Q.1 सोडियम कार्बोनेट बनाने की साल्वे विधि का निम्न बिंदुओं के आधार पर वर्णन कीजिए -
सिद्धांत
नामांकित चित्र
साल्वे विधि
सावधानियां
Ans:
सिद्धांत : जब अमोनिया से संतृप्त किए गए सोडियम क्लोराइड विलियन में कार्बन डाइऑक्साइड को बुलबुलों के रूप में प्रवाहित किया जाता है, तो सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट बनता है।
NH3 + CO2 + H2O --- NH4HCO3
NH4HCO3 + NaCl --- NH4Cl + NaHCO3
जब सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के दो अणुओं को जलाया जाता है, तो सोडियम कार्बोनेट, जल एवं कार्बन डाइऑक्साइड बनता है।
2NaHCO3 + ∆ --- Na2CO3 + CO2 + H2O
CO2 का पुनः निर्माण होता है। अमोनियम क्लोराइड को बुझे हुए चूने के साथ उबालने पर अमोनिया प्राप्त होती है।
NH4Cl + Ca(OH)2 + boil ---- 2NH3+ CaCl2 + 2H2O
इस अभिक्रिया में CO2 एवं NH3 का प्रक्रम में पुनः उपयोग कर लिया जाता है।
नामांकित चित्र
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साल्वे विधि : इस विधि द्वारा निम्नलिखित पदों में अभिक्रियाओं के फलस्वरुप सोडियम कार्बोनेट बनता है -
संतृप्तिकरण टैंक : इस टैंक के ऊपरी भाग से सोडियम क्लोराइड विलियन (ब्राइन) व तली से अमोनिया (NH3) प्रवाहित किया जाता है। इसमें कैल्शियम (Ca) एवं मैग्नीशियम (Mg) के हाइड्राॅक्साइड की अशुद्धियां होती है।
छन्नक : इसमें कैल्शियम व मैग्नीशियम के हाइड्राॅक्साइड अमोनिकृत ब्राइन से पृथक् हो जाते हैं।
शीतलक : इसमें अमोनिकृत ब्राइन को ठंडा किया जाता है।
कार्बोनीकरण स्तंभ : अमोनिकृत ब्राइन को शीतलक से कार्बोनीकरण स्तंभ में ऊपर से गिराया जाता है। इसमें आयरन की प्लेटें लगी होती है, जो छिद्रित ढक्कन से ढंकी होती है। चूने की भट्टी से CO2 गैस नीचे से प्रवाहित करने पर सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट (NaHCO3) प्राप्त होता है।
निर्वात् छन्ना : सोडियम बाई कार्बोनेट को अमोनियम क्लोराइड व अमोनियम हाइड्रोजन कार्बोनेट से पृथक् कर लिया जाता है।
चूने की भट्टी : इसमें कैल्शियम कार्बोनेट को जलाने पर कार्बन डाइऑक्साइड व कैल्शियम ऑक्साइड बनते है। कैल्शियम ऑक्साइड (CaO) की क्रिया जलवाष्प से होने पर Ca(OH)2 बनता है।
CaCO3 + ∆ ----- CaO + CO2
CaO + H2O ----- Ca(OH)2
अमोनिया पुनः प्राप्ति स्तंभ : इसमें निर्वात् छन्ना के विलयनों को प्रवाहित किया जाता है। इसमें नीचे से Ca(OH)2 व जलवाष्प प्रवाहित करते हैं। जिसके फलस्वरूप अमोनिया का निर्माण होता है।
एक विशेष बेलनाकार पात्र में उपस्थित NaHCO3 को गर्म करने पर सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) प्राप्त होता है।
NaHCO3 + ∆ ----- Na2CO3 + CO2 + H2O
सावधानियां :
CO2 का प्रवाह नियमित होना चाहिए। यदि CO2 की धारा अधिक तीव्र प्रवाहित होगी तब अमोनिया गैस व्यर्थ पदार्थ के रूप में निकलने लगती है। यदि CO2 का प्रवाह धीमी होगी, तब NaHCO3 का अधिक सूक्ष्म क्रिस्टल बनने लगता है, जिससे छनन की प्रक्रिया कठिन हो जाती है।
Q.2 विकर्ण संबंध किसे कहते हैं? लिथियम एवं मैग्नीशियम में विकर्ण संबंध को समझाइए।
Ans: विकर्ण संबंध: आधुनिक आवर्त सारणी के द्वितीय आवर्त के तत्व अपने विकर्णत: सम्मुख स्थित तृतीय आवर्त के तत्वों से गुणों में समानता प्रदर्शित करते हैं, इसे ही विकर्ण संबंध कहते हैं।
लिथियम एवं मैग्नीशियम में विकर्ण संबंध
दोनों कठोर व हल्के तत्व होते हैं।
दोनों के गलनांक अपने वर्ग के अन्य तत्वों से उच्च होते हैं।
दोनों ऑक्सीजन से जुड़कर मोनोऑक्साइड बनाते हैं।
4Li + O2 ---- 2Li2O
2Mg + O2 ---- 2MgO
दोनों के कार्बोनेट को गर्म करने पर कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त होता है।
Li2CO3 + ∆ --- Li2O + CO2
MgCO3 + ∆ --- MgO + CO2
दोनों नाइट्रोजन से क्रिया करके नाइट्राइट बनाते हैं।
6Li + N2 + ∆ --- 2Li3N
3Mg + N2 + ∆ --- Mg3N2
जिस प्रकार लिथियम हवा से प्रभावित नहीं होता व पिघलने पर अपनी चमक नहीं होता इसी प्रकार का व्यवहार मैग्नीशियम भी प्रदर्शित करता है।
दोनों की परमाणु त्रिज्या लगभग समान होती है।
दोनों जल में अल्प विलेय व कार्बनिक यौगिक में विलेय होते हैं।
दोनों के विद्युतऋणता लगभग समान होती है।
दोनों की ध्रुवीकरण क्षमता समान होती है।
दोनों की आयनन ऊर्जा अपने वर्ग के अन्य तत्वों से अधिक होती है।