Q.1 एड्स के परीक्षण के लिए कौन सा टेस्ट कराया जाता है?
Ans: ELISA (Enzyme Linked Immuno Sorbent Essay)
Q.2 टाइफाइड के परीक्षण के लिए कौन सा टेस्ट कराया जाता है?
Ans: विडाल टेस्ट
Q.3 प्लाज्मोडियम मनुष्य के अंदर किस रूप में प्रवेश करता है?
Ans: स्पोरोजोइट sporozoite
Q.4 B सेल का निर्माण एवं परिपक्वण कहां पर होता है ?
Ans: अस्थि मज्जा
Q.5 T सेल का निर्माण एवं परिपक्वण कहां पर होता है?
Ans: निर्माण अस्थि मज्जा में तथा परिपक्वण थाइमस में।
Q.6 एलर्जी के समय कि एंटीबॉडी की मात्रा बढ़ जाती है?
Ans: IgE antibody
Q.7 NACO का पूरा नाम लिखिए।
Ans: नेशनल ऐड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (National AIDS Control Organisation)
Q.8 HIV किस प्रकार का वायरस है?
Ans: रेट्रोवायरस
Q.9 SCID का पूरा नाम लिखिए।
Ans: Severe Combined Immunodeficiency
Q.10 एंटीबॉडी क्या है? नामांकित चित्र बनाइए।
Ans: एंटीबॉडी एंटीबॉडी मुक्त इम्यूनोग्लोबुलीन प्रोटीन की बनी वह संरचना है, जो एंटीजनों को नष्ट कर हमारे शरीर की रक्षा करती है। एंटीबॉडी इम्यूनोग्लोबुलीन प्रोटीन के चार पॉलिपेप्टाइड चैन से मिलकर बनी होती है जिसमें दो पॉलिपेप्टाइड चैन भारी श्रृंखला एवं दो पॉलिपेप्टाइड चैन हल्की श्रृंखला कहलाती है।
Q.11 रोग किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार के होते हैं? लिखिए।
Ans: जब शरीर के किसी अंग पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़े एवं विभिन्न लक्षण प्रकट होते हैं तो उसे रोग कहते हैं।
रोग के प्रकार रोग निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-
जन्मजात रोग : इसे अनुवांशिक रोग भी कहते हैं। यह रोग जन्म के समय ही उत्पन्न होता है।
उदाहरण एड्स, सिफालिस, हीमोफीलिया आदि।
उपार्जित रोग : यह रोग जन्म के बाद उत्पन्न होते हैं। यह संक्रामक या असंक्रामक होता है।
संक्रामक रोग : ऐसे रोग जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैला है उसे संक्रामक रोग कहते हैं।
उदाहरण टाइफाइड, न्यूमोनिया, मलेरिया आदि।
असंक्रामक रोग : ऐसे रोग जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलने उसे असंक्रामक रोग कहते हैं।
उदाहरण कैंसर, अंगों की विकृति आदि।
Q.12 निम्नलिखित जीवाणुजनित रोग को विस्तार से समझाइए।
टाइफाइड, न्यूमोनिया
Ans:
टाइफाइड : यह एक जीवाणुजनित रोग है।
कारक : साल्मोनेला टाइफी
वाहक : संदूषित भोजन एवं पानी। संदूषित भोजन एवं पानी से आहारनाल से छोटी आंत में पहुंचता है तथा वहां से रक्त के माध्यम से शरीर के सभी अंगों में फैल जाता है।
लक्ष्य अंग : छोटी आंत
लक्षण :
अत्यधिक बुखार आना (शरीर का ताप 39 से 40 डिग्री सेल्सियस हो जाता है)।
कमजोरी आमाशय में पीड़ा होना।
भूख न लगना।
सर दर्द होना।
आंत में छेद व मृत्यु हो सकती है।
परीक्षण : विडाल परीक्षण
सर्वप्रथम संक्रमित व्यक्ति : मैरी मेलान (उपनाम टाइफाइड मैरी)
रोकथाम के उपाय :
साफ जल एवं भोजन का प्रयोग करें।
मक्खियों को नष्ट करें।
उबले हुए जल का सेवन करें।
न्यूमोनिया - यह एक जीवाणुजनित रोग है।
रोगकारक (antigen) : इस स्ट्रैप्टॉकोक्कस न्यूमोनी, हिमोफिलस इनफ्लुएंजा
वाहक (vector) : संक्रमित व्यक्ति
लक्ष्य अंग (target organ) : फेफड़ों की एल्यूलाई
लक्षण (symptoms) :
बुखार आना।
खांसी आना।
सर दर्द होना।
ठंडी लगना, ठिठुरन लगना।
रोग गंभीर होने पर होठ एवं नाखून का रंग धूसर से नीला पड़ना।
रोकथाम के उपाय (method of prevention) :
संक्रमित व्यक्ति को अलग से रखना।
संक्रमित व्यक्ति को मास्क लगाना चाहिए।
लोगों से बात करते समय संक्रमित व्यक्ति को उचित दूरी बनाए रखना चाहिए तथा मास्क लगाए रहना चाहिए।
संक्रमित व्यक्ति के कमरे की नियमित सफाई करनी चाहिए।
स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए।
Q.13 निम्नलिखित विषाणुजनित रोग को विस्तार से समझाइए।
सामान्य जुकाम, डेंगू, चिकन पॉक्स
Ans:
सामान्य जुकाम
रोगकारक (antigen) : राइनो वायरस
वाहक (vector) : संक्रमित व्यक्ति की खांसने, छिंकने से स्वस्थ व्यक्ति में श्वास लेने के दौरान प्रवेश करता है।
लक्ष्य अंग (target organ) : नाक एवं श्वसन पथ को संक्रमित करता है।
लक्षण (symptoms) :
सर्दी-जुकाम होना होना, खांसी आना।
गले में दर्द होना।
सिर दर्द होना।
नाक बहना आदि।
रोकथाम के उपाय (method of prevention) :
संक्रमित व्यक्ति को अलग से रखना।
संक्रमित व्यक्ति को मास्क लगाना चाहिए।
लोगों से बात करते समय संक्रमित व्यक्ति को उचित दूरी बनाए रखना चाहिए तथा मास्क लगाए रहना चाहिए।
संक्रमित व्यक्ति के कमरे की नियमित सफाई करनी चाहिए।
स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए।
डेंगू
रोगकारक (antigen) : DEN-1, DEN-2, DEN-3 वायरस
वाहक (vector) : मादा टाइगर मच्छर
लक्षण (symptoms) :
तेज बुखार,
सिरदर्द (विशेषकर आंखों के पीछे)
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
रोकथाम के उपाय (method of prevention) :
मच्छरों की वृद्धि को रोकना चाहिए।
गधों में पानी एकत्र न होने दे।
यदि घर या उसके आसपास गड्ढा है तो उसे रेट या मिट्टी से ढंक देना चाहिए।
मच्छरदानी का प्रयोग करें।
घर नाली में केरोसिन का छिड़काव करें।
तालाबों में Guppy, Gambusia मछलियों का पालन करें क्योंकि मछलियां मच्छर के लार्वा को खा जाती है।
घर के दरवाजे खिड़कियों में जाल लगाए।
कुलर के पानी को समय-समय पर बदलते रहे।
चिकन पॉक्स
रोगकारक (antigen) : अल्फा वायरस
वाहक (vector) : एडीज एजप्टी मच्छर
लक्षण (symptoms) :
बुखार
थकान
सिरदर्द और भूख न लगना
रोकथाम के उपाय (method of prevention) :
मच्छरों की वृद्धि को रोकना चाहिए।
गधों में पानी एकत्र न होने दे।
यदि घर या उसके आसपास गड्ढा है तो उसे रेट या मिट्टी से ढंक देना चाहिए।
मच्छरदानी का प्रयोग करें।
घर नाली में केरोसिन का छिड़काव करें।
तालाबों में Guppy, Gambusia मछलियों का पालन करें क्योंकि मछलियां मच्छर के लार्वा को खा जाती है।
घर के दरवाजे खिड़कियों में जाल लगाए।
कुलर के पानी को समय-समय पर बदलते रहे।
Q.14 निम्नलिखित प्रोटोजोआ जनित रोग को विस्तार से समझाइए।
मलेरिया, अमीबियोसिस
Ans:
मलेरिया
रोगकारक (antigen) :
प्लाज्मोडियम विवैक्स (plasmodium vivax)
प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम (plasmodium falciparum)
प्लाज्मोडियम ओवेल (plasmodium ovale)
प्लाज्मोडियम मलेरियाई (plasmodium malariae)
वाहक (vector) : मादा एनाफिलीज मच्छर
लक्ष्य अंग (target organ) : यकृत एवं आरबीसी
मलेरिया के प्रकार : तीन प्रकार के होते हैं -
Quartan malaria : यह प्लाज्मोडियम मलेरियाई के कारण होता है।
Tertian malaria : यह प्लाज्मोडियम विवैक्स के कारण होता है।
Malignant tertian malaria : यह प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम के कारण होता है। यह सबसे खतरनाक प्रकार का मलेरिया है
Mild tertian maleria : यह प्लाज्मोडियम ओवेल के कारण होता है।
लक्षण (symptoms) :
तेज बुखार आना।
ठंडी लगना।
सिर दर्द होना।
कमजोरी महसूस होना।
रोकथाम के उपाय (method of prevention) :
मच्छरों की वृद्धि को रोकना चाहिए।
गधों में पानी एकत्र न होने दे।
यदि घर या उसके आसपास गड्ढा है तो उसे रेट या मिट्टी से ढंक देना चाहिए।
मच्छरदानी का प्रयोग करें।
घर नाली में केरोसिन का छिड़काव करें।
तालाबों में Guppy, Gambusia मछलियों का पालन करें क्योंकि मछलियां मच्छर के लार्वा को खा जाती है।
घर के दरवाजे खिड़कियों में जाल लगाए।
कुलर के पानी को समय-समय पर बदलते रहे।
अमीबियोसिस
रोगकारक (antigen) : एंटअमीबा हिस्टोलीटिका
वाहक (vector) : घरेलू मक्खी
लक्षण (symptoms) :
कब्ज होना।
उदरीय पीड़ा।
अत्यधिक श्लेषमल आना।
रक्त के थक्के वाला मल आना।
रोकथाम के उपाय (method of prevention) :
साफ स्वच्छ जल एवं भोजन ग्रहण करें।
शौचालय को साफ रखें।
हरी सब्जियों को पोटैशियम परमेगनेट से धोएं।
मक्खियों को नष्ट करें। इसके लिए उचित कीटनाशक का प्रयोग करें।
Q.15 निम्नलिखित हेल्मेन्थीज रोग को विस्तार से समझाइए।
एस्कारिसिस, फाइलेरिसिस
Ans:
एस्कारिसिस
रोगकारक (antigen) : एस्कारिस लुम्ब्रीकाइडिस
वाहक (vector) : संदूषित पानी एवं सब्जी
लक्षण (symptoms) :
आंतरिक रक्तस्राव होना।
पेशी पीड़ा होना।
बुखार आना।
कमजोरी महसूस होना।
अरक्तता आदि।
रोकथाम के उपाय (method of prevention) :
साफ शौचालय का उपयोग करें।
साफ, स्वच्छ जल एवं भोजन का उपयोग करें।
खाने से पहले हाथ अवश्य धोएं।
फाइलेरिसिस/फाइलेरिया/हाथीपांव
रोगकारक (antigen) : फाइलेरिसिस कृमि, वूचेरिया बैनक्रॉफ्टी, वूचेरिया मलाई।
वाहक (vector) : मादा कलेक्स मच्छर।
लक्ष्य अंग (target organ) : लसीकाभ अंग
लक्षण (symptoms) :
पैर या जांघों में सूजन आना।
इसके लक्षण अत्यधिक समय के पश्चात् प्रकट होते हैं।
रोकथाम के उपाय (method of prevention) :
मच्छरों की वृद्धि को रोकना चाहिए।
गधों में पानी एकत्र न होने दे।
यदि घर या उसके आसपास गड्ढा है तो उसे रेट या मिट्टी से ढंक देना चाहिए।
मच्छरदानी का प्रयोग करें।
घर नाली में केरोसिन का छिड़काव करें।
तालाबों में Guppy, Gambusia मछलियों का पालन करें क्योंकि मछलियां मच्छर के लार्वा को खा जाती है।
घर के दरवाजे खिड़कियों में जाल लगाए।
कुलर के पानी को समय-समय पर बदलते रहे।
Q.16 निम्नलिखित कवकजनित रोग को विस्तार से समझाइए।
Ans:
दाद
रोगकारक (antigen) माइक्रोस्पोरम, टाइकोफाइटोन, एपिडर्मोफाइटोन।
वाहक (vector) संक्रमित व्यक्ति के छूने से, संक्रमित व्यक्ति के कपड़ों आदि से फैलता है।
लक्ष्य अंग (target organ) त्वचा
लक्षण (symptoms)
खुजली होना।
त्वचा में लाल-लाल धब्बे दिखाई देना।
गोलाकार धब्बे दिखाई देना।
रोकथाम के उपाय (method of prevention)
संक्रमित व्यक्ति के कपड़ों को अलग से धोना चाहिए।
कवक नाशक साबुन से नहाना चाहिए।
कपड़ों को धूप में सुखना चाहिए।
त्वचा को खुजलाना नहीं चाहिए।
Q.17 एड्स क्या है? एड्स सर्वप्रथम कहां पाया गया? इसके प्रमुख लक्षणों एवं नियंत्रण के उपायों का वर्णन करें।
Ans: एड्स : एड्स का पूरा नाम Acquired Immuno Deficiency Syndrome है जो HIV (Human Immunodeficiency Virus) के कारण होता है। HIV एक रेट्रोवायरस है।
जब मनुष्य के शरीर में HIV प्रवेश करता है, तब यह रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन द्वारा डीएनए बनाता है, जो मैक्रोफेज में ट्रांसक्रिप्शन के द्वारा RNA में परिवर्तित हो जाता है और यह RNA पुनः HIV में परिवर्तित हो जाता है, इसलिए मैक्रोफेज को HIV फैक्ट्री कहते हैं। शरीर में उपस्थित T सेल (T cell) को नष्ट करने लगती है, जिससे T सेल (T cell) की संख्या कम होने लगती है, जिसके फलस्वरुप व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और व्यक्ति विभिन्न प्रकार के रोगों का आसानी से शिकार हो जाता है।
एड्स के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित है -
एड्स होने पर व्यक्ति अनेक प्रकार के रोगों से ग्रसित हो जाता है क्योंकि उसकी रोक प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
एड्स होने पर व्यक्ति का वजन बार-बार घटना या बढ़ता रहता है।
एड्स होने पर बार-बार बुखार आता है।
एड्स के कारण व्यक्ति को बार-बार दस्त होने लगता है।
रात को पसीना आना, थकान होना, गले में खरास, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द होना आदि एड्स के प्रमुख लक्षण है।
एड्स के रोकथाम के उपाय निम्नलिखित है -
सुरक्षित यौन संबंध : एड्स के संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंध नहीं रखना चाहिए।
नई सीरिंज का उपयोग : एक ही सिरिंज या इंजेक्शन का उपयोग बार-बार नहीं करना चाहिए। हर व्यक्ति के लिए अलग इंजेक्शन का उपयोग करना चाहिए।
रक्ताधान : रक्ताधान के समय रक्त का परीक्षण करना चाहिए कि उसमें HIV उपस्थित है या नहीं।
गर्भवती महिला : एड्स से पीड़ित महिला को गर्भधारण नहीं करना चाहिए।
वेश्यावृत्ति : वेश्यावृत्ति पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
Q.18 ट्यूमर क्या है? ट्यूमर कितने प्रकार का होता है?
Ans: ट्यूमर : अनियमित तथा अनियंत्रित कोशिका विभाजन के कारण शरीर में गांठ उत्पन्न हो जाती है, जिसे ट्यूमर कहते हैं।
ट्यूमर निम्नलिखित प्रकार के होते हैं -
बिनाइंग ट्यूमर (Benign Tumor) : जब ट्यूमर एक ही अंग तक सीमित होता है, तो उसे बिनाइंग ट्यूमर कहते हैं। यह हानिकारक नहीं होता।
मैलीगनेंट ट्यूमर (Malignant Tumor) : जब ट्यूमर रक्त के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों में फैल जाता है, तो इसे मैलीगनेंट ट्यूमर कहते हैं तथा रक्त द्वारा ट्यूमर का विभिन्न अंगों तक फैलना मेटास्टेसिस कहलाता है। यह अधिक हानिकारक होता है।
Q.19 कैंसर क्या है? कैंसर के कारण, लक्षण, प्रकार एवं निदान के उपाय लिखिए।
Ans: कैंसर : अनियमित तथा अनियंत्रित कोशिका विभाजन के कारण शरीर में गांठ उत्पन्न हो जाती है, जिसे ट्यूमर कहते हैं। यही ट्यूमर कैंसर का रूप ले लेता है। कैंसर के कारण कोशिकाओं के मध्य स्पर्श संदमन खत्म हो जाता है। जिससे ट्यूमर (गांठ) बनता है।
कैंसर का कारण : विभिन्न कारकों के कारण कैंसर उत्पन्न होता है जो निम्नलिखित है -
भौतिक कारक : X-rays, Gama rays, U.V. rays आदि।
रासायनिक कारक : निकोटीन, अमोनिया, तंबाकू आदि।
बायोलॉजिकल कारक : ओंकोजेनिक वायरस आदि।
कैंसर के लक्षण :-
गले में खराश आना।
खाने को निकालने में परेशानी है।
गले का रोग होना।
घाव का न भरना।
शरीर में गांठ उत्पन्न होना।
कैंसर के प्रकार :
***Trick - LLCS (ललकस)
L = लिम्फोमास : यह लिम्फोइड ऊतक में होने वाला कैंसर है।
L = ल्यूकेमिया : यह रक्त में होने वाला कैंसर है।
C = कार्सीनोमास : यह एपिथेलियम में होने वाला कैंसर है।
S = सार्कोमास : यह संयोजी ऊतक में होने वाला कैंसर है।
कैंसर के उपचार के उपाय निम्नलिखित है -
रेडियोथैरेपी (Radiotherapy) : इसमें X-rays, Gama rays का उपयोग किया जाता है।
कीमोथेरैपी (Chemotherapy) : इसमें रसायन का प्रयोग किया जाता है।
इम्यूनोथेरैपी (Immunotherapy) : इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि कराने पर बल दिया जाता है।
सर्जरी (Surgery) : सर्जरी के द्वारा शरीर में उत्पन्न गांठ कों हटाया जाता है।
Q.20 प्रतिरक्षा तंत्र किसे कहते हैं? सहज प्रतिरक्षा और उपार्जित प्रतिरक्षा को स्पष्ट कीजिए।
Ans: प्रतिरक्षा : हमारे शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता पाई जाती है, जिसे प्रतिरक्षा कहते हैं।
प्रतिरक्षा तंत्र : वह तंत्र जो शारीरिक द्रवों में रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न कर, हमारे शरीर को बाहरी पदार्थ तथा रोगकारकों से सुरक्षित रखता है, उसे प्रतिरक्षा तंत्र कहते हैं।
प्रतिरक्षा तंत्र दो प्रकार की होती है जो निम्नलिखित है -
1) सहज प्रतिरक्षा : यह प्रतिरक्षा जन्म से ही प्राप्त होती है, इसलिए इसे जन्मजात प्रतिरक्षा भी कहते हैं। यह अवशिष्ट होती है। सहज प्रतिरक्षा मुख्यतः रोधक की तरह कार्य करती है। यह निम्नलिखित प्रकार की होती है -
फिजिकल बैरियर : हमारी त्वचा एक फिजिकल बैरियर की तरह कार्य करती है, जो विभिन्न एंटीजनों को शरीर में प्रवेश करने से रोकता हैं।
फिजियोलॉजिकल बैरियर : हमारे शरीर के अनेक अंग जैसे- आंख में आंसू, मुंह में उपस्थित लार, नाक में उपस्थित श्लेष्मा फिजियोलॉजिकल बैरियर की तरह कार्य करती है।
सेल्यूलर बैरियर : शरीर में उपस्थित पॉलीमोरफ़ों न्यूट्रोफिल कोशिकाएं भक्षाणु क्रिया द्वारा एंटीजनों को नष्ट करती है।
साइटोकाइन बैरियर : जब कोई विषाणु किसी कोशिका को संक्रमित करता है, तो संक्रमित कोशिका इंटरफेरॉन नामक प्रोटीन मुक्त करता है, जो अन्य कोशिकाओं को संक्रमित होने से बचाता है।
2) उपार्जित प्रतिरक्षा : यह प्रतिरक्षा जन्म के बाद बनती है। यह विशिष्ट होती है। यह मुख्यतः दो प्रकार की होती है -
a) सक्रिय प्रतिरक्षा : यह स्मृति पर आधारित होती है।
प्राकृतिक सक्रिय प्रतिरक्षा : जब किसी व्यक्ति को चेचक होता है। तब उस व्यक्ति के शरीर में उस एंटीजन के विरुद्ध एंटीबॉडी बनती है तथा जब इसके एंटीजन पुनः शरीर में प्रवेश करते है, तो एंटीबॉडी इसे स्मृति के आधार पर नष्ट कर देती है ।
कृत्रिम सक्रिय प्रतिरक्षा : टीकाकरण कृत्रिम सक्रिय प्रतिरक्षा है।
b) निष्क्रिय प्रतिरक्षा : यह प्रतिरक्षा कम समय के लिए होती है।
प्राकृतिक निष्क्रिय प्रतिरक्षा : इसमें IgA and IgG प्रतिरक्षा आती है।
कृत्रिम निष्क्रिय प्रतिरक्षा : यह एंटीजन के शरीर में प्रवेश से पहले ही शरीर में एंटीबॉडी प्रवेश कराया जाना पैसे इम्यूनिटी के अंतर्गत आता है।
उदाहरण - टिटनेस।
Q.21 टीके क्या है? टीकाकरण की कार्यविधि लिखिए। यह कितने प्रकार के होते हैं?
Ans: वैक्सीन: वैक्सीन एक औषधि है जिसमें रोगजनक निष्क्रिय रूप में पाया जाता है।
सर्वप्रथम वैक्सीन की खोज एडवर्ड जेनर के द्वारा की गई थी। उन्होंने चेचक के वैक्सीन की खोज की।
टीकाकरण की कार्यविधि -
वैक्सीन को टीकाकरण द्वारा किसी व्यक्ति के शरीर में डाला जाता है। यह वैक्सीन या उसमें उपस्थित निष्क्रिय रोगाणु शरीर की कोशिकाओं में पहुंचते हैं, तब हमारी प्रतिरक्षा तंत्र इससे बचने के लिए एक प्रोटीन का निर्माण करती है, जिसे एंटीबॉडी कहते हैं। यह एंटीबॉडी, एंटीजन द्वारा स्त्रावित विषैले पदार्थों को उदासीन कर देती है तथा रोगों से हमारे शरीर की सुरक्षा करती है।
वैक्सीन निम्नलिखित प्रकार के होते हैं -
परंपरागत वैक्सीन : इसके अंतर्गत वे वैक्सीन आते हैं जिसमें एंटीजन के पूरे शरीर को व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कराया जाता है। यह दो प्रकार की होती है -
a) जीवित वैक्सीन : इस वैक्सीन में जीवित एंटीजन को शरीर में प्रवेश कराया जाता है। इसके द्वारा जो एंटीबॉडी बनती है वह पूरे जीवन काल तक रोगों से शरीर की रक्षा करती है।
उदाहरण हेपेटाइटिस बी वैक्सीन
b) निष्क्रीय वैक्सीन : ऐसे वैक्सीन में निष्क्रीय एंटीजन को शरीर में प्रवेश कराया जाता है। यह कम समय तक शरीर की रक्षा करती है।
उदाहरण विषाणु वैक्सीन
परिशोधित एण्टीजन वैक्सीन : इसके अंतर्गत वे वैक्सीन (औषधि) आते हैं जिन्हें निष्क्रीय एंटीजन से प्राप्त किया जाता है।
उदाहरण पॉलिसैकेराइड वैक्सीन।
रिकाॅम्बिनेंट वैक्सीन : ऐसे वैक्सीन का निर्माण रिकाॅम्बिनेंट डीएनए तकनीक द्वारा किया जाता है।
उदाहरण चेचक का टीका।
Q.22 आदर्श वैक्सीन के गुण लिखिए।
Ans: आदर्श वैक्सीन के गुण निम्नलिखित है -
वैक्सीन से किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव न हो।
वैक्सीन सस्ता हो तथा आसपास उपलब्ध हो।
शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र पर बुरा प्रभाव न हो।
वैक्सीन के द्वारा लंबी अवधि तक शरीर रक्षा होनी चाहिए।
शरीर के लिए विषैला न हो तथा अल्प मात्रा ही शरीर की प्रतिरक्षा करने में सक्षम हो।
Q.23
Ans: ओपियोइड्स
प्राप्ति पैपेवर सोमनीफेरम के लैटेक्स को सुखाकर बनाया जाता है।
ग्रहण करना सांस द्वारा खींचते हैं और इंजेक्शन द्वारा शरीर में प्रवेश कराया जाता है।
प्रभाव केंद्रीय तंत्रिका तंत्र एवं जठर पथ
उपयोग प्रभावी शामक (सेडेटिव) होता है।
पेन किलर के रूप में उपयोग किया जाता है।
सर्जरी के दौरान निश्चेतक के रूप में उपयोगी।
उदाहरण मार्फीन, हिरोइन, ब्राउन शुगर, स्मैक आदि।
कैनाबिनोइड्स
प्राप्ति कैनाबिस सैटाइवा के पुष्पक्रम को सुखाकर प्राप्त किया जाता है।
ग्रहण करना मुंह से खाते हैं तथा सांस से लेते हैं। सिगरेट चॉकलेट के रूप में पाया जाता है।
प्रभाव मस्तिष्क को प्रभावित करता है।
उपयोग खिलाड़ी इसका उपयोग करते हैं जिसे डोपिंग कहते हैं।
उदाहरण मैरिजुआना, चरस, हशीश, गांजा, अफीम आदि।
कोकीन (कोका एल्केलाइड्स)
प्राप्ति एरिथ्रो जाइलम कोका (दक्षिण अमेरिका का पौधा है)
ग्रहण करना तेज सांस द्वारा लिया जाता है।
प्रभाव सुखभास (यूफोरिया), विभ्रम (हैलुसीनेसन) उत्पन्न करता है।
यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है।
अधिक उपयोग करने पर शारीरिक रूप से कमजोरी आ जाती है तथा इसकी आदत लग जाती है।
उपयोग इसका उपयोग नींद लाने वाली दवाइयों में किया जाता है।
यह अवसाद और अनिद्रा को काम करता है।
उदाहरण धतूरा, एट्रोपा बेलेडोना,
Q.24 सहज (जन्मजात) प्रतिरक्षा और उपार्जित प्रतिरक्षा में अंतर लिखिए।
Q.25 सक्रिय प्रतिरक्षा एवं निष्क्रिय प्रतिरक्षा में अंतर लिखिए।
Q.26 प्राथमिक अनुक्रिया एवं द्वितीयक अनुक्रिया में अंतर लिखिए।
Q.27 एंटीबॉडी का केवल नामांकित चित्र बनाइए।