Q.1 उप-सहसंयोजक यौगिकों के नामकरण के उदाहरण सहित नियम लिखिए।
Step1) उप-सहसंयोजक यौगिकों में धनात्मक भाग एवं ऋणात्मक भाग का चयन करें।
K4[Fe(CN)6]
नोट : जो भाग पहले आता है उसे धनात्मक K4 एवं जो भाग बाद में आता है उसे ऋणात्मक [Fe(CN)6] मानते हैं।
Step2) नामकरण के दौरान जो भाग पहले आता है चाहे वह संकुल हो या आयन हो, उसका नाम पहले लिखा जाता है।
K4 के लिए - पोटैशियम लिखा जाएगा।
Step3) संकुल का नामकरण
लिगेंड
i) सर्वप्रथम लिगेंडों की संख्या लिखी जाती है उसके बाद लिगेंड का नाम लिखा जाता है।
[Fe(CN)6] इसमें CN लिगेंड है जिनकी संख्या 6 है। तो इसका नाम हेक्सासाइनो या हेक्सासाइनाइडो लिखा जाएगा।
ii) केंद्रीय धातु परमाणु
यदि केंद्रीय धातु परमाणु ऋणात्मक हो तो उसके नाम के अंत में -एट (-ate) लगाया जाता है।
यदि केंद्रीय धातु परमाणु ऋणात्मक ना हो या उसमें कोई आवेश ना हो तो उसका सामान्य नाम ही लिखा जाता है।
[Fe(CN)6] में Fe ऋणात्मक भाग में स्थित है। अतः यह ऋणात्मक होगा तथा इसका नाम फैरेट लिखा जाएगा।
केंद्रीय धातु परमाणु के नाम के बाद उसकी ऑक्सीकरण संख्या लिखी जाती है।
[Fe(CN)6] में Fe की ऑक्सीकरण संख्या 2 है तथा ऑक्सीकरण संख्या रोमन में () के अंदर लिखा जाता है। अतः
फैरेट (II)
अतः K4[Fe(CN)6] का पूरा नाम इस प्रकार लिखा जाएगा -
पोटेशियम हेक्सासाइनो फैरेट (II)
Q.2 Na3[CoCl6] सोडियम हेक्साक्लोरीडो कोबाल्टेट (III)
Q.3 [Co(NH3)6]Cl3 हेक्साएमीन कोबाल्ट (III) क्लोराइड
Q.4 [Co(NH3)6]^+3 हेक्साएमीन कोबाल्टेट (III) आयन
Q.5 [Cr(NH3)6]Cl3 हेक्साएमीन क्रोमियम (III) क्लोराइड
Q.6 [Fe(NH3)6]Cl3 हेक्साएमीन आयरन (III) क्लोराइड
Q.7 [Cr(H2O)6]Cl3 हेक्साएक्वा क्रोमियम (III) क्लोराइड
Q.8 [Cr(H2O)5 NH3]Cl3 एमीन पेंटाएक्वा क्रोमियम (III) क्लोराइड
Q.9 [Pt(NH3)2Cl2] डाइएमीन डाइक्लोरीडो प्लैटिनम
Q.10 [Fe(H2O)5CN]Cl पेंटाएक्वा साइनाइडो आयरन (V) क्लोराइड
Q.11 [Fe(H2O)5NC]Cl पेंटाएक्वा आइसोसाइनाइडो आयरन (V) क्लोराइड
Q.12 [Co(NH3)5Br]SO4 पेण्टाएमीन ब्रोमीडो कोबाल्ट (IV) सल्फेट
Q.13 K4[Fe(CN)6] पोटेशियम हेक्सासाइनो फैरेट (II)
Q.14 उप-सहसंयोजक यौगिक में कितने प्रकार की समावयवता पायी जाती है? उदाहरण सहित लिखिए।
उप-सहसंयोजक यौगिकों में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की समावयवता निम्नलिखित है -
1) आयनन समावयवता : जब उप-सहसंयोजक मंडल से आयन एवं लिगेंड का अंदर-बाहर विनिमय होता है तो इससे उत्पन्न समावयवता को आयनन समावयवता कहते हैं।
[Co(NH3)5Br]SO4 and [Co(NH3)5SO4]Br
2) हाइड्रेटेड समावयवता : जब जल के अणुओं का उप-सहसंयोजक मंडल के अंदर-बाहर विनिमय होता है तो इससे उत्पन्न समावयवता को हाइड्रेटेड समावयवता कहते हैं।
[CO(H2O)6]Cl3 and [CO(H2O)5Cl]Cl2.H2O
3) आबंधी समावयवता : एंबिडेन्टेट लिगेंड में दो अलग-अलग परमाणु से इलेक्ट्रॉन युग्म केंद्रीय धातु परमाणु को दिए जा सकते हैं। ऐसा होने पर एक ही अणुसूत्र में दो संकुल बन सकते हैं जिनमें सहसंयोजी आबंध अलग-अलग होता है। ऐसे दो समावयवी को आबंध समावयवी कहते हैं तथा यह घटना आबंधी समावयवता कहलाता है।
[Fe(H2O)5CN]Cl and [Fe(H2O)5NC]Cl
4) उप-सहसंयोजक समावयवता : जब द्विसंकुल वाले योगिकों में लिगेंडो का आपस में विनिमय होता है तो इससे उत्पन्न समावयवता को उप-सहसंयोजक समावयवता कहते हैं।
[Co(NH3)6] [Cr(Cl)6] and [Cr(NH3)6] [Co(Cl)6]