Q.1 संक्रमण तत्व मिश्र धातु बनाते हैं क्यों?
Ans: संक्रमण तत्व मिश्र धातु बनाते हैं क्योंकि संक्रमण तत्व का आकार लगभग समान होता है। अतः ये एक-दूसरे के साथ आसानी से मिलकर मिश्र धातु बनाते हैं।
पीतल : कॉपर एवं जिंक से मिलकर बना होता है।
जर्मन : सिल्वर कॉपर जिंक एवं निकिल से मिलकर बना होता है।
कांसा : कॉपर एवं टिन से मिलकर बना होता है।
Q.2 संक्रमण तत्व उत्प्रेरकीय सक्रियता दर्शाते हैं क्यों?
Ans: संक्रमण तत्व उत्प्रेरकीय गुण प्रदर्शित करते हैं। रासायनिक अभिक्रिया में प्रायः जिस उत्प्रेरक का उपयोग किया जाता है वे संक्रमण तत्व ही होते हैं क्योंकि इनमें उपान्तिम d कक्षक अपूर्ण रूप से भरा होता है। जिसके कारण यह परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं। अतः यह रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारकों को अतिरिक्त संयोजकता उपलब्ध कराते हैं तथा अभिकारकों का इनके सतह पर अधिशोषण होता है फलस्वरुप अभिक्रिया के दर में वृद्धि होती है।
Ex. अमोनिया के उत्पादन में Fe का उपयोग उत्प्रेरक के रूप में किया जाता है।
Q.3 संक्रमण तत्व संकुल आयन बनाते हैं क्यों?
Ans: संक्रमण तत्व आयनिक अवस्था में लिगेंड के साथ क्रिया करके संकुल या उप-सहसंयोजक यौगिक बनाते हैं क्योंकि संक्रमण तत्व के उपान्तिम d कक्षक अपूर्ण रूप से भरा होता है तथा परमाणु का आकार छोटा होता है। संक्रमण तत्व उप-सहसंयोजक यौगिक में केंद्रीय धातु परमाणु होते हैं।
K4[Fe(CN)6]
Q.4 Cu+ प्रतिचुंबकीय है जबकि Cu+² अनुचुंबकीय है कारण स्पष्ट करें।
Ans: Cu+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - 1s², 2s², 2p⁶, 3s², 3p⁶, 4s⁰, 3d¹⁰
Cu+² का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - 1s², 2s², 2p⁶, 3s², 3p⁶, 4s⁰, 3d⁹
क्योंकि Cu+ में कक्षक पूर्ण रूप से भरा होता है अर्थात् अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की संख्या शून्य (0) होती है अतः यह प्रतिचुंबकीय है जबकि Cu+² में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की संख्या 1 है अतः यह अनुचुंबकीय है।
Q.5 Fe+2 तथा Fe+3 आयनों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखें। इनमें कौन अधिक अनुचुंबकीय है?
Ans: Fe+² का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - 1s², 2s², 2p⁶, 3s², 3p⁶, 4s⁰, 3d⁶
Fe+³ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - 1s², 2s², 2p⁶, 3s², 3p⁶, 4s⁰, 3d⁵
Fe+² में 4 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं तथा में 5 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं। चूंकि Fe+³ में 5 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं इसलिए यह अधिक अनुचुंबकीय होगा।
Q.6 Zn केवल Zn+² ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है। क्यों?
Ans: Zn का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास -1s², 2s², 2p⁶, 3s², 3p⁶, 4s², 3d¹⁰
इसमें उपान्तिम (n- 1)d कक्षक पूर्ण रूप से भरा होता है अतः केवल 4s कक्षक के इलेक्ट्रॉन ही बंध बनाने में भाग लेते हैं। इसलिए Zn केवल Zn+² ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।
Q.7 Zn, Cd, Hg को संक्रमण तत्व नहीं माना जाता है क्यों?
Ans: Zn, Cd, Hg को संक्रमण तत्व नहीं माना जाता है क्योंकि इनके d कक्षक पूर्ण रूप से भरे होते हैं।
समूह 12 के तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - ns²(n-1)d¹⁰
Q.8 संक्रमण तत्व किसे कहते हैं? संक्रमण तत्वों का वर्गीकरण समझाइए।
Ans: वे d ब्लॉक के तत्व जिनके उपान्तिम (n- 1)d कक्षक अपूर्ण रूप से भरे होते हैं, संक्रमण तत्व कहलाते हैं।
संक्रमण तत्व का वर्गीकरण
प्रथम संक्रमण श्रेणी (3d श्रेणी)
Sc, Ti, V, Cr, Mn, Fe, Co, Ni, Cu, Zn
द्वितीय संक्रमण श्रेणी (4d श्रेणी)
Y, Zr, Nb, Mo, Tc, Ru, Rh, Pd, Ag, Cd
तृतीय संक्रमण श्रेणी (5d श्रेणी)
La, Hf, Ta, W, Re, Os, Ir, Pt, Au, Hg
Q.9 संक्रमण तत्व किसे कहते हैं? संक्रमण तत्व के गुणों का व्याख्या कीजिए।
Ans: वे d ब्लॉक के तत्व जिनके उपान्तिम (n- 1)d कक्षक अपूर्ण रूप से भरे होते हैं, संक्रमण तत्व कहलाते हैं।
संक्रमण तत्व के गुण
1 धात्विक गुण : संक्रमण तत्व धातु होते है क्योंकि किसी रासायनिक अभिक्रिया में ये इलेक्ट्रॉन दाता के रूप में कार्य करते है।
Ex. Cu, Au, Ag, Cr etc.
2 परिवर्ती संयोजकता : संक्रमण तत्व परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं क्योंकि ns तथा (n-1)d कक्षकों के मध्य ऊर्जा में बहुत कम अंतर होने के कारण दोनों ही कक्षक संयोजी कक्षक का काम करते हैं तथा d कक्षक अपूर्ण रूप से भरे होने के कारण परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करता है।
(26)Fe → 1s², 2s², 2p⁶, 3s², 3p⁶, 4s², 3d⁶
3 ऑक्सीकरण संख्या = +2, +3
Mn = +2, +3, +4, +5, +6, +7
4 रंगीन आयन : संक्रमण तत्व के d कक्षक में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं जिसके कारण ये रंगीन यौगिक या आयन बनाते हैं।
Cu+ (रंगहीन), Cu+² (नीला रंग अर्थात् एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित)
5 चुंबकीय गुण : संक्रमण तत्व के आयन एवं यौगिक प्रायः अनुचुंबकीय प्रकृति के होते हैं क्योंकि इनमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं।
Cu+ (प्रति चुंबकीय), Cu+² (अनुचुंबकीय अर्थात् एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित)
6 उत्प्रेरकीय गुण : संक्रमण तत्व उत्प्रेरकीय गुण प्रदर्शित करते हैं। रासायनिक अभिक्रिया में प्रायः जिस उत्प्रेरक का उपयोग किया जाता है वे संक्रमण तत्व ही होते हैं क्योंकि इनमें उपान्तिम d कक्षक अपूर्ण रूप से भरा होता है। जिसके कारण यह परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करते हैं। अतः यह रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारकों को अतिरिक्त संयोजकता उपलब्ध कराते हैं तथा अभिकारकों का इनके सतह पर अधिशोषण होता है फलस्वरुप अभिक्रिया के दर में वृद्धि होती है।
Ex. अमोनिया के उत्पादन में Fe का उपयोग उत्प्रेरक के रूप में किया जाता है।
7 संकुल/जटिल यौगिक का निर्माण : संक्रमण तत्व आयनिक अवस्था में लिगेंड के साथ क्रिया करके संकुल या उप-सहसंयोजक यौगिक बनाते हैं क्योंकि संक्रमण तत्व के उपान्तिम d कक्षक अपूर्ण रूप से भरा होता है तथा परमाणु का आकार छोटा होता है। संक्रमण तत्व उप-सहसंयोजक यौगिक में केंद्रीय धातु परमाणु होते हैं।
उदाहरण K4[Fe(CN)6]
8 मिश्र धातु बनाना : संक्रमण तत्व मिश्र धातु बनाते हैं क्योंकि संक्रमण तत्व का आकार लगभग समान होता है। अतः ये एक-दूसरे के साथ आसानी से मिलकर मिश्र धातु बनाते हैं।
पीतल : कॉपर एवं जिंक से मिलकर बना होता है।
जर्मन : सिल्वर कॉपर जिंक एवं निकिल से मिलकर बना होता है।
कांसा : कॉपर एवं टिन से मिलकर बना होता है।
9 अंतराकाशी यौगिक: संक्रमण तत्वों का आकार काफी बड़ा होता है। जिसके कारण इनके अंतराकाशी स्थान भी बड़े-बड़े होते हैं जिसमें हाइड्रोजन, कार्बन जैसे अधात्विक परमाणु आकर स्थापित हो जाते हैं और अंतराकाशी यौगिक बनाते हैं।
उदाहरण इस्पात।
Q.10 पोटैशियम परमैगनेट के भौतिक गुण एवं रासायनिक गुण लिखिए।
Ans:
Q.11 पोटैशियम डाइक्रोमेट के भौतिक एवं रासायनिक गुण लिखिए।
Ans:
Q.12 आंतर संक्रमण तत्व किसे कहते हैं? इसका वर्गीकरण समझाइए।
Ans:
Q.13 लैंथेनाइड संकुचन किसे कहते हैं? इसके कारण एवं प्रभाव को विस्तार से समझाइए।
Ans: लैंथेनाइडों के परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ उनके परमाणु तथा आयन का आकार कम होते जाता है, इसे लैंथेनाइड संकुचन कहते हैं।
कारण: हम जानते हैं की आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ती है। लैंथेनाइडों में यह बढ़ाने वाले इलेक्ट्रॉन संयोजी कक्षक में न जाकर (n-2)4f कक्षक में भरते हैं चूंकि f उपकोश का परिरक्षण प्रभाव बहुत कम होता है। अतः s-उपकोश के इलेक्ट्रॉन व नाभिक के मध्य आकर्षण बढ़ जाता है। जिससे परमाणु तथा आयन का आकार कम हो जाता है।
प्रभाव :
1 लैंथेनाइड के गुणों परिवर्तन : लैंथेनाइड संकुचन के कारण लैंथेनाइड की रासायनिक गुणों में बहुत कम अंतर होता है अतः इन्हें शुद्ध अवस्था में प्राप्त करना बहुत कठिन होता है।
2 अन्य तत्वों के गुणों में परिवर्तन : लैंथेनाइड संकुचन के कारण लैंथेनाइड के पश्चात् आने वाले तत्वों के गुणों में परिवर्तन हो जाता है।
उदाहरण Ti तथा Zr के गुणों में बहुत भिन्नता होती है जबकि Zr एवं Hf दोनों के गुणों में अधिक समानता होती है।
लैंथेनाइड के उपयोग
लैंथेनाइड का उपयोग औषधीयों एवं कृषि कार्यों में करते हैं।
इससे बने मिश्र धातुओं का उपयोग गैस लाइटर एवं बुलेट बनाने में किया जाता है।
d and f block तत्वों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
Q.14 लैंथेनाइड एवं एक्टिनाइड में क्या समानताएं हैं? लिखिए।
Q.15 लैंथेनाइड एवं एक्टिनाइड में अंतर स्पष्ट कीजिए।