श्रम विभाजन और जाति प्रथा
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने इस निबंध में भारतीय समाज की सबसे बड़ी समस्या "जाति प्रथा" की आलोचना की है। उनका कहना है कि जाति प्रथा को अक्सर “श्रम विभाजन” (Division of Labour) से जोड़ा जाता है, लेकिन यह केवल श्रम विभाजन नहीं बल्कि "श्रमिकों का विभाजन" है।
वह बताते हैं कि श्रम विभाजन समाज के विकास के लिए आवश्यक है, परंतु भारतीय जाति व्यवस्था में यह जबरन थोपा गया है। यहाँ काम की आज़ादी नहीं, बल्कि जन्म से तय पेशा है। इससे व्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रतिभा और योग्यता का दमन होता है।
अंबेडकर का तर्क है कि जाति व्यवस्था न केवल असमानता को बढ़ावा देती है, बल्कि समाज को पिछड़ा बनाती है। यह मानवीय एकता और प्रगति के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है। उनका स्पष्ट मत है कि जाति प्रथा समाप्त किए बिना भारत का सामाजिक और आर्थिक विकास संभव नहीं है।
1. “जाति प्रथा एवं श्रम विभाजन” निबंध के लेखक कौन हैं?
A) रामधारी सिंह दिनकर
B) महादेवी वर्मा
C) डॉ. भीमराव अंबेडकर ✅
D) प्रेमचंद
2. जाति प्रथा को किससे जोड़ा जाता है?
A) समानता से
B) श्रम विभाजन से ✅
C) शिक्षा से
D) राजनीति से
3. अंबेडकर के अनुसार जाति प्रथा क्या है?
A) केवल परंपरा
B) श्रमिकों का विभाजन ✅
C) शिक्षा व्यवस्था
D) धर्म का हिस्सा
4. श्रम विभाजन का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
A) समाज में असमानता बढ़ाना
B) कार्य को बाँटना और सरल बनाना ✅
C) शिक्षा को बढ़ावा देना
D) जाति को मजबूत करना
5. जाति व्यवस्था में पेशा किस आधार पर तय होता है?
A) व्यक्ति की इच्छा
B) योग्यता
C) जन्म ✅
D) शिक्षा
6. जाति व्यवस्था का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
A) प्रगति हुई
B) पिछड़ापन बढ़ा ✅
C) समानता आई
D) एकता मजबूत हुई
7. अंबेडकर ने जाति प्रथा को किसके लिए बाधा बताया है?
A) शिक्षा
B) प्रगति और एकता ✅
C) राजनीति
D) धन
8. भारतीय समाज की सबसे बड़ी समस्या क्या है?
A) अशिक्षा
B) जाति प्रथा ✅
C) गरीबी
D) बेरोजगारी
9. जाति व्यवस्था में व्यक्ति को किससे वंचित किया जाता है?
A) शिक्षा
B) स्वतंत्रता और अवसर ✅
C) धर्म
D) संस्कृति
10. अंबेडकर का क्या निष्कर्ष है?
A) जाति व्यवस्था को बनाए रखना चाहिए
B) जाति प्रथा समाप्त होनी चाहिए ✅
C) जाति समाज को प्रगति देती है
D) जाति धर्म का हिस्सा है
Q.1 जाति प्रथा को श्रम विभाजन का ही एक रूप न मानने के पीछे अंबेडकर के क्या तर्क हैं?
OR
जाति प्रथा और श्रम विभाजन में बुनियादी अंतर क्या है? श्रम विभाजन और जाति प्रथा के आधार पर उत्तर दीजिए।
OR
जाति प्रथा को श्रम विभाजन का आधार क्यों नहीं माना जा सकता? पाठ से उदाहरण देकर समझाइए।
Ans: जाति प्रथा और श्रम विभाजन में बुनियादी अंतर निम्नलिखित है -
Q.2 जाति प्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी व भुखमरी का भी एक कारण कैसे बनती रही है? क्या यह स्थिति आज भी है?
Ans: जाति प्रथा के कारण मनुष्य को उसकी रुचि एवं क्षमता के अनुसार अपना पेशा चुनने की स्वतंत्रता नहीं होती है। मनुष्य को अपने पिता के पेशे को ही अपनाना पड़ता है। इसके साथ ही प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मनुष्य को अपना पेशा बदलने की स्वतंत्रता नहीं होती। ऐसी स्थिति में मनुष्य उस कार्य को पूरी तरह मन लगाकर नहीं कर सकता जिसका प्रभाव उसके परिणाम पर भी पड़ता है। इस प्रकार मनुष्य मजबूर होकर कामचलाऊ ढंग से काम करता है जिसके कारण बेरोजगारी, भुखमरी की स्थिति उत्पन्न होती है। यह स्थिति वर्तमान समय में नहीं है। वर्तमान समय में व्यक्ति को अपनी रुचि के अनुसार पेशा चुनने की स्वतंत्रता है।
Q.3 लेखक के मत से 'दासता' की व्यापक परिभाषा क्या है?
Ans: लेखक के अनुसार दासता वह स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति को अपना व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता नहीं होती है। दासता केवल कानूनी पराधीनता ही नहीं है यह वह स्थिति होती है जिसमें मनुष्य को दूसरे व्यक्ति द्वारा निर्धारित कार्य को करने के लिए विवश होना पड़ता है, उसे दूसरे व्यक्तियों के द्वारा बनाए गए कर्तव्यों का पालन करना पड़ता है। इसके कारण कुछ लोगों को अपनी रुचि के विरुद्ध पेशे अपनाने पड़ते हैं।
Q.4 डॉ भीमराव अंबेडकर के समता संबंधी क्या विचार हैं? लिखिए।
Ans: डॉ भीमराव अंबेडकर के अनुसार समाज को यदि अपने सदस्यों से अधिकतम उपयोगिता प्राप्त करना है तो उस समाज के सभी सदस्यों को प्रारंभ से ही समान व्यवहार व समान अवसर उपलब्ध कराया जाना चाहिए अन्यथा उत्तम व्यवहार के हक की प्रतियोगिता में उत्तम कुल, शिक्षा, पारिवारिक ख्याति, पैतृक संपदा और व्यावसायिक प्रतिष्ठा का लाभ लेने वाले लोग बाजी मार जाएंगे। इसलिए शारीरिक वंश परंपरा और सामाजिक उत्तराधिकार की दृष्टि से मनुष्यों में असमानता संभावित रहने के बावजूद अंबेडकर समता को एक व्यवहार सिद्धांत मानने का आग्रह करते हैं। अतः राजनीतिज्ञों को भी जनता के साथ व्यवहार सिद्धांत का पालन करना चाहिए।
Q.5 श्रम विभाजन और जाति प्रथा पाठ के आधार पर एक आदर्श समाज के तीन विशिष्ट गुण लिखिए।
Ans: आदर्श समाज के गुण निम्नलिखित है -
स्वतंत्रता : समाज के लोगों को अपने जीवन का निर्णय स्वयं लेने की तथा अपना पेशा स्वयं चुनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
समता : समाज में सभी व्यक्तियों को समान अवसर एवं समान व्यवहार, सभी वर्ग को पर्याप्त साधन उपलब्ध होना चाहिए।
बंधुत्व : समाज में सभी लोगों में आपसी भाईचारे की भावना होनी चाहिए जिससे एक दूसरे की सहमति से एवं सामूहिक प्रयास से समाज उन्नति करें।
Q.6 डॉ आंबेडकर के आदर्श समाज की कल्पना में 'भ्रातृता' का महत्व स्पष्ट कीजिए।
Ans: डॉ. भीमराव अंबेडकर के अनुसार किसी आदर्श समाज के लिए उस समाज के सभी लोगों में आपसी भाईचारे की भावना का होना अत्यंत आवश्यक होता है। समाज में लोगों के मध्य इतना अच्छा संबंध होना चाहिए कि यदि समाज का कोई वर्ग किसी भी प्रकार का परिवर्तन चाहता हो, तो वह बड़ी सुगमता से पूरे समाज तक पहुंच जाए। समाज के लोग आपस में इस तरह मिलजुल कर रहे जिस प्रकार दूध में पानी मिल जाता है और इसी से लोकतंत्र जीवित रह सकता है।
Q.7 जन्मजात धंधों में लगे श्रमिक कार्य कुशल क्यों नहीं बन पाए?
Ans: ऐसे लोग जो जाति प्रथा के कारण अपना व्यवसाय नहीं चुन पाते या व्यवसाय में परिवर्तन नहीं कर पाते उन्हें मजबूरी में अपने पारिवारिक धंधे (पेशे) को ही अपनाना पड़ता है। इसके कारण उस कार्य में रुचि न होते हुए भी उसे मजबूरी में वह कार्य करना पड़ता है। इस स्थिति में उसका कार्य में मन नहीं लगता और वह अपने कार्य को कल पर टालते रहता हैं। ऐसे में मनुष्य अपनी क्षमता से बहुत कम कार्य ही कर पाते हैं।