सेल्फी का बढ़ता बुखार
या
सेल्फी सही या गलत
प्रारूप -
प्रस्तावना
सेल्फी क्या है?
सेल्फी और युवा वर्ग
सेल्फी के दुष्परिणाम
निष्कर्ष
1 प्रस्तावना : वर्तमान युग विज्ञान का युग है। हम विज्ञान के युग में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। विज्ञान ने हमें अनेक वस्तुएं प्रदान की है जिसका हम अपने दैनिक जीवन में उपयोग कर रहे हैं। हम अपने जीवन में चारों ओर से प्रौद्योगिकी से गिरे हुए हैं। प्रौद्योगिकी के अंतर्गत इंटरनेट, कंप्यूटर, मोबाइल फोन, स्मार्टफोन आदि शामिल है। विज्ञान ने हमारे जीवन को बहुत आसान बना दिया है।
2 सेल्फी क्या है? : इस मोबाइल फोन की दुनिया में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो सेल्फी शब्द से परिचित न हो बीते कुछ सालों में मोबाइल फोन में लगे सामने के कैमरे ने सेल्फी को अत्यधिक बढ़ावा दिया है युवा वर्ग में चाहे वह लड़का हो या लड़की इसका आकर्षण बहुत तेजी से बड़ा है सेल्फी के विकास के लिए मोबाइल के सामने कैमरे के साथ सोशल मीडिया ने प्रमुख भूमिका निभाया है।
3 सेल्फी तथा युवा वर्ग : आज के युवा वर्ग इस सेल्फी के पीछे पागल से हो गए हैं आज लोगों में अपनी फोटो स्वयं से खींचना तथा उन्हें सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सएप फेसबुक इंस्टाग्राम आदि में पोस्ट करने की होड़ लगी है।
4 सेल्फी के दुष्परिणाम : आजकल सेल्फी से संबंधित अनेक दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। लोग अपनी सेल्फी लेने के चक्कर में अपने जीवन को भी जोखिम में डालने लगे हैं। कई लोग पहाड़ों से फिसलते हुए सेल्फी खींचते रहते हैं तो कुछ लोग पेड़ों से कूदते हुए पहाड़ों से ऊंची चलांग लगाते हुए समुद्र में तैरते हुए ऊंची सड़कों पर बाइक चलाते हुए अपनी सेल्फी खींचते हैं इस दौरान विभिन्न प्रकार की दुर्घटना होने की संभावना होती है।
5 निष्कर्ष : विज्ञान का आवश्यकता अनुसार उपयोग ही श्रेष्ठ है। यदि इसका दुरुपयोग किया जाने लगा तू अनेक प्रकार के दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं। हाल ही में सेल्फी के विभिन्न प्रकार के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। सेल्फी खींचना कोई बुरी बात नहीं है किंतु यह कार्य आवश्यकता अनुसार ही करना चाहिए।