रासायनिक आबंधन : रासायनिक स्पीशीज में परमाणु को आपस में बांधकर रखने वाले आकर्षण बल को रासायनिक आबंधन कहते हैं।
अणु दो प्रकार के होते हैं -
सम परमाणु वाले अणु O2, H2, O3
विषम परमाणु वाले अणु HCl, H2O, CO2
संयोजी इलेक्ट्रॉन : किसी तत्व के बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन को संयोजी इलेक्ट्रॉन कहते हैं।
संयोजी कोश : किसी तत्व के सबसे बाह्यतम कोश को संयोजी कोश कहते हैं।
बंध के प्रकार -
आयनिक बंध : इलेक्ट्रॉन के आदान-प्रदान से बनने वाले बंध को आयनिक बंध कहते हैं।
Ex. NaCl, KCl
सहसंयोजी बंध : दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन की साझेदारी से बनने वाले बंध को सहसंयोजी बंध कहते हैं।
Ex. CH4, O2, Cl2
उप-सहसंयोजी बंध : एक इलेक्ट्रॉन युग्म को एक परमाणु द्वारा दिया जाता है तथा दूसरे परमाणु द्वारा ग्रहण किया जाता है तो उनके मध्य बनने वाले बंध को उप-सहसंयोजी बंध कहते हैं।
Ex. NH3 and BF3
काॅसेल एवं लुईस की अवधारणा
परमाणु आपस में बंध अपना अष्टक पूरा करने के लिए बनाते हैं।
बंध बनाने में बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉन भाग लेते हैं।
सह-संयोजक बंध दो अधातुओं के मध्य बनता है।
Note :
एकल बंध : 2 इलेक्ट्रॉनों के साझेदारी से बनते हैं।
द्विबंध : 4 इलेक्ट्रॉनों के साझेदारी से बनते हैं।
त्रिबंध : 6 इलेक्ट्रॉनों के साझेदारी से बनते हैं।
लुईस बिंदु संरचना
केंद्रीय परमाणु (Center Atom) का चयन
अणु का वह परमाणु जिसकी संख्या कम हो।
परमाणु जिसकी संयोजकता अधिक हो।
केंद्रीय परमाणु (Center Atom) एवं किनारों के परमाणु (Corner atom) को संयोजी इलेक्ट्रॉन के साथ लिखा जाता है।
परमाणु के अष्टक नियम के आधार पर इलेक्ट्रॉन का साझा करना चाहिए।
Note :
केंद्रीय परमाणु, अष्टक नियम का पालन नहीं करता।
किनारों के परमाणु का अष्टक पूरा करना होता है।
औपचारिक आवेश (Formal Charge)
FC = संयोजी इलेक्ट्रॉन - एकाकी इलेक्ट्रॉन - 1/2 बंधी इलेक्ट्रॉन
VSEPR सिद्धांत
VSEPR सिद्धांत इसका पूरा नाम वैलेंस शेल इलेक्ट्रॉन पर रिपल्शन सिद्धांत (Valance Shell Electron Pair Repulsion Theory) है। इस सिद्धांत को सर्वप्रथम सन् 1940 में सिजविक एवं पावेल द्वारा दिया गया तथा सन् 1957 में इस सिद्धांत को गिलस्पी एवं नाइहोल्म द्वारा संशोधित किया गया।
मुख्य बिंदु
ये निम्नलिखित है -
यह सिद्धांत अणुओं की ज्यामिति बताता है।
इसके अनुसार, अणुओं की ज्यामिति केंद्रीय परमाणु के संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या पर निर्भर करती है चाहे वह बंध बनाने में भाग ले या ना लें।
Ex. NH3
केंद्रीय परमाणु में संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या 5 होती है। इसमें एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होता है जो दूसरे परमाणु के साथ बंध बनाने में भाग नहीं लेता है।
अणु की ज्यामिति lone pair (lp) and bond pair (bp) के बीच प्रतिकर्षण पर निर्भर करती है। विभिन्न इलेक्ट्रॉन युग्मों के बीच प्रतिकर्षण का क्रम इस प्रकार होता है -
lp-lp > lp-bp > bp-bp
अगर अणु में केवल बंधित इलेक्ट्रॉन युग्म ही पाए जाते हैं, तब उनकी ज्यामिति सामान्य (symmetrical) होती है।
Ex. BeCl2 (रेखीय संरचना)
यदि अणु में केंद्रीय परमाणु एवं उससे जुड़े परमाणु के बीच दो या अधिक बंध उपस्थित हो, तो अणु की ज्यामिति केवल सिग्मा बंध से निर्धारित होती है।
Ex. CO2
संकरण - sp
ज्यामिति - रेखीय संरचना
अगर अणु अनुनादी संरचनाएं प्रदर्शित करें, तो प्रत्येक संरचना में बंध कोण (Bond angel) समान होता है।
Ex. CO2 में अनुनाद
####
यह सिद्धांत अणुओं के बंध कोण का निर्धारण करता है।
Ex. BCl3 (बंध कोण = 120°)
####
संयोजकता बंध सिद्धांत (VBT)
इस सिद्धांत का पूरा नाम संयोजकता बंध सिद्धांत (VBT) है। इस सिद्धांत को सर्वप्रथम सन् 1927 में हिटलर एवं लंडन ने दिया था तथा सन् 1931 में इसे पाऊलिंग एवं स्लेटर ने पुनः संशोधित किया।
मुख्य बिंदु
ये निम्नलिखित है -
ऊर्जा पर आधारित व्याख्या
हम यहां हाइड्रोजन के उदाहरण से संयोजकता बंध सिद्धांत (VBT) की व्याख्या करेंगे।
2 गैसीय हाइड्रोजन परमाणु के मिलने से एक मोल हाइड्रोजन अणु बनता है तथा -433KJ/mol ऊर्जा मुक्त होती है।
अणु के निर्माण में ऊर्जा मुक्त होती है जो अणु को स्थायित्व प्रदान करते हैं। जब दो परमाणु आपस में मिलते हैं, तब उनके नाभिक एवं इलेक्ट्रॉन के मध्य प्रतिकर्षण एवं एक परमाणु के नाभिक और दूसरे परमाणु के इलेक्ट्रॉन के मध्य आकर्षण बल होता है। यह आकर्षण बल अधिक होने से ही अणु बनते हैं तथा यदि विकर्षण बल अधिक होता है, तो दोनों परमाणुओं के मध्य बंध स्थापित नहीं होने से अणु का निर्माण नहीं होगा।
Note :
Na = हाइड्रोजन परमाणु Ha का नाभिक एवं Ea = Ha परमाणु का इलेक्ट्रॉन।
Nb = हाइड्रोजन परमाणु Hb का नाभिक एवं Eb = Hb परमाणु का इलेक्ट्रॉन।
Na-Nb एवं Ea-Eb के मध्य प्रतिकर्षण बल।
Na-Eb एवं Nb-Ea के मध्य आकर्षण बल।
कक्षक अतिव्यापन पर आधारित
इसके अनुसार, जब दो परमाणुओं के अर्ध्दपूरित कक्षक जिनमें इलेक्ट्रॉनों का चक्रण विपरीत हो, उनके अतिव्यापन से आण्विक कक्षक बनते हैं।
अतिव्यापन में केवल संयोजी इलेक्ट्रॉन ही भाग लेते हैं।
अतिव्यापन से ऊर्जा मुक्त होती है, जिससे अणु अधिक स्थाई हो जाता है।
बंध की प्रबलता अतिव्यापन की सीमा पर निर्भर करती है।
छोटे आकार वाले आर्बिटल्स में प्रभावी अतिव्यापन से मजबूत बंध बनता है।
Ex. H2 अणु का बनना
####
आण्विक कक्षक सिद्धांत (MOT)
MOT का पूरा नाम आणविक कक्षक सिद्धांत (Molecular Orbital Theory) है। इस सिद्धांत को सन् 1932 में हुण्ड एवं मुलिकन के द्वारा प्रतिपादित किया गया था। यह सिद्धांत बताता है कि आण्विक कक्षकों का निर्माण कैसे होता है और आण्विक कक्षकों में इलेक्ट्रॉन किस प्रकार भरे जाते हैं।
मुख्य बिंदु
इस सिद्धांत के अनुसार, आणविक कक्षकों का निर्माण परमाणु कक्षकों के रेखीय संयोग से होता है।
आणविक आर्बिटल्स उतने ही संख्या में बनते हैं जितने परमाणु आर्बिटल का संयोजन होता है।
आण्विक ऑर्बिटल दो प्रकार के होते हैं -
i) आबंधी आण्विक कक्षक एवं
ii) प्रतिबंधी आण्विक कक्षक
आबंधी आण्विक कक्षक का ऊर्जा स्तर संयोजन करने वाले परमाणु कक्षकों से कम तथा प्रतिबंधी आण्विक कक्षा का ऊर्जा स्तर संयोजन करने वाले परमाणु कक्षकों से अधिक होता है।
आबंधी आण्विक कक्षक को सिग्मा (σ), पाई (π) एवं डेल्टा (δ) से तथा प्रतिबंधी आण्विक कक्षा को (σ*), (π*) एवं (δ*) से प्रदर्शित करते हैं।
आण्विक ऑर्बिटल में इलेक्ट्रॉन भरने का क्रम ऑफबाऊ के सिद्धांत, पाऊली के अपवर्जन सिद्धांत एवं हुण्ड के अधिकतम बहुलता के नियम के अनुसार होता है।
आण्विक ऑर्बिटल की आकृति संयोजन में भाग लेने वाले आर्बिटलों पर निर्भर करती है।
LCAO (Linear Combination of Atomic Orbitals)
परमाणु कक्षकों के तरंग फलन (ψ) रेखीय संयोग द्वारा आण्विक कक्षक बनाते हैं।
आण्विक कक्षक बनाने वाले परमाणु कक्षकों की ऊर्जा लगभग समान होनी चाहिए अर्थात् एक परमाणु का 2s ऑर्बिटल दूसरे परमाणु के 2s ऑर्बिटल से ही संयोग करता है।
माना कि एक परमाणु कक्षक का तरंग फलन ψa तथा दूसरे परमाणु का ψb है। इन दोनों ऑर्बिटल के तरंग फलनों के बीजगणितीय योग (योग या अंतर) से आणविक ऑर्बिटल बनते हैं।
स्थिति-I
ψab =ψa + ψb अर्थात् ψa और ψb दोनों तरंग फलन एक ही फेज में अध्यारोपित होते हैं अर्थात् उनमें रचनात्मक अतिव्यापन होता है, जिसके परिणामस्वरुप आबंधी आण्विक कक्षक बनते है।
की सार्थकता नहीं होती। अतः ऑर्बिटल को से व्यक्त करते हैं।
####
स्थिति-II
ψab =ψa - ψb अर्थात् जब ψa और ψb दोनों तरंग फलन विपरीत फेज में होते हैं, तो विनाशकारी अतिव्यापन से प्रतिबंधी आण्विक कक्षक बनते हैं।
संकरण की अवधारणा
संकरण : परमाणु के संयोजी कोश के लगभग समान ऊर्जा वाले परमाण्वीय कक्षक आपस में मिलकर उतने ही संख्या में समान ऊर्जा, आकार, आकृति वाले नए कक्षकों का निर्माण करते हैं, इस प्रक्रिया को संकरण कहते हैं।
संकरण के नियम निम्नलिखित है -
एक ही परमाणु के कक्षकों में संकरण हो सकता है।
संकर कक्षक/आर्बिटल बनाने के लिए मिलने वाले आर्बिटलों का ऊर्जा स्तर लगभग समान होना चाहिए।
संकरण में बनने वाले संकर कक्षकों की संख्या संकरण में भाग लेने वाले कक्षकों की संख्या के बराबर होती है।
संकरित कक्षकों में इलेक्ट्रॉन तरंगे एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करती है।
संकरण अणु की ज्यामिति, बंध कोण का निर्धारण करता है।
संकरण के प्रकार (Types of hybridization)
sp संकरण
sp² संकरण
sp³ संकरण
sp³d संकरण
sp³d² संकरण
sp³d³ संकरण
Short Type Questions
Q.1 रासायनिक आबंधन किसे कहते हैं? बंध के प्रकार लिखिए।
Ans: रासायनिक आबंधन : रासायनिक स्पीशीज में परमाणु को आपस में बांधकर रखने वाले आकर्षण बल को रासायनिक आबंधन कहते हैं।
बंध के प्रकार -
1 आयनिक बंध : इलेक्ट्रॉन के आदान-प्रदान से बनने वाले बंध को आयनिक बंध कहते हैं।
Ex. NaCl, KCl
2 सहसंयोजी बंध : दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन की साझेदारी से बनने वाले बंध को सहसंयोजी बंध कहते हैं।
Ex. CH4, O2, Cl2
3 उप-सहसंयोजी बंध : एक इलेक्ट्रॉन युग्म को एक परमाणु द्वारा दिया जाता है तथा दूसरे परमाणु द्वारा ग्रहण किया जाता है तो उनके मध्य बनने वाले बंध को उप-सहसंयोजी बंध कहते हैं।
Ex. NH3 and BF3
Q.2 काॅसेल एवं लुईस की अवधारणा लिखिए।
Ans:
काॅसेल एवं लुईस की अवधारणा
परमाणु आपस में बंध अपना अष्टक पूरा करने के लिए बनाते हैं।
बंध बनाने में बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉन भाग लेते हैं।
सह-संयोजक बंध दो अधातुओं के मध्य बनता है।
Note :
एकल बंध : 2 इलेक्ट्रॉनों के साझेदारी से बनते हैं।
द्विबंध : 4 इलेक्ट्रॉनों के साझेदारी से बनते हैं।
त्रिबंध : 6 इलेक्ट्रॉनों के साझेदारी से बनते हैं।
Q.3 HNO3 का औपचारिक आवेश (Formal Charge) ज्ञात कीजिए।
Ans: HNO3 का औपचारिक आवेश
FC = संयोजी इलेक्ट्रॉन - एकाकी इलेक्ट्रॉन - 1/2 बंधी इलेक्ट्रॉन
####
Q.4 संकरण के नियम लिखिए।
Ans: संकरण के नियम निम्नलिखित है -
एक ही परमाणु के कक्षकों में संकरण हो सकता है।
संकर कक्षक/आर्बिटल बनाने के लिए मिलने वाले आर्बिटलों का ऊर्जा स्तर लगभग समान होना चाहिए।
संकरण में बनने वाले संकर कक्षकों की संख्या संकरण में भाग लेने वाले कक्षकों की संख्या के बराबर होती है।
संकरित कक्षकों में इलेक्ट्रॉन तरंगे एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करती है।
संकरण अणु की ज्यामिति, बंध कोण का निर्धारण करता है।
Q.5 आण्विक कक्षक सिद्धांत (MOT) के मुख्य बिंदु लिखिए।
Ans: MOT के मुख्य बिंदु :
इस सिद्धांत के अनुसार, आणविक कक्षकों का निर्माण परमाणु कक्षकों के रेखीय संयोग से होता है।
आणविक आर्बिटल्स उतने ही संख्या में बनते हैं जितने परमाणु आर्बिटल का संयोजन होता है।
आण्विक ऑर्बिटल दो प्रकार के होते हैं -
i) आबंधी आण्विक कक्षक एवं
ii) प्रतिबंधी आण्विक कक्षक
आबंधी आण्विक कक्षक का ऊर्जा स्तर संयोजन करने वाले परमाणु कक्षकों से कम तथा प्रतिबंधी आण्विक कक्षा का ऊर्जा स्तर संयोजन करने वाले परमाणु कक्षकों से अधिक होता है।
आबंधी आण्विक कक्षक को सिग्मा (σ), पाई (π) एवं डेल्टा (δ) से तथा प्रतिबंधी आण्विक कक्षा को (σ*), (π*) एवं (δ*) से प्रदर्शित करते हैं।
आण्विक ऑर्बिटल में इलेक्ट्रॉन भरने का क्रम ऑफबाऊ के सिद्धांत, पाऊली के अपवर्जन सिद्धांत एवं हुण्ड के अधिकतम बहुलता के नियम के अनुसार होता है।
आण्विक ऑर्बिटल की आकृति संयोजन में भाग लेने वाले आर्बिटलों पर निर्भर करती है।
Long Type Questions
Q.1 VSEPR सिद्धांत क्या है? इसके मुख्य बिंदु लिखिए।
Ans: VSEPR सिद्धांत इसका पूरा नाम वैलेंस शेल इलेक्ट्रॉन पर रिपल्शन सिद्धांत (Valance Shell Electron Pair Repulsion Theory) है। इस सिद्धांत को सर्वप्रथम सन् 1940 में सिजविक एवं पावेल द्वारा दिया गया तथा सन् 1957 में इस सिद्धांत को गिलस्पी एवं नाइहोल्म द्वारा संशोधित किया गया।
मुख्य बिंदु
ये निम्नलिखित है -
यह सिद्धांत अणुओं की ज्यामिति बताता है।
इसके अनुसार, अणुओं की ज्यामिति केंद्रीय परमाणु के संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या पर निर्भर करती है चाहे वह बंध बनाने में भाग ले या ना लें।
Ex. NH3
केंद्रीय परमाणु में संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या 5 होती है। इसमें एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होता है जो दूसरे परमाणु के साथ बंध बनाने में भाग नहीं लेता है।
अणु की ज्यामिति lone pair (lp) and bond pair (bp) के बीच प्रतिकर्षण पर निर्भर करती है। विभिन्न इलेक्ट्रॉन युग्मों के बीच प्रतिकर्षण का क्रम इस प्रकार होता है -
lp-lp > lp-bp > bp-bp
अगर अणु में केवल बंधित इलेक्ट्रॉन युग्म ही पाए जाते हैं, तब उनकी ज्यामिति सामान्य (symmetrical) होती है।
Ex. BeCl2 (रेखीय संरचना)
यदि अणु में केंद्रीय परमाणु एवं उससे जुड़े परमाणु के बीच दो या अधिक बंध उपस्थित हो, तो अणु की ज्यामिति केवल सिग्मा बंध से निर्धारित होती है।
Ex. CO2
संकरण - sp
ज्यामिति - रेखीय संरचना
अगर अणु अनुनादी संरचनाएं प्रदर्शित करें, तो प्रत्येक संरचना में बंध कोण (Bond angel) समान होता है।
Ex. CO2 में अनुनाद
####
यह सिद्धांत अणुओं के बंध कोण का निर्धारण करता है।
Ex. BCl3 (बंध कोण = 120°)
####
Q.2 संयोजकता बंध सिद्धांत (VBT) को समझाइए।
Ans: संयोजकता बंध सिद्धांत (VBT)
इस सिद्धांत का पूरा नाम संयोजकता बंध सिद्धांत (VBT) है। इस सिद्धांत को सर्वप्रथम सन् 1927 में हिटलर एवं लंडन ने दिया था तथा सन् 1931 में इसे पाऊलिंग एवं स्लेटर ने पुनः संशोधित किया।
मुख्य बिंदु
ये निम्नलिखित है -
A) ऊर्जा पर आधारित व्याख्या
हम यहां हाइड्रोजन के उदाहरण से संयोजकता बंध सिद्धांत (VBT) की व्याख्या करेंगे।
2 गैसीय हाइड्रोजन परमाणु के मिलने से एक मोल हाइड्रोजन अणु बनता है तथा -433KJ/mol ऊर्जा मुक्त होती है।
अणु के निर्माण में ऊर्जा मुक्त होती है जो अणु को स्थायित्व प्रदान करते हैं। जब दो परमाणु आपस में मिलते हैं, तब उनके नाभिक एवं इलेक्ट्रॉन के मध्य प्रतिकर्षण एवं एक परमाणु के नाभिक और दूसरे परमाणु के इलेक्ट्रॉन के मध्य आकर्षण बल होता है। यह आकर्षण बल अधिक होने से ही अणु बनते हैं तथा यदि विकर्षण बल अधिक होता है, तो दोनों परमाणुओं के मध्य बंध स्थापित नहीं होने से अणु का निर्माण नहीं होगा।
Note :
Na = हाइड्रोजन परमाणु Ha का नाभिक एवं Ea = Ha परमाणु का इलेक्ट्रॉन।
Nb = हाइड्रोजन परमाणु Hb का नाभिक एवं Eb = Hb परमाणु का इलेक्ट्रॉन।
Na-Nb एवं Ea-Eb के मध्य प्रतिकर्षण बल।
Na-Eb एवं Nb-Ea के मध्य आकर्षण बल।
B) कक्षक अतिव्यापन पर आधारित
इसके अनुसार, जब दो परमाणुओं के अर्ध्दपूरित कक्षक जिनमें इलेक्ट्रॉनों का चक्रण विपरीत हो, उनके अतिव्यापन से आण्विक कक्षक बनते हैं।
अतिव्यापन में केवल संयोजी इलेक्ट्रॉन ही भाग लेते हैं।
अतिव्यापन से ऊर्जा मुक्त होती है, जिससे अणु अधिक स्थाई हो जाता है।
बंध की प्रबलता अतिव्यापन की सीमा पर निर्भर करती है।
छोटे आकार वाले आर्बिटल्स में प्रभावी अतिव्यापन से मजबूत बंध बनता है।
Ex. H2 अणु का बनना
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Q.3 आण्विक कक्षक सिद्धांत (MOT) को समझाइए।
Ans: आण्विक कक्षक सिद्धांत (MOT)
MOT का पूरा नाम आणविक कक्षक सिद्धांत (Molecular Orbital Theory) है। इस सिद्धांत को सन् 1932 में हुण्ड एवं मुलिकन के द्वारा प्रतिपादित किया गया था। यह सिद्धांत बताता है कि आण्विक कक्षकों का निर्माण कैसे होता है और आण्विक कक्षकों में इलेक्ट्रॉन किस प्रकार भरे जाते हैं।
मुख्य बिंदु
इस सिद्धांत के अनुसार, आणविक कक्षकों का निर्माण परमाणु कक्षकों के रेखीय संयोग से होता है।
आणविक आर्बिटल्स उतने ही संख्या में बनते हैं जितने परमाणु आर्बिटल का संयोजन होता है।
आण्विक ऑर्बिटल दो प्रकार के होते हैं -
i) आबंधी आण्विक कक्षक एवं
ii) प्रतिबंधी आण्विक कक्षक
आबंधी आण्विक कक्षक का ऊर्जा स्तर संयोजन करने वाले परमाणु कक्षकों से कम तथा प्रतिबंधी आण्विक कक्षा का ऊर्जा स्तर संयोजन करने वाले परमाणु कक्षकों से अधिक होता है।
आबंधी आण्विक कक्षक को सिग्मा (σ), पाई (π) एवं डेल्टा (δ) से तथा प्रतिबंधी आण्विक कक्षा को (σ*), (π*) एवं (δ*) से प्रदर्शित करते हैं।
आण्विक ऑर्बिटल में इलेक्ट्रॉन भरने का क्रम ऑफबाऊ के सिद्धांत, पाऊली के अपवर्जन सिद्धांत एवं हुण्ड के अधिकतम बहुलता के नियम के अनुसार होता है।
आण्विक ऑर्बिटल की आकृति संयोजन में भाग लेने वाले आर्बिटलों पर निर्भर करती है।
Q.4 संकरण किसे कहते हैं? इसके इसके विभिन्न प्रकारों को समझाइए।
Ans: संकरण : परमाणु के संयोजी कोश के लगभग समान ऊर्जा वाले परमाण्वीय कक्षक आपस में मिलकर उतने ही संख्या में समान ऊर्जा, आकार, आकृति वाले नए कक्षकों का निर्माण करते हैं, इस प्रक्रिया को संकरण कहते हैं।
संकरण के नियम निम्नलिखित है -
एक ही परमाणु के कक्षकों में संकरण हो सकता है।
संकर कक्षक/आर्बिटल बनाने के लिए मिलने वाले आर्बिटलों का ऊर्जा स्तर लगभग समान होना चाहिए।
संकरण में बनने वाले संकर कक्षकों की संख्या संकरण में भाग लेने वाले कक्षकों की संख्या के बराबर होती है।
संकरित कक्षकों में इलेक्ट्रॉन तरंगे एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करती है।
संकरण अणु की ज्यामिति, बंध कोण का निर्धारण करता है।
संकरण के प्रकार निम्नलिखित हैं -
Q.5 N2 का ऊर्जा आरेख बनाइए एवं इसकी चुंबकीय गुण एवं बंध क्रम लिखिए।
N2 = σ(1s²), σ*(1s²), (2s²), (2s²), π(2px²) = π(2py²), (2pz²)
बंध क्रम (Bond Order) = 1/2[Nb - Na]
जहां Na = प्रतिबंधी इलेक्ट्रॉन की संख्या
Nb = आबंधी इलेक्ट्रॉन की संख्या
BO = 10 - 4 /2
BO = 6/2
BO = 3
चुंबकीय गुण = प्रति चुंबकीय
Q.6 N2- ऊर्जा आरेख बनाइए एवं इसकी चुंबकीय गुण एवं बंध क्रम लिखिए।
N2- = σ(1s²), σ*(1s²), σ(2s²), σ*(2s²), π(2px²) = π(2py²), σ(2pz²), π*(2px¹)
बंध क्रम (Bond Order) = 1/2[Nb - Na]
जहां Na = प्रतिबंधी इलेक्ट्रॉन की संख्या
Nb = आबंधी इलेक्ट्रॉन की संख्या
BO = 10 - 5 /2
BO = 5/2
BO = 2.5
चुंबकीय गुण = अनु चुंबकीय
Q.7 N2-² का ऊर्जा आरेख बनाइए एवं इसकी चुंबकीय गुण एवं बंध क्रम लिखिए।
N2-² = σ(1s²), σ*(1s²), σ(2s²), σ*(2s²), π(2px²) = π(2py²), σ(2pz²), π*(2px¹) = π*(2py¹)
बंध क्रम (Bond Order) = 1/2[Nb - Na]
जहां Na = प्रतिबंधी इलेक्ट्रॉन की संख्या
Nb = आबंधी इलेक्ट्रॉन की संख्या
BO = 10 - 6/2
BO = 4/2
BO = 2
चुंबकीय गुण = अनु चुंबकीय
Q.8 O2 का ऊर्जा आरेख बनाइए एवं इसकी चुंबकीय गुण एवं बंध क्रम लिखिए।
O2 = σ(1s²), σ*(1s²), σ(2s²), σ*(2s²), σ(2pz²), π(2px²) = π(2py²), π*(2px¹) = π*(2py¹)
बंध क्रम (Bond Order) = 1/2[Nb - Na]
जहां Na = प्रतिबंधी इलेक्ट्रॉन की संख्या
Nb = आबंधी इलेक्ट्रॉन की संख्या
BO = 10 - 6/2
BO = 4/2
BO = 2
चुंबकीय गुण = अनु चुंबकीय
Q.9 O2- का ऊर्जा आरेख बनाइए एवं इसकी चुंबकीय गुण एवं बंध क्रम लिखिए।
O2- = σ(1s²), σ*(1s²), σ(2s²), σ*(2s²), σ(2pz²), π(2px²) = π(2py²), π*(2px²) = π*(2py¹)
बंध क्रम (Bond Order) = 1/2[Nb - Na]
जहां Na = प्रतिबंधी इलेक्ट्रॉन की संख्या
Nb = आबंधी इलेक्ट्रॉन की संख्या
BO = 10 - 7 /2
BO = 3/2
BO = 1.5
चुंबकीय गुण = अनु चुंबकीय
Q.10 O2-² का ऊर्जा आरेख बनाइए एवं इसकी चुंबकीय गुण एवं बंध क्रम लिखिए।
O2- = σ(1s²), σ*(1s²), σ(2s²), σ*(2s²), σ(2pz²), π(2px²) = π(2py²), π*(2px²) = π*(2py²)
बंध क्रम (Bond Order) = 1/2[Nb - Na]
जहां Na = प्रतिबंधी इलेक्ट्रॉन की संख्या
Nb = आबंधी इलेक्ट्रॉन की संख्या
BO = 10 - 8/2
BO = 2/2
BO = 1
चुंबकीय गुण = प्रति चुंबकीय
Q.11 CO का ऊर्जा आरेख बनाइए एवं इसकी चुंबकीय गुण एवं बंध क्रम लिखिए।
CO = σ(1s²), σ*(1s²), σ(2s²), σ*(2s²), π(2px²) = π(2py²), σ(2pz²)
बंध क्रम (Bond Order) = 1/2[Nb - Na]
जहां Na = प्रतिबंधी इलेक्ट्रॉन की संख्या
Nb = आबंधी इलेक्ट्रॉन की संख्या
BO = 10 - 4 /2
BO = 6/2
BO = 3
चुंबकीय गुण = प्रति चुंबकीय
Q.12 NO का ऊर्जा आरेख बनाइए एवं इसकी चुंबकीय गुण एवं बंध क्रम लिखिए।
NO = σ(1s²), σ*(1s²), σ(2s²), σ*(2s²), π(2px²) = π(2py²), σ(2pz²), π*(2px¹)
बंध क्रम (Bond Order) = 1/2[Nb - Na]
जहां Na = प्रतिबंधी इलेक्ट्रॉन की संख्या
Nb = आबंधी इलेक्ट्रॉन की संख्या
BO = 10 - 5/2
BO = 5/2
BO = 2.5
चुंबकीय गुण = अनु चुंबकीय