Q.1 ओजोन परत की मोटाई किस्म मापी जाती है?
Ans: डॉबसन इकाई
Q.2 सुरक्षा छतरी किसे कहते हैं?
Ans: ओजोन परत
Q.3 ओजोन परत सबसे ज्यादा कहां पाया जाता है?
Ans: समताप मंडल
Q.4 ओजोन परत का क्या कार्य है?
Ans: पृथ्वी पर U.V. rays के प्रवेश को रोकना।
Q.5 DDT का पूरा नाम लिखिए।
Ans: डाईक्लोरो डाईफेनिल ट्राईक्लोरो एथेन
Q.6 BOD का पूरा नाम लिखिए।
Ans: बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड
Q.7 CFC का पूरा नाम लिखिए।
Ans: क्लोरो फ्लोरो कार्बन
Q.8 PAN का पूरा नाम लिखिए।
Ans: पेरॉक्सी एसिटाइल नाइट्रेट
Q.9 CNG का पूरा नाम लिखिए।
Ans: कंप्रेस्ड नेचुरल गैस।
Q.10 मनुष्य की श्रवण क्षमता कितनी होती है?
Ans: 60 डेसीबल
Q.11 वायु प्रदूषण क्या है? वायु प्रदूषक के नाम लिखिए तथा इसके प्रभाव व रोकथाम के उपाय बताइए।
Ans: वायु प्रदूषण : वायु में हानिकारक गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, धूल आदि की अधिकता से वायु प्रदूषण होता है।
वायु प्रदूषक
कार्बन मोनोऑक्साइड इसके कारण वायु में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
सल्फर डाइऑक्साइड इसके कारण पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगती है तथा जंतुओं में त्वचा संबंधी रोग उत्पन्न होते हैं।
हाइड्रोकार्बन किसके कारण पौधे की पत्तियां पीली होने लगती है तथा जंतुओं में कैंसर उत्पन्न होता है।
हाइड्रोजन सल्फाइड इसके कारण पौधों में पतझड़ हो जाता है तथा जंतुओं के आंखों में जलन होता है।
वायु प्रदूषण के प्रभाव
जंतुओं पर
त्वचा संबंधी रोग उत्पन्न होते हैं।
हाइड्रोकार्बन की अधिकता के कारण कैंसर उत्पन्न होता है।
अस्थमा ब्रोंकाइटिस जैसे रोग उत्पन्न होते हैं।
शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है जिसके कारण कमजोरी महसूस होता है।
पौधों पर
पौधों की पत्तियां पीली पड़ने लगती है।
पतझड़ हो जाता है।
क्लोरोफिल की मात्रा कम हो जाती है तथा पत्तियां गिरने लगती है।
वायु प्रदूषण के रोकथाम के उपाय
कारखानों की चिमनियों को ऊपर करना चाहिए।
कारखानों की स्थापना आबादी वाले क्षेत्र से दूर करना चाहिए।
वृक्षों की कटाई पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
शहरों में बगीचों का विकास करना चाहिए।
ऐसे बानो का प्रयोग करना चाहिए जिसमें धुआं उत्पन्न नहीं होता है।
Q.12 जल प्रदूषण क्या है? जल प्रदूषण के कारणों के नाम लिखिए तथा इसके प्रभाव व रोकथाम के उपाय बताइए।
Ans: जल प्रदूषण : जल में अवांछनीय पदार्थ का मिल जाना जिससे जल का अनुपयोगी होना जल प्रदूषण कहलाता है।
कारण : कारखानों के अपशिष्ट तालाबों, नदी आदि में मिला दिए जाते हैं जिसके कारण उसका जल प्रदूषित हो जाता है। पशुओं को तालाब में धोने से भी जल प्रदूषण होता है।
जल प्रदूषण के प्रभाव
जलीय जंतुओं पर प्रभाव
ऑक्सीजन की कमी होने लगती है।
जल में काई जमा हो जाता है जिसके कारण प्रकाश की कमी होने लगती है।
स्वच्छ जल में रहने वाले जंतु नष्ट हो जाते हैं।
जलीय जंतुओं में बीमारियां फैलने लगती है।
जंतुओं की संख्या घटने लगती है।
जलीय पौधों पर प्रभाव
जल में काई जमा हो जाता है जिसके कारण प्रकाश की कमी होने से प्रकाश संश्लेषण कम हो जाता है।
पौधों में बीमारियां फैलने लगता है।
सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ने लगती है, जो रोग कारक होते हैं।
ऑक्सीजन की कमी होने लगती है।
थल के जीव पर प्रभाव
बीमारियां बढ़ने लगती है।
जल के अनुपयोगी होने से पीने हेतु जल नहीं मिलना मुश्किल हो जाता है।
जलीय जीव पर आश्रित जीव समाप्त होने लगते हैं।
रोकथाम के उपाय
नदी में प्लास्टिक न डालें।
तालाबों, नदियों, झीलों में स्नान नहीं करना चाहिए।
तालाबों में रसायन का उपयोग नहीं करना चाहिए।
कारखाने के गंदे जल को नदी, तालाबों में नहीं डालना चाहिए। उसका शोधन करना चाहिए।
सीवेज को सीवेज उपचार के बाद ही नदियों में डालना चाहिए।
Q.13 ध्वनि प्रदूषण क्या है? ध्वनि प्रदूषण के कारणों के नाम लिखिए तथा इसके प्रभाव व रोकथाम के उपाय बताइए।
Ans: ध्वनि प्रदूषण : वातावरण में अत्यधिक शोरगुल होना ध्वनि प्रदूषण कहलाता है।
कारण : स्थानांतरण, गाड़ियों की आवाज, मशीन, लाउडस्पीकर्स के उपयोग से ध्वनि प्रदूषण होता है।
प्रभाव
वायुमंडल शोरगुल होता है।
सुनने की क्षमता कम हो जाती है।
अनिद्रा, सिर दर्द, तनाव, क्रोध आता है।
एड्रिनल हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है।
हृदय की धड़कन, रक्त दाब बढ़ जाता है।
रोकथाम के उपाय
लाउडस्पीकर का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
वृक्षारोपण करना चाहिए।
अनावश्यक शोर उत्पन्न नहीं करना चाहिए।
इससे संबंधित नियम बनाने चाहिए।
ध्वनि अवशोषकों का उपयोग करना चाहिए।
Q.14 मृदा प्रदूषण क्या है? मृदा प्रदूषण के कारणों के नाम लिखिए तथा इसके प्रभाव व रोकथाम के उपाय बताइए।
Ans: मृदा प्रदूषण : विभिन्न रसायनों तथा मृदा अपरदन इत्यादि के कारण मृदा के गुणों में जो अवांछनीय परिवर्तन आता है, उसे मृदा प्रदूषण कहते हैं।
कारण :
प्लास्टिक प्लास्टिक मृदा में अघटित नहीं होते हैं।
अपशिष्ट विभिन्न कचरों के कारण भी मृदा प्रदूषण होती है।
वृक्षों की कटाई वृक्षों की कटाई के कारण मृदा अपरदन बढ़ जाता है, साथ ही मृदा में पोषक तत्वों की कमी होने लगती है।
मृदा अपरदन यह भी मृदा प्रदूषण का कारण है।
रसायनों का प्रयोग फसलों की उपज बढ़ाने के लिए खेतों में विभिन्न प्रकार के रसायनों का प्रयोग किया जाता है, जिसके कारण मृदा की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है।
अम्ल वर्षा आदि।
प्रभाव
फसल के उत्पादन में कमी।
मृदा की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है।
शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारी उत्पन्न होती है।
रोकथाम के उपाय
जैव कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए।
जैव उर्वरक जैसे गोबर के खाद का उपयोग करना चाहिए।
वृक्षारोपण करना चाहिए जिससे मृदा अपरदन को रोका जा सके।
प्लास्टिक को मिट्टी में नहीं मिलना चाहिए।
Q.15 ग्रीन हाऊस प्रभाव क्या है? इसके कारण, प्रभाव एवं नियंत्रण के उपाय लिखिए।
Ans: ग्रीन हाऊस प्रभाव : वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, मेथेन जैसे गैसों की मात्रा अधिक हो जाने पर पृथ्वी से निकलने वाले विकिरण वायुमंडल से बाहर नहीं जा पाता जिसके कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ने लगता है, इसे ग्रीनहाउस प्रभाव कहते हैं।
कारण : कार्बन डाइऑक्साइड, मेथेन, क्लोरोफ्लोरोकार्बन, हाइड्रोजन सल्फाइड जैसे गैसों की मात्रा वायुमंडल में अधिक हो जाने के कारण ग्रीन हाऊस प्रभाव उत्पन्न होता है।
प्रभाव :
ग्लोबल वार्मिंग बढ़ता है।
तापमान में वृद्धि होने के कारण जीव नष्ट होने लगते है।
वर्षा, मानसून प्रभावित होता है।
इससे वायु प्रदूषण बढ़ता है।
रोकथाम के उपाय
वृक्षारोपण करना चाहिए।
सौर ऊर्जा (जैविक ऊर्जा) का उपयोग ऊर्जा स्रोत के रूप में करना चाहिए।
जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम करना चाहिए।
वनों की कटाई पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
Q.16 ग्लोबल वार्मिंग क्या है? इसके कारण, प्रभाव एवं नियंत्रण के उपाय लिखिए।
Ans: ग्लोबल वार्मिंग : पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होना ग्लोबल वार्मिंग कहलाता है।
कारण : कार्बन डाइऑक्साइड, मेथेन, क्लोरोफ्लोरोकार्बन, हाइड्रोजन सल्फाइड जैसे गैसों की मात्रा वायुमंडल में अधिक हो जाने के कारण तथा कोयला पेट्रोलियम के दहन से उत्पन्न कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे गैसों के कारण ग्लोबल वार्मिंग होता है।
प्रभाव :
तापमान में वृद्धि होने के कारण जीव नष्ट होने लगते है।
वर्षा, मानसून प्रभावित होता है।
इससे वायु प्रदूषण बढ़ता है।
ध्रुवों पर जमा बर्फ पिघलने लगेगा जिससे समुद्र के जल के स्तर में वृद्धि होगी।
रोकथाम के उपाय
वृक्षारोपण करना चाहिए।
सौर ऊर्जा (जैविक ऊर्जा) का उपयोग ऊर्जा स्रोत के रूप में करना चाहिए।
जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम करना चाहिए।
वनों की कटाई पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
रासायनिक खाद का प्रयोग काम करना चाहिए।