जैविक वर्गीकरण Biological Classification
समय मैं परिवर्तन होने के साथ-साथ अलग-अलग वैज्ञानिकों द्वारा जैविक वर्गीकरण प्रस्तुत किए गए जो इस प्रकार है
अरस्तु
इनके द्वारा प्रथम जैविक वर्गीकरण दिया गया।
यह वर्गीकरण सरल आकार की लक्षणों पर आधारित था।
इन्होंने संपूर्ण विश्व के जीवों को पादप एवं जंतु में बांटा।
A) पादप को वृक्ष, झाड़ी, शाक में बांटा।
B) जंतु को RBCs के आधार पर विभाजित किया।
1) इनाइमा : RBCs उपस्थित ।
2) एनाइमा : RBCs अनुपस्थित ।
द्विजगत वर्गीकरण पद्धति
कैरोलस लीनियस इसके जनक माने जाते हैं।
इन्होंने संपूर्ण जगत को दो मुख्य जगत में विभाजित किया जंतु जगत एवं पादप जगत।
वर्गीकरण का आधार : कोशिका भित्ति
1 जंतु जगत : सभी कोशिका भित्ति रहित जीवो को सम्मिलित किया गया।
2 पादप जगत : सभी कोशिका भित्ति वाले जीवों को सम्मिलित किया गया। जैसे शैवाल, कवक, जीवाणु, हरे पौधे।
कमियां
प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक जीवों को एक ही जगत में सम्मिलित किया गया।
एक कोशिकीय एवं बहुकोशिकीय जीवों को एक ही जगत में सम्मिलित किया गया।
स्वपोषी एवं परपोषी जीवों को एक साथ रखा गया।
तीन जगत वर्गीकरण पद्धति
इसे सर्वप्रथम हीकल द्वारा दिया गया ।
इन्होंने संपूर्ण विश्व को तीन जगत में विभाजित किया ।
प्रोटिस्टा जगत, पादप जगत, जंतु जगत ।
चार जगत वर्गीकरण पद्धति
इसे सर्वप्रथम कोपलैंड द्वारा दिया गया ।
कोपलैंड नहीं संपूर्ण विश्व को चार जगत में विभाजित किया।
जगत मोनेरा, जगत प्रोटिस्टा, जगत पादप, जगत जंतु ।
पांच जगत वर्गीकरण पद्धति
व्हिटेकर इसके जनक माने जाते हैं।
निम्नलिखित लक्षणों के आधार पर व्हिटेकर ने (1969) जीवों को पांच जगत में विभाजित किया
कोशिकीय प्रकार या संरचना
कोशिकीयता
कोशिका भित्ति
पोषण
जनन
जातिवृत्तीय संबंध
पांच जगत मोनेरा प्रोटिस्टा कवक पादप जंतु
छः जगत वर्गीकरण पद्धति
इस पद्धति को कार्ल वुईज द्वारा 1990 में दिया गया।
इसे तीन डोमेन पद्धति भी कहा जाता है।
इस पद्धति में संपूर्ण विश्व को तीन डोमेन (super Kingdom) में विभाजित किया गया।
वर्गीकरण का आधार : 16s rRNA
Note : मोनेरा जगत को आर्कीबैक्टीरिया एवं यूबैक्टीरिया में विभाजित किया गया है।
A) आर्कीबैक्टीरिया :
ऐसे बैक्टीरिया जो असाधारण परिस्थितियों में भी जीवित रहते हैं उन्हें इसके अंतर्गत सम्मिलित किया जाता है
a. मेथेनोजेंस
अवायवीय वातावरण में जीवित रहते हैं।
मवेशियों को आंत या रूमेन में पाए जाते हैं।
मीथेन गैस का उत्पादन करते हैं।
बायोगैस बनाने में उपयोगी।
Ex. मेथेनोकोक्स
b. हेलोफाइल्स
ये लवणीय वातावरण में रहते हैं।
Ex. हेलोबैक्टीरियाम
c. थर्माेसिडोफाइल्स
ये गर्म पानी के झरने अम्लीय वातावरण में पाए जाते हैं ।
Ex. टैंक पाॅलीमरेस
B) यूबैक्टीरिया
इन्हें वास्तविक बैक्टीरिया (true bacteria) भी कहते हैं।
इसके अंतर्गत सायनोबैक्टीरिया ( एनाबीना, नाॅस्टाक ) आते हैं।
इनमें जिलेटिनस शीथ पाया जाता है।
इनमें हेटरोसाइट पाया जाता है।
C) यूकैरिया
इसके अंतर्गत प्रोटिस्टा, कवक, पादप, जंतु आते हैं ।