काल करै सो आज कर
प्रारूप -
प्रस्तावना
कल पर काम टालने की प्रवृत्ति
काम को कल पर टालने के परिणाम
काल करै सो आज कर
निष्कर्ष
1 प्रस्तावना : इस पृथ्वी पर मनुष्य ही सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। मनुष्य कर्मशील प्राणी है। मनुष्य यह जानते हुए भी की परिश्रम किए बिना जिंदगी नहीं चल सकती अर्थात जीवन यापन के लिए निरंतर परिश्रमी बने रहना आवश्यक है, वह अपने कार्य को पूरे मन से नहीं कर रहे हैं। उनमें आलस्य की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।
2 कल पर काम टालने की प्रवृत्ति : आज ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है, जो अपना वर्तमान काम कल पर ना डालते हों। आज व्यक्ति आलसी होते जा रहा है। अपना काम करने में भी उन्हें तकलीफ होती है। आज असफलता का मूल कारण ही यही है कि वह अपने काम को अगले दिन करने के नाम पर टालने लगे हैं।
3 काम को कल पर टालने के परिणाम : काम को कल पर टालने वाले व्यक्ति कर्मशील नहीं होते। वे इसी प्रकार रोजाना काम को कल पर टालते ही रहते हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी खराब होने लगती है तथा गरीबी बढ़ती है। इस प्रकार के व्यक्तियों के कारण समाज का स्तर गिरने लगता है।
4 काल करै सो आज कर : जो कर्मशील व्यक्ति है, वह कभी भी अपने भाग्य के भरोसे नहीं बैठे रहता। वह निरंतर मेहनत करते रहता है। कर्मशील व्यक्ति कभी भी अपने काम को कल पर नहीं टालता। यही उसकी सफलता का मूल मंत्र है। कल के कार्य को आज करने की साहस रखने वाला व्यक्ति महान होता है तथा उसकी सफलता निश्चित होती है।
5 निष्कर्ष : कल पर काम टालने की प्रवृत्ति को त्यागना अत्यंत आवश्यक हो गया है। इसके कारण अनेक बड़े-बड़े काम बीच में रुक जाते हैं। हमें निरंतर परिश्रमी बने रहने की आवश्यकता है। राहे चाहे कितनी मुश्किलों से भरी क्यों ना हो, परिश्रमी व्यक्ति हर मुश्किलों का सामना करते हुए आगे बढ़ते रहता है।