कोशिका (Cell)
इसकी खोज सर्वप्रथम रॉबर्ट हूक के द्वारा 1665 में किया गया। रॉबर्ट हुक ने वास्तव में मृत कोशिका की खोजकी थी।
सन 1675 में एंटोनीवान ल्यूवेनहॉक ने जीवित कोशिका की खोज की।
कोशिका जीवन की संरचनात्मक एवं रचनात्मक इकाई मानी जाती है।
कोशिका को जीवन की मूलभूत इकाई भी कहते हैं।
प्रत्येक जीव कोशिका या कोशिकाओं के समूह से मिलकर बना होता है।
कोशिका सिद्धांत (Cell Theory)
सर्वप्रथम स्लाइडेन एवं श्वान के द्वारा प्रस्तुत किया गया ।
स्लाइडेन वानस्पतिक वैज्ञानिक थे उन्होंने पादपों पर रिसर्च किया।
श्वान एक जंतु वैज्ञानिक थे किन्तु उन्होंने पादपों एवं जंतुओं दोनों पर रिसर्च किया।
उन्होंने एक साथ कोशिका सिद्धांत प्रस्तुत किया जो निम्न अनुसार है
सभी जीव कोशिका या कोशिका के समूह उत्तक से मिलकर बना होता है।
कोशिकाए टोटीपोटेंट होती है। अर्थात एककोशिका संपूर्ण जीव के का विकास करने में सक्षम होती है।
किंतु प्रश्न यह था की कोशिकाएं जीवित है अतः उनकी मृत्यु भी होती होगी तो नयी कोशिका कहां से आती है?
रूडोल्फ विर्चो ने कहा कि नयी कोशिका का निर्माण पुराने कोशिका के विभाजन से होता हैं। इसे omnis cellula a cellula कहा जाता हैं। यह आधुनिक कोशिका सिद्धांत है।
कोशिका के प्रकार
A) प्रोकैरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cell)
केंद्रक अनुपस्थित।
केंद्रक झिल्ली अनुपस्थित।
झिल्ली युक्त कोशिकांग अनुपस्थित।
माइटोकांड्रिया, अतः प्रद्रवी जालिका, गाॅल्जीबाॅडी अनुपस्थित।
70S प्रकार का राइबोसोम उपस्थित।
डीएनए, कोशिका द्रव्य में पाया जाता है।
कोशिका भित्ति पेप्टाइडोग्लाइकन की बनी होती है।
फ्लैजेला उपस्थित या अनुपस्थित होता है।
प्लाज्मिड पाया जाता है। यह अतिरिक्त गुणसूत्रीय पदार्थ होता है। जो डबल स्टैंडर्ड सर्कुलर डीएनए होता है।
Ex. बैक्टीरिया, माइकोप्लाज्मा, सायनोबैक्टीरिया, Gram +Ve, Gram -Ve bacteria।
B) यूकैरियोटिक कोशिका (Eukaryotic Cell)
केंद्रक उपस्थित।
केंद्रक झिल्ली उपस्थित।
झिल्ली युक्त कोशिकांग उपस्थित।
माइटोकांड्रिया अतः प्रद्रवी जालिका गाॅल्जीबाॅडी उपस्थित।
80 S प्रकार का राइबोसोम उपस्थित।
डीएनए, केंद्रक में पाया जाता है।
कोशिका भित्ति उपस्थित या अनुपस्थित की बनी होती है।
फ्लैजेला अनुपस्थित होता है।
प्लाज्मिड नहीं पाया जाता है।
Ex. जंतु कोशिका, पादप कोशिका
कोशिकांग (Cell Organelles)
A) माइटोकांड्रिया (Mitochondria)
माइटोकांड्रिया यूकैरियोटिक कोशिका के साइटोप्लाज्म में पाया जाने वाला महत्वपूर्ण कोशिकांग है।
इसकी खोज सर्वप्रथम कोलिकर के द्वारा की गई थी अल्टमैन ने इसे बायोब्लास्ट नाम दिया । बेन्डा ने इसे माइटोकांड्रिया कहा।
माइटोकांड्रिया में ATP का निर्माण होता है जिसे जैविक मुद्रा (vital currency) कहा जाता है।
इसे कोशिका का ऊर्जा गृह (power house of the cell) भी कहते हैं क्योंकि यहां पर ऊर्जा का निर्माण होता है।
इसमें राइबोसोम एवं स्वयं का डीएनए पाया जाता है, अतः यह अपने लिए आवश्यक प्रोटीन एवं अनुवांशिक सूचनाओं का निर्माण कर लेता है, इसलिए इसे अर्ध्दस्वनियंत्रित कोशिकांग भी कहते हैं।
अमाप (Size) : 3 - 40 माइक्रोन
आकार (Shape) : माइटोकॉन्ड्रिया का आकार तंतुमय (filamentous) या कणिकीय (granular) होती है।
वितरण (Distribution)
माइटोकांड्रिया प्रोकैरियोटिक कोशिका में नहीं पाया जाता हैं।
यूकैरियोटिक कोशिका में माइटोकांड्रिया साइटोप्लाज्म (cytoplasm) में पाया जाता है ।
ऐसी कोशिका जिसमें अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है उसमें इसकी संख्या अधिक होती है।
ऐसी कोशिका जिसमें कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है उसमें इसकी संख्या कम होती है।
पादप कोशिका की तुलना में जंतु कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया की संख्या अधिक होती हैं क्योंकि पादप कोशिका में क्लोरोप्लास्ट पाया जाता है जो प्रकाश संश्लेषण के द्वारा ऊर्जा निर्माण कर लेता है अतः माइटोकॉन्ड्रिया की संख्या कम होती है।
माइटोकॉन्ड्रिया की संरचना
माइटोकॉन्ड्रिया की संरचना निम्नानुसार है
1) माइटोकांड्रियल झिल्ली (Mitochondrial Membrane)
माइटोकांड्रिया दोहरी प्लाज्मा झिल्ली की बनी कोशिकांग है।
बाहरी झिल्ली (outer membrane) : यह बाहर की ओर होती है तथा इसके बाह्य सतह पर राइबोसोम पाए जाते हैं।
आंतरिक झिल्ली (inner membrane) : यह अंदर की ओर होती है।
2) माइटोकांड्रियल चेंबर (Mitochondrial Chamber)
बाह्य चेंबर (outer chamber) : बाह्य झिल्ली एवं आंतरिक झिल्ली के मध्य का स्थान बाह्य चेंबर कहलाता है ।
आंतरिक चेंबर (inner chamber) : आंतरिक झिल्ली के अंदर का भाग आंतरिक चेंबर कहलाता हैं।
3) माइटोकांड्रियल क्रिस्टी (Mitochondrial Cristae)
माइटोकॉन्ड्रिया की आंतरिक झिल्ली में उंगली नुमा संरचना माइटोकांड्रियल क्रिस्टी कहलाता है।
4) माइटोकांड्रियल कण (Mitochondrial Particle)
माइटोकांड्रिया की आंतरिक झिल्ली से जुड़े हुए कण पाए जाते हैं, इसे माइटोकांड्रियल कण या F1 कण (elementary particle or oxyosome) कहते हैं।
5) माइटोकांड्रियल मैट्रिक्स (Mitochondrial Matrix)
माइटोकॉन्ड्रिया की आंतरिक झिल्ली के अंदर भरी हुई अर्ध ठोस जेलनुमा संरचना माइटोकांड्रियल मैट्रिक्स कहलाता है । इसमें ग्रेन्यूल्स पार्टिकल्स पाए जाते हैं।
6) माइटोकांड्रियल डीएनए (Mitochondrial DNA)
माइटोकांड्रियल मैट्रिक्स में डीएनए उपस्थित होता है।
माइटोकॉन्ड्रिया का कार्य
ऊर्जा का निर्माण
माइटोकांड्रिया में कोशिका के कार्य हेतु आवश्यक ऊर्जा का निर्माण होता है इसलिए इसे कोशिका का ऊर्जा गृह भी कहते हैं।
क्रेब्स चक्र
यह माइटोकॉन्ड्रिया की मैट्रिक्स में संपन्न होता है जिसके परिणाम स्वरूप एटीपी ATP अर्थात ऊर्जा का निर्माण होता हैं।
इलेक्ट्रॉन ट्रांसपोर्ट सिस्टम
इसके लिए आवश्यक एंजाइम माइटोकॉन्ड्रिया की आंतरिक झल्ली मैं पाए जाते हैं। इसके द्वारा NADPH2, FADH2, GTP को ATP में परिवर्तित किया जाता है।
कोशिका को ऊर्जा की आपूर्ति
जब कोशिका को ऊर्जा की आवश्यकता होती है तब माइटोकांड्रिया वहां पर फट जाती हैं जिससे इसके अंदर उपस्थित एटीपी अर्थात् ऊर्जा मुक्त होता है जो कोशिका को ऊर्जा की आपूर्ति करने में मदद करता है।
प्रोटीन का निर्माण
इसमें 70S प्रकार के राइबोसोम पाए जाते हैं जो स्वयं के लिए प्रोटीन का निर्माण करने में सहायता करता है।
B) एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम (Endoplasmic Reticulum)
यह यूकैरियोटिक कोशिका के साइटोप्लाज्म में पाया जाने वाला एकल प्लाज्मा झिल्ली से घिरा हुआ महत्वपूर्ण कोशिकांग हैं।
उसकी खोज पोर्टर के द्वारा गयी।
यह यूकैरियोटिक कोशिका का प्रमुख कोशिकांग है।
यह लिपिड एवं प्रोटीन निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह केंद्रक की बाहरी झल्ली से जुड़ा रहता है तथा साइटोप्लाज्म में पाया जाता है।
वितरण
प्रोकैरियोटिक कोशिका में नहीं पाया जाता हैं।
यूकार्योटिक कोशिका में साइटोप्लाज्म में पाया जाता है । यह केंद्रक की बाहरी झल्ली से जुड़ा रहता है तथा साइटोप्लाज्म में पाया जाता है।
यह लाल रक्त कणिका, अंड कोशिका, तथा भ्रूणीय कोशिका मैं नहीं पाया जाता।
ऐसी कोशिका जिसमें प्रोटीन का निर्माण होता है खुरदुरी यर की संख्या अधिक होती है।
ऐसी कोशिका जिसमें लिपिड का निर्माण होता है उसमें चिकनी यार की संख्या अधिक होती है।
संरचना
एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम प्लाज्मा झिल्ली के एकल आवरण से गिरा कोशिकांग होता है। इसके अंदर एक अर्थ ठोस तरल भरा होता है जिसे एंडोप्लास्मिक मैट्रिक्स कहते हैं।
एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम के विभिन्न आकार निम्नलिखित हैं
आशय
सिस्टर्नी
नलिका
एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम के प्रकार
यह मुख्यतः दो प्रकार का होता है जो निम्नलिखित है
Rough Endoplasmic Reticulum (RER)
इस ER कि बाहरी सतह पर राइबोसोम पाया जाता है जिसके कारण इसकी सतह को खुरदुरी हो जाती है अतः इसे खुरदुरी ER कहते हैं।
यह प्रोटीन का निर्माण करता है।
Smooth Endoplasmic Reticulum (SER)
इस ER कि बाहरी सतह पर राइबोसोम नहीं पाया जाता है जिसके कारण इसकी सतह को चिकनी हो जाती है अतः इसे चिकनी ER कहते हैं।
यह लिपिड का निर्माण करता है।
एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम के कार्य
प्रोटीन का निर्माण :
प्रोटीन का निर्माण करता है।
लिपिड का निर्माण :
लिपिड का निर्माण करता है।
अनुवांशिक सूचनाओं का स्थानांतरण :
केंद्रक में उपस्थित डीएनए के अनुवांशिक सूचनाओं को कोशिका द्रव्य तक पहुंच आता है।
केंद्रीय पदार्थ का कोशिका द्रव्य में स्थानांतरण :
विभिन्न को कोशिका द्रव्य में पहुंचने का कार्य करता हैं
यांत्रिक सहारा :
यह कोशिका को यांत्रिक सहारा प्रदान करता है।
C) गाॅल्जी बॉडी (Golgi Body)
इसकी खोज कैमिलोगाॅल्जी द्वारा 1897 में की गई थी।
गाॅल्जी बॉडी यूकार्योटिक कोशिका में पाया जाने वाला महत्वपूर्ण कोशिकांग हैं।
यह कोशिका के साइटोप्लाज्म में न्यूक्लियस एवं एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम के पास पाया जाता है।
यह प्रोटीन एवं लिपिड के पैकेजिंग तथा स्थानांतरण में मदद करता है।
आकार (Shape) : Disc shape
अमाप (Size) : लंबाई 1 - 3 ऊंचाई 0.5 माइक्रोन
वितरण
प्रोकैरियोटिक कोशिका में नहीं पाया जाता।
यूकैरियोटिक कोशिका में केंद्रक एवं एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम के पास साइटोप्लाज्म में पाया जाता है।
संरचना
1) सिस्टर्नी (Cisternae)
यह पतली चपटी नलिकाकार संरचना होती है। यह तीन भागों में बंटी होती है :-
a) सिस सिस्टर्नी :
एंडोप्लास्मिक रेटिकुलम के पास पाया जाने वाला सिस्टर्नी, सिस सिस्टर्नी कहलाता है
यह ER से लिपिड एवं प्रोटीन को ग्रहण करता है।
b) मध्य सिस्टर्नी :
यहां से सिस सिस्टर्नी एवं ट्रांस सिस्टर्नी के मध्य पाया जाता है
यह प्रोटीन एवं लिपिड को ग्लूकोस फास्फोरस आदि के साथ जोड़कर ग्लाइकोप्रोटीन, ग्लाइकोलिपिड, फास्फोलिपिड जैसे कोन्जुगेटेड प्रोटीन एव लिपिड मैं परिवर्तित कर देता है।
c) ट्रांस सिस्टर्नी : सिस्टर्नी का वह भाग जो ERर से दूर होता हैं ट्रांस सिस्टर्नी कहलाता है।
2) आशय (Vesicle)
यह गोलाकार संरचना के होते हैं |
Incoming Transport vesicles : ER से प्रोटीन एवं लिपिडझिल्ली गाॅल्जी बॉडी तक पहचाने का कार्य करता है।
Secretary vesicles : प्रोटीन एवं लिपिड को गाॅल्जी बॉडी से संपूर्ण साइटोप्लाज्म में पहुंचने का कार्य करता है।
3) झिल्ली (Membrane)
गाॅल्जी बॉडी एकल प्लाज्मा झिल्ली घिरा कोशिकांग है। यह झिल्ली विशिष्ट होती है। यह झिल्ली चयनात्मक पारगम्य द्वारा कुछ ही प्रोटीन एवं लिपिड को अपने से आर-पार जाने देती है।
गाॅल्जी बॉडी के कार्य
1 स्त्रावण
यह प्रोटीन एवं लिपिड का स्त्रावण करता है ।
2 प्रोटीन एवं लिपिड का पैकेजिंग
गाॅल्जी बॉडी का सिस्टम प्रोटीन एवं लिपिड का पैकेजिंग कार्य करता है।
3 लाइसोसोम का निर्माण करताहै ।
शुक्राणु के एक्रोसोम का निर्माण करता है।
4 प्रोटीन एवं लिपिड का स्थानांतरण
यह संपूर्ण कोशिका में आशय के द्वारा प्रोटीन एवं लिपिड का स्थानांतरण करता है।
5 प्लाज्मा झिल्ली के मरम्मत हेतु प्रोटीन एवं लिपिड प्रदान करता है।
6 अनावश्यक प्रोटीन एवं लिपिड को लाइसोसोम में भेज देता है जहां उसका पाचन कर दिया जाता है।
D) राइबोसोम (Ribosome)
राइबोसोम की खोज पैलेड के द्वारा की गई थी।
यह प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिका दोनों में पाया जाता है।
प्रोकैरियोटिक कोशिका में 70S (ribosomal subunits - 50S & 30S), यूकैरियोटिक कोशिका में 80S (ribosomal subunits - 60S & 40S) प्रकार का राइबोसोम पाया जाता है।
यहां पर प्रोटीन का निर्माण होता है, इसलिए इसे कोशिका का प्रोटीन फैक्ट्री भी कहते हैं।
प्रोटीन का निर्माण ट्रांसलेशन क्रिया के द्वारा होता है।
वितरण
प्रोकैरियोटिक कोशिका में (70S type) पाया जाता है।
यूकैरियोटिक कोशिका में (80S type) पाया जाता है।
माइटोकांड्रिया एवं क्लोरोप्लास्ट में 70s प्रकार का राइबोसोम पाया जाता है।
संरचना (structure)
आवरण (Membrane) : राइबोसोम में एक विशिष्ट झिल्ली पाई जाती है। यह प्लाज्मा झिल्ली नहीं होती।
प्रोकैरियोटिक कोशका में 70s प्रकार का राइबोसोम पाया जाता है तथा यूकैरियोटिक कोशिका में 80S प्रकार का पाया जाता है।
Large Sub-unit :
इसमें वास्तव में प्रोटीन संश्लेषण का कार्य होता है
इसमें तीनसाइट पाए जाते हैं जो निम्नलिखित हैं -
A site (Acetyl binding site)
इस साइट में अमीनो एसिड आकर जुड़ती है जो tRNA से जुड़ी होती है।
P site (Peptidal site)
इस साइट में Amino acids के मध्य पेप्टाइड बॉन्ड (peptide bond) का निर्माण होता है, इस प्रकार इसमें पॉलिपेप्टाइड बनता है जिसे प्रोटीन कहते हैं।
E site (Exit site)
इस साइड में पहुंचने पर अमीनो एसिड, tRNA से अलग हो जाता है और अन्य अमीनो एसिड से पेप्टाइड बॉन्ड द्वारा जुड़ा होता है।
प्रोकैरियोटिक कोशिका में (70S) large ribosomal subunits - 50S
यूकैरियोटिक कोशिका में (80S) large ribosomal subunits - 60S
Small Sub-unit :
प्रोकैरियोटिक कोशिका में (70S) small ribosomal subunits - 30S
यूकैरियोटिक कोशिका में (80S) small ribosomal subunits - 40S
राइबोसोम के प्रकार
यह दो प्रकार का होता है :-
1) 80 S type ribosome
Large Ribosomal Sub-units - 60S
Small Ribosomal Sub-units - 40S
2) 70 S type ribosome
Large Ribosomal Sub-units - 50S
Small Ribosomal Sub-units - 30S
कार्य (functions)
ट्रांसलेशन
प्रोटीन का निर्माण
tRNA का बंधन
पेप्टाइड बॉन्ड का निर्माण
E) केंद्रक (Nucleus)
केंद्रक की खोज सर्वप्रथम रॉबर्ट ब्राउन के द्वारा सन 1831 में की गई थी।
केंद्रक यूकैरियोटिक कोशिका में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण कोशिका अंग है। यह कोशिका की विभिन्न क्रियाओं को नियंत्रित करता है अतः इसे कोशिका का मस्तिष्क भी कहा जाता है।
यूकैरियोटिक कोशिका में अनुवांशिक पदार्थ केंद्रक में पाया जाता है।
वितरण
प्रोकैरियोटिक कोशिका में केंद्रक नहीं पाया जाता है
यूकैरियोटिक कोशिका में केंद्रक उपस्थित होता है।
केंद्रक की संरचना (Structure of nucleus)
A केंद्रक झिल्ली (nuclear membrane)
केंद्रक प्लाज्मा मेंब्रेन के दोहरी आवरण से घिरा हुआ होता हैं जिसे केंद्रक झिल्ली कहते हैं।
B केंद्रक छिद्र (nuclopore)
केंद्रक झिल्ली जिन स्थानों पर नहीं पाई जाती है वहां छिद्र बन जाता हैं, जिसे केंद्रक छिद्र
कहते हैं।
C केंद्रक द्रव्य (nucleoplasm)
केंद्रक के अंदर पाया जाने वाला अर्ध ठोस पदार्थ केंद्रक द्रव्य कहलाता हैं। इसमें ग्रेन्यूल्स पाए जाते हैं।
D क्रोमेटिन (chromatin)
केंद्रक के अंदर पाया जाने वाला धागे नुमा संरचना क्रोमेटिन कहलाता है। यह दो प्रकार का होता है
1 यूक्रोमेटिन (Euchromatin)
यह हल्के रंग का होता है क्योंकि इसमें हिस्टोन प्रोटीन कम संघनित होते हैं।
यह केंद्रक के मध्य भाग में पाया जाता है।
यह क्रोमेटिन का दो प्रतिशत (2%) भाग होता है।
केवल यही क्रोमेटिन प्रोटीन या लक्षण बनाता है।
2 हेटेरोक्रोमेटिन (Heterochromatin)
यह गहरे रंग का होता है क्योंकि इसमें हिस्टोन प्रोटीन अधिक संघनित होते हैं।
यह केंद्रक के परिधिय भाग में पाया जाता है।
यह क्रोमेटिन का 98% भाग होता है।
यह क्रोमेटिन प्रोटीन या लक्षण बनाने में भाग नहीं लेता है।
E केंद्रिका (nucleolus)
इसकी खोज फोटाना के द्वारा की गई थी
यह केंद्रक के अंदर पाया जाने वाला विशिष्ट संरचना है।
यह rRNA का निर्माण करता है जो राइबोसोम बनाता है ।
इसके अंदर कुछ ग्रेन्यूल्स पाए जाते हैं।
केंद्रक के कार्य (functions of nucleus)
कोशिका की जैविक गतिविधियों का नियंत्रण
अनुवांशिक पदार्थ का संचय
DNA का रिप्लिकेशन
RNA का निर्माण
अनुवांशिक सूचनाओं का स्थानांतरण
F) गुणसूत्र (Chromosome)
इसकी खोज W. वाल्डेयर के द्वारा की गयी थी।
यह केंद्रक के अंदर पाया जाता हैं।
यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में अनुवांशिक गुना का स्थानांतरण करता है।
जीन क्रोमोसोम में ही पाए जाते हैं। क्रोमोसोम, जीन के साधन के रूप में जाने जाते हैं।
क्रोमोसोम का निर्माण (Formation of chromosome)
डीएनए पैकेजिंग के दौरान डीएनए एवं प्रोटीन से होता है।
क्रोमोसोम की आकारिकी (Morphology of chromosome)
क्रोमोसोम डीएनए एवं प्रोटीन से मिलकर बना होता है।
इंटरफेस
इस फेस (अवस्था) में क्रोमोसोम, क्रोमेटिन के रूप में पाए जाते हैं।
क्रोमोसोम संघनित नहीं होते।
क्रोमोसोम स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देता है।
मेटोटिक फेस (mitosis/meiosis)
क्रोमोसोम, क्रोमेटिड्स के रूप में पाए जाते हैं।
क्रोमोसोम संघनित होते।
क्रोमोसोम स्पष्ट रूप से दिखाई देता है (in metaphase)।
क्रोमेटिड्स के आधार पर क्रोमोसोम के प्रकार (Types of chromosome) :-
1 मेटासेंट्रिक (Metacentric)
दो भुजाएं पाई जाती है।
दोनों भुजाएं समान आकार की होती है।
सेंट्रोमियर दोनों भुजाओं के मध्य में होता है।
2 सब मेटासेंट्रिक (Sub-metacentric)
दो भुजाएं पाई जाती है।
एक भुजा लंबी व एक भुजा छोटी होती है।
सेंट्रोमियर दोनों भुजाओं के मध्य में होता है।
3 एक्रोसेंट्रिक (Acrocentric)
दो भुजाएं पाई जाती है।
एक भुजा अत्यधिक लंबी व एक भुजा अत्यंत छोटी होती है।
सेंट्रोमियर दोनों भुजाओं के मध्य में होता है।
4 टीलोसेंट्रिक (Telocentric)
केवल एक भुजा पायी जाती है।
सेंट्रोमियर शीर्ष में होता है।
क्रोमोसोम की संरचना (Structure of chromosome)
क्रोमोसोम निम्न संरचनाओं से मिलकर बना होता हैं
क्रोमेटिड
क्रोमोनिमेटा
सेंट्रोमियर
द्वितीयक संकीर्णन
सेटेलाइट
टीलोमियर
1 क्रोमेटिड (Chromatid)
यह अर्द्ध क्रोमोसोम होता हैं।
संपूर्ण क्रोमोसोम का निर्माण दो क्रोमेटिड से होता है।
2 क्रोमोनिमेटा (Chromonemata)
क्लाइमेट के अंदर अर्ध ठोस तरल पाया जाता है जिसे मैट्रिक्स कहते हैं, इस मैट्रिक्स में कुंडली तंतु समान संरचनाएं पाई जाती है जिसे क्रोमोनिमेटा कहते हैं।
3 सेंट्रोमियर (Centromere)
यह क्रोमेटिड्स के भुजाओं को आपस में जोड़ने का कार्य करता है।
यह ट्यूबूलिन प्रोटीन का निर्माण करता है।
4 द्वितीयक संकीर्णन (Secondary constriction)
सेंट्रोमियर के अतिरिक्त पाए जाने वाले अन्य संकीर्णन को द्वितीयक संकीर्णन कहते हैं।
यह केंद्रिका का निर्माण करता है।
5 सेटेलाइट (Satellite)
यह क्रोमेटिन से जुड़ा होता है।
6 टीलोमियर (Telomere)
यह क्रोमेटिड का शीर्ष भाग होता है।
यह एक गुणसूत्र को दूसरे गुणसूत्र से जुड़ने नहीं देता।
F) लाइसोसोम (Lysosome)
लाइसोसोम एनिमल सेल में पाया जाने वाला महत्वपूर्ण कोशिकांग है।
इसकी खोज डी डुवे के द्वारा की गई थी।
यह मृत कोशिकाओं का पाचन करता है।
कभी-कभी यह स्वयं के कोशिका का पाचन कर देता है अतः इसे आत्महत्या की थैली (outophagy) भी कहते हैं।
इसका निर्माण गाॅल्जी बॉडी से होता है ।
उत्पत्ति (Origin)
लाइसोसोम का निर्माण गोलगी बॉडी से होता है।
वितरण (Distribution)
यह प्रोकैरियोटिक कोशिका में नहीं पाया जाता।
यूकैरियोटिक कोशिकाओं मैं केवल जंतु कोशिका में ही पाया जाता है। यह जंतु कोशिका के साइटोप्लाज्म में पाया जाता है।
संरचना (Structure)
आवरण (membrane)
यह एकल प्लाज्मा झिल्ली से घिरा हुआ होता है। इस आवरण में ट्रांसपोर्ट प्रोटीन (transport protein) पाए जाते हैं।
लिपिड का आवरण भी पाया जाता है।
मैट्रिक्स (matrix)
इसके अंदर वाले भाग में अर्थठोस जेली नुमा पदार्थ पाया जाता है जिसे मैट्रिक्स कहते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार (24) की हइड्रोलिटिक एंजाइम पाए जाते हैं।
Lysosome
कार्य (Function)
मृत कोशिकाओं का पाचन।
स्वयं की कोशिकाओं का पाचन
अनावश्यक लिपिड्स का विघटन
अनावश्यक प्रोटीन का पाचन
कोशिकीय सुरक्षा
G) पराॅक्सीसोम (Peroxisome)
यह एकल प्लाज्मा झिल्ली युक्त कोशिकांग होता है जो कोशिका के साइटोप्लाज्म में पाया जाता है।
इसकी खोज De Duve and Baudhuin के द्वारा की गई थी।
इसमें ऑक्सीडेस (Oxidase), कैटालेस (Catalase) जैसे एंजाइम्स पाए जाते हैं।
यह जंतु कोशिका में डिटॉक्सिफिकेशन (ditoxification) का कार्य करता है। यह मुख्यतः किडनी एवं लिवर सेल्स में पाए जाते हैं।
यह पादप कोशिका में फोटोरेस्पिरेशन में मदद करता है।
वितरण (Distribution)
प्रोकैरियोटिक कोशिका में नहीं पाए जाते
यूकैरियोटिक कोशिका में पाए जाते हैं।
पादप कोशिका में इसकी संख्या जंतु कोशिका की तुलना में अधिक होती है।
पादप कोशिका में यह फोटो रेस्पिरेशन (photo-respiration) में मदद करता है।
यह जंतु कोशिका में डिटॉक्सिफिकेशन का कार्य करता है। यह मुख्यतः किडनी एवं लिवर सेल्स में पाए जाते हैं।
अमाप (Size) : 0.5 - 1 माइक्रोन
आकार (Shape) : यह oval shape या गोलाकार होता है।
संरचना (Structure)
आवरण (membrane) यह एकल प्लाज्मा झिल्ली से घिरा हुआ होता है।
लिपिड का आवरण : प्लाज्मा झिल्ली के अंदर या नीचे लिपिड का आवरण पाया जाता है।
मैट्रिक्स (matrix)
इसके अंदर वाले भाग में अर्थठोस जेली नुमा पदार्थ पाया जाता है जिसे मैट्रिक्स कहते हैं। इसमें ऑक्सीडेस, कैटालेस एंजाइम पाए जाते हैं।
ऑक्सीडेस (Oxidase) - पराॅक्साइड के संश्लेषण में मदद करता है।
कैटालेस (Catalase) - पराॅक्साइड के विघटन में मदद करता है।
कार्य (Functions)
पादप कोशिका में फोटोरेस्पिरेशन (photo-respiration) में मदद करता है।
जंतु कोशिका में डिटॉक्सिफिकेशन (detoxification) करता है।
ऑक्सीडेस पराॅक्साइड के संश्लेषण में मदद करता है।
कैटालेस पराॅक्साइड के विघटन में मदद करता है।