परीक्षा की तैयारी
प्रारूप -
प्रस्तावना
अर्थ और अभिप्राय
परीक्षा का महत्व
परीक्षा की तैयारी कैसे?
परीक्षा के कुछ नकारात्मक प्रभाव
निष्कर्ष
1 प्रस्तावना : विद्यार्थी जीवन में परीक्षा का बहुत महत्व है। जिस प्रकार सोना चांदी या घी के शुद्धता की पहचान उसके परीक्षण से किया जाता है। ठीक उसी प्रकार विद्यार्थी को भी अपने ज्ञान, कौशल के परीक्षण हेतु परीक्षा देनी पड़ती है। परीक्षाएं अनेक स्तरों पर होती है जैसे प्राथमिक स्तर, माध्यमिक स्तर, उच्च स्तर और उच्चतर स्तर आदि।
2 अर्थ और अभिप्राय : परीक्षा दो शब्दों से मिलकर बना है:- पर + इच्छा अर्थात् जो दूसरों की इच्छा पर निर्भर होता है उसे परीक्षा कहते हैं।
3 परीक्षा का महत्व : परीक्षा का बड़ा ही महत्व है। वर्तमान समय में जीवन के हर क्षेत्र में सफलता हेतु परीक्षा देना आवश्यक हो गया है। परीक्षा आवश्यक भी है क्योंकि इसके द्वारा ही किसी व्यक्ति के गुण, उसके द्वारा किए गए अभ्यास आदि की पहचान होती है।
4 परीक्षा की तैयारी कैसे? : परीक्षा की तैयारी हेतु इन बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए -
विद्यार्थी को सर्वप्रथम अपना पाठ्यक्रम पूरा करना चाहिए।
विद्यार्थी को निरंतर विद्यालय जाना चाहिए तथा विद्यालय में पढ़ाए गए विषयों का घर पर पुनः रिवीजन करना चाहिए।
विद्यार्थी को समय-समय पर रिवीजन करते रहना चाहिए क्योंकि रिवीजन किए बिना हम किसी भी तथ्य को अधिक समय तक याद नहीं रख सकते।
विद्यार्थी को व्यायाम अवश्य करना चाहिए जिससे उसका आलस्य दूर हो सके।
परीक्षा से पूर्व ही विद्यार्थियों को स्वयं परीक्षाएं देनी चाहिए ताकि मैं परीक्षा के पैटर्न को समझ सके।
5 परीक्षा के कुछ नकारात्मक प्रभाव : परीक्षा के इतने सकारात्मक प्रभावों एवं लाभों के बावजूद इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी है। वर्तमान समय में परीक्षार्थियों की संख्या इतनी ज्यादा है कि उन सभी का परीक्षा में सफल हो पाना मुश्किल है क्योंकि उस क्षेत्र में सीटें बहुत कम है। इसके कारण अनेक विद्यार्थी परीक्षा में असफल होने पर तनाव में चले जाते हैं तथा कई विद्यार्थी आत्महत्या भी कर लेते हैं। जैसे कि प्रत्येक वर्ष NEET तथा JEE की परीक्षा देने वाले विद्यार्थी जो असफल हो जाते हैं, वे आत्महत्या कर लेते हैं।
6 निष्कर्ष : परीक्षा एक कला के समान है। जब विद्यार्थी शुरुआत से ही पढ़ाई करने में लग जाता है, तब वह अवश्य सफल होता है। उसके लिए परीक्षा एक खेल के समान होती है। परीक्षा से डर उन विद्यार्थियों को लगता है, जो पढ़ाई में अपना ध्यान नहीं लगाते हैं।