गुरुत्वाकर्षण (Gravity / Gravitation) वह प्राकृतिक बल है जो सभी द्रव्यमानों के बीच आकर्षण उत्पन्न करता है। यह एक सार्वभौमिक बल है और इसका प्रभाव विशाल दूरी तक फैला है। पृथ्वी पर हम सभी वस्तुएँ नीचे की ओर गिरती हैं, ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हैं — ये सभी गुरुत्वाकर्षण की क्रियाएँ हैं।
गुरुत्वाकर्षण के अध्ययन का महत्व इसलिए है क्योंकि यह:
ग्रहों और उपग्रहों की कक्षाएँ निर्धारित करता है
ज्वार-भाटा (tidal effects), खगोलीय पिंडों की गतियाँ, और ब्रह्मांड की संरचना को नियंत्रित करता है
सामान्य सापेक्षता (General Relativity) जैसे आधुनिक सिद्धांतों का आधार है
न्यूटन का सार्वभौमिक गुरुत्वाकर्षण का नियम
1.1 नियम का विवरण
न्यूटन ने प्रस्तावित किया कि दो किसी भी वस्तुओं के बीच एक आकर्षण बल कार्य करता है, जो कि:
उन दोनों वस्तुओं के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती है
उनके केंद्रों की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती है
अर्थात्:
F = Gm1 m2 / r^2
जहाँ
(F) = गुरुत्वाकर्षण बल
(m1, m2) = दोनों पिंडों के द्रव्यमान
(r) = उनके केंद्रों की दूरी
(G) = सार्वभौमिक गुरुत्वीय स्थिरांक
1.2 नियम की विशेषताएँ एवं सीमाएँ
यह एक inverse-square law है (दूरी बढ़ने पर बल तीव्रता घटती है)
यह सार्वभौमिक है — हर दो द्रव्यमान एक दूसरे को आकर्षित करते हैं
यह प्रक्षेप्य बल नहीं है, बल प्रत्येक दिशा में समान रूप से काम करता है
इस नियम का प्रयोग तब सटीक होता है जब द्रव्यमान केंद्र से काफी दूरी पर हों (आकार नगण्य हो)
आधुनिक युग में सामान्य सापेक्षता द्वारा इसे संशोधित किया गया है जब गुरुत्वीय क्षेत्र तीव्र हो या गति प्रकाश की गति के समीप हो
2. गुरुत्वीय क्षेत्र (Gravitational Field) और गुरुत्वीय तीव्रता
2.1 गुरुत्वीय क्षेत्र की परिभाषा
गुरुत्वीय क्षेत्र (Gravitational Field) उन बिंदुओं का नेटवर्क है जहाँ किसी द्रव्यमान द्वारा एक “प्रयोगात्मक मास (test mass)” पर लगाया गया गुरुत्वाकर्षण बल मापा जा सकता है।
गुरुत्वीय क्षेत्र की तीव्रता (Acceleration due to gravity) को (g) से व्यक्त करते हैं:
g = F/m
जहाँ (F) = गुरुत्वाकर्षण बल और ( m ) = Test mass.
यदि एक पिंड (M) द्वारा बी परमाणु (m) को आकर्षित किया जाए:
g = GM/r^2
यह गुरुत्वीय त्वरण है।
2.2 विशेषताएँ
यह एक वेक्टर राशि है — दिशा केंद्र की ओर होती है
यदि दूरी (r) दोगुनी हो जाए, (g) चार गुना कम हो जाए
जब कोई बाह्य बल (जैसे ऊँचाई, गति आदि) हो, तो “अपेक्षित वजन (apparent weight)” कम या अधिक हो सकता है
अंतरिक्ष यान या मुक्त-पतन की स्थिति में व्यक्ति का “तौल” शून्य हो जाता है क्योंकि वेग और त्वरण समान होते हैं
3. गुरुत्वीय संभावित ऊर्जा (Gravitational Potential Energy)
3.1 सामान्य ऊँचाई पर (लगभग पृथ्वी की सतह के निकट)
जब ऊँचाईें छोटी हों, तो गुरुत्वाकर्षण स्थिर माना जा सकता है और स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy) दी जाती है:
U = mgh
जहाँ (m) = द्रव्यमान, (g) = गुरुत्वीय त्वरण, (h) = ऊँचाई। यह मान तभी लागू है जब (g) लगभग स्थिर हो।
3.2 बड़े दूरी पर (सामान्य केस)
जब दूरी बहुत अधिक हो, (g) को बदलता हुआ मानना चाहिए। सामान्य संभावित ऊर्जा:
U(r) = -GMm/r
यह नकारात्मक चिह्नित है ताकि infinity पर (U → 0)।
3.3 कुल ऊर्जा और बाध्य / अभाध्य कक्षाएँ
किसी वस्तु की कुल यांत्रिक ऊर्जा = गतिज ऊर्जा + संभावित ऊर्जा
यदि कुल ऊर्जा < 0 → वह वस्तु बाध्य (bound) है, यानी वह कक्षा में बँधी रहेगी
यदि कुल ऊर्जा ≥ 0 → वस्तु अभाध्य (unbound) हो सकती है, यानी भाग सकती है
4. केप्लर के नियम (Kepler’s Laws of Planetary Motion)
नीचे तीन प्रमुख नियम:
1. पहला नियम (Law of Ellipses): ग्रह सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्त (ellipse) कक्षा में घूर्णन करते हैं, और सूर्य उसके एक केंद्र बिंदु (focus) पर होता है।
2. दूसरा नियम (Law of Equal Areas): ग्रह की कक्षा में किसी कालावधि में, वह सूर्य से संबद्ध वृत्तीय क्षेत्र को समान क्षेत्रों में घूर्णन करता है।
3. तीसरा नियम (Harmonic Law): किसी ग्रह की कक्षा की अवधि (T) और उसकी अर्ध-अक्ष (semi-major axis) (a) के बीच संबंध:
T^2 ∝ a^3
ये नियम गुरुत्वाकर्षण और गतिज सिद्धांतों से व्युत्पन्न होते हैं। ([Physics LibreTexts][5])
5. ज्वारीय बल (Tidal Forces)
चाँद और सूर्य की गुरुत्वीय बल पृथ्वी पर समुद्री जल को खींचती है और उछाल (tidal bulge) बनाती है।
ज्वारीय बल मुख्यतः इसलिए उत्पन्न होती है क्योंकि पृथ्वी के नज़दीकी भाग पर गुरुत्वीय बल अधिक है, और दूर के भाग पर कम। यह शुक्र–नीप ज्वार (spring tides) और मूक–नीप ज्वार (neap tides) उत्पन्न करती है।
इसका प्रभाव उपग्रहों की मोशन और पृथ्वी की समरूपता पर भी होता है।
1. गुरुत्वाकर्षण बल किसके कारण उत्पन्न होता है?
A) विद्युत आवेशों के कारण
B) द्रव्यमानों के कारण ✔
C) घर्षण के कारण
D) चुंबकीय बल के कारण
2. न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियम क्या कहता है?
A) प्रत्येक द्रव्यमान दूसरे द्रव्यमान को एक आकर्षण बल से आकर्षित करता है ✔
B) प्रत्येक द्रव्यमान दूसरे को प्रतिकर्षित करता है
C) केवल पृथ्वी ही आकर्षण करती है
D) केवल गैसों पर लागू होता है
3. गुरुत्वाकर्षण बल का सूत्र क्या है?
A) (F = Gm1 m2 / r^2) ✔
B) ( F = \frac{m_1 m_2}{r} )
C) ( F = m g )
D) ( F = G r^2 )
4. गुरुत्वाकर्षण नियतांक (G) का मात्रक क्या है?
A) ( N/m^2 )
B) ( N·m^2/kg^2 ) ✔
C) ( m/s^2 )
D) ( kg/m^3 )
5. गुरुत्वजनित त्वरण (g) का मान पृथ्वी की सतह पर लगभग कितना होता है?
A) 8.9 m/s²
B) 9.8 m/s² ✔
C) 10.8 m/s²
D) 9.0 m/s²
6. ऊँचाई बढ़ने पर गुरुत्वजनित त्वरण (g) पर क्या प्रभाव पड़ता है?
A) बढ़ता है
B) घटता है ✔
C) समान रहता है
D) पहले बढ़ता फिर घटता है
7. पृथ्वी का द्रव्यमान और त्रिज्या क्रमशः (M) और (R) है। गुरुत्वजनित त्वरण (g) का सूत्र क्या है?
A) ( g = \frac{GM}{R} )
B) ( g = GM/R^2 ) ✔
C) ( g = \frac{R^2}{GM} )
D) ( g = GM R^2 )
8. किसी ग्रह की सतह पर गुरुत्वजनित त्वरण का मान किस पर निर्भर करता है?
A) ग्रह के तापमान पर
B) ग्रह के द्रव्यमान और त्रिज्या पर ✔
C) सूर्य की दूरी पर
D) वायुमंडल की घनता पर
9. उपग्रह की गति किस बल के कारण बनी रहती है?
A) घर्षण बल
B) गुरुत्वाकर्षण बल ✔
C) अपकेंद्रीय बल
D) चुंबकीय बल
1. न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियम लिखिए।
Ans: न्यूटन के अनुसार, प्रत्येक वस्तु ब्रह्माण्ड में दूसरी वस्तु को एक आकर्षण बल से आकर्षित करती है, जो उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। इसका गणितीय रूप है —
F = Gm1 m2 / r^2
जहाँ
(F) = गुरुत्वाकर्षण बल
(m1, m2) = दोनों पिंडों के द्रव्यमान
(r) = उनके केंद्रों की दूरी
(G) = सार्वभौमिक गुरुत्वीय स्थिरांक
जहाँ (G) गुरुत्वाकर्षण नियतांक है। यह नियम सभी वस्तुओं पर लागू होता है, चाहे वे पृथ्वी पर हों या ब्रह्माण्ड में कहीं भी।
2. गुरुत्वाकर्षण नियतांक (G) का मान और महत्व लिखिए।
Ans: गुरुत्वाकर्षण नियतांक (G) एक सार्वत्रिक स्थिरांक है, जिसका मान (6.67 x 10^{-11} N·m^2/kg^2) होता है। इसका उपयोग दो द्रव्यमानों के बीच लगने वाले गुरुत्वीय बल की गणना में किया जाता है। इसका महत्व इस बात में है कि यह दर्शाता है कि ब्रह्माण्ड की किसी भी दो वस्तुओं के बीच आकर्षण कितना कमजोर या मजबूत है।
3. गुरुत्वजनित त्वरण (g) क्या है?
Ans: गुरुत्वजनित त्वरण वह त्वरण है जो किसी वस्तु को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण प्राप्त होता है। इसका मान पृथ्वी की सतह पर लगभग (9.8 , m/s^2) होता है। यह वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता। g का मान पृथ्वी के द्रव्यमान (M) और त्रिज्या (R) से (g = GM/R^2) द्वारा ज्ञात किया जाता है।
4. ऊँचाई बढ़ने पर g का मान क्यों घटता है?
Ans: ऊँचाई बढ़ने पर पृथ्वी के केन्द्र से दूरी बढ़ जाती है, जिससे गुरुत्वाकर्षण बल घटता है। g का मान सूत्र (g' = g(1 -2h/R) से कम हो जाता है। उदाहरण के लिए, विमान में g का मान सतह की तुलना में थोड़ा कम होता है। यह प्रभाव उपग्रहों की गति और अंतरिक्ष अभियानों में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
5. पृथ्वी के केंद्र पर गुरुत्वजनित त्वरण (g) का मान क्या होता है?
Ans: पृथ्वी के केंद्र पर गुरुत्वजनित त्वरण का मान शून्य (0) होता है, क्योंकि पृथ्वी के सभी भागों से उत्पन्न गुरुत्वीय बल एक-दूसरे को संतुलित कर देते हैं। केंद्र पर वस्तु पर सभी दिशाओं से समान बल लगता है, जिससे परिणामी बल शून्य हो जाता है। यह सिद्धांत गुरुत्वीय क्षेत्र के समान वितरण को दर्शाता है।
1. न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियम स्पष्ट कीजिए।
Ans: न्यूटन के अनुसार, ब्रह्मांड में प्रत्येक वस्तु दूसरी वस्तु को आकर्षण बल से आकर्षित करती है। यह बल दोनों वस्तुओं के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। गणितीय रूप में इसे इस प्रकार लिखा जाता है —
F = Gm1 m2 / r^2
जहाँ
(F) = गुरुत्वाकर्षण बल
(m1, m2) = दोनों पिंडों के द्रव्यमान
(r) = उनके केंद्रों की दूरी
(G) = सार्वभौमिक गुरुत्वीय स्थिरांक
यह नियम सार्वत्रिक है, अर्थात यह पृथ्वी पर, चंद्रमा पर या आकाशगंगाओं में हर जगह समान रूप से लागू होता है। न्यूटन का यह नियम न केवल पृथ्वी की वस्तुओं के व्यवहार को समझाने में सहायक है, बल्कि ग्रहों, उपग्रहों और तारों की गति को भी सटीक रूप से व्याख्यायित करता है।
2. गुरुत्वजनित त्वरण (g) का व्युत्पादन कीजिए।
Ans: मान लीजिए पृथ्वी का द्रव्यमान (M) और त्रिज्या (R) है। पृथ्वी की सतह पर स्थित द्रव्यमान (m) वाली वस्तु पर लगने वाला बल न्यूटन के नियम के अनुसार —
F = G M m/R^2........(1)
यह बल वस्तु को पृथ्वी की ओर आकर्षित करता है और उसी कारण वस्तु में एक त्वरण उत्पन्न होता है।
F = m g ........(2)
दोनों समीकरणों 1&2 की तुलना करने पर —
m g = G M m/R^2
g = G M/R^2
अर्थात् पृथ्वी के लिए (g) का मान 9.8 m/s² होता है। यह त्वरण वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता, बल्कि पृथ्वी के द्रव्यमान और त्रिज्या पर निर्भर करता है।
3. पलायन वेग (Escape Velocity) का अर्थ और सूत्र बताइए।
Ans: पलायन वेग वह न्यूनतम वेग है जिससे कोई वस्तु किसी ग्रह या पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलकर बिना वापस लौटे अंतरिक्ष में जा सकती है। व्युत्पत्ति के अनुसार —
ve =√2 g R = (√2GM/R)
जहाँ (R) पृथ्वी की त्रिज्या और (M) उसका द्रव्यमान है। पृथ्वी के लिए इसका मान लगभग (11.2 , km/s) है। इसका अर्थ है कि यदि किसी वस्तु को इस वेग से ऊपर फेंका जाए, तो वह पृथ्वी के आकर्षण से मुक्त होकर अंतरिक्ष में चली जाएगी। यह अवधारणा रॉकेट प्रक्षेपण और अंतरिक्ष अभियानों में बहुत महत्वपूर्ण है।
4. केप्लर के तीनों ग्रह गति के नियम समझाइए।
Ans: केप्लर ने ग्रहों की गति के तीन प्रमुख नियम दिए —
1. पहला नियम (दीर्घवृत्ताकार कक्षा का नियम): प्रत्येक ग्रह सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार कक्षा में घूमता है।
2. दूसरा नियम (समान क्षेत्रफल का नियम): ग्रह और सूर्य को जोड़ने वाली रेखा समान समय में समान क्षेत्रफल झाड़ती है।
3. तीसरा नियम (काल-अवधि का नियम): किसी ग्रह की परिक्रमा अवधि का वर्ग उसकी औसत दूरी के घन के समानुपाती होता है,
अर्थात्
T^2 ∝ a^3
5. कृत्रिम उपग्रह क्या है और इसके उपयोग लिखिए।
Ans: कृत्रिम उपग्रह वे पिंड हैं जिन्हें मानव ने अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया है ताकि वे पृथ्वी या किसी अन्य ग्रह की कक्षा में घूमते रहें। इनका उपयोग अनेक क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे —
1. संचार (Communication Satellites)
2. मौसम पूर्वानुमान
3. नेविगेशन (GPS)
4. वैज्ञानिक अनुसंधान और जासूसी
5. पृथ्वी के मानचित्रण में
कृत्रिम उपग्रहों के उदाहरण हैं — INSAT, GSAT, Aryabhata, और Chandrayaan।