Q.1 ऐम्नियोसेंटेसिस क्या है? यह किस प्रकार उपयोगी है?
Ans: ऐम्नियोसेंटेसिस मादा के गर्भ में स्थित भ्रूण चारों ओर से एक द्रव से घिरा होता है, जिसे ऐम्नियोटिक द्रव कहते हैं। इस ऐम्नियोटिक द्रव को लेकर उसमें उपस्थित गुणसूत्र, बारबॉडी तथा एंजाइम की उपस्थिति या अनुपस्थिति का पता लगाया जाता है इस प्रक्रिया को ऐम्नियोसेंटेसिस कहते हैं।
ऐम्नियोसेंटेसिस के उपयोग निम्नलिखित है -
गुणसूत्र के माध्यम से अनुवांशिक रोग जैसे एड्स, डाउन सिंड्रोम आदि का पता लगाया जा सकता है।
इसमें एंजाइम (फिनाइल एलेनीन हाइड्रोलेस) की अनुपस्थिति से उत्पन्न होने वाले रोग फिनाइलकिटोन्यूरिया का पता लगाया जाता है।
Q.2 ऐम्नियोटिक द्रव क्या है? इसका क्या कार्य है?
Ans: ऐम्नियोसेंटेसिस मादा के गर्भ में स्थित भ्रूण चारों ओर से एक द्रव से घिरा होता है, जिसे ऐम्नियोटिक द्रव कहते हैं।
ऐम्नियोटिक द्रव के कार्य निम्नलिखित है -
यह गर्भाशयी शिशु को सुरक्षा प्रदान करता है।
यह गर्भाशयी शिशु के चारों ओर के तापमान को स्थिर रखता है।
यह गर्भाशयी शिशु के पाचन तंत्र को विकसित करने में मदद करता है।
यह गर्भाशयी शिशु की फेफड़ों को विकसित होने में मदद करता है।
Q.3 मेंडल के एकसंकर संकरण पर आधारित नियमों को लिखिए।
Ans: मेंडल के एकसंकर संकरण पर आधारित दो नियम निम्नलिखित है
1 प्रभाविता का नियम : विषमयुग्मजी में एक जीन अपना लक्षण प्रदर्शित करता है, जिसे प्रभावी जीन कहते हैं तथा एक जीन अपना लक्षण प्रदर्शित नहीं कर पाता, जिसे अप्रभावी जीन कहते हैं। प्रभावी जीन, अप्रभावी जिन के लक्षणों को दबा देता है इसे ही प्रभावित का नियम कहते हैं।
2 पृथक्करण का नियम (युग्मक शुद्धता का नियम) : युग्मकजनन के दौरान जोड़े के जीन पृथक् हो जाते हैं अर्थात् जीन आपस में कभी नहीं मिलते हैं। इसे पृथक्करण का नियम (युग्मक शुद्धता का नियम) कहते हैं।
Q.4 मेंडल के द्विसंकर संकरण पर आधारित नियमों को लिखिए।
Ans: मेंडल के द्विसंकर संकरण पर आधारित नियम
स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम
मंडल ने द्विसंकर क्रॉस पर आधारित एक नियम का प्रतिपादन किया, जिसे स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम कहते हैं। इस नियम के अनुसार, जब किसी संकर () के लिए लक्षणों के दो जोड़े लिए जाते हैं, तो एक जोड़े का लक्षण विसंयोजित दूसरे जोड़े के लक्षण से स्वतंत्र होता है।
Q.5 जब सामान्य स्त्री का विवाह वर्णांध पुरुष से कराया जाता है तो उनसे उत्पन्न संतानों में वर्णांधता की वंशागति का आरेख बनाइए।
Q.6 जब वाहक स्त्री का विवाह सामान्य पुरुष से कराया जाता है तो उसके द्वारा उत्पन्न संतानों में वर्णांधता की वंशागति का आरेख बनाइए।
Q.7 जब वाहक स्त्री का विवाह वर्णांध पुरुष से कराया जाता है तो उनसे उत्पन्न संतानों में वर्णांधता की वंशागति का आरेख बनाइए।
Q.8 जब वर्णांध स्त्री का विवाह वर्णांध पुरुष से कराया जाता है तो उनसे उत्पन्न संतानों में वर्णांधता की वंशागति का आरेख बनाइए।
Q.9 जब वर्णांध स्त्री का विवाह सामान्य पुरुष से कराया जाता है तो उनसे उत्पन्न संतानों में वर्णांधता की वंशागति का आरेख बनाइए।
Q.10 जब सामान्य स्त्री का विवाह हिमोफिलिक पुरुष से कराया जाता है तो उनसे उत्पन्न संतानों में हिमोफिलिया की वंशागति का आरेख बनाइए।
Q.11 जब वाहक स्त्री का विवाह हिमोफिलिक पुरुष से कराया जाता है तो उनसे उत्पन्न संतानों में हिमोफिलिया की वंशागति का आरेख बनाइए।
Q.12 जब वाहक स्त्री का विवाह सामान्य पुरुष से कराया जाता है तो उनसे उत्पन्न संतानों में हिमोफिलिया की वंशागति का आरेख बनाइए।
Q.13 जब हिमोफिलिक स्त्री का विवाह सामान्य पुरुष से कराया जाता है तो उनसे उत्पन्न संतानों में हिमोफिलिया की वंशागति का आरेख बनाइए।
Q.14 अपूर्ण प्रभाविता क्या है? उदाहरण को चेकर बोर्ड द्वारा समझाइए कि f2 पीढ़ी में कितने प्रकार के लक्षण प्रारूप व जीन प्रारूप बनेंगे।
Ans: अपूर्ण प्रभाविता : जब दो विपर्यायी लक्षणों के मध्य संकरण कराया जाता है, तो f1 पीढ़ी में प्रभावी एवं अप्रभावी लक्षणों के बजाय अन्य लक्षण प्रदर्शित होता है, तो इसे अपूर्ण प्रभाविता कहते हैं।
उदाहरण : एंटीराइनम (श्वान पुष्प), मिराबिलिस जलापा।
मिराबिलिस जलापा में दो रंग के पुष्प पाए जाते हैं, लाल रंग का पुष्प तथा सफेद रंग का पुष्प। जब लाल रंग के पुष्प और सफेद रंग के पुष्प के मध्य संकरण कराया जाता है, तो f1 पीढ़ी में गुलाबी रंग के पुष्प प्राप्त होते हैं। जब इन दो गुलाबी रंग वाले पुष्पों के मध्य क्रॉस (संकरण) कराया जाता है, तो f2 पीढ़ी में लाल, गुलाबी व सफेद रंग के पुष्प प्राप्त होते हैं जिसका अनुपात 1:2:1 होता है।
Q.15 सह प्रभाविता क्या है? उदाहरण को चेकर बोर्ड द्वारा समझाइए कि f2 पीढ़ी में कितने प्रकार के लक्षण प्रारूप व जीन प्रारूप बनेंगे।
Ans: सह-प्रभाविता : जब विषमयुग्मजी जीन अपने दोनों लक्षणों को f1 पीढ़ी में प्रदर्शित करता है, तो उसे सह-प्रभाविता कहते हैं।
उदाहरण : मनुष्य का रक्त समूह।
यदि किसी व्यक्ति के रक्त समूह में I^A तथा I^B दोनों अरुल उपस्थित हो, तो उसमें अब प्रोटीन बनता है अर्थात् इनके द्वारा एंटीजन A तथा एंटीजन B दोनों का उत्पादन होता है। इसलिए उस व्यक्ति का रक्त समूह AB होता है।
Q.16 जींस संकल्पना क्या है? लिखिए।
सटन एवं बोवेरी ने जीन संकल्पना का प्रतिपादन किया इसकी विशेषताएं इस प्रकार है -
जीन क्रोमोसोम पर स्थित होते हैं।
जीन क्रोमोसोम के माध्यम से एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में जाते हैं अर्थात् क्रोमोसोम जीन की साधन है।
जीन में अनुलिपिकरण होता है।
जीन में उत्परिवर्तन भी होता है।
जीन आनुवांशिक लक्षणों का निर्धारण भी करता है।
जीन में परिवर्तन होने से लक्षण भी बदल जाते हैं।
जीन आनुवंशिकता की क्रियात्मक इकाई होती है।
जीन अनुवांशिकता के दौरान एक से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होते हैं।
Q.17 मंडल द्वारा मटर के पौधे को चुनने के क्या कारण थे?
Ans: मंडल द्वारा मटर के पौधे को चुनने के निम्नलिखित कारण थे -
द्विलिंगी पौधा मटर एक द्विलिंगी पादप है अर्थात् इसमें नर एवं मादा युग्मक एक ही पादप में बनते हैं।
एक वर्षीय पादप मटर एक वर्षीय पादप है अतः इसके द्वारा प्रयोग करने पर जल्दी-जल्दी परिणाम सामने आते हैं।
स्वपरागण मटर में सामान्यतः स्वपरागण होता है क्योंकि यह द्विलिंगी होता है।
पर परागण मटर के पुष्प से पुमंग को हटाकर आसानी से पर परागण कराया जा सकता है।
स्पष्ट विपर्यायी लक्षण मटर में स्पष्ट विपर्यायी लक्षण पाए जाते हैं जैसे-
Q.16 मेंडल के एकसंकर संकरण का सचित्र वर्णन कीजिए तथा f2 पीढ़ी का जीनोटाइप (जीन प्रारूप) एवं फिनोटाइप (लक्षण प्रारूप) लिखिए।
Q.17 मेंडल के द्विसंकर संकरण का सचित्र वर्णन कीजिए तथा f2 पीढ़ी का जीनोटाइप (जीन प्रारूप) एवं फिनोटाइप (लक्षण प्रारूप) लिखिए।
Q.18 परीक्षार्थ संकरण की परिभाषा लिखिए एवं सचित्र वर्णन कीजिए।
अंतर स्पष्ट कीजिए।
Q.19 प्रभाविता एवं अप्रभाविता
Q.20 समयुग्मजी एवं विषमयुग्मजी
Q.21 एकसंकर संकरण एवं द्विसंकर संकरण
Q.22 एकसंकर एवं द्विसंकर
Q.23 जीनोटाइप (जीन प्रारूप) एवं फिनोटाइप (लक्षण प्रारूप)