मीरा : मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
मीरा बाई
मीरा बाई
मीरा बाई की यह कविता उनकी श्री कृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। वे कहती हैं कि उनके लिए श्री कृष्ण (गिरधर गोपाल) ही सब कुछ हैं; उनके अलावा किसी और से उनका कोई संबंध नहीं है। वे अपने परिवार, रिश्तेदारों और सांसारिक बंधनों को छोड़कर केवल कृष्ण की भक्ति में लीन हो गई हैं।
कविता में मीरा बाई ने अपने प्रेम को आँसुओं से सींची गई एक बेल के रूप में प्रस्तुत किया है, जो अब आनंद के फल देने लगी है। उन्होंने कृष्ण के प्रेम रूपी दूध को भक्ति रूपी मथानी में बिलोकर दही से घी निकाला है और छाछ को त्याग दिया है। वे संतों के साथ बैठकर कृष्ण की भक्ति में लीन हो गई हैं, जिससे उन्होंने लोक-लाज को भी छोड़ दिया है।
मीरा बाई की यह कविता उनके कृष्ण के प्रति अटूट प्रेम, भक्ति और समर्पण की अभिव्यक्ति है। उन्होंने सांसारिक मोह-माया और परिवारिक बंधनों को त्यागकर केवल कृष्ण की भक्ति को ही सर्वोपरि माना।
यह कविता हमें यह सिखाती है कि सच्ची भक्ति और प्रेम में संसारिक बंधनों और लोक-लाज से ऊपर उठकर केवल ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए। मीरा बाई का जीवन और उनकी कविता हमें कृष्ण के प्रति अटूट भक्ति और समर्पण की प्रेरणा देती है।
1. कविता “मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई” की कवयित्री कौन हैं?
A) सूरदास
B) तुलसीदास
C) मीरा बाई ✅
D) कबीर
2. मीरा बाई किसके प्रति अनन्य भक्ति रखती हैं?
A) शिव
B) कृष्ण (गिरधर गोपाल) ✅
C) राम
D) गणेश
3. मीरा बाई ने किसको अपने जीवन का सर्वोच्च माना है?
A) परिवार
B) धन
C) गिरधर गोपाल ✅
D) समाज
4. कविता में मीरा बाई किस भाव का परिचय देती हैं?
A) प्रेम और भक्ति ✅
B) दुःख और करुणा
C) क्रोध और रोष
D) भय और डर
5. मीरा बाई ने लोक-लाज को क्यों त्याग दिया?
A) धन पाने के लिए
B) केवल कृष्ण की भक्ति में लीन होने के लिए ✅
C) युद्ध में जाने के लिए
D) शिक्षा के लिए
6. कविता में प्रेम का क्या रूप प्रस्तुत किया गया है?
A) सांसारिक प्रेम
B) ईश्वर-प्रेम ✅
C) मित्र प्रेम
D) पारिवारिक प्रेम
7. मीरा बाई ने अपने जीवन का उद्देश्य क्या माना?
A) समाज सेवा
B) केवल कृष्ण की भक्ति ✅
C) परिवार सुख
D) शिक्षा
8. कविता में मीरा का समर्पण किसके प्रतीक के रूप में दिखाया गया है?
A) फूल
B) बेल और दूध ✅
C) नदी
D) सूर्य
9. मीरा की भक्ति किस प्रकार की है?
A) निष्ठुर
B) निर्बल
C) अनन्य और समर्पित ✅
D) मिश्रित
10. कविता का मुख्य संदेश क्या है?
A) शिक्षा का महत्व
B) ईश्वर की भक्ति और आत्मसमर्पण ✅
C) धन और वैभव की महत्ता
D) युद्ध और साहस
1. कविता के लेखक/कवयित्री कौन हैं?
उत्तर: कविता की कवयित्री मीरा बाई हैं। उन्होंने भक्ति और ईश्वर प्रेम के माध्यम से यह संदेश दिया कि जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य केवल भगवान कृष्ण की भक्ति है। मीरा ने सांसारिक मोह और लोक-लाज को त्याग कर पूर्ण समर्पण का उदाहरण प्रस्तुत किया।
2. “मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई” पंक्ति का भाव क्या है?
उत्तर: इस पंक्ति में मीरा बाई का ईश्वर के प्रति अनन्य प्रेम और भक्ति प्रकट होता है। उनके लिए केवल श्रीकृष्ण ही सर्वोपरि हैं, और दुनिया का कोई अन्य व्यक्ति या वस्तु उनकी भक्ति में शामिल नहीं।
3. मीरा ने अपने घर और परिवार को क्यों त्याग दिया?
उत्तर: मीरा बाई ने अपने घर-परिवार और सांसारिक बंधनों को भगवान कृष्ण की भक्ति के लिए त्याग दिया। उनका जीवन पूर्णतः ईश्वर की सेवा और प्रेम में लीन था। उन्होंने यह दिखाया कि सच्ची भक्ति में दुनिया के मोह-माया का कोई स्थान नहीं होता।
4. लोक-लाज का त्याग करने का कारण क्या था?
उत्तर: मीरा ने लोक-लाज को इसलिए त्याग दिया क्योंकि उनका मन और हृदय केवल कृष्ण में व्यस्त था। संतों के साथ बैठकर भक्ति करने में उन्हें समाज की आलोचना या निन्दा का कोई भय नहीं था।
5. कविता में कृष्ण के प्रति समर्पण कैसे दिखाया गया है?
उत्तर: कविता में कृष्ण के प्रति मीरा का समर्पण उनके संपूर्ण जीवन, प्रेम और भक्ति में देखा जा सकता है। उन्होंने सांसारिक सुखों, परिवार और सामाजिक बंधनों को त्याग कर केवल ईश्वर को अपना सर्वोच्च प्रिय माना।
6. मीरा की भक्ति किस प्रकार की है?
उत्तर: मीरा की भक्ति अनन्य, निस्वार्थ और समर्पित है। इसमें कोई स्वार्थ, भौतिक लाभ या अहंकार नहीं है। उनका प्रेम केवल भगवान कृष्ण के प्रति है और यह भक्ति उन्हें आत्मिक शांति देती है।
7. कविता में प्रेम का क्या रूप दिखाया गया है?
उत्तर: कविता में प्रेम का रूप ईश्वर प्रेम (भक्ति प्रेम) है। मीरा का प्रेम सांसारिक नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक और समर्पित है। उनके लिए कृष्ण ही जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य है।
8. मीरा ने भौतिक सुखों को क्यों त्यागा?
उत्तर: मीरा ने भौतिक सुख, धन और सांसारिक इच्छाओं को इसलिए त्यागा क्योंकि उनका जीवन केवल भक्ति और कृष्ण के प्रेम में केंद्रित था। उनका यह त्याग भक्ति की पूर्णता और समर्पण का प्रतीक है।
9. कविता का संदेश क्या है?
उत्तर: कविता का मुख्य संदेश है कि सच्ची भक्ति में संसारिक मोह-माया और लोक-लाज से ऊपर उठकर केवल ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए। जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण है।
10. मीरा बाई के जीवन से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर: मीरा बाई का जीवन हमें सिखाता है कि अनन्य भक्ति और समर्पण से मनुष्य सांसारिक दुखों और भय से मुक्त होता है। ईश्वर के प्रति निष्ठा और प्रेम जीवन को सार्थक बनाते हैं।
1. मीरा कृष्ण की उपासना किस रूप में करती है? वह रूप कैसे है?
उत्तर: मीरा बाई कृष्ण की उपासना सदैव प्रेम और भक्ति के भाव से करती हैं। उनके लिए कृष्ण का रूप व्यक्तिगत और अंतरात्मा में बसा हुआ है। वह केवल भौतिक रूप से मूर्ति या चित्र में नहीं, बल्कि अपने हृदय और मन में कृष्ण को स्थिर मानती हैं। यह रूप साक्षात् ईश्वर का अनुभव और आत्मा का साथी है। मीरा की भक्ति में अहंकार, स्वार्थ या भौतिक इच्छाओं का कोई स्थान नहीं है। वह अपने सारे कर्म, विचार और भाव केवल कृष्ण के प्रेम में केंद्रित रखती हैं। उनके लिए यह उपासना एक नित्य और निरंतर ध्यान का माध्यम है, जिससे आत्मा की शुद्धि और ईश्वर का अनुभव संभव होता है।
2. मीरा जगत को देखकर रोती क्यों है?
उत्तर: मीरा बाई जगत को देखकर इसलिए रोती हैं क्योंकि संसार माया और मोह का पटल है, जो लोग भ्रमित करता है। वह देखती हैं कि लोग ईश्वर की भक्ति से दूर हैं और सांसारिक सुखों में उलझे हुए हैं। यह उनके हृदय को वेदना देता है। उनकी भक्ति इतनी गहरी है कि संसार की अधूरी इच्छाएँ और मोह उनके लिए दुःख का कारण बन जाती हैं। यह रोना केवल शोक नहीं, बल्कि प्रेम और संवेदनशीलता का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि सच्चा भक्ति भाव केवल ईश्वर में लगाव रखता है और संसारिक भूलों के प्रति संवेदनशील रहता है।
3. मीरा का जीवन ईश्वर भक्ति में किस प्रकार लीन है?
उत्तर: मीरा बाई का पूरा जीवन ईश्वर भक्ति और प्रेम में समर्पित है। उन्होंने परिवार, घर, और लोक-लाज को त्याग कर केवल कृष्ण को अपना सर्वोच्च प्रिय माना। उनका हर कर्म, हर विचार और हर भावना केवल भगवान के प्रति है। इस समर्पण से उनका मन शुद्ध और निर्भय बन गया। मीरा का जीवन यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति अहंकार और मोह से मुक्त होकर आत्मा को ईश्वर में लगाना है।
4. मीरा की भक्ति में लोक-लाज का क्या स्थान है?
उत्तर: मीरा बाई की भक्ति में लोक-लाज का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने समाज की आलोचना, विरोध और ताने-चुभन को महत्व नहीं दिया। संतों के साथ बैठकर कृष्ण की भक्ति करना उनके लिए सर्वोपरि था। लोक-लाज के प्रति उदासीन रहकर उन्होंने यह संदेश दिया कि सच्ची भक्ति में भौतिक भय और सामाजिक बाधाएँ बाधक नहीं बन सकतीं।
5. कविता का मुख्य संदेश और शिक्षा क्या है?
उत्तर: कविता का मुख्य संदेश है कि सच्ची भक्ति और प्रेम में केवल ईश्वर ही सर्वोच्च है, और सांसारिक मोह, परिवारिक बंधन, धन और लोक-लाज को त्यागकर ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए। मीरा बाई का जीवन प्रेरित करता है कि ईश्वर के प्रति पूर्ण निष्ठा, समर्पण और प्रेम से मनुष्य आत्मिक शांति प्राप्त कर सकता है और संसार के मोह से मुक्त हो सकता है।