सफलता का दूसरा नाम परिश्रम
या
परिश्रम सफलता की कुंजी
प्रारूप -
प्रस्तावना
परिश्रम का महत्व
परिश्रम सफलता की कुंजी
परिश्रम करने के लाभ
निष्कर्ष
1 प्रस्तावना : कर्मशील मनुष्य निरंतर परिश्रम करते रहता है। वह कभी भी भाग्य के भरोसे नहीं बैठे रहता। वह मेहनत पर विश्वास करता है। यही उसकी सफलता का मूल मंत्र होता है। वह अपने काम का बार-बार अभ्यास कर उस कार्य को आसान बनाता है। जिस प्रकार एक पत्थर पर रस्सी के बार-बार आने जाने से उस पर रस्सी का निशान बन जाता है ठीक उसी प्रकार बार-बार अभ्यास करते रहने से कठिन कार्य भी सरल हो जाते हैं।
करत करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान,
रसरी आवत जात ते, पत्थर पर परत निशान।
2 परिश्रम का महत्व : जो व्यक्ति परिश्रम करना जानता है, वह कभी भी भूख नहीं रहता। परिश्रम करने से वह स्वावलंबी हो जाता है। परिश्रमी व्यक्ति अपने लक्ष्य के मार्ग में आने वाले सभी रूकावटों, बाधाओं का डटकर सामना करते हुए अग्रसर बना रहता है। अतः परिश्रम सफलता का मूल मंत्र है।
3 परिश्रम सफलता की कुंजी : जो कर्मशील व्यक्ति है वह अपने जीवन में सफलता को अवश्य ही प्राप्त करता है। छोटी-मोटी बाधाएं उसे प्रभावित नहीं करते। जिस प्रकार पथिक लगातार अपने लक्ष्य की ओर चलते रहता है और रात के अंधेरे में भी अग्रसर बना रहता है, ठीक उसी प्रकार सफलता भी उसके नजदीक आने लगती है। किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना कठिन नहीं होता, यदि परिश्रम करने का साहस हो। परिश्रम ही सफलता की कुंजी होती है।
4 परिश्रम करने के लाभ : परिश्रम करने के अनेक लाभ हैं जैसे -
परिश्रम करने से कार्य कुशलता आती है
व्यक्ति मेहनती और कर्मठशील बनता है
परिश्रम करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है
परिश्रम व्यक्ति को भाग्यवादी बनने से बचाता है तथा कर्मशील बनाता है
परिश्रमी व्यक्ति आलसी नहीं होता है।
5 निष्कर्ष : सफलता का दूसरा नाम परिश्रम है। परिश्रम के अनेक उदाहरण दिए जा सकते हैं जो सफलता की प्राप्ति का मार्ग है। जैसे चीटियां ऊंची दीवार पर चढ़ने की बहुत कोशिश करती है, कई बार गिरती है, फिर पुनः प्रयास करती है और एक समय ऐसा आता है कि वह अपनी मंजिल तक पहुंच जाती है। इसी प्रकार हमें भी लगातार प्रयास करते रहने की आवश्यकता है, तब हमारी सफलता निश्चित है।