Q.1 समन्यूट्रॉनिक किसे कहते हैं?
Ans: ऐसे परमाणु जिनके नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या समान होती है, उसे समन्यूट्रॉनिक कहते हैं।
Ex.
1) 14Si³⁰
p = 14
e = 14
n = 16
2) 15P³¹
p = 15
e = 15
n = 16
3) 16S³²
p = 16
e = 16
n = 16
Q.2 समस्थानिक किसे कहते हैं?
Ans: ऐसे परमाणु जिनके नाभिक में प्रोटाॅनों की संख्या समान होती है, उसे समस्थानिक कहते हैं।
Ex.
हाइड्रोजन या प्रोटियम (1H¹)
ड्यूटिरियम (1D²)
ट्रिटियम (1T³)
Q.3 समभारिक किसे कहते हैं?
Ans: ऐसे परमाणु जिनमें न्यूक्लियाॅनों (न्यूट्रॉन एवं प्रोटॉन) की संख्या समान होती है, उसे समभारिक कहते हैं।
Ex.
1) Ar
p = 18
e = 18
n = 22
A = 40
2) K
p = 19
e = 19
n = 21
A = 40
3) Ca
p = 20
e = 20
n = 20
A = 40
Q.4 Isodiafers किसे कहते हैं?
Ans: ऐसे परमाणु जिनमें न्यूट्रॉन की संख्या - प्रोटॉन की संख्या समान होती है, उसे Isodiafers कहते हैं।
Ex.
i) 92U²³⁸ (यूरेनियम)
A = 238
Z = 92
n = A-Z = 238-92 = 146
n-p = 146-92 = 54
ii) 90Th²³⁴ (थोरियम)
A = 234
Z = 90
n = A-Z = 234-90 = 144
n-p = 144-90 = 54
Q.5 नाभिकीय बल के गुण लिखिए।
Ans: नाभिकीय बल के गुण निम्नलिखित है -
यह बल के nucleons मध्य लगते हैं तथा यह बल आकर्षण प्रकृति का होता है।
यह बल nucleons के अधिक दूरियों के लिए सत्य नहीं है अर्थात् यह बल केवल अत्यंत अल्प दूरियों तक ही सीमित होता है।
यह नाभिकीय बल स्थिर वैद्युत बल, गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में अधिक शक्तिशाली होता है तथा अत्यंत कम दूरी होने पर यह समस्त बलों से भी शक्तिशाली होता है।
यह अकेंद्रीय बल होता है।
यह आवेश पर निर्भर नहीं करता। अतः नाभिकीय बल का परिमाण न्यूट्रॉन-न्यूट्रॉन, न्यूट्रॉन-प्रोटोन, प्रोटोन-प्रोटोन के लिए एक समान होता है।
Fn(p-p) = Fn(n-p) = Fn(n-n)
किंतु प्रोटोन प्रोटोन के मध्य स्थिर विद्युत आकर्षण बल भी कार्य करेगा अतः
Fn(p-p) < Fn(n-p) = Fn(n-n)
Q.6 नाभिकीय संलयन क्या है? उदाहरण देकर समझाइए।
Ans: नाभिकीय संलयन : जब दो या दो से अधिक हल्के नाभिक संयुक्त होकर एक भारी नाभिक का निर्माण करते हैं, तो इस प्रक्रिया को नाभिकीय संलयन कहते हैं।
नाभिक संलयन के फलस्वरुप बना भारी नाभिक का द्रव्यमान दोनों हल्के नाभिकों के द्रव्यमान के योग से कम होता है। इस प्रकार नाभिकीय संलयन में द्रव्यमान क्षति होती है जो ऊर्जा के रूप में प्राप्त होती है।
उदाहरण - ड्यूटीरियम के संलयन से हीलियम प्राप्त होता है।
उपयोग - नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग नाभिकीय रिएक्टर में किया जाता है जिसके द्वारा विद्युत का उत्पादन किया जाता है।
Q.7 नाभिकीय विखंडन क्या है? उदाहरण देकर समझाइए।
Ans: नाभिकीय विखंडन : जब एक भारी नाभिक टूटकर दो या अधिक हल्के नाभिकों का निर्माण करता है तो इस प्रक्रिया को नाभिकीय विखंडन कहते हैं।
नाभिकीय विखंडन से बने हल्के नाभिकों के द्रव्यमानों का योग भारी नाभिक के द्रव्यमान से कम होता है जो ऊर्जा के रूप में प्राप्त होती है।
उदाहरण - यूरेनियम का नाभिकीय विखंडन।
उपयोग - नाभिकीय विखंडन से अत्यधिक ऊर्जा मुक्त होती है, जिसका उपयोग नाभिकीय रिएक्टरों में विद्युत उत्पादन हेतु किया जाता है जिससे कारखाने में बड़े-बड़े मशीन चलाए जाते हैं।
Q.8 श्रृंखला अभिक्रिया क्या है? उदाहरण देकर समझाइए।
Ans: श्रृंखला अभिक्रिया : जब यूरेनियम 92U²³⁵ पर न्यूट्रॉन की बमबारी कराई जाती है, तो Ba व Kr बनते हैं तथा प्रत्येक विखंडन में तीन न्यूट्रॉन उत्पन्न होते हैं। यह न्यूट्रॉन पुनः यूरेनियम पर बमबारी करता है और यह प्रक्रम लगातार चलते रहता है, यही श्रृंखला अभिक्रिया कहलाती है।
उदाहरण : जब यूरेनियम 92U²³⁵ पर न्यूट्रॉन की बमबारी करायी जाती है, तो अभिक्रिया निम्न अनुसार होती है-
श्रृंखला अभिक्रिया दो प्रकार की होती है -
नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया
अनियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया
Q.9 नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया क्या है? उदाहरण देकर समझाइए।
Ans: नियंत्रित श्रृंखला : अभिक्रिया हम जानते हैं की श्रृंखला अभिक्रिया में न्यूट्रॉन उत्पन्न होते हैं। जब यूरेनियम 92U²³⁵ पर न्यूट्रॉन की बमबारी कराई जाती है, तो Ba व Kr बनते हैं तथा प्रत्येक विखंडन में तीन न्यूट्रॉन उत्पन्न होते हैं। इन न्यूट्रॉनों को कैडमियम जैसे न्यूट्रॉन अवशोषक से अवशोषित कराया जाता है, तो यह अभिक्रिया नियंत्रित हो जाती है तथा इसे ही नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया कहते हैं।
Q.10 अनियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया क्या है? उदाहरण देकर समझाइए।
Ans: अनियंत्रित श्रृंखला : अभिक्रिया जब यूरेनियम 92U²³⁵ पर न्यूट्रॉन की बमबारी कराई जाती है, तो Ba व Kr बनते हैं तथा प्रत्येक विखंडन में तीन न्यूट्रॉन उत्पन्न होते हैं। यह न्यूट्रॉन पुनः यूरेनियम पर बमबारी करता है और यह प्रक्रम लगातार चलते रहता है, यही अनियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया कहलाती है।
उदाहरण : जब यूरेनियम 92U²³⁵ पर न्यूट्रॉन की बमबारी करायी जाती है, तो अभिक्रिया निम्न अनुसार होती है-
Q.11 द्रव्यमान संख्या के साथ प्रति न्यूक्लियाॅन बंधन ऊर्जा में परिवर्तन को प्रदर्शित करने वाला ग्राफ खींचिए। अधिक द्रव्यमान संख्या वाले नाभिक के लिए प्रति न्यूक्लियाॅन बंधन ऊर्जा में ह्यस का कारण लिखिए। द्रव्यमान संख्या परास भी लिखिए।
अधिक द्रव्यमान संख्या वाले नाभिक भारी व अस्थाई होते हैं, जिसके कारण उनका प्रति न्यूक्लियाॅन बंधन ऊर्जा का मान कम होने लगता है।
द्रव्यमान संख्या परास इनमें क्रमशः 0-50, 50-100, 100-150, 150-200, 200-250 अंकित है।
Q.12 नाभिकीय रिएक्टर क्या है? इसके विभिन्न भागों के नाम व उपयोग बताइए।
Ans: नाभिकीय रिएक्टर नाभिकीय रिएक्टर एक ऐसी भट्टी है जिसमें नाभिकीय संलयन तथा नाभिकीय विखंडन के परिणाम स्वरुप बनी या उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पन्न करने में किया जाता है जिससे बड़े-बड़े कारखाने में मशीन आदि चलाए जाते हैं।
नाभिकीय रिएक्टर के भागों के नाम निम्नलिखित है -
नाभिकीय ईंधन
मंदक
नियंत्रक छड़
शीतलक
परिरक्षक
उपयोग -
अधिक मात्रा में विद्युत उत्पन्न करने में।
रेडियो आइसोटोपों के उत्पादन में।
अनुसंधान कार्यों में।
वायुयानों के नोदन में।
Q.13 नाभिकीय संलयन एवं नाभिकीय विखंडन में अंतर लिखिए।
Q.14 Neutrino एवं anti-neutrino में अंतर लिखिए।
Q.15 बंधन ऊर्जा किसे कहते हैं?
Q.16 अल्फा कण क्षय क्या है?
Q.17 बीटा कण क्षय क्या है?
Q.18 पॉजिट्रान का उत्सर्जन क्या है?