Q.1 मानव में किस प्रकार का जनन पाया जाता है ?
Ans: लैंगिक जनन
Q.2 मानव में कौन सा जनन चक्र पाया जाता है?
Ans: मेंस्ट्रूअल चक्र (मादा)
Q.3 शुक्राणु के निर्माण की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
Ans: शुक्राणु जनन
Q.4 अंडाणु के निर्माण की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
Ans: अंडाणु जनन
Q.5 शुक्राणु जनन में एक प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट से कितने शुक्राणु बनते हैं?
Ans: चार
Q.6 शुक्राणु के निर्माण में कितने दिन लगते हैं?
Ans: 72 से 74
Q.7 अंडाणु जनन में एक प्राथमिक ऊसाइट से कितने अंडाणु बनते हैं?
Ans: एक
Q.8 शुक्राणु को पोषण प्रदान करने वाली कोशिका कौन सी है?
Ans: सर्टोली कोशिका
Q.9 निषेचन की प्रक्रिया कहां होती है?
Ans: अंडावाहिनी के एम्पुला () वाले भाग में
Q.10 मनुष्य में किस प्रकार का निषेचन पाया जाता है?
Ans: आंतरिक निषेचन
Q.11 कौन स्पर्म को ऊर्जा प्रदान करने का कार्य करता है?
Ans: माइटोकांड्रिया
Q.12 कौन स्पर्म (शुक्राणु) को गति प्रदान करने में सहायता करता है?
Ans: पूंछ (tail)
Q.13 शुक्राणु स्पर्म का एक्रोसोम किसका बना होता है?
Ans: गाॅल्जीबॉडी
Q.14 मादा मानव में कौन सी संरचना न के शिश्न () के समजात है?
Ans: क्लाइटोरिस
Q.15 शुक्राणु निर्माण के लिए वृषण कोष में आवश्यक तापमान कितना होना चाहिए?
Ans: शरीर के तापमान से 2 - 2.5 डिग्री सेल्सियस
Q.16 स्तनधारी में वृषण वृषण कोष में आ जाता है क्यों?
Ans: शुक्राणु जनन के लिए
Q.17 वृषण की लेडी कोशिका की भूमिका बताइए।
Ans: एंड्रोजन (टेस्टोस्टरॉन) हार्मोन का निर्माण व स्त्रवण
Q.18 मनुष्य के शुक्रवाहक को काट दे तो क्या होगा?
Ans: वीर्य में शुक्राणु नहीं होंगे
Q.19 ग्राफियन फॉलिकल कहां पाई जाती है?
Ans: स्तनधारी के अंडाशय में
Q.20 मेंस्ट्रूअल चक्र के दौरान चक्रीय परिवर्तन कहा होते हैं?
Ans: गर्भाशय के एंडोमेट्रियम (अंतः गर्भाशय) में।
Q.21 स्त्रियों में किस हार्मोन के प्रयोग से मासिक स्त्राव को डाला जा सकता है?
Ans: एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्टेरॉन दोनों से
Q.22 स्त्री में मासिक धर्म कब रुक जाता है?
Ans: 45 से 50 वर्ष की आयु में।
Q.23 स्तनधारियों में प्रशव के पश्चात् एक सप्ताह तक स्त्रवण होने वाले दूग्ध को क्या कहते हैं?
Ans: कोलोस्ट्रम (colostrum)
Q.24 कोलोस्ट्रम में कौन सा एंटीबॉडी पाया जाता है?
Ans: IgA
सही या गलत बताइए।
Q.25 एंड्रोजन हार्मोन का उत्पादन सर्टोली कोशिका द्वारा होता है?
Ans: गलत
कारण : एंड्रोजन हार्मोन का उत्पादन अंतराली () कोशिका द्वारा होता है।
Q.26 शुक्राणु को सर्टोली कोशिका से पोषण प्राप्त होता है।
Ans: सही
कारण : शुक्राणु जनन के पश्चात शुक्राणु पोषण प्राप्त करने के लिए सर्टोली कोशिका में धंस जाते हैं।
Q.27 लीडिग कोशिकाएं अंडाशय में पाई जाती है।
Ans: गलत
लीडिग कोशिकाएं वृषण के अंतराली अवकाश में पाई जाती है।
Q.28 लीडिग कोशिकाएं एंड्रोजन को संश्लेषित करती है।
Ans: सही
कारण : लीडिग कोशिकाएं एंड्रोजन हार्मोन का संश्लेषण एवं श्रवण करती है जो एक नर हार्मोन है।
Q.29 अण्डजनन पीत पिंड (कॉर्पस लुटियम) में संपन्न होता है।
Ans: गलत
कारण : अण्डजनन, अण्डाशय में संपन्न होता है।
Q.30 सगर्भता के दौरान आर्तव चक्र बंद होता है।
Ans: सही
कारण : सगर्भता के दौरान प्रोजेस्टेरोन हार्मोन अधिक मात्रा में पाया जाता है।
Q.31 हाइमेन की उपस्थिति या अनुपस्थित कौमार्य या यौन अनुभव का विश्वसनीय संकेत नहीं है।
Ans: सही
कारण : हाइमेन (hymen) घुड़सवारी करने या साइकिल चलाने पर नष्ट हो जाता हैं।
Q.32 हमारे समाज में पुत्री को जन्म देने का दोष महिलाओं को दिया जाता है। बताइए यह क्यों सही नहीं है?
Ans: स्त्री में XX क्रोमोसोम (गुणसूत्र) पाया जाता है तथा पुरुष में XY क्रोमोसोम पाए जाते हैं। जब स्त्री के X क्रोमोसोम के साथ पुरुष का Y क्रोमोसोम मिलता है तो पुत्र XY उत्पन्न होता है जबकि यदि स्त्री के X क्रोमोसोम के साथ पुरुष का X क्रोमोसोम मिलता है तो पुत्री XX उत्पन्न होती है। अतः स्पष्ट है कि लिंग का निर्धारण पुरुष के गुणसूत्र से होता है स्त्री के गुणसूत्र से नहीं। इन बातों के अनुसार पुत्री को जन्म देने का दोष महिलाओं को देना सर्वदा अनुचित है।
Q.33 स्पर्मेटोजेनेसिस एवं स्परमिएशन की परिभाषा लिखिए।
Ans: स्पर्मेटोजेनेसिस : वृषण के शुक्रजनक नलिका के स्पर्मेटोगोनिया से स्पर्म बनने की प्रक्रिया को स्पर्मेटोजेनेसिस कहते हैं। इस स्पर्मेटोगोनिया से अचल स्परमेटिड्स का निर्माण तीन अवस्थाओं में होता है जिसे क्रमशः गुणन प्रावस्था, वृद्धि प्रावस्था, परिपक्व प्रावस्था कहते हैं। अचल स्परमेटिड्स के चल स्पर्म में बदलने की प्रक्रिया को स्पर्मियोजेनेसिस कहते हैं।
स्पर्मिएशन : शुक्राणु जनन के बाद शुक्राणुओं का सिर सर्टोली कोशिका में धंस जाता है तथा उससे पोषण प्राप्त करने के बाद शुक्रजनक नलिकाओं से मुक्त हो जाते हैं, इस प्रक्रिया को वीर्यसेचन (स्पर्मिएशन) कहते हैं।
Q.34 वृषण तथा अंडाशय के बारे में प्रत्येक के दो दो कार्यों का वर्णन कीजिए।
Ans: वृषण के कार्य -
वृषण में उपस्थित शुक्रजनक नलिका की स्पर्मेटोगोनिया, स्पर्मेटोजेनेसिस द्वारा स्पर्म का निर्माण करती है।
वृषण के शुक्रजनक नलिका की सर्टोली कोशिका शुक्राणुओं को पोषण प्रदान करती है।
वृषण की अंतराली (लीडिक) कोशिका एंड्रोजन नामक हार्मोन का संश्लेषण व स्त्रवण करती है।
अंडाशय के कार्य
अंडाशय की जनन कोशिकाओं से अंडाणुजनन द्वारा अंडाणुओं का निर्माण होता है।
अंडाशय की ग्राफियन फॉलिकल से एस्ट्रोजन हार्मोन स्रावित होता है, जो अंडोत्सर्ग को प्रेरित करता है।
अंडाशय की ग्राफियन फॉलिकल के फटने से शेष बचे भाग से कॉर्पस लुटियम का निर्माण होता है, जिससे प्रोजेस्टेरोन हार्मोन स्रावित होता है, इसे गर्भावस्था हार्मोन भी कहते हैं।
Q.35 शुक्रीय प्रद्रव्य (सेमिनल प्लाज्मा) के प्रमुख घटक क्या है?
Ans: सेमिनल प्लाज्मा में मुख्यतः फ्रुक्टोस, कैल्शियम तथा एंजाइम पाए जाते हैं। शुक्राणु (स्पर्म) एवं सेमिनल प्लाज्मा मिलकर वीर्य बनाते हैं।
Q.36 गर्भावस्था के दौरान होने वाले परिवर्तनों को समझाइए।
Ans: गर्भावस्था के दौरान भ्रूण में निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं-
पहले महीने में भ्रूण का हृदय बनता है।
दूसरे महीने में हाथ पर उंगलियां बनती है।
तीसरे महीने में 12 सप्ताह अंग तंत्र बन जाता है पूरे शरीर का निर्माण हो जाता है।
चौथे महीने में कोई भी परिवर्तन नहीं होता।
पांचवे महीने में गर्भ पहली गतिशीलता होती है। सर पर बाल आने लगते हैं।
छठवें महीने में 24 सप्ताह के बाद शरीर पर छोटे-छोटे बाल आने लगते हैं। आंखों की पलकें बन जाती है। बरौनियां बनते है।
सातवें, आठवें महीने में शिशु का विकास होता है। इस दौरान कोई परिवर्तन नहीं होता।
नौवें महीने में गर्भ पूर्ण विकसित हो जाता है और प्रसव के लिए तैयार हो जाता है।
Q.37 पुरुष की सहायक नलियों तथा ग्रंथियों के कार्य क्या है?
Ans: पुरुष की सहायक नलिकाओं के प्रमुख कार्य निम्नलिखित है -
ये शुक्राणुओं का संग्रहण करते है।
ये वृषण से शुक्राणुओं को मूत्रमार्ग द्वारा बाहर लाती है।
नर हार्मोन उत्पन्न करते हैं।
सुखराज से सेमिनल प्लाज्मा में फ्रुक्टोज प्रदान करता है जो स्पर्म को ऊर्जा प्रदान करता है।
पुरस्थ ग्रंथि कैल्शियम प्रदान करता है जो सेमिनल प्लाज्मा का प्रमुख घटक है।
कॉऊपर्स ग्रंथि चिपचिपा द्रव स्रावित करता है जो वेजाइना को चिकना बनाता है।
Q.38 आर्तव चक्र क्या है? आर्तव चक्र का कौन से हार्मोन नियमन करते हैं?
Ans: आर्तव चक्र : मादा प्राईमेट्स मैमल्स जैसे मनुष्य कभी बंदर आदि में चलने वाले जनन चक्र को आर्तव चक्र या मासिक चक्र या ऋतुस्राव कहते हैं। आर्तव चक्र 28 या 29 दिन तक चलता है। आर्तव चक्र की शुरुआत 12 - 13 वर्ष की आयु से होती है, इसे रजोदर्शन कहते हैं तथा 45 से 50 वर्ष की आयु तक समाप्त हो जाती है, इसे राजोनिवृत्ति कहते हैं। यह चक्र अंडाशय में अंडाणु के निर्माण को दर्शाता है। इसके प्रारंभ होने के साथ ही मादा गर्भधारण के लिए सक्षम हो जाती है।
आर्तव चक्र का निम्नलिखित हार्मोन नियमन करते हैं -
प्रोजेस्टेरॉन, एस्ट्रोजन, FSH, LH.
Q.40 प्रसव क्या है? प्रसव को प्रेरित करने में कौन से हार्मोन शामिल होते हैं?
Ans: प्रसव : गर्भाशय से गर्भकाल पूरा होने पर पूर्ण विकसित शिशु का मादा के गर्भ से बाहर आना प्रसव कहलाता है। इस दौरान ऑक्सीटोसिन हार्मोन के कारण गर्भाशय का तीव्र संकुचन होता है, जिससे योनि का मार्ग फैल जाता है फलस्वरुप शिशु गर्भ से बाहर आ जाता है।
प्रसव को प्रेरित करने वाले हार्मोन निम्नलिखित है
ऑक्सीटोसिन, रिलैक्सिन, एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरॉन कॉर्टिसोल आदि।
Q.41 अण्डजनन क्या है? अण्डजनन की संक्षिप्त व्याख्या करें।
Ans: अण्डजनन : मादा के अंडाशय से अंडाणुओं के बनने की प्रक्रिया को अण्डजनन कहते हैं।
अण्डजनन निम्नलिखित चरणों में पूर्ण होता है
a) गुणन प्रावस्था : इसकी शुरुआत भ्रूणीय अवस्था से ही हो जाती है। इस अवस्था के दौरान ऊगोनिया समसूत्री विभाजन द्वारा कई मिलियन ऊगोनियम बनती है।
b) वृद्धि प्रावस्था : इस अवस्था में कोई एक ऊगोनियम वृद्धि करती है तथा इसे प्राथमिक ऊसाइट कहते हैं।
c) परिपक्व प्रावस्था : इसकी शुरुआत मादा के 12 -13 वर्ष की आयु से हो जाती है तथा 45 से 50 वर्ष तक चलती है। प्राथमिक ऊसाइट में अर्ध्दसूत्री विभाजन द्वारा द्वितीय ऊसाइट तथा प्राथमिक ध्रुवीय कोशिका बनती है। यह विभाजन अण्डोत्सर्ग से पहले होता है। अर्ध्दसूत्री विभाजन द्वितीय अण्डवाहिनी की तुंबिका (एम्पुला) में अंडोंत्सर्ग के बाद होता है, जिससे एक अगुणित अंडाणु व द्वितीयक ध्रुवीय कोशिका बनती है। ध्रुवीय कोशिकाएं अंडाणु को पोषण प्रदान करती है तथा नष्ट हो जाती है।
Q.42 शुक्रजनक नलिका की संरचना का वर्णन करें।
Ans: शुक्रजनक नलिका : वृषण में 200 से 250 वृषण पालियां पाई जाती है। प्रत्येक पाली में एक से तीन शुक्रजनक नलिका होती है। वृषण का वह भाग जिसमें शुक्रणजनक नलिका नहीं पाई जाती उसे अंतराली अवकाश कहते हैं। अंतराली अवकाश में पाई जाने वाली कोशिका लीडिग (अंतराली) कोशिका कहलाती है। इस कोशिका से एंड्रोजन नामक हार्मोन का स्त्रवण होता है। यह नर में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का निर्धारण करता है। शुक्रजनक नलिका में दो कोशिकाएं सर्टोली कोशिका एवं स्पर्मेटोगोनिया पाई जाती है। स्पर्मेटोगोनिया, स्पर्मेटोजेनेसिस द्वारा स्पर्म का निर्माण करती है। सर्टोली कोशिका शुक्राणुओं को पोषण देने का कार्य करती है। शुक्रजनक नलिकाएं पतली व कुण्डलित होती है। शुक्रजनक नलिकाएं ट्यूबलाई रेक्टी से रेटे टेस्टिस में खुलती है।
Q.43 शुक्राणुजनन क्या है? संक्षेप में शुक्राणुजनन की प्रक्रिया को समझाइए।
Ans: शुक्राणुजनन : नर युग्मकों के निर्माण की प्रक्रिया शुक्राणुजनन कहलाता है।
शुक्राणुजनन की प्रक्रिया निम्नलिखित है -
a) गुणन प्रावस्था : इस प्रावस्था में स्पर्मेटोगोनिया समसूत्री विभाजन द्वारा स्पर्मेटोगोनियम का निर्माण करती है।
b) वृद्धि प्रावस्था : इस प्रावस्था में स्पर्मेटोगोनियम वृद्धि करती है तथा इससे बनी संरचना प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट कहलाता है।
c) परिपक्व प्रावस्था : इस प्रावस्था में प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट अर्ध्दसूत्री विभाजन प्रथम द्वारा दो द्वितीयक स्पर्मेटोसाइट का निर्माण करता है तथा द्वितीयक स्पर्मेटोसाइट अर्ध्दसूत्री विभाजन द्वितीय द्वारा अचल स्पर्मेटिड का निर्माण करता है। स्पर्मेटिड स्पर्मियोजेनेसिस के द्वारा शुक्राणु (sperm) में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रकार एक प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट से चार स्पर्म का निर्माण होता है।
Q.44 शुक्राणु जनन की क्रिया का नियमन समझाइए।
Ans: मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस से GnRH स्रावित होता है, जो अग्र पीयूष ग्रंथि पर कार्य करता है, जिससे पीयूष ग्रंथि से FSH एवं LH हार्मोन स्रावित होता है FSH हार्मोन सर्टोली कोशिका पर कार्य करता है, जो स्पर्म को पोषण प्रदान करती है तथा इन्हीबीन (inhibin) मुक्त करती है। साथ ही यह AMF व ABP मुक्त करती है। LH हार्मोन लीडिग कोशिका पर कार्य करता है तथा एंड्रोजन मुक्त कराता है।
Q.45 अण्डजनन की क्रिया का नियमन समझाइए।
Ans: मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस से GnRH स्रावित होता है, जो अग्र पीयूष ग्रंथि पर कार्य करता है, जिससे पीयूष ग्रंथि से FSH एवं LH हार्मोन स्रावित होता है FSH हार्मोन फॉलिकल्स पर कार्य करता है तथा एस्ट्रोजन हार्मोन मुख्य करवाता है। LH हार्मोन कॉर्पस लुटियम पर कार्य करता है तथा उससे प्रोजेस्टेरोन हार्मोन मुक्त करवाता है, जो गर्भावस्था हार्मोन कहलाता है।
Q.46 आर्तव चक्र क्या है? संक्षेप में इसके प्रावस्थाओं को समझाइए।
Ans: आर्तव चक्र : मादा प्राईमेट्स में चलने वाले मासिक चक्र /जनन चक्र को चक्र कहते हैं इसकी शुरुआत 11-13 वर्ष के दौरान होती है। आर्तव चक्र 28 या 29 दिनों के पश्चात् दोहराया जाता है।
इसकी निम्न प्रावस्थाएं होती है -
1 रक्त स्त्रावी प्रावस्था
आर्तव चक्र के 0 से 5 दिन तक होता है।
इस अवस्था के दौरान अंत:गर्भाशय की परते टूटने लगती है जो एक तरल के रूप में योनि से बाहर निकलता है।
रक्त स्त्रावी प्रावस्था से ही आर्तव चक्र की शुरुआत होती है।
इस प्रावस्था की अनुपस्थिति सगर्भता को दर्शाता है।
यह प्रावस्था सुनिश्चित करता है कि निषेचन नहीं हुआ है।
2 पुटकीय प्रावस्था
यह आर्तव चक्र के 5 से 14 दिनों तक होती है।
इस प्रावस्था के दौरान FSH एवं LH का स्तर बढ़ने लगता है।
इस प्रावस्था में FSH के कारण पुटिकाओं की वृद्धि होती है।
पुटिकाओं से एस्ट्रोजन हार्मोन स्रावित होता है। एस्ट्रोजन हार्मोन एंड्रोमेट्रियम का पुनः निर्माण करता है।
3 अण्डोत्सर्ग प्रावस्था
यह आर्तव चक्र के 14 से 16 दिनों के मध्य होता है।
इस प्रावस्था के दौरान FSH एवं LH उच्चतम स्तर पर होते हैं।
इस प्रावस्था के दौरान LH अपने अधिकतम स्तर पर होता है, जिसे LH सर्च कहते हैं।
इसके दौरान ग्राफियन फॉलिकल के फटने के बाद द्वितीयक अंडाणु मुक्त होता है, इसे अण्डोत्सर्ग कहते हैं।
4 लुटियल प्रावस्था
यह आर्तव चक्र के 16 से 28/29 दिन तक होता है।
इस प्रावस्था के दौरान FSH एवं LH हार्मोन का स्त्रवण कम होने लगता है।
इस प्रावस्था के दौरान ग्राफियन फॉलिकल के शेष बचे हुए भाग से कॉर्पस लुटियम बनता है।
कॉर्पस लुटियम से प्रोजेस्टेरोन हार्मोन मुक्त होता है, जो अंत:गर्भाशय को नियंत्रित रखता है।
जब स्पर्म द्वितीयक अण्डाणु से नहीं मिलता अर्थात् निषेचन नहीं होता है, तो पुनः रक्त स्त्रावी प्रावस्था शुरू हो जाती है।
इस प्रकार यह एक चक्र के रूप में चलते रहता है, जिसे आर्तव चक्र कहते हैं।
Q.47 अंडाशय के अनुप्रस्थ काट का नामांकित चित्र बनाइए।
Q.48 ग्राफियन फॉलिकल नामांकित चित्र बनाइए।
Q.49 मादा जनन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइए।
Q.50 नर जनन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइए।
Q.51 शुक्राणु (स्पर्म) का नामांकित चित्र बनाइए।
Q.52 मनुष्य के वृषण के अनुप्रस्थ काट का नामांकित चित्र बनाइए।
Q.53 वृषण की संरचना का नामांकित चित्र बनाइए।
Q.54 शुक्रजनक नलिका के अनुप्रस्थ काट का नामांकित चित्र बनाइए।
Q.55 अगुणित अंडाणु का नामांकित चित्र बनाइए।
Q.56 आर्तव चक्र का केवल नामांकित चित्र बनाइए।
अंतर स्पष्ट कीजिए।
Q.57 अंडजनन एवं शुक्राणुजनन
Implantation