नारी सशक्तिकरण
या
नारी शिक्षा
प्रारूप -
प्रस्तावना
नारी सशक्तिकरण का अर्थ
भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता
महिला सशक्तिकरण के लाभ
निष्कर्ष
1 प्रस्तावना : आज के समय में नारी सशक्तिकरण का विषय चर्चा का विषय है। हमारे प्राचीन ग्रंथो में नारी के महत्व को बताते हुए कहा गया है कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता: अर्थात् जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। परंतु नारी में इतनी शक्ति होने के बावजूद आज के समय में नारी सशक्तिकरण की आवश्यकता महसूस हो रही है।
2 नारी सशक्तिकरण का अर्थ : इस पृथ्वी पर नारी से ही मानव जाति का अस्तित्व है। नारी सशक्तिकरण का आशय महिलाओं के सामाजिक स्वतंत्रता और आर्थिक स्थिति में सुधार लाने से है।
3 भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता : भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता के अनेक कारण सामने आते हैं जिनमें से प्रमुख कारण इस प्रकार हैं -
आधुनिक युग में भारतीय महिलाएं बहुत से राजनीतिक व प्रशासनिक कार्य कर रही है, किंतु फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी महिलाएं अपने घरों में रहने के लिए बाध्य है तथा उन्हें सामान्य शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।
भुगतान की असमानता भी इसका मुख्य कारण है।
4 महिला सशक्तिकरण के लाभ : नारी सशक्तिकरण के बिना महिलाओं को वह स्थान प्राप्त नहीं हो सकता जिसकी वह हकदार रही है। वह बंधनों से मुक्त होकर अपने जीवन के निर्णय स्वयं नहीं ले सकती हैं। इसके बिना नारियों को स्वतंत्रता और अपने फैसले स्वयं लेने का अधिकार प्राप्त नहीं हो सकता। नारी सशक्तिकरण के कारण महिलाओं की जिंदगी में बहुत से परिवर्तन आए हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार है -
महिलाओं ने हर कार्य में बढ़-चढ़कर भाग लेना शुरू किया है।
महिलाएं अपने जीवन के सभी निर्णय स्वयं ले रही है।
पुरुष भी अब महिलाओं को समझने लगे हैं अर्थात् उनका सम्मान करने लगे हैं।
5 निष्कर्ष : आज की नारी जाग्रत और सक्रिय हो गई है। किसी ने बहुत अच्छी बात कही है "नारी जब अपने ऊपर थोपी हुई बेड़ियों को तोड़ने लगेगी तो विश्व की कोई शक्ति उसे रोक नहीं पाएगी"। यह एक अच्छा संकेत है, लोगों की सोच बदल रही है।
हजारों फूल चाहिए एक माला बनाने के लिए
हजारों दीपक चाहिए एक आरती की थाल सजाने के लिए
हजारों बूंद चाहिए समुद्र बनाने के लिए पर,
एक स्त्री ही काफी है घर को स्वर्ग बनाने के लिए।