बच्चों पर पढ़ाई बन रहा बोझ
या
गुम होता बचपन
आज नन्हें मुन्ने बच्चे आपको रास्ते पर अपनी पीठ पर बड़ा सा बस्तर टांगें हुए दिख जाएंगे। आज पढ़ाई इन नन्हें बच्चों पर बोझ बनता हुआ प्रतीत हो रहा है। नन्हा सा बच्चा अपनी पीठ पर बड़ा सा बस्ता लेकर, आंखों में चश्मा लगाकर, घर से स्कूल, स्कूल से ट्यूशन, ट्यूशन से फिर घर तथा घर में होमवर्क का तनाव तथा माता-पिता की डांट का डर। आज नन्हें बच्चे जो खेलकूद करते, मौज मस्ती करते वे सारा दिन पढ़ाई करते ही नजर आते हैं। माता-पिता अपने बच्चों को सुलाते भी इसलिए है कि वह सुबह उठकर फिर पढ़ाई कर सके। क्या ऐसे में उन बच्चों का पूर्ण रूप से विकास हो सकता है? क्या पढ़ाई का तनाव इस उम्र में आवश्यक है? क्यों उन नन्हें बच्चों के माता-पिता ही उन्हें उनके बचपन से दूर कर रहे हैं?