: लंबाई–से.मी., द्रव्यमान–ग्रा., समय–सेकंड।
(2) FPS प्रणाली: लंबाई–फुट, द्रव्यमान–पाउंड, समय–सेकंड।
(3) MKS प्रणाली: लंबाई–मीटर, द्रव्यमान–किग्रा., समय–सेकंड।
(4) SI प्रणाली: MKS पर आधारित है और सर्वाधिक मान्य है।
SI प्रणाली में सभी राशियों के मात्रक अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार निश्चित किए गए हैं जिससे वैज्ञानिक कार्यों में समानता बनी रहती है।
10. भौतिक स्थिरांक क्या होते हैं और उनके उदाहरण दीजिए।
Ans: भौतिक स्थिरांक वे राशियाँ हैं जिनका मान स्थायी रहता है और प्रकृति के मूल नियमों में प्रयुक्त होती हैं। ये समय या स्थान के अनुसार नहीं बदलतीं। उदाहरण— प्रकाश की गति ( c = 3×10^8 ) m/s, गुरुत्वीय नियतांक ( G = 6.67×10^{-11} ) Nm²/kg², प्लांक नियतांक ( h = 6.626×10^{-34} ) Js आदि। ये स्थिरांक वैज्ञानिक गणनाओं और भौतिक समीकरणों के मूल आधार हैं।