भारतीय समाज में अंधविश्वास
प्रारूप -
प्रस्तावना
भारतीय समाज में अंधविश्वास
भारतीय समाज में अंधविश्वास के कारण
अंधविश्वास के परिणाम
निष्कर्ष
1 प्रस्तावना : वर्तमान समय में भले ही लोग जागरुक हो गए हैं, किंतु उनमें अंधविश्वास अभी भी व्याप्त है। आज मनुष्य समाज में रहता है तथा सामाजिक पुरुष कहलाता है। यह समाज उन सबके सुरक्षा, सुखी जीवनी तथा मानव जाति को व्यवस्थित बनाने के लिए स्थापित किए गए हैं। यह समाज मानव जीवन के लिए कुछ नियमों का निर्माण करती है, जिसे धर्म कहा जाता है। धर्म मानव जाति के लिए सही है, किंतु धर्म के नाम पर अंधविश्वास देश के विकास में बाधक बनते हैं।
2 भारतीय समाज में अंधविश्वास : भारतीय समाज में अनेक अंधविश्वास, कुरीतियां व्याप्त है। जैसे यहां के अनेक लोग जादू टोने पर विश्वास करते हैं तथा इनसे बचने के लिए साधु संतों के पास चले जाते हैं। वे देवी देवताओं, बाबाओं पर विश्वास करते हैं। बिल्ली द्वारा रास्ता काटने पर, कहीं जाते समय पीछे से रोकने पर, हिचकी आने पर, वे महत्वपूर्ण कार्य को बीच में ही रोक देते हैं।
3 भारतीय समाज में अंधविश्वास के कारण : भारतीय समाज में अंधविश्वास के अनेक कारण है जिनमें से कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार है -
परंपराओं के प्रति अंधी भक्ति।
जादू टोने पर अनेक लोगों का विश्वास करना।
लोगों में जागरूकता की कमी।
ज्योतिषों पर विश्वास कर उनकी बातें मानना।
4 अंधविश्वास के परिणाम : अंधविश्वास के कारण ही अनेक लोग लड़की के जन्म को अशुभ मानते हैं तथा उनके साथ भेदभाव किया जाता है। अंधविश्वास के चलते लोग निम्न जाति के व्यक्तियों को तुच्छ समझने लगते हैं तथा उनके साथ बुरा व्यवहार करते हैं। प्राचीन समय में अंधविश्वास के कारण ही जाति प्रथा, सती प्रथा शुरू हुई थी, जिसके कारण आज भी जातिगत श्रेष्ठ का भाव संघर्ष का कारण बना हुआ है।
5 निष्कर्ष : स्पष्ट है कि जब तक भारतीय समाज में अंधविश्वास समाप्त नहीं होगा तब तक भारत का संपूर्ण विकास नहीं हो सकता। आज अनेक संचार माध्यम, मीडिया के द्वारा लोगों को अंधविश्वासों के कारण उत्पन्न दुष्परिणामों से अवगत कराया जा रहा है। आज ऐसे लोगों की आवश्यकता है जो समाज को आईना दिखाकर सच और झूठ में अंतर समझा सके।
"अंधविश्वास छोड़ो जागरूक बनो।"