विद्यार्थी जीवन और अनुशासन
या
अनुशासन का महत्व
प्रारूप -
प्रस्तावना
अर्थ और अभिप्राय
विद्यार्थी और अनुशासन
प्राचीन काल का विद्यार्थी जीवन
आधुनिक कल का विद्यार्थी जीवन
अनुशासनहीनता के कारण
अनुशासनहीनता के दुष्परिणाम
अनुशासनहीनता कम करने के उपाय
निष्कर्ष
1 प्रस्तावना : विद्यार्थी जीवन हर किसी व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण समय होता है। विद्यार्थी जीवन को जीवन का स्वर्ण काल कहा जाता है क्योंकि व्यक्ति का भविष्य इसी पर निर्भर करता है। इस समय मन में सुनहरे सपने होते हैं। मन आशाओं के झूले-झूल रहा होता है। व्यक्ति का मन चिताओं से मुक्त होता है। इस समय ही व्यक्ति के चरित्र का निर्माण होता है।
2अर्थ और अभिप्राय : विद्यार्थी का अर्थ है- विद्यार्थी अर्थात् विद्या प्राप्त करने वाला तथा अनुशासन का अर्थ है- अनुशासन अर्थात् नियमों के अनुसार जीवन व्यतीत करना। नियमबद्ध जीवन व्यतीत करना ही अनुशासन है। विद्यार्थी नियमों के अनुसार ही अपना विद्यार्थी जीवन व्यतीत करते हैं।
3 विद्यार्थी और अनुशासन : विद्यार्थी जीवन में सुबह जल्दी उठना, ट्यूशन जाना, स्कूल जाना, होमवर्क पूरा करना, असाइनमेंट पूरा करना आदि शामिल है। विद्यालय में विद्यार्थियों को शिक्षकों के आदेशों का पालन करना होता है जिससे उनका जीवन पूर्ण रूप से अनुशासित हो जाता है।
4 प्राचीन काल का विद्यार्थी जीवन : प्राचीन समय में विद्यार्थी गुरु के आश्रम में रहकर ही शिक्षा ग्रहण करते थे। गुरु उन्हें संयम, आत्मविश्वास, सहानुभूति, कर्मठ आदि की शिक्षा देते थे। वे उन्हें सुदृढ़ जीवन जीने की प्रेरणा देते थे।
5 आधुनिक काल का विद्यार्थी जीवन : वर्तमान समय में प्राथमिक, माध्यमिक व उच्चतर स्तर पर तो छात्र अनुशासित होते हैं किंतु जैसे ही वे महाविद्यालयों में प्रवेश लेते हैं, वे अनुशासनहीनता की ओर अग्रसर दिखाई देते हैं। विद्यार्थी शिक्षा को जीवन के साधन के रूप में देखता है और जब उसे आजीविका प्राप्त नहीं होती तो वह बेपतवार की नाव की तरह जीवन रूपी झरने में बहता ही चला जाता है।
6 अनुशासनहीनता के कारण ; अनुशासनहीनता के कारण इस प्रकार है
माता-पिता का अपने बच्चों की ओर ध्यान ना देना।
महंगाई की समस्या, भ्रष्टाचार आदि।
अध्यापक व विद्यार्थियों के मध्य संबंध का मधुर न होना।
7 अनुशासनहीनता के दुष्परिणाम : अनुशासनहीनता के कारण विद्यार्थी अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। वे भ्रष्टाचार, आतंकवाद पैदा करने लगते हैं। अनुशासनहीनता के चलते विद्यार्थी आगे चलकर अपने तथा समाज व देश के लिए घातक हो सकते हैं। वे आतंकवाद फैलने लग सकते हैं।
8 अनुशासनहीनता कम करने के उपाय : इसके लिए माता-पिता को अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिए तथा उन्हें गलत रास्ते में जाने से रोका जाना चाहिए। अध्यापकों द्वारा विद्यार्थियों को अनुशासनहीनता से होने वाली हानियों से अवगत कराना चाहिए जैसे भ्रष्टाचार, आतंकवाद आदि।
9 निष्कर्ष : विद्यार्थी जीवन में अनुशासन अत्यंत महत्वपूर्ण है। जो विद्यार्थी गुरु की आदेशों का पालन करता है, उनका सम्मान करता है, वह निश्चित ही अच्छी श्रेणी में उत्तीर्ण होकर अपना जीवन सफल बनाता है क्योंकि अनुशासन ही सफलता की कुंजी है।