Q.1 'असली वस्तु है हैट, खूंटी नहीं' लेखक के ऐसा कहने का क्या आशय है?
Ans: 'असली वस्तु है हैट, खूंटी नहीं' से लेखक का आशय है खूंटी अर्थात् भाषा-शैली या कला पक्ष या साधन। इसी प्रकार है से हैट का आशय है - विषय वस्तु या सामग्री। निबंध लेखन में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लेखक के मन में सर्वप्रथम विषय वस्तु आना चाहिए। यदि उचित व सशक्त विषय वस्तु है, तो भाषा शैली अपने आप उसके अनुरूप बन जाती है।
Q.2 प्रगतिशील जीवन को निबंधकार ने परिभाषित करने की कोशिश की है आप उसे अपने शब्दों में लिखिए।
Ans: प्रगतिशील या निरंतर प्रकृति का नियम है संसार एक निश्चित मार्ग पर आगे बढ़ता है जन्म एवं मृत्यु इसके दो किनारे हैं इसके बीच में होने वाला परिवर्तन ही विकास कहलाता है मनुष्य जीवन शैली में परिवर्तन चाहता है यह क्रम निरंतर चलता है जब तक एक सुधार रंग लाता है सुधारक वृद्धि हो जाता है उसके स्थान पर नहीं युवा पीढ़ी आती है और इस काम को आगे बढ़ती है यही जीवन की प्रगतिशीलता है निबंधकार बक्शी जी ने के अनुसार प्रगतिशील जीवन का अर्थ है बदलते समय के साथ नए जीवन मूल्यों और नई जीवन प्रणाली को अपनाना। जो कभी सुधार होते थे वह आगे चलकर दोष हो जाते हैं और उन सुधारो का फिर से नव सुधार किया जाता है इस प्रकार यह प्रक्रिया गतिशील रूप से चलती रहती है यही जीवन की प्रगतिशीलता है।
Q.3 मानव समाज में निरंतर सुधार प्रक्रिया क्यों जारी रहती है?
Ans: समय के साथ मनुष्य का स्वभाव भी परिवर्तित होते रहता है। मानव समाज में भूतकाल, वर्तमान की स्थितियों में विभिन्नताएं देखने को मिलती है। युवा एवं वृद्ध दोनों ही वर्तमान की वास्तविकता एवं कठोरता से कतराते हैं। युवा भविष्य का सपना देखते हुए उसे वर्तमान में लाने का प्रयास करता है तो वृद्ध व्यक्ति अतीत को वर्तमान में लाना चाहते हैं। यही कारण है कि वर्तमान सदैव परिवर्तित होते रहता है। वर्तमान में व्यक्ति द्वारा जो सुधार किया जाता है भविष्य में उसी सुधार में कमियां उत्पन्न हो जाती है और इसके कारण नव सुधार की आवश्यकता होती है। इस प्रकार सुधार की प्रक्रिया निरंतर चलते रहती है।
Q.4 निबंध लेखन की कुछ विशेषताएं लेखक ने क्या लिखूं इस निबंध में बताई है जो उसे आख्यायिका का लेखन से अलग करती है उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
क्या लिखूं निबंध के आधार पर निबंध एवं आख्यायिका में निम्नलिखित अंतर होते हैं
Ans:
प्रधानता : आख्यायिका में कल्पना की प्रधानता होती है जबकि निबंध में लेखक की सच्ची अनुभूति, भाव की प्रधानता होती है।
कल्पना : आख्यायिका में रचनाकार की कल्पना होती है जबकि निबंध में निबंधकार संसार को अपनी दृष्टि से देखा हुआ, भाव ग्रहण करता हुआ वास्तविक तथ्य को उजागर करता है।
विशिष्टता : आख्यायिका में लेखक कल्पना के द्वारा मनुष्य जीवन का रहस्य प्रत्यक्ष करने के लिए चरित्र वैचित्र्य और घटना वैचित्र्य की सृष्टि करता है जबकि निबंध लिखने के लिए ऐसी मानसिक स्थिति की आवश्यकता होती है जिसमें न ज्ञान की गरिमा रहती हो और न कल्पना की महिमा।
मनोभाव : आख्यायिका शिक्षाप्रद लघु कल्पित कथा है, जिसमें लेखक की सूक्ष्मदृष्टि का प्रमाण मिलता है जबकि निबंध लेखक के मन की स्वच्छंद रचना होती है, इसमें मनोभावों की अभिव्यक्ति ही मनुष्य होती है।
Q.5 दूर के ढोल सुहावने होते हैं क्योंकि उनके कर्कशता दूर तक नहीं पहुंचती परंतु उसकी कर्कशता समीपस्थ लोगों को भी कटु प्रतीक नहीं होती क्यों?
Ans: ढोल एक वाद्य यंत्र है जिसकी ध्वनि पास में तो कर्कश लगती है लेकिन दूर से आने पर वह मधुर बन जाती हैं। इसे विवाह या जन्मोत्सव या अन्य शुभ अवसरों पर बजाया जाता है। विवाह के अवसर पर बजाए जाने पर ढोल की ध्वनि दूर खड़े लोगों को तो मधुर लगती ही है, साथ ही पास खड़े स्नेहीजन को भी मधुर प्रतीत होती है क्योंकि विवाह के अवसर पर इसमें प्रसन्नता, पर्व की आनंद और प्रेम के संगीत तीनों का संगम होता है। अतः कर्कश ध्वनि भी मधुर प्रतीत होता है।
Q.6 "तरूणों के लिए जैसे भविष्य उज्जवल होता है वैसे ही वृद्धो के लिए अतीत।" लेखक द्वारा ऐसा कहने के पीछे क्या आशय है?
Ans: "तरूणों के लिए जैसे भविष्य उज्जवल होता है वैसे ही वृद्धो के लिए अतीत। "लेखक द्वारा ऐसा कहने का आशय है यह है कि वृद्ध लोग अपने बीते हुए कल को सुखद महसूस करते हैं। अतः वे हमेशा अपने बीते हुए दिनों को याद करते हैं तथा वह अपने अतीत को वर्तमान में लाने की कोशिश करते हैं। वे अपने बचपन, युवावस्था को व्यतीत कर चुके होते हैं, जो पल उन्हें सुखदायी प्रतीत होता है।
ठीक इसी प्रकार तरुण (नवयुवा) को अपने आने वाले भविष्य की चिंता रहती है। वह आने वाले कल की सुखद एवं आकर्षक कल्पना करते रहते हैं। वे वर्तमान में जितना सुख भोग रहे हैं भविष्य में वह उनसे ज्यादा सुख की इच्छा रखते हैं और इसलिए वह भविष्य को शीघ्रातिशीघ्र वर्तमान में लाने की कोशिश करते हैं। स्पष्ट है कि तरुण एवं वृद्ध दोनों के मन में वर्तमान के प्रति आक्रोश रहता है। दोनों ही वर्तमान को परिवर्तित करने की कोशिश करते हैं।
Q.7 आदर्श निबंध की कौन-कौन सी विशेषताएं होती है? लिखिए।
Ans: आदर्श निबंध की निम्नलिखित विशेषताएं होती है -
निबंध लेखन हेतु विशेष प्रकार की मानसिक स्थिति का होना आवश्यक है
निबंध छोटा होना चाहिए जिससे वह सुंदर दिखे
निबंध लेखन से पहले उसकी भूमिका बना लेनी चाहिए
निबंध के भाषा में प्रवाह होना आवश्यक है
निबंध के दो प्रधान अंग सामग्री (विषय वस्तु) और शैली (भाषा शैली) है।
वाक्य छोटे-छोटे तथा एक दूसरे से संबंधित होना चाहिए
अलंकारों, मुहावरों और लोकोक्तियां का समावेश आदर्श निबंध हेतु अतिआवश्यक है।