A) एल्केन (Alkane) : वह हाइड्रोकार्बन जिसमें कार्बन-कार्बन के मध्य सिंगल बॉन्ड (C-C) पाया जाता है तथा जिसका सामान्य सूत्र CnH(2n+2) होता है उसे एल्केन कहते हैं। इसे संतृप्त हाइड्रोकार्बन भी कहते हैं। इसे पैराफिन भी कहा जाता है। इसमें कार्बन परमाणु sp³ संकरित होते हैं।
मीथेन बनाने की प्रयोगशाला विधि
प्रयोगशाला विधि
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विधि : जब सोडियम एसीटेट को सोडियम हाइड्राॅक्साइड एवं कैल्शियम ऑक्साइड के साथ परखनली में भरकर बर्नर की सहायता से गर्म करते हैं, तब मीथेन गैस बनता है। इसे कॉपर की नली के द्वारा गैस जार स्टैंड में प्रवेश कराया जाता है। गैस जार स्टैंड जल में डूबा होता है। इस गैस जार के ऊपरी भाग में मीथेन गैस एकत्रित होता है।
सावधानियां: बर्नर का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
B) एल्किन (Alkene) : वह हाइड्रोकार्बन जिसमें कार्बन-कार्बन के मध्य डबल बॉन्ड (C=C) पाया जाता है तथा जिसका सामान्य सूत्र CnH2n होता है उसे एल्किन कहते हैं। इसे असंतृप्त हाइड्रोकार्बन भी कहते हैं। इसमें कार्बन परमाणु sp² संकरित होते हैं।
एथिलीन बनाने की प्रयोगशाला विधि
प्रयोगशाला विधि : एथिल एल्कोहल को सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ 160° से 170° सेल्सियस पर गर्म करने पर एथिलीन बनता है। यह क्रिया दो पदों में संपन्न होती है।
विधि : एक गोल पेंदी के फ्लास्क में बिंदुकीप द्वारा सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल व एथिल अल्कोहल के विलयन को डालते हैं और धीरे-धीरे 160° सेल्सियस से 170° सेल्सियस पर गर्म करते हैं। एथिलीन गैस बनती है, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड सांद्र सल्फ्यूरिक एसिड, OH की अशुद्धियां होती है। इन्हें दूर करने के लिए इसे सोडियम हाइड्राॅक्साइड के विलियन में प्रवाहित करते हैं, जहां अशुद्धियां अवशोषित हो जाती है तथा शुद्ध एथिलीन गैस टब के पानी में रखी हुई गैस जार में जल के ऊपर एकत्रित होती है क्योंकि यह जल में अविलेय होती है।
सावधानियां
बिंदु कीप विलियन में डूबा रहना चाहिए।
सल्फ्यूरिक अम्ल की मात्रा अधिक होनी चाहिए।
C) एल्काइन (Alkyne): वह हाइड्रोकार्बन जिसमें कार्बन-कार्बन के मध्य ट्रिपल बॉन्ड (C≡C) पाया जाता है तथा जिसका सामान्य सूत्र CnHn होता है उसे एल्काइन कहते हैं। इसे असंतृप्त हाइड्रोकार्बन भी कहते हैं। इसमें कार्बन परमाणु sp संकरित होते हैं।
एसीटिलीन बनाने की प्रयोगशाला विधि
प्रयोगशाला विधि : कैल्शियम कार्बाइड की क्रिया जल के साथ कराई जाती है, तो एसिटिलीन बनता है।
CaC2 + 2H2O ----- C2H2 + Ca(OH)2
विधि : एख कोनिकल फ्लास्क में रेत की परत बिछाकर उस पर कैल्शियम कार्बाइड (CaC2) के टुकड़े रख देते हैं और बिंदु कीप के द्वारा जल धीरे-धीरे करके कोनिकल फ्लास्क में डालते हैं जिससे कैल्शियम कार्बाइड क्रिया करता है और एसिटिलीन बनता है। इसमें अमोनिया (NH3), PH3 की अशुद्धियां होती है, जिसे अम्लीय कॉपर सल्फेट (CuSO4) के विलियन में प्रवाहित करके जल से भरी तब में रखे गैस जार में एकत्रित कर लेते हैं। अशुद्धियां अम्लीय कॉपर सल्फेट में रह जाती है
सावधानियां
बिंदु कीप विलियन में डूबा रहना चाहिए।
उपकरण वायु रोधी होना चाहिए।
Question-Answers
Q.1 क्रोमैटोग्राफी किसे कहते हैं? इसके अनुप्रयोग लिखिए।
Ans: क्रोमैटोग्राफी : मिश्रण से रंगों के पृथक्करण की विधि को क्रोमैटोग्राफी कहते हैं। क्रोमैटोग्राफी का उपयोग किसी भी द्रव मिश्रण में विभिन्न घटकों को अलग करने के लिए करते हैं।
अनुप्रयोग
खुन से दवाओं को अलग करने हेतु।
प्राकृतिक रंगों से रंग द्रव्य को अलग करने में।
एक डाई के रंगों को अलग करने में।
Q.2 क्रिस्टलीकरण क्या है? इसके अनुप्रयोग लिखिए।
Ans: जब किसी द्रव में बहुत अधिक मात्रा में ठोस पदार्थ घुला हुआ रहता है और सांद्र विलियन बनाता है, तो इसमें से ठोस पदार्थ व द्रव पदार्थ को अलग-अलग करने के लिए जिस विधि का प्रयोग किया जाता है, उसे क्रिस्टलीकरण कहते हैं।
अनुप्रयोग
समुद्री जल से प्राप्त नमक का शुद्धिकरण करना।
अशुद्ध नमूने से फिटकरी को अलग करना।
Q.3 प्रभाजी आसवन किसे कहते हैं?
जब कोई मिश्रण ऐसे पदार्थ से मिलकर बना होता है जिसके क्वथनांक में बहुत कम अंतर होता है, ऐसे पदार्थों को पृथक् करने के लिए प्रभाजी आसवन की क्रिया करते हैं।
उदाहरण : पेट्रोलियम से डीजल, पेट्रोल एवं केरोसिन आदि को अलग करने हेतु।
प्रभाजी आसवन की क्रियाविधि : कभी-कभी अशुद्ध एवं शुद्ध किए जाने वाले पदार्थ की विलेयता में कम अंतर होता है। जिस पदार्थ की विलेयता कम होती है वह पहले क्रिस्टल बना लेता है जिसे छानकर अलग कर लिया जाता है। छनित विलयन में दो पदार्थ उपस्थित होते हैं। इसी प्रकार क्रिस्टलों में भी दो पदार्थ उपस्थित होंगे। जब क्रिस्टलीकरण की प्रक्रिया बार-बार दोहराते हैं, तब छनित विलयन में अधिक विलेय पदार्थ एवं क्रिस्टलों में अल्प विलेय पदार्थ उपस्थित होते हैं।
Q.4 एल्केन, एल्किन एवं एल्काइन को परिभाषित कीजिए।
1.एल्केन (Alkane) : वह हाइड्रोकार्बन जिसमें कार्बन-कार्बन के मध्य सिंगल बॉन्ड (C-C) पाया जाता है तथा जिसका सामान्य सूत्र CnH(2n+2) होता है उसे एल्केन कहते हैं। इसे संतृप्त हाइड्रोकार्बन भी कहते हैं। इसे पैराफिन भी कहा जाता है। इसमें कार्बन परमाणु sp³ संकरित होते हैं।
2.एल्किन (Alkene) : वह हाइड्रोकार्बन जिसमें कार्बन-कार्बन के मध्य डबल बॉन्ड (C=C) पाया जाता है तथा जिसका सामान्य सूत्र CnH2n होता है उसे एल्किन कहते हैं। इसे असंतृप्त हाइड्रोकार्बन भी कहते हैं। इसमें कार्बन परमाणु sp² संकरित होते हैं।
3.एल्काइन (Alkyne): वह हाइड्रोकार्बन जिसमें कार्बन-कार्बन के मध्य ट्रिपल बॉन्ड (C≡C) पाया जाता है तथा जिसका सामान्य सूत्र CnHn होता है उसे एल्काइन कहते हैं। इसे असंतृप्त हाइड्रोकार्बन भी कहते हैं। इसमें कार्बन परमाणु sp संकरित होते हैं।