Q.1 कीट परागित पुष्पों का वर्तिकाग्र कैसा होता है?
Ans: चिपचिपा
Q.2 नारियल का पानी क्या होता है ?
Ans: भ्रूणपोष
Q.3 द्विनिषेचन में कितने केंद्रक भाग लेते हैं ?
Ans: पांच केंद्रक
Q.4 बीजांडकाय बहुभ्रूणता किसमें पाई जाती है ?
Ans: नींबू आम
Q.5 असत्य फल के उदाहरण दीजिए ।
Ans: सेब, स्ट्रॉबेरी, अखरोट, काजू
Q.6 कुछ पादपों में मादा युग्मक बिना निषेचन के भ्रूण में परिवर्तित हो जाता है, इसे क्या कहते हैं।
Ans: अनिषेकफलन पार्थेनोकार्पी
Q.7 जलकुंभी (वाटर हायसिंथ) तथा जेलीय लिली में कैसा परागण होता है ?
Ans: वायु या कीट परागण
Q.8 पार्थेनोकार्पिक फल के उदाहरण दीजिए ।
Ans: केला, नाशपाती, बीज रहित तरबूज आदि ।
Q.9 पुष्पों में मादा जनन अंग (कार्पल या पिस्टल) किसका बना होता है ?
Ans: वर्तिकाग्र, वर्तिका, अंडाशय
Q.10 पादपो में उभयचर किसे कहते है ?
Ans: ब्रायोफाइट्स।
Q.11 भ्रूणपोष वाले बीजों को क्या कहते हैं ?
Ans: एंडोस्पर्मिक (भ्रूणपोषी) बीज या एल्ब्यूमिनस बीज
Q.12 जलीय जंगली घास का उदाहरण दीजिए ।
Ans: ट्रापा, जोस्टेरा, सीग्रोसेस ।
Q.13 स्वपरागण किसमें होता है?
Ans: द्विलिंगी पौधों में ।
Q.14 अगुणित भ्रूणपोष किस में पाया जाता है
Ans: अनावृतबीजी (जिम्नोस्पर्म) में ।
Q.15 भ्रूणपोष का क्या कार्य होता है ?
Ans: भ्रूण को पोषण देना ।
Q.16 बीज चोल का निर्माण किससे होता है ?
Ans: बीजांड कवच से ।
Q.17 पपीता कैसा पौधा है ?
Ans: एकलिंगी
Q.18 परागकण मुख्यतः क्या होते हैं ?
Ans: युग्मकोद्भिद।
Q.19 एक पादप सेल से संपूर्ण पौधे का विकास होना क्या कहलाता है ?
Ans: टोटीपोटेंसी।
Q.20 सामान्य आवृत्तबीजी भ्रूणकोष कैसा होता है ?
Ans: 7 कोशिका 8 केंद्रक
Q.21 बीजाण्ड के वृत को क्या कहते हैं ?
Ans: फनीकल
Q.22 किसने सिद्ध किया की कोशिका टोटीपोटेंट होती है ?
Ans: स्टीवार्ड ने।
Q.23 भारतीय आवृत्तबीजी विज्ञान के जनक कौन हैं ?
Ans: पी. माहेश्वरी।
Q.24 निषेचन की खोज किसने की ?
Ans: स्ट्रॉसबर्गर ने ।
Q.25 द्विनिषेचन की खोज किसने की ?
Ans: नावाश्चिन ने (लिलियम एवं फ्रेटिलेरिया प्लांट में)।
Q.26 घोंघे द्वारा होने वाला परागण क्या कहलाता है ?
Ans: मेलेकोफिली
Q.27 बहुभ्रूणता की खोज किसने की ?
Ans: ल्यूवेनहाॅक ने।
Q.28 किस फल का बीजचोल खाया जाता है?
Ans: शरीफा, जायफल, लीची ।
Q.29 सत्य फल के उदाहरण दीजिए।
Ans: आम, केला, बेर, नींबू, धान, नारियल ।
Q.30 ल्यूपिनस आर्कटीकस में बीज की प्रसूति कितने समय तक होती है ?
Ans: 10,000 वर्ष की प्रसूति
Q.31 फोयेनिक्स डैक्टीलीफेरा (खजूर) में बीज प्रसूप्ती कितने समय का होता है?
Ans: 2,000 वर्ष।
Q.32 परजीवी बीज के उदाहरण बताइए।
Ans: ओरीबैंकी, स्टांइगा।
Q.33 एल्यूरोंन परत किसमें पाई जाती है ?
Ans: एकबीजपत्री बीज में ।
Q.34 परीभ्रूणपोष किसमें पाया जाता है ?
Ans: चुकंदर, कालीमिर्च ।
Q.35 एकबीजपत्री भ्रूण में बीजपत्र को क्या कहते हैं ?
Ans: स्कूटेलम
Q.36 क्रायोप्रिजर्वेशन में किसका उपयोग करते हैं ?
Ans: द्रव नाइट्रोजन -196 डिग्री सेल्सियस।
Q.37 परागकण में पाया जाने वाला वह पदार्थ जिसका पाचन संभव नहीं है, क्या है?
Ans: स्पोरोपोलेनिन।
Q.38 पार्थेनियम के दुष्प्रभाव क्या है?
Ans: परागकण एलर्जी कारक होता है।
Q.39 लघुबीजाणुधानी में टेपीटम का कार्य बताइए।
Ans: लघुबीजाणु को पोषण प्रदान करता है।
Q.40 फूलों के अध्ययन को क्या कहते हैं ?
Ans: एंथोलाॅजी
Q.41 फूलों की खेती को क्या कहते हैं ?
Ans: फ्लोरीकल्चर
Q.42सबसे विकसित पादप कौन सा है ?
Ans: एंजियोस्पर्म
Q.43 सत्य फल किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
Ans: ऐसे फल जिनका निर्माण पुष्प के अंडाशय से होता है, उसे सत्य फल कहते हैं।
उदाहरण: आम, केला, बेर, नारियल, संतरा, नींबू आदि।
Q.44 असत्य फल किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
Ans: ऐसे फल जिनका निर्माण पुष्प के अंडाशय से नहीं होता है, उसे असत्य फल कहते हैं।
उदाहरण: सेब, स्ट्रॉबेरी, अखरोट, काजू (पुष्पासन से बनता है)
Q.45 असंगजनन किसे कहते हैं ?
Ans: बिना निषेचन के बीज बनने की प्रक्रिया को असंगजनन (Apomixis) कहते हैं।
उदाहरण एस्टेर्सिया, घास।
Q.46 अनिषेकफलन किसे कहते हैं ?
Ans: बिना निषेचन के फल बनने की प्रक्रिया को अनिषेकफलन (Parthenogenesis) कहते हैं।
उदाहरण नाशपाती, केला, बीज रहित तरबूज आदि।
Q.47 बहुभ्रूणता क्या है ?
Ans: एक बीजांड में एक से अधिक भ्रूण पाया जाना बहुभ्रूणता (polyembryony) कहलाता है।
उदाहरण नींबू, आम।
Q.48 भ्रूणपोषी बीज किसे कहते हैं? उदाहरण लिखिए।
Ans: ऐसे बीज जिनमें भ्रूणपोष उपस्थित होता है, उसे भ्रूणपोषी बीज कहते हैं। इसे एल्ब्यूमिनस बीज भी कहते हैं। एकबीजपत्री बीज भ्रूणपोषी बीज होते हैं।
उदाहरण गेहूं, मक्का, जौ, धान, नारियल, अरंडी (द्विबीजपत्री)।
Q.49 अभ्रूणपोषी बीज किसे कहते हैं? उदाहरण लिखिए।
Ans: ऐसे बीज जिनमें भ्रूणपोष नहीं पाया जाता, उसे अभ्रूणपोषी बीज कहते हैं। इसे नाॅन-एल्ब्यूमिनस बीज भी कहते हैं। द्विबीजपत्री बीज अभ्रूणपोषी बीज होते हैं।
उदाहरण मटर, चना, मसूर, मूंगफली इत्यादि।
Q.50 परिभ्रूणपोषी बीज किसे कहते हैं? उदाहरण लिखिए।
Ans: ऐसे बीज जिसमें बीजांडकाय शेष अर्थात् उपस्थित होता है, उसे परिभ्रूणपोषी बीज कहते हैं।
उदाहरण काली मिर्च, चुकंदर।
Q.51 उन्मील परागणी पुष्पों से क्या तात्पर्य है? क्या अनुन्मीलिय पुष्पों में पर-परागण संपन्न होता है? अपने उत्तर की सतर्क व्याख्या करें।
Ans: वे पुष्प जिनमें परागकोष एवं वर्तिकाग्र अनावृत्त होते हैं, उन्मील परागणी पुष्प कहलाते हैं।
उदाहरण कैथेरैंथस
अनुन्मीलिय पुष्पों में पर-परागण संपन्न नहीं होता है क्योंकि अनुन्मीलिय पुष्प आवृत्त होते हैं। अतः इनमें पर परागण संभव नहीं होता। ऐसे पुष्पों के परागकोष एवं वर्तिकाग्र पास-पास स्थित होते हैं। अतः परागकोष से परागकण वर्तिकाग्र के संपर्क में आकर परागण करते हैं। अतः इनमें केवल स्वपरागण ही होता है।
उदाहरण वियोला, मिराबिलिस जालपा (4 O'clock plant)।
Q.52 स्व अयोग्यता क्या है? स्व अयोग्यता वाली प्रजातियों में स्वपरागण प्रक्रिया बीज रचना तक क्यों नहीं पहुंच पाती?
Ans: स्व अयोग्यता : पुष्पीय पादपो में पाई जाने वाली ऐसी युक्ति है जिसकी फलस्वरुप पौधों में स्व परागण नहीं हो पता है। अतः इनमें केवल पर परागण ही हो पता है।
स्व अयोग्यता दो प्रकार की होती है -
विषमरूपी (Heteromorphic) : इस प्रकार की में एक ही जाति के पौधों के परागकोशो व वर्तिकाग्र की स्थिति में भिन्नता होती है।
समकारी (Homomorphic) : यह विरोधी एस एलील द्वारा होता है।
उपरोक्त कारणों के फलस्वरुप स्व अयोग्यता वाली प्रजातियों में परागण बीज निर्माण तक नहीं पहुंच पाती।
Q.53 बैगिंग या थैली लगाना तकनीक क्या है? पादप प्रजनन कार्यक्रम में यह कैसे उपयोगी है?
Ans: पादप प्रजनन के अंतर्गत वह तकनीक जिसमें पुष्पों के वर्तिकाग्र को बटर पेपर आदि से ढक दिया जाता है, जिससे वर्तिकाग्र को अवांछित परागकणों से बचाया जा सके, बोरावस्त्र तकनीक या बैगिंग कहलाता है।
पादप जनन में इस तकनीक द्वारा फसलों को उन्नतशील बनाया जाता है तथा केवल ऐच्छिक गुणों वाले परागकण व वर्तिकाग्र के मध्य परागण सुनिश्चित कराया जाता है।
Q.54 त्रिसंलयन क्या है? यह कहां, कैसे संपन्न होता है? त्रिसंलयन में सम्मिलित न्यूक्लिआई का नाम लिखिए।
Ans: त्रिसंलयन : आवृतबीजी पादप के भ्रूणकोष में द्विनिषेचन के दौरान दूसरा बड़े आकार का नर युग्मक तथा द्वितीय ध्रुवीय केंद्रिक के संलयन से त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रिक का निर्माण होता है, इस प्रक्रिया को त्रिसंलयन कहते हैं।
यह प्रक्रिया आवृतबीजी पादप के भ्रूणकोष में संपन्न होती है। त्रिसंलयन में एक नर केंद्रक एवं द्वितीयक ध्रुवीय केंद्रक सम्मिलित होते हैं।
Q.55 लघुबीजाणुजनन किसे कहते हैं?
Ans: लघुबीजाणुजनन : द्विगुणित लघुबीजाणु मातृ कोशिका में अर्ध्दसूत्री विभाजन के परिणामस्वरूप अगुणित बीजाणुओं का निर्माण होता है, इस प्रक्रिया को लघुबीजाणुजनन कहते हैं।
Q.56 गुरुबीजाणुजनन किसे कहते हैं?
Ans: गुरुबीजाणुजनन : द्विगुणित गुरुबीजाणु मातृ कोशिका से अगुणित गुरुबीजाणु बनने की प्रक्रिया गुरुबीजाणुजनन कहलाती है।
Q.57 द्विनिषेचन किसे कहते हैं? सचित्र वर्णन कीजिए।
या
एक आवृत्तबीजी पादप में द्विनिषेचन का क्या महत्व है? समझाइए।
या
दोहरा निषेचन क्या है? युग्मक संलयन एवं त्रिसंलयन को समझाइए।
या
एक आवृत्तबीजी पादप में भ्रूण तथा भ्रूणपोष कैसे बनता है? विस्तार से समझाइए।
Ans: द्विनिषेचन : आवृतबीजी पादपों के पुष्पों में उपस्थित एक ही भ्रूणकोष में दो संलयन (युग्मक संलयन एवं त्रिसंलयन) एक साथ होता है, इस प्रक्रिया को द्विनिषेचन कहते हैं।
द्विनिषेचन की खोज नावाश्चिन द्वारा लिलियम व फ्रेटिलेरिया पादप में किया गया था।
द्विनिषेचन की प्रक्रिया निम्नानुसार होती है -
युग्मक संलयन (Gamete fusion) : निषेचन के दौरान भ्रूणकोष में उपस्थित एक अगुणित नर युग्मक, अगुणित अण्ड कोशिका के साथ संलयित होकर द्विगुणित युग्मनज का निर्माण करता है, इस प्रक्रिया को युग्मक संलयन कहते हैं।
त्रिसंलयन (Triple fusion) : भ्रूणकोष में उपस्थित दूसरा नर युग्मक द्वितीयक ध्रुवीय केन्द्रक से संलयित होकर त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रक का निर्माण करता है, इस प्रक्रिया को त्रिसंलयन कहते हैं। इस प्रकार एक ही भ्रूणकोष में दो संलयन (युग्मक संलयन एवं त्रिसंलयन) साथ-साथ होता है, इसे ही द्विनिषेचन या दोहरा निषेचन कहते हैं।
इस प्रकार द्विनिषेचन में कुल 5 केंद्रक भाग लेते हैं।
द्विनिषेचन के पश्चात् युग्मनज समसूत्री विभाजन द्वारा भ्रूण तथा प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रक समसूत्री विभाजन द्वारा भ्रूणपोष का निर्माण करता है।
Q.58 पुष्पों द्वारा स्व-परागण को रोकने के लिए विकसित की गई कार्यनीतियों का विवरण दीजिए।
Ans:
स्व बंध्यता (Self fertility): इस प्रकार की कार्यनीति में यदि किसी पुष्प के परागण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर गिरते हैं, तो वह उसे निषेचित नहीं कर पाते हैं।
उदाहरण मालवा पुष्प के परागण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर अंकुरित नहीं होते हैं।
विषमकाल परिपक्वता (Dichogamy): इसमें परागकोष व वर्तिकाग्र भिन्न-भिन्न समय में परिपक्व होते हैं, जिससे उनमें स्व परागण नहीं हो पाता।
प्रोटोगैमी (Protogamy): यदि वर्तिकाग्र, परागकोष से पहले परिपक्व हो जाता है, तो उसे प्रोटोगैमी कहते हैं।
उदाहरण मिराबिलिस जलापा।
प्रोटेंड्री (Protandry): यदि परागकोष, वर्तिकाग्र से पहले परिपक्व हो जाता है, तो उसे प्रोटेंड्री कहते हैं।
उदाहरण कपास, सूरजमुखी।
विषम स्थिति (Heterostyly): यदि परागकोष व वर्तिकाग्र भिन्न-भिन्न स्थान पर हो, तो उसे विषम स्थिति कहते हैं
उदाहरण प्रिमरोज।
हर्कोगैमी (Herkogamy): यदि वर्तिकाग्र व परागकोष के बीच संरचनात्मक अवरोध आ जाए, तो उनमें स्व परागण नहीं हो पाता, इसे हर्कोगैमी कहते हैं।
उदाहरण आक।
प्रगुणता (Prepotency): परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर देर से अंकुरित होते हैं तथा अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर जल्दी से अंकुरित होते हैं, तो उनमें पर परागण की संभावना अधिक होती है, इसे प्रगुणता कहते हैं।
उदाहरण अंगूर।
Q.59 परागकण का नामांकित चित्र बनाइए।
Q.60 बीजांड का नामांकित चित्र बनाइए।
Q.61 परागकण अंकुरण का नामांकित चित्र बनाइए।
Q.62 लघुबीजाणुधानी का नामांकित चित्र बनाइए।
Q.63 एकबीजपत्री बीज का नामांकित चित्र बनाइए।
अंतर स्पष्ट कीजिए।
Q.64 वायु परागित पुष्प एवं कीट परागित पुष्प
Q.65 परागण एवं निषेचन
Q.66 स्वपरागण एवं पर-परागण
Q.67 भ्रूणपोषी बीज एवं अभ्रूणपोषी बीज
Q.68 भ्रूणकोष का नामांकित चित्र बनाइए।
Q.69 लघुबीजाणुजनन का नामांकित चित्र बनाइए।
Q.70 गुरुबीजाणुजनन का नामांकित चित्र बनाइए।
Q.71 भ्रूणोद्भव का नामांकित चित्र बनाइए।