Q.1 अशुद्धता दोष किसे कहते हैं? इसके विभिन्न प्रकार को लिखिए।
Ans: अशुद्धता दोष : किसी क्रिस्टल में अशुद्धि मिलाने पर जो दोष उत्पन्न होता है उसे अशुद्धता दोष कहते हैं।
अशुद्धता दोष के प्रकार -
उदासीन बिंदु अशुद्धता दोष : किसी सहसंयोजक क्रिस्टल में अल्प मात्रा में उदासीन परमाणु की अशुद्धि मिलाने पर जो दोष उत्पन्न होता है, उसे उदासीन बिंदु (परमाणु) अशुद्धता दोष कहते हैं। इस प्रकार अशुद्धि मिलाने की क्रिया को डोपिंग कहते हैं।
इससे अर्ध्दचालक का निर्माण होता है। यह दो प्रकार के होते है
1) N टाइप अर्धचालक
2) P टाइप अर्धचालक
1) N टाइप अर्धचालक : जब 14 ग्रुप के तत्व (Si, Ge) के क्रिस्टल में अल्प मात्रा में 15 ग्रुप के तत्व (P, As, Sb) मिलाकर दोष उत्पन्न किया जाता है तो इससे N टाइप अर्धचालक बनता हैं।
2) P टाइप अर्धचालक : जब 14 ग्रुप के तत्वों (Si, Ge) के क्रिस्टल में 13 वर्ग के तत्व (Al, Ga) मिलाकर दोष उत्पन्न किया जाता है तो इससे P टाइप अर्धचालक बनता है।
Q.2 अंतर काशी रिक्तियां किसे कहते हैं विभिन्न प्रकार को लिखिए।
Ans: अंतराकाशी रिक्तियां : किसी क्रिस्टल में उनके संघटक कणों द्वारा घेरे गए स्थान के मध्य कुछ रिक्त स्थान बच जाते हैं, जिसे अंतराकाशी रिक्तियां कहते हैं।
यह निम्नलिखित तीन प्रकार का होता है -
1) त्रिकोणीय रिक्तियां : जब एक ही तल में उपस्थित तीन संघटक कण आपस में जुड़े होते हैं, तो उनके मध्य में रिक्त स्थान बच जाता है, जिसे त्रिकोणीय रिक्तियां कहते हैं।
रिक्ति तथा गोले की त्रिज्या अनुपात 0.155 - 0.225
2) चतुष्फलकीय रिक्तियां : यह रिक्ति चार सामान गोलों से निर्मित होती है। तीन गोले एक ही तल में एक दूसरे को स्पर्श करते हैं। चौथा गोला इनके द्वारा निर्मित रिक्ति के ऊपर या नीचे रखा जाता है। चार गोलों के केंद्र को मिलने पर चतुष्फलक बनता है इनके मध्य की रिक्ति को चतुष्फलकीय रिक्ति कहते हैं।
रिक्ति तथा गोले की त्रिज्या अनुपात 0.225
चतुष्फलकीय रिक्तियों की संख्या 2N (N-निबिड़ संकुल गोलों की संख्या)
3) अष्टफलकीय रिक्ति :
यह रिक्ति छः सामान गोलों से निर्मित होती है। इसमें से चार गोले एक ही तल में एक दूसरे को स्पर्श करते हुए इस प्रकार रखे जाते हैं कि उनके केंद्र एक वर्ग के चारों कोनों पर पड़ते हैं। शेष दो गोले इन चार गोलों द्वारा निर्मित रिक्ति के ऊपर एवं नीचे रखे जाते हैं तथा इस प्रकार इन गोलों के मध्य में बनने वाली रिक्ति अष्टफलकीय रिक्ति कहलाती है।
रिक्ति व गोले की त्रिज्या अनुपात 0.414
अष्टफलकीय रिक्तियों की संख्या N (परमाणु की संख्या)
Q.3 शाॅटकी दोष किसे कहते हैं? इसके प्रभाव उदाहरण संरचना लिखिए।
Ans: शाॅटकी दोष : वह आयनिक क्रिस्टल जिसके धनायन एवं ऋण आयन समान अनुपात में कम हो जाते हैं तो इससे उत्पन्न दोष को शाॅटकी दोष कहते हैं।
प्रभाव : शाॅटकी दोष से आयनिक क्रिस्टल का घनत्व कम हो जाता है।
Ex. AgBr, NaCl, KCl
Q.4 फ्रेंकल दोष किसे कहते हैं? इसके प्रभाव उदाहरण संरचना लिखिए।
Ans: फ्रेंकल दोष : वह आयनिक क्रिस्टल जिसके धनायन अपने मूल स्थान को छोड़कर अंतराकाशी स्थान पर चला जाता है तो इससे उत्पन्न दोष को फ्रेंकल दोष कहते हैं।
प्रभाव : फ्रेंकल त्रुटि के कारण आयनिक क्रिस्टल के घनत्व में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
Ex. AgBr, ZnS, AgI, AgCl
Q.5 बल के आधार पर ठोसों का वर्गीकरण कीजिए।
Q.6 क्रिस्टलीय ठोस एवं अक्रिस्टलीय ठोस के मध्य अंतर लिखिए।
Q.7 शाॅटकी दोष एवं फ्रेंकल दोष में अंतर लिखिए।