चार्ली चैपलिन यानी हम सब
विष्णु खरे
विष्णु खरे
विश्णु खरे के इस निबंध में महान हास्य अभिनेता और फिल्म निर्माता "चार्ली चैप्लिन" की अद्भुत कला और उनके जीवन पर प्रकाश डाला गया है। चार्ली चैप्लिन की फिल्में हास्य और करुणा का ऐसा मिश्रण प्रस्तुत करती हैं, जो दर्शकों को हँसी और भावनात्मक संवेदनाओं का अद्वितीय अनुभव देती हैं। उनकी कला इतनी सार्वभौमिक थी कि भाषा और संस्कृति की सीमाएँ भी इसे समझने और सराहने में बाधक नहीं बन सकीं।
चार्ली चैप्लिन का जीवन संघर्षपूर्ण था। उनका जन्म एक गरीब और मानसिक रूप से अस्वस्थ माँ के घर हुआ था। गरीबी, कठिनाइयों और जीवन की चुनौतियों के बावजूद उन्होंने अपने जीवन में हास्य और करुणा को अपनाया और इसे अपने कला के माध्यम से व्यक्त किया।
निबंध में यह भी उल्लेख है कि "राज कपूर" ने चार्ली चैप्लिन के प्रभाव को अपनी फिल्मों में अपनाया। खासकर “आवारा” और “श्री 420” जैसी फिल्मों में चार्ली चैप्लिन की शैली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। इन फिल्मों में हास्य, करुणा और संघर्ष का मिश्रण दर्शकों को आकर्षित करता है और भारतीय सिनेमा को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है।
लेखक का कहना है कि चार्ली चैप्लिन की कला का संदेश केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं है। उनका पात्र हमें यह दिखाता है कि हम सब किसी न किसी रूप में चार्ली चैप्लिन जैसे हैं, क्योंकि हम जीवन में कठिनाइयाँ, संघर्ष और परेशानियों का सामना करते हैं। उनका हास्य और करुणा हमें जीवन की गंभीर परिस्थितियों में भी सकारात्मक दृष्टिकोण और सहनशीलता बनाए रखने की प्रेरणा देती है।
निबंध का मुख्य संदेश यह है कि चार्ली चैप्लिन की कला और जीवन संघर्ष हमें जीवन में धैर्य, उम्मीद और मानवता को बनाए रखने की सीख देते हैं। चाहे जीवन में कठिनाई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, हम सब में वह क्षमता है कि हम हँसी, करुणा और सकारात्मक दृष्टिकोण के माध्यम से चुनौतियों का सामना कर सकें।
1. विश्णु खरे का निबंध किस महान हास्य अभिनेता पर आधारित है?
(a) राज कपूर
(b) चार्ली चैप्लिन ✅
(c) ऑस्कर वाइल्ड
(d) अमिताभ बच्चन
2. चार्ली चैप्लिन की फिल्मों में किसका अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है?
(a) डर और हिंसा
(b) करुणा और हास्य ✅
(c) रोमांस और सस्पेंस
(d) संगीत और नृत्य
3. चार्ली चैप्लिन की कला की सबसे बड़ी विशेषता क्या थी?
(a) केवल अमेरिकी दर्शकों के लिए
(b) सार्वभौमिकता और भाषा की सीमाओं को पार करना ✅
(c) महंगी फिल्मों का निर्माण
(d) केवल बोलने वाले संवाद
4. चार्ली चैप्लिन का जन्म किस प्रकार के परिवार में हुआ था?
(a) संपन्न और खुशहाल
(b) गरीब और मानसिक रूप से अस्वस्थ माँ के घर ✅
(c) प्रसिद्ध अभिनेता के घर
(d) किसान परिवार
5. चार्ली चैप्लिन के प्रभाव का भारतीय सिनेमा में उदाहरण कौन हैं?
(a) श्याम बेनेगल
(b) राज कपूर ✅
(c) बी. आर. चोपड़ा
(d) गुरुदत्त
6. राज कपूर की किन फिल्मों में चार्ली चैप्लिन का प्रभाव दिखाई देता है?
(a) आवारा और श्री 420 ✅
(b) मेला और आवारा
(c) श्री 420 और प्रेमरंग
(d) आवारा और रंगीला
7. चार्ली चैप्लिन का जीवन हमें क्या सिखाता है?
(a) केवल सफलता का महत्व
(b) जीवन में धैर्य, आशा और सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना ✅
(c) केवल हास्य की जरूरत
(d) केवल करियर पर ध्यान देना
8. चार्ली चैप्लिन की फिल्मों का संदेश किसके लिए सार्वभौमिक था?
(a) केवल बच्चों के लिए
(b) सभी भाषाओं और संस्कृतियों के लोगों के लिए ✅
(c) केवल अमेरिकियों के लिए
(d) केवल कलाकारों के लिए
9. निबंध में “हम सब” का संदर्भ किससे है?
(a) केवल बच्चों से
(b) हर व्यक्ति में संघर्ष और चुनौतियों की समानता ✅
(c) केवल दर्शकों से
(d) केवल कलाकारों से
10. चार्ली चैप्लिन की शैली ने भारतीय फिल्मों में क्या योगदान दिया?
(a) केवल गीत और संगीत
(b) हास्य और करुणा का मिश्रण ✅
(c) केवल तकनीकी सुधार
(d) केवल संवाद
प्रश्न 1: लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि अभी चैप्लिन पर करीब 50 वर्षों तक काफी कुछ कहा जाएगा?
उत्तर: लेखक ने कहा है कि अभी चैप्लिन पर करीब 50 वर्षों तक काफी कुछ कहा जाएगा जिसके निम्नलिखित कारण है
चार्ली की कला के सार्वभौमिक होने के सही करणों का पता लगाना अभी शेष है।
विकासशील दुनिया में जैसे-जैसे टेलीविजन, वीडियो और अन्य साधनों का विकास हो रहा है। वैसे वैसे एक नया दर्शक वर्ग चार्ली की फिल्मों को देखने के लिए तैयार हो रहा है।
चार्ली चैप्लिन के कुछ ऐसी फिल्में या रीलें मिली है जिसके बारे में कोई नहीं जानता, जिस पर अभी कार्य होना बाकी है।
प्रश्न 2: चैप्लिन ने न सिर्फ फिल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण व्यवस्था को तोड़ा। इस पंक्ति में लोकतांत्रिक बनाने व वर्ण व्यवस्था को तोड़ने का क्या अभिप्राय है? क्या आप इसे सहमत हैं?
उत्तर: फिल्म कला को लोकतांत्रिक बनाने का अभिप्राय है - उसे सभी वर्ग के लोगों के लिए उपयोगी बनाना। चार्ली से पहले की फिल्में किसी एक विशेष वर्ग के लिए बनाई जाती थी। इन फिल्मों की कथावस्तु भी विशेष वर्ग से संबंधित होती थी, किंतु चार्ली ने अपनी फिल्मों में निम्न वर्ग के लोगों को स्थान दिया था। अतः यह कहना उचित होगा कि चार्ली ने फिल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया।
वर्ण तथा वर्ग व्यवस्था को तोड़ने से अभिप्राय है - फिल्मों को किसी विशेष वर्ग और जाति के लिए ना बनाना अर्थात् सभी वर्गों के लोग फिल्म देख सकते हैं। चार्ली ने वर्ग विशेष तथा वर्ण व्यवस्था को तोड़ा तथा आम लोगों के लिए फिल्में बनाईं, जिसके कारण उनकी फिल्में पूरे विश्व में लोकप्रिय हो गयी।
प्रश्न 3: लेखक ने चार्ली का भारतीयकरण किसे कहा और क्यों? गांधी एवं नेहरू ने भी उनका सानिध्य क्यों चाहा?
उत्तर: लेखक ने राजकपूर द्वारा बनाई गई फिल्म 'आवारा' को चार्ली का भारतीयकरण कहां है क्योंकि राजकपूर पर आलोचकों द्वारा यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने चार्ली की नकल की है, तो उन्होंने इसकी परवाह किए बिना 'आवारा' तथा बाद में 'श्री 420' जैसे फिल्म का निर्माण किया। इन फिल्मों के बाद भारतीय फिल्मों में यह परंपरा चल पड़ी। यही कारण था कि दिलीप कुमार, शिम्पी कपूर, देवानंद, अमिताभ बच्चन और श्रीदेवी ने चार्ली का अनुसरण किया तथा स्वयं पर हंसने की परंपरा को अपनाया। गांधी और नेहरू ने भी चार्ली का सानिध्य चाहा क्योंकि वे दोनों स्वयं पर हंसने की कला में निपुण थे।
प्रश्न 4: लेखक ने कलाकृति एवं रस के संदर्भ में किसे श्रेयस्कर माना है और क्यों? क्या आप ऐसे उदाहरण दे सकते हैं जहां कई रस साथ-साथ दिए हो?
उत्तर: लेखक ने कलाकृति एवं रस के संदर्भ में 'रस' को श्रेयस्कर माना है क्योंकि मानव जीवन में हर्ष और दुख की स्थितियां आती रहती है। करुण रस का हास्य रस में बदल जाना एक नवीन रस की मांग करता है, किंतु यह भारतीय कला में देखने को नहीं मिलता है। ऐसे अनेक उदाहरण दिए जा सकते हैं जहां कई रस एक साथ प्रयोग हो रहे हो। उदाहरण के लिए जब नायक एवं नायिका आपस में बातचीत कर रहे हो, तो वहां श्रृंगार रस होता है किंतु यदि वहां पर अचानक सांप आ जाए, तो श्रृंगार रस भय में परिवर्तित होकर भयानक रस को जन्म देता है।
प्रश्न 5: चार्ली सबसे ज्यादा स्वयं पर कब हंसता है?
उत्तर: चार्ली सबसे ज्यादा स्वयं पर तब हंसता है जब वह स्वयं को आत्मविश्वास से परिपूर्ण, गर्वोन्नत, सभ्यता, सफलता, समृद्धि, दूसरे से अधिक शक्तिशाली और श्रेष्ठ रूप में दिखाता है। इस स्थिति में समझ लेना चाहिए कि यह सारी गरिमा सुई चुभे गुब्बारे की तरह फुस्स हो जाएगी। इस स्थिति में चार्ली सबसे ज्यादा हंसता है।
प्रश्न 6: जीवन की जाद्दोजहद ने चार्ली के व्यक्तित्व को कैसे संपन्न बनाया था?
उत्तर: चार्ली की नानी खानाबदोश थी। उनकी मां दूसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री थी, जो तलाकशुदा थी। चार्ली को अपने जीवन में गरीबी व मां के पागलपन के कारण संघर्ष करना पड़ा। उनके पिता यहूदी वंशी थे। साम्राज्य, औद्योगिक क्रांति, पूंजीपतियों, सामंतशाही आदि के द्वारा उन्हें दुत्कारा गया जिससे उन्हें जीवन मूल्य प्राप्त हुआ। यह जीवन मूल्य करोड़पति बनने के बाद भी चार्ली में ज्यों का त्यों बना रहा। इस लंबे संघर्ष में उनके व्यक्तित्व में करुणा और हास्य को उत्पन्न करने वाले तत्वों का मिश्रण कर दिया। उन्होंने अपनी फिल्मों में शासकों की गरिमा को दिखाया एवं उन पर लात मार कर सबको हंसाया।
प्रश्न 7: चार्ली चैप्लिन की फिल्मों में निहित त्रासदी/ करुणा/ हास्य का सामंजस्य भारतीय कला और सौंदर्यशास्त्र की परिधि में क्यों नहीं आता?
उत्तर: चार्ली चैप्लिन की फिल्मों में निहित त्रासदी/ करुणा/ हास्य का सामंजस्य भारतीय कला और सौंदर्य शास्त्र की परिधि में नहीं आता क्योंकि भारतीय कला एवं सौंदर्य शास्त्र में कहीं भी करुण रस का हास्य रस में बदल जाना नहीं मिलता। यहां तक की रामायण एवं महाभारत में हास्य के जो उदाहरण मिलते हैं, वह भी दूसरों पर है अर्थात पात्र दूसरी पात्रों पर हंसते हैं। संस्कृत नाटकों का विदूषक थोड़ी बहुत बदतमीजी करते दिखाया गया है किंतु उसमें भी करूण एवं हास्य रस का मिश्रण नहीं है।
प्रश्न 8: चार्ली के व्यक्तित्व की विशेषताएं लिखें।
उत्तर: चार्ली के व्यक्तित्व की विशेषताएं निम्नलिखित है -
चार्ली चैपलिन सदैव स्वयं पर हंसते हैं।
वह सदैव बच्चे या युवा जैसे दिखते हैं।
हर व्यक्ति चार्ली में या तो स्वयं को या अपने किसी जान पहचान के व्यक्ति को देखता है।
उनकी फिल्मों में हास्य कब करुणा में परिवर्तित हो जाता है इसका पता ही नहीं चलता है।
कोई भी व्यक्ति उन्हें बाहरी नहीं समझता।
वह सार्वभौमिक कलाकार है।
वह किसी भी संस्कृति में विदेशी नहीं लगता है।