हाइड्रोजन (Hydrogen)
इसकी खोज हेनरी कैवेन्डिस द्वारा सन् 1766 में की गई।
इसे दहनशील वायु या ज्वलनशील वायु भी कहते हैं।
इसे लैवोजियर ने हाइड्रोजन नाम दिया।
ग्रीक भाषा में हाइड्रोजन का अर्थ है - जल उत्पादक।
हाइड्रोजन का गुणों के आधार पर कोई निश्चित स्थान नहीं है। इसके गुणधर्म समूह 1 व समूह 17 के तत्व दोनों से समानता रखते हैं। अतः इसे समूह 1 व समूह 17 में समान रूप से रखा जा सकता है, इसलिए इसे आवारा तत्व भी कहा जाता है।
हाइड्रोजन के प्रकार
1 ऑर्थो हाइड्रोजन
जब हाइड्रोजन अणु के दो परमाणुओं के नाभिकों का चक्रण एक ही दिशा में होता है, तो इसे ऑर्थो हाइड्रोजन कहते हैं।
2 पैरा हाइड्रोजन
जब हाइड्रोजन अणु के दोनों परमाणुओं के नाभिकों का चक्रण विपरीत दिशा में होता है, तो इसे पैरा हाइड्रोजन कहते हैं।
डाइ हाइड्रोजन : हाइड्रोजन के बाह्यतम कोश में एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होता है, जिसके कारण हाइड्रोजन परमाणु सहसंयोजक बंध द्वारा द्विपरमाणुक अणु बनाता है। वायुमंडल में 90% हाइड्रोजन है। यह समस्थानिकों के नाभिकीय संलयन अभिक्रिया के परिणामस्वरुप बनते हैं।
हाइड्रोजन बनाने की प्रयोगशाला विधि :
Zn + H2SO4 ---- ZnSO4 + H2(g)
विधि : एक वोल्फ बोतल में दानेदार जिंक भर लेते हैं। इसमें एक सिरे से तनु सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) प्रवाहित करते हैं, जिस नली से तनु सल्फ्यूरिक अम्ल वोल्फ बोतल में डाला जाता है, वह विलयन में डूबा रहना चाहिए। एक अन्य सरे से निकास नली जुड़ा होता है, जो पानी में रखी हुई गैस जार से जुड़ा होता है। दानेदार जिंक एवं तनु सल्फ्यूरिक अम्ल की अभिक्रिया के परिणामस्वरुप हाइड्रोजन गैस बनता है। यह गैस नलियों के माध्यम से गैस जार में जल के ऊपर एकत्रित होता है।
सावधानियां
उपकरण वायुरोधी होना चाहिए।
सल्फ्यूरिक अम्ल को नली के माध्यम से ही डालना चाहिए तथा यह नली पूर्णतः सल्फ्यूरिक अम्ल विलयन में डूबा होना चाहिए।
हाइड्रोजन ज्वलनशील गैस है। अतः इसके पास ऐसे पदार्थ नहीं लाना चाहिए जिससे आग लगने की संभावना हो।
इस विधि द्वारा निर्मित हाइड्रोजन में निम्नलिखित अशुद्धियां होती है -
आर्सेनिक, फाॅस्फीन
हाइड्रोजन सल्फाइड
सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
जलवाष्प।
हाइड्रोजन को U आकार की नली में प्रवाहित करने पर अशुद्धियां निम्नलिखित के द्वारा अवशोषित कर ली जाती है -
आर्सेनिक, फाॅस्फीन - सिल्वर नाइट्रेट विलयन।
हाइड्रोजन सल्फाइड - लेड नाइट्रेट।
सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड - काॅस्टिक पोटाश।
जलवाष्प - निर्जल कैल्शियम क्लोराइड।
तेलों का कठोरीकरण या हाइड्रोजनीकरण
वनस्पति तेल (असंतृप्त एस्टर) की क्रिया हाइड्रोजन के साथ निकल उत्प्रेरक की उपस्थिति में 200° सेल्सियस ताप पर कराया जाता है, तो वसा (घी या संतृप्त एस्टर) बनता है। इसे तेलों का कठोरीकरण कहते हैं तथा इस क्रिया में हाइड्रोजन का योग होता है इसलिए इसे हाइड्रोजनीकरण भी कहते हैं।
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महत्व या उपयोग
वनस्पति तेल से घी प्राप्त करने में।
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन से संतृप्त हाइड्रोकार्बन बनाने में।
बॉश की हाइड्रोजन बनाने की विधि
इस विधि में वाटर गैस (CO+H2) का निर्माण करके वाटर गैस से हाइड्रोजन को पृथक् किया जाता है। यह दो पदों में पूर्ण होती है -
C (तप्त कोयला) + H2O ---- [CO+H2] (वाटर गैस)
जब वाटर गैस की क्रिया जलवाष्प के साथ Fe2O3 एवं Cr2O3 की उपस्थिति में कराई जाती है तो CO2 एवं H2 बनता है।
[CO+H2](g) + H2O ----- CO2(g) + H2(g)
MCQs
हाइड्रोजन की खोज किसने की?
Ans: हेनरी कैवेन्डिस (सन् 1766) ने।
हाइड्रोजन को और किस नाम से जाना जाता है?
Ans: दहनशील या ज्वलनशील वायु।
भारी हाइड्रोजन का नाम बताइए।
Ans: ड्यूटेरियम।
हाइड्रोजन बनाने की प्रयोगशाला विधि में किस अम्ल का उपयोग किया जाता है?
Ans: सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4)।
वनस्पति तेल से वनस्पति घी बनाने की प्रक्रिया क्या कहलाती है?
Ans: तेलों का कठोरीकरण या हाइड्रोजनीकरण।
बाॅश की विधि द्वारा हाइड्रोजन बनाने के लिए किसका उपयोग किया जाता है?
Ans: तप्त कोयला एवं जल।
हाइड्रोजन पराॅक्साइड (H2O2) का विरंजक गुण लिखिए।
Ans: रंगीन पदार्थ को रंगहीन कर देता है।
गुब्बारे में कौन सा गैस भरा होता है?
Ans: हाइड्रोजन एवं हीलियम का मिश्रण।
जल का स्वभाव कैसा होता है?
Ans: उभयधर्मी स्वभाव।
हाइड्रोजन प्रकृति में किस रूप में पाया जाता है?
Ans: द्विपरमाणुक अणु (H2)।
Short Type Questions
Q.1 हाइड्रोजन को आवारा तत्व कहा जाता है। क्यों?
Ans: हाइड्रोजन का गुणों के आधार पर कोई निश्चित स्थान नहीं है। इसके गुणधर्म समूह 1 व समूह 17 के तत्व दोनों से समानता रखते हैं। अतः इसे समूह 1 व समूह 17 में समान रूप से रखा जा सकता है, इसलिए इसे आवारा तत्व भी कहा जाता है।
Q.2 हाइड्रोजन बनाने की प्रयोगशाला विधि लिखिए।
Ans: हाइड्रोजन बनाने की प्रयोगशाला विधि :
एक वोल्फ बोतल में दानेदार जिंक भर लेते हैं। इसमें एक सिरे से तनु सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) प्रवाहित करते हैं, जिस नली से तनु सल्फ्यूरिक अम्ल वोल्फ बोतल में डाला जाता है, वह विलयन में डूबा रहना चाहिए। एक अन्य सरे से निकास नली जुड़ा होता है, जो पानी में रखी हुई गैस जार से जुड़ा होता है। दानेदार जिंक एवं तनु सल्फ्यूरिक अम्ल की अभिक्रिया के परिणामस्वरुप हाइड्रोजन गैस बनता है। यह गैस नलियों के माध्यम से गैस जार में जल के ऊपर एकत्रित होता है।
Q.3 डाइहाइड्रोजन को परिभाषित कीजिए।
Ans: डाइ हाइड्रोजन : हाइड्रोजन के बाह्यतम कोश में एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होता है, जिसके कारण हाइड्रोजन परमाणु सहसंयोजक बंध द्वारा द्विपरमाणुक अणु बनाता है। वायुमंडल में 90% हाइड्रोजन है। यह समस्थानिकों के नाभिकीय संलयन अभिक्रिया के परिणामस्वरुप बनते हैं।
Q.4 तेलों का कठोरीकरण या हाइड्रोजनीकरण किसे कहते हैं?
Ans: वनस्पति तेल (असंतृप्त एस्टर) की क्रिया हाइड्रोजन के साथ निकल उत्प्रेरक की उपस्थिति में 200° सेल्सियस ताप पर कराया जाता है, तो वसा (घी या संतृप्त एस्टर) बनता है। इसे तेलों का कठोरीकरण कहते हैं तथा इस क्रिया में हाइड्रोजन का योग होता है इसलिए इसे हाइड्रोजनीकरण भी कहते हैं।
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Q.5 हाइड्रोजन बनाने की बाॅश की विधि लिखिए।
Ans: a) इस विधि में वाटर गैस (CO+H2) का निर्माण करके वाटर गैस से हाइड्रोजन को पृथक् किया जाता है। यह दो पदों में पूर्ण होती है -
C (तप्त कोयला) + H2O ---- [CO+H2] (वाटर गैस)
b) जब वाटर गैस की क्रिया जलवाष्प के साथ Fe2O3 एवं Cr2O3 की उपस्थिति में कराई जाती है तो CO2 एवं H2 बनता है।
[CO+H2](g) + H2O ----- CO2(g) + H2(g)
Q.6 हाइड्रोजन के उपयोग लिखिए।
Ans:
अमोनिया, मिथाइल एल्कोहल, उर्वरक आदि के निर्माण में।
वनस्पति तेलों के हाइड्रोजनीकरण द्वारा वनस्पति घी बनाने में।
हाइड्रोजन एवं हीलियम गैस के मिश्रण का उपयोग वायुयान एवं गुब्बारे में किया जाता है।
अपचायक के रूप में उपयोगी।
Q.7 हाइड्रोजन पराक्साइड के ऑक्सीकारक एवं अपचायक गुण लिखिए।
Ans: हाइड्रोजन पराक्साइड प्रबल ऑक्सीकारक एवं दुर्बल अपचायक होता है। अम्लीय व क्षारीय माध्यम में यह ऑक्सीकारक व अपचायक दोनों व्यवहार प्रदर्शित करता है।
ऑक्सीकारक गुण : हाइड्रोजन पराक्साइड अपघटित होकर ऑक्सीजन का एक परमाणु मुक्त करता है। अतः यह प्रबल ऑक्सीकारक होता है।
H2O2 --- H2O + [O]
Ex. Na2SO3 + H2O2 ---- Na2SO4 + H2O
अपचायक गुण : जब हाइड्रोजन पराक्साइड किसी ऑक्सीजन युक्त यौगिक से ऑक्सीजन ग्रहण करता है, तो यह अपचायक गुण प्रदर्शित करता है।
H2O2 + 1/2 O2 ---- H2O + O2
Ex. O3 + H2O2 --- H2O + 2O2
Q.8 हाइड्रोजन पराक्साइड के भौतिक गुण लिखिए।
Ans:
यह रंगहीन, गंधहीन, श्यान द्रव है।
स्वाद में कड़वा होता है।
सांद्र विलयन होता है।
हल्के नीले रंग का होता है।
इसमें ध्रुवीय एवं अध्रुवीय बंध पाया जाता है।
Q.9 जल के उभयधर्मी स्वभाव को दर्शाने वाले समीकरण दीजिए।
Ans: जल का उभयधर्मी स्वभाव : रासायनिक अभिक्रिया में जल अम्ल एवं क्षार दोनों की तरह व्यवहार करता है इसे जल का उभयधर्मी स्वभाव कहते हैं।
यह निम्नानुसार है -
अम्ल के रूप में : NH3 + H2O ---- NH4+ + OH-
क्षार के रूप में : HCl + H2O ----- Cl- + H3O+
Q.10 प्रोटियम, ड्यूटेरियम एवं ट्रीटियम को समझाइए।
Ans:
प्रोटियम : यह अधिक स्थाई होता है। यह साधारण हाइड्रोजन होता है। यह वातावरण में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है। इसमें 1 इलेक्ट्रॉन, 1 प्रोटाॅन होता है तथा इसमें न्यूट्रॉन नहीं पाया जाता। एक इलेक्ट्रॉन K कोश में उपस्थित होता है। इसका द्रव्यमान 1 होता है। यह वातावरण में 99.98% पाया जाता है। इसे 0n⁰ से प्रदर्शित करते हैं।
ड्यूटेरियम : यह भारी हाइड्रोजन होता है। यह स्थाई होता है। यह भारी जल के विद्युत अपघटन से प्राप्त होता है। इसमें 1 इलेक्ट्रॉन, 1 प्रोटाॅन तथा 1 न्यूट्रॉन पाया जाता है। 1 इलेक्ट्रॉन K कोश में उपस्थित होता है। इसका द्रव्यमान 2 होता है। यह वातावरण में 0.016% पाया जाता है। इसे 1D² से प्रदर्शित करते हैं।
ट्रीटियम : यह रेडियोएक्टिव होता है। यह अस्थाई होता है। इसमें 1 इलेक्ट्रॉन, 1 प्रोटाॅन तथा 2 न्यूट्रॉन पाये जाते है। 1 इलेक्ट्रॉन K कोश में उपस्थित होता है। इसका द्रव्यमान 3 होता है। यह वातावरण में 1×10-17% पाया जाता है। इसे 3T³ से प्रदर्शित करते हैं।
Long Type Questions
Q.1 हाइड्रोजन बनाने की प्रयोगशाला विधि का निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर वर्णन कीजिए -
रासायनिक समीकरण
विधि
नामांकित चित्र
सावधानियां
अशुद्धियां एवं उसे दूर करने के उपाय।
Ans:
रासायनिक समीकरण : Zn + H2SO4 ---- ZnSO4 + H2(g)
विधि : एक वोल्फ बोतल में दानेदार जिंक भर लेते हैं। इसमें एक सिरे से तनु सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) प्रवाहित करते हैं, जिस नली से तनु सल्फ्यूरिक अम्ल वोल्फ बोतल में डाला जाता है, वह विलयन में डूबा रहना चाहिए। एक अन्य सरे से निकास नली जुड़ा होता है, जो पानी में रखी हुई गैस जार से जुड़ा होता है। दानेदार जिंक एवं तनु सल्फ्यूरिक अम्ल की अभिक्रिया के परिणामस्वरुप हाइड्रोजन गैस बनता है। यह गैस नलियों के माध्यम से गैस जार में जल के ऊपर एकत्रित होता है।
नामांकित चित्र
सावधानियां
उपकरण वायुरोधी होना चाहिए।
सल्फ्यूरिक अम्ल को नली के माध्यम से ही डालना चाहिए तथा यह नली पूर्णतः सल्फ्यूरिक अम्ल विलयन में डूबा होना चाहिए।
हाइड्रोजन ज्वलनशील गैस है। अतः इसके पास ऐसे पदार्थ नहीं लाना चाहिए जिससे आग लगने की संभावना हो।
अशुद्धियां एवं उसे दूर करने के उपाय:
इस विधि द्वारा निर्मित हाइड्रोजन में निम्नलिखित अशुद्धियां होती है -
आर्सेनिक, फाॅस्फीन
हाइड्रोजन सल्फाइड
सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
जलवाष्प।
हाइड्रोजन को U आकार की नली में प्रवाहित करने पर अशुद्धियां निम्नलिखित के द्वारा अवशोषित कर ली जाती है -
आर्सेनिक, फाॅस्फीन - सिल्वर नाइट्रेट विलयन।
हाइड्रोजन सल्फाइड - लेड नाइट्रेट।
सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड - काॅस्टिक पोटाश।
जलवाष्प - निर्जल कैल्शियम क्लोराइड।
Q.2 हाइड्रोजन के रासायनिक गुणों को समझाइए।
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