आत्म परिचय, एक गीत
हरिवंश राय बच्चन
हरिवंश राय बच्चन
प्रश्न 1: जहाँ पर दाना रहते है, वहीं नादान भी होते है कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा ?
उत्तर: जहाँ पर दाना रहते हैं, वहीं नादान भीं होते है-इस पंक्ति के माध्यम से कवि कहता है कि संसार के नादान (मूर्ख) लोग वहीं रहना पसंद करते है जहाँ वैभव, धन-संपत्ति तथा उपभोग के साधन हो। लोग संसारिक मोहमाया में उलझे हुए होते हैं जिसके कारण वे जीवनभर भटकते रहते है वे अपने लक्ष्य को भूला जाते है। कवि इसके विपरीत वैभव, धन, अहंकार को त्यागकर जीवन के सदुपयोग पर बल दे रहा है अर्थात वह सत्य की खोज कर रहा है।
प्रश्न 2: मैं और, और जग और, कहाँ का नाता" पंक्ति में और शब्द की विशेषता बताइएं।
उत्तर: मैं और, और जग और, कहां का नाता'- पंक्ति में और शब्द की आवृत्ति (प्रयोग) तीन बार हुआ है। अतः यहाँ पर यमक अलंकार है। इस प्रकार अनेकार्थी शब्द के रूप में 'और' का प्रयोग हुआ है।
पहले 'और 'में कवि स्वयं को आम लोगों से अलग भावना प्रधान व्यक्ति बनाना है।
दूसरे 'और का प्रयोग संसार के लिए प्रयोग हुआ है।
तीसरे 'और' प्रयोग कवि व संसार के मध्य कोई संबंध नहीं है, यह दर्शाने के लिए किया गया है।
प्रश्न 3: 'शीतल वाणी में आग' के होने का क्या अभिप्राय है?
उत्तर: 'शीतल वाणी में आग'- पंक्ति में शीतल व आग एक-दूसरे के विपरीत है। अतः यहां पर विरोधाभास अलंकार का प्रयोग किया गया है। इस पंक्ति का अभिप्राय यह है कि कवि अपने शीतल व मधुर आवाज में भी लोगों को जागरूक करने के लिए जोश, आत्मविश्वास, साहस, दृढ़ता जैसी भावनाएँ रखता है। उनकी शीतल आवाज में विद्रोह की आग छिपी है।
प्रश्न 4: कविता एक ओर जग जीवन के भार लिए घूमने की बात करती है और दूसरी ओर मैं भी जग का ध्यान किया करता हूं - विपरीत से लगते है। इन कथनों का क्या आशय हैं?
उत्तर: कविता एक चोर जग जीवन के भार लिए घूमने की बात करती है दूसरी ओर मैं कभी न जग का ध्यान करता हूं इन कथनों का आशय यह है कि कवि संसार के आम लोगों की तरह अपनी जिम्मेदारियाँ जानता है 'तथा सुख-दुख, लाभ-हानि को झेलते हुए अपना जीवन गुजार रहा है। कवि संसार के प्रति अपने दायित्व को समझता है। कवि संसारिक कष्टों की ओर ध्यान नहीं देता बल्कि, संसार के समस्याओं के प्रति जागरूक हैं। वह इस कविता माध्यम को संसार को भारहीन और कष्टमुक्त करना चाहता है। - वह अपने मार्ग से आने वाले रुकावटों की परवाह किए बिना अपने कर्तव्य को पूरा करता है।
प्रश्न 5: बच्चे किस बात की आशा में नीड़ो से झांक रहे होंगे।
उत्तर: चिड़ियों के बच्चे दिनभर अपनी माँ की प्रतीक्षा में इस आशा से नीड़ो से झांकते रहते है कि शाम को लौटते समय उनकी माँ उनके लिए भोजन लेकर आएगी और उन्हें अपनी ममता का मधुर स्पर्श प्रदान करेगी।
प्रश्न 6: दिन जल्दी-जल्दी ढलता है - की आवृत्ति से कविता की किस विशेषता का पता चलता है?
उत्तर: दिन जल्दी-जल्दी दलना है की आवृत्ति से कविता की इस विशेषता ग पता चलता है कि प्रेम में डूबे और अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ने वाले मनुष्य को समय के बीतने का पता ही नहीं चलता । लक्ष्य का स्मरण पथिक के कदमों में स्फूर्ति (ताकत) भर देता है।
प्रश्न 7: आत्मपरिचय कविता के अनुसार संसार किन लोगों को पूछता है?
उत्तर: हरिवंश राय बच्चन जी ने अपनी कविता 'आत्मपरिचय' में यह बताया है कि संचार उन व्यक्तियों को पूछता है, जो संसार के अनुसार चलते है क्योंकि ऐसे व्यक्ति वहीं रहना पसंद करते है जहाँ धन-वैभव तथा उपभोग के साधन होते है। यह संसार संसारिक भावनाओं को महत्व देता है, व्यक्तिगत भावनाओं को नहीं। ऐसे लोग जों संचार के अनुसार चलते है, वे संसारिक मोह माया में उलझ जाते है तथा अपने जीवन का लक्ष्य ही भूल जाते है।
प्रश्न 8: आत्मपरिचय कविता में कवि हरिवंश राय बच्चन के अनुसार यह संसार कैसा है?
उत्तर: कवि हरिवंश राय बच्चन अपनी कविता 'आत्मपरिचय के माध्यम से यह कहता है कि उन्हें यह संसार अपूर्ण प्रतीत होता है क्योंकि इस संसार में रहने वाले मूर्ख लोग वही रहना पसंद करते है, जहाँ धन-वैभव और उपभोग के साधन होते हैं। ऐसे लोग संसारिक मोह-माया में उलझ जाते है तथा अपने जीवन के लक्ष्य को ही भूल जाते हैं। यह संसार कवि को अपूर्ण प्रतीत होता क्योंकि इस संसार में केवल संसारिक भावनाओं, मोह-माया को ही महत्व दिया जाता है, व्यक्तिगत भावनाओं को नहीं। कवि प्रेम को महत्व देने वाले संसार की रचना करना चाहता है।
प्रश्न 9: आत्मपरिचय कविता का आत्मपरिचय प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर: आत्मपरिचय प्रतिपाद्य 'आत्मपरिचय' कविता में कवि हरिवंश राय बच्चन ने यह बताया है कि वह भी इस संसार में आम लोगों की तरह ही सुख-दुःख, लाभ-हानि झेलते हुए अपना जीवन व्यतीत कर रहा है। यह संसार उन लोगों को पूछता हैं जो उसके अनुसार चलते है अर्थात संसार में केवल संसारिक भावनाओं को ही महत्व दिया जाता है, व्यक्तिगत भावनाओं को नहीं इसलिए कवि इस संसार को अपूर्ण मानते है। कवि प्रेम को महत्व देने वाले संसार की रचना करना चाहता है। वह अपनी कविता के माध्यम से संसार की भारहीन व कष्ट मुक्त करना चाहता है। वह अपनी शीतल वाणी में भी लोगों को जागरूक करने के लिए साहस दृढ़ता आत्मविश्वास जोश की भावनाएं रखता है।
प्रश्न 10: उन्मादों का अवसाद लिए फिरता हूं' कवि हरिवंश राय बच्चन जी इस पंक्ति के माध्यम से क्या कहना चाहते है?
उत्तर: उन्मादों का अवसाद लिए फिरता हूं' कवि हरिवंश राय बच्चन जी इस पंक्ति के माध्यम से यह कहना चाहते है कि कवि के मन में अत्यधिक प्रेम की भावना है। यौवनावस्था ने उन्हें प्रेम का दीवाना बना दिया है, प्रेम के पागलपन से भर दिया है। लेकिन कवि की प्रिये उनसे बिछड़ गयी है जिससे उनके मन में निराशा भर गया है, उनका मन उदासी से भर गया है। अतः वह अपने प्रेम के पागलपन रूपी उन्माद में उदासी, निराशा रूपी अवसाद लेकर जीवन व्यतीत कर रहा है।
प्रश्न 11:"दिन जल्दी-जल्दी ढलता है" गीत में कभी हरिवंश राय बच्चन क्या कहना चाहते हैं?
या
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है गीत में कवि हरिवंश राय बच्चन जी के शिथिलता का कारण क्या है?
Ans: दिन जल्दी-जल्दी ढलता है गीत में कभी हरिवंश राय बच्चन जी कहता है कि लक्ष्य का स्मरण तथा प्रेम पथिक व चिड़ियों के पंखों में स्फूर्ति भरता है। जब रास्ते में चलते-चलते पथिक थक जाता है तब रात होने का भय तथा यह स्मरण कि उनके परिवार वाले उनका इंतजार कर रहे होंगे, उसके पैरों में स्फूर्ति भर देता है और वह जल्दी-जल्दी अपना कदम आगे बढ़ता है। ठीक इसी प्रकार जब चिड़िया भोजन की तलाश करते-करते थक जाती है, तब यह सोचकर कि उनके बच्चे इस आशा से नीड़ों (घोंसलों) से झाक रहे होंगे कि शाम होते ही उनकी मां उनके लिए भोजन लेकर आएंगे तथा उन्हें ममता का मधुर स्पर्श प्रदान करेंगी, उनके पंखों में जान आ जाती है और वह तेजी से अपने घोसलों की ओर बढ़ती है। किंतु कवि का इंतजार करने वाला कोई नहीं है। अतः उनके मन में चंचलता ही उत्पन्न नहीं होती और उसका पैर रास्ते में ही रुक जाता है। इस प्रकार पथिक और चिड़ियों की गति में तीव्रता का कारण उनके अपनों के इंतजार व प्रेम है। कवि की गति में शिथिलता का कारण उनके प्रिये से वियोग है।