Q.1 विद्युत अपघट्य किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार का होता है?उदाहरण दीजिए।
Ans: वे पदार्थ जो जल में घोलने पर आयनों में वियोजित या विघटित हो जाते हैं, उसे विद्युत अपघट्य कहते हैं।
विद्युत अपघट्य दो प्रकार के होते हैं -
1 प्रबल विद्युत अपघट्य वे पदार्थ जो जल में घोलने पर पूर्ण रूप से आयनों में वियोजित या विघटित हो जाते हैं, उसे प्रबल विद्युत अपघट्य कहते हैं।
उदाहरण NaCl, KCl, HCl
2 दुर्बल विद्युत अपघट्य वे पदार्थ जो जल में घोलने पर आंशिक रूप से आयनों में वियोजित या विघटित हो जाते हैं, उसे दुर्बल विद्युत अपघट्य कहते हैं।
उदाहरण NH4Cl, NH4OH, CH3COOH
Q.2 लवण सेतु किसे कहते हैं? यह कैसे बनाया जाता है? इसके कार्य लिखिए।
Ans: KCl, KNO3, जल तथा एगर-एगर जेली से भरी U आकार की नली को लवण सेतु कहते हैं।
निर्माण : KCl, KNO3, जल तथा एगर-एगर विलयन को गर्म करने के बाद U आकर की नली में भर दिया जाता है तथा यह ठंडा होने के बाद जेली के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
कार्य :
लवण सेतु विद्युत रासायनिक सेल में आयनों का स्थानांतरण कराता है।
लवण सेतु के कारण विद्युत रासायनिक सेल में दो विलियन आपस में नहीं मिलते हैं।
यह आंतरिक सेल परिपथ को पूर्ण करता है।
लवण सेतु दोनों अर्ध्दसेलों में विद्युत अपघट्य की विद्युत उदासीनता को बनाए रखना है।
Q.3 जिंक / जस्ता के छड़ को के विलियन में डालने पर विलयन का नीला रंग लुप्त हो जाता है क्यों?
Ans: विद्युत रासायनिक श्रेणी में जिंक, कॉपर से पहले (ऊपर) आता है अर्थात् जिंक की क्रियाशीलता कॉपर से अधिक होती है। इसलिए जिंक कॉपर +2 आयन को आसानी से इलेक्ट्रॉन दे देता है जिसके फलस्वरुप विलयन में कॉपर +2 आयनों की सांद्रता कम हो जाती है तथा विलयन का नीला रंग धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है।
Zn + CuSO4 (नीला रंग) → ZnSO4 (रंगहीन) + Cu
कॉपर सल्फेट विलयन में जस्ता (जिंक) मिलाने पर कॉपर धातु मुक्त होता है अतः इसे विस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।
Q.4 जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट में डुबाया जाता है तो विलयन का रंग क्यों बदल जाता है?
Ans: विद्युत रासायनिक श्रेणी में आयरन, कॉपर से पहले (ऊपर) आता है अर्थात् आयरन, कॉपर से अधिक क्रियाशील होता है। इसलिए आयरन, कॉपर +2 आयन को आसानी से इलेक्ट्रॉन दे देता है। जिसके कारण विलयन में कॉपर की सांद्रता कम हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप विलयन का नीला रंग बदलकर हरा हो जाता है।
Fe + CuSO4 (नीला) → FeSO4 (हरा) + Cu
जिंक तथा आयरन, कॉपर सल्फेट में कॉपर को विस्थापित कर सकते हैं, परंतु प्लैटिनम और सिल्वर नहीं करते। कारण स्पष्ट करें।
Q.5 जिंक, कॉपर सल्फेट विलयन से कॉपर को विस्थापित कर सकता है जबकि सोना या सिल्वर नहीं। क्यों?
Ans: अधिक क्रियाशील धातुएं कम क्रियाशील धातुओं को उसके विलयन से विस्थापित कर देती है। विद्युत रासायनिक श्रेणी में जिंक एवं आयरन कॉपर से पहले (ऊपर) आते हैं अर्थात् इनकी क्रियाशीलता कॉपर धातु से ज्यादा होती है इसलिए जिंक एवं आयरन कॉपर+2 को इलेक्ट्रॉन आसानी से दे देता है। जिसके फल स्वरुप विलियन में कॉपर+2 आयनों की सांद्रता कम हो जाती है। परंतु प्लैटिनम एवं सिल्वर विद्युत रासायनिक श्रेणी में कॉपर से नीचे आते है अर्थात् कॉपर की क्रियाशीलता इनसे अधिक होती है इसलिए यह कॉपर को उसके विलयन से विस्थापित नहीं कर पाते हैं।
Zn + CuSO4 (नीला) → ZnSO4 (रंगहीन) + Cu
Fe + CuSO4 (नीला) → FeSO4 (हरा) + Cu
Q.6 कोलराउस के नियम की सहायता से आप एसिटिक अम्ल की अनंत तनुता पर मोलर चालकता किस प्रकार ज्ञात करेंगे?
Ans: कोलराउस के नियम : किसी विद्युत अपघट्य की अनंत तनुता पर मोलर चालकता उसके दो मानों का योग होता है जिसमें एक मान धनायन तथा एक मान ऋणायन पर निर्भर करता है। जैसे एसिटिक एसिड (CH3COOH) के लिए अनंत तनुता पर मोलर चालकता का मान निम्न प्रकार से ज्ञात किया जा सकता है -
कोलराउस के नियमानुसार,
^m infinite (CH3COOH) = ^infinite(H+) + ^infinite(CH3COO-)
यदि H+ आयन तथा CH3COO- अयान के लिए अनंत तनुता पर मोलर चालकताओं के मान ज्ञात है तो उपयुक्त समीकरण की सहायता से एसिटिक अम्ल के लिए अनंत तनुता पर मोलर चालकता का मान आसानी से ज्ञात किया जा सकता है।
Q.7 विद्युत रासायनिक सेल किसे कहते हैं? वोल्टीय/ गैल्वेनिक सेल को सचित्र समझाइए।
Ans: विद्युत रासायनिक सेल : ऐसे सेल जिसमें रासायनिक अभिक्रिया द्वारा विद्युत ऊर्जा का निर्माण किया जाता है, विद्युत रासायनिक सेल कहलाता है।
उदाहरण : वोल्टीय सेल या गैल्वेनिक सेल, डेनियल सेल।
क्रियाविधि
अभिक्रिया
चित्र
Q.8 विद्युत अपघटनी सेल किसे कहते हैं? इसका सचित्र वर्णन कीजिए।
Ans: क्रियाविधि
अभिक्रिया
चित्र
Q.9 विद्युत रासायनिक श्रेणी किसे कहते हैं? इसकी विशेषताएं एवं अनुप्रयोग लिखिए।
Ans: विभिन्न तत्वों को उनके मानक अपचयन विभव / मानक इलेक्ट्रोड विभव के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने पर जो श्रेणी प्राप्त होती है उसे विद्युत रासायनिक श्रेणी कहते हैं।
विशेषताएं निम्नलिखित है -
श्रेणी में ऊपर से नीचे जाने पर अपचायक गुण घटता है और ऑक्सीकरण गुण बढ़ता है।
श्रेणी में ऊपर से नीचे जाने पर धातुओं की क्रियाशीलता घटती है एवं अधातुओं की क्रियाशीलता बढ़ती है।
श्रेणी में जो धातु पहले आता है वह अपने से बाद में आने वाले धातुओं को उनके विलयन से विस्थापित कर देता है।
हाइड्रोजन से पहले (ऊपर) आने वाले तत्व अम्ल से क्रिया कर H2 gas मुक्त करते हैं।
Zn + H2SO4 → ZnSO4 + H2 (gas)
अनुप्रयोग
एनोड एवं कैथोड का अनुमान लगाना
एनोड - जिसका अपचयन विभव कम होता है।
कैथोड - जिसका अपचयन विभव अधिक होता है।
विद्युत रासायनिक सेल का सेल विभव ज्ञात करना
E°cell = E°cathode - E°anod
E°cell विद्युत = रासायनिक सेल का सेल विभव
E°cathode = कैथोड का सेल विभव
E°anod = एनोड का सेल विभव
तत्वों की क्रियाशीलता
ऊपर से नीचे जाने पर धातुओं की क्रियाशीलता घटती है तथा अधातुओं की क्रियाशीलता बढ़ती है।
ऑक्सीकारक गुण एवं अपचायक गुण
ऑक्सीकारक गुण ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों का ऑक्सीकारक गुण बढ़ता है।
अपचायक गुण ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों का अपचायक गुण घटती है।
Q.10 नर्नस्ट समीकरण क्या है? लिखिए एवं नर्नस्ट समीकरण की व्युत्पत्ति कीजिए।
Ans: नर्नस्ट समीकरण : विद्युत वाहक बल एवं आयनों की सांद्रता में संबंध को जिस समीकरण से व्यक्त किया जाता है उसे नर्नस्ट समीकरण कहते हैं।
M → M^n+ + ne-
E = E°cell - RT/nF loge [M]/[M^n+] ---------(1)
शुद्ध धातु की मोलर सांद्रता [M] = 1 हो, तो
E = E°cell - RT/nF loge 1/[M^n+] ----------(2)
जहां
E°cell = मानक इलेक्ट्रोड विभव
R = सार्वत्रिक गैस नियतांक (8.314 J/K mol)
T = परम ताप (298K)
n = संतुलित समीकरण में इलेक्ट्रॉनों की संख्या
F = फैराडे स्थिरांक (96500)
समी 2 में मान रखने पर,
E = E°cell - 2.303 RT/nF log10 1/[M^n+]
E = E°cell - 2.303 × 8.314 × 298/n × 96500 log10 1/[M^n+]
E = E°cell - 0.0591/n log10 1/[M^n+]
E = E°cell + 0.0591/n log10 [M^n+]
Q.11 फैराडे के वैद्युत अपघटन का प्रथम एवं द्वितीय नियम लिखिए।
Ans:
a) फैराडे के वैद्युत अपघटन का प्रथम नियम : किसी वैद्युत अपघटनी सेल में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर इलेक्ट्रोड पर मुक्त होने वाले पदार्थ का द्रव्यमान उसमें प्रवाहित विद्युत आवेश के समानुपाती होता है।
W ∝ Q
W = ZQ
W = ZIt
W = E/F It
जहां
Z विद्युत रासायनिक तुल्यांक
E तुल्यांकी भार
F फैराडे स्थिरांक
b) फैराडे के वैद्युत अपघटन का द्वितीय नियम : जब दो या दो से अधिक वैद्युत अपघटनी सेल श्रेणी क्रम में जुड़े होते हैं तब उसमें विद्युत की मात्रा प्रवाहित करने पर इलेक्ट्रोडों पर मुक्त होने वाले पदार्थों का द्रव्यमान तुल्यांकी भारों के समानुपाती होता है।
W ∝ E
W = KE
W1 = KE1
W1/E1 = K
W2 = KE2 W2/E2 = K
W1/E1 = W2/E2
Q.12 चालक एवं विद्युत अपघटनी चालक में अंतर लिखिए।
Q.13 प्राथमिक सेल एवं द्वितीयक सेल में अंतर लिखिए।