केमिस्ट्री शब्द की उत्पत्ति मिश्र देश के पुराने नाम कीमिया से हुई है जिसका अर्थ है - काला रंग।
ब्रह्मांड दो चीजों से मिलकर बना है - द्रव्य एवं ऊर्जा
द्रव्य का वर्गीकरण
A) भौतिक वर्गीकरण
ठोस: वह पदार्थ जिसका आयतन और आकार दोनों निश्चित होता है उसे ठोस कहते हैं।
द्रव: वह पदार्थ जिसका आयतन निश्चित होता है किंतु आकार निश्चित नहीं होता उसे द्रव कहते हैं।
गैस: ऐसे पदार्थ जिसका आयतन और आकार दोनों अनिश्चित होता है उसे गैस कहते हैं।
B) रासायनिक वर्गीकरण
शुद्ध पदार्थ: ऐसे पदार्थ जो एक ही परमाणुओं (कणों) से मिलकर बना होता है उसे शुद्ध पदार्थ कहते हैं।
a) तत्व:
धातु: ऐसे तत्व या पदार्थ जिसमें धात्विक गुण पाया जाता है उसे धातु कहते हैं।
अधातु: ऐसे तत्व या पदार्थ जिसमें धात्विक गुण नहीं पाया जाता है उसे अधातु कहते हैं।
उपधातु: ऐसे तत्व या पदार्थ जिसमें धातु एवं अधातु दोनों के गुण पाये जाते है उसे उपधातु कहते हैं।
b) यौगिक
कार्बनिक यौगिक
अकार्बनिक यौगिक
मिश्रण
समांगी मिश्रण: ऐसे मिश्रण जो सामान अवस्था वाले पदार्थों के मिलने से बनता है, उसे समांगी मिश्रण कहते हैं।
विषमांगी मिश्रण: ऐसे मिश्रण जो विभिन्न अवस्था वाले पदार्थों के मिलने से बनता है, उसे विषमांगी मिश्रण कहते हैं।
परमाणु (Atom)
पदार्थ सूक्ष्म कणों से मिलकर बना होता है जिसे अणु या परमाणु कहते हैं।
परमाणु सबसे छोटा कण होता है जिसे और सरल कणों में विभाजित नहीं किया जा सकता। इसमें इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन पाए जाते हैं।
विभिन्न परमाणुओं के जुड़ने से अणु का निर्माण होता है।
रासायनिक संयोग के नियम
1 द्रव्यमान संरक्षण का नियम
इस नियम का प्रतिपादन लैवोजियर ने 1789 ई में किया था। इस नियम के अनुसार "रासायनिक परिवर्तन में भाग लेने वाले पदार्थ का कुल द्रव्यमान संयोग के पश्चात् बने पदार्थ के कुल द्रव्यमान के बराबर होता है।"
उदाहरण : कार्बन व ऑक्सीजन मिलकर CO2 बनाते हैं। कार्बन का परमाणु द्रव्यमान 12 व ऑक्सीजन का परमाणु द्रव्यमान 32 होता है। कार्बन डाइऑक्साइड का द्रव्यमान 44 होता है। अतः द्रव्यमान संरक्षित है।
C + O2 -- CO2
2 स्थिर अनुपात का नियम
इस नियम का प्रतिपादन प्राउस्ट ने 1799 ई में किया था। इस नियम के अनुसार "रासायनिक यौगिक के अवयवी तत्व भार की दृष्टि से हमेशा स्थिर अनुपात में होते हैं।"
उदाहरण : विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जल में हाइड्रोजन व ऑक्सीजन का अनुपात 2:16 या 1:8 होता है जो एक सरल अनुपात है।
3 गुणित अनुपात का नियम
इस नियम का प्रतिपादन 1803 ई. में जॉन डाल्टन ने किया था। इस नियम के अनुसार "जब दो तत्व आपस में मिलकर दो या दो से अधिक यौगिक बनाते हैं, तो उनमें से एक तत्व के द्रव्यमानों में, जो दूसरे तत्व के निश्चित मात्रा से संयोग करते हैं, वह एक सरल अनुपात होता है।
उदाहरण नाइट्रोजन, ऑक्सीजन से मिलकर निम्नलिखित ऑक्साइड बनाता है -
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इनमें नाइट्रोजन परमाणु का द्रव्यमान स्थिर (28) होता है व ऑक्सीजन परमाणु एक सरल अनुपात (1,2,3,4,5) में नाइट्रोजन से जुड़ता है, जो इस नियम की पुष्टि करता है।
4 गे-लुसाक का नियम
इस नियम का प्रतिपादन गे-लुसाक ने 1808 ई. में किया था। इस नियमानुसार "जब गैसें आपस में मिलती है तो उनका अनुपात सरल होता है। यदि संयोग के पश्चात् बनने वाला पदार्थ भी गैस हो, तो उसका आयतन भी अभिकारी होता है।"
उदाहरण N2 + 3H2 -- 2NH3
5 व्युत्क्रम अनुपात का नियम
इस नियम का प्रतिपादन जे.वी. रिचर ने सन् 1792 में किया था इस नियम के अनुसार "जब कोई दो तत्व किसी तीसरे तत्वों के साथ संयोग करते हैं, तो वे दोनों तत्व तीसरे तत्व से जिस मात्रा व अनुपात में संयोग करते हैं वे उसी अनुपात में एक-दूसरे से संयोग करते हैं।"
डाल्टन का परमाणु वाद
1808 ई. में डाल्टन ने परमाणु वाद प्रस्तावित किया।
परमाणु एक अविभाज्य एवं अविनाशी कण होता है।
एक ही तत्व के सभी परमाणुओं के आकार समान होते हैं।
अलग-अलग तत्व के परमाणु का आकार अलग-अलग होता है।
परमाणु आपस में जुड़कर अणु का निर्माण करते हैं।
किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाली सबसे छोटी इकाई परमाणु ही होती है।
डाल्टन के परमाणु वाद की सीमाएं
अलग-अलग तत्वों के परमाणुओं में भिन्नता के कारण को नहीं समझा सका।
अलग-अलग तत्वों के परमाणु आपस में सहयोग कर अणु का निर्माण करते हैं, यह परमाणु वाद से स्पष्ट नहीं होता।
अणु में परमाणुओं को बांधकर रखने वाले बलों की प्रकृति को नहीं समझा सका।
गेलुसाक के नियम का स्पष्टीकरण नहीं दिया जा सका।
अणु-परमाणु के बीच अंतर स्पष्ट नहीं कर सका।
अणु के प्रकार (Types of molecule)
सम परमाणु वाले अणु : एक ही प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं।
उदाहरण: O2, N2, H2, O3
विषम परमाणु वाले अणु भिन्न-भिन्न प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं और यौगिक कहलाते हैं।
उदाहरण: H2O, NH3, HCl
सार्थक अंक : भौतिक राशियों के शुद्ध मापन को व्यक्त करने के लिए जिन अंकों का उपयोग किया जाता है, उन्हें सार्थक अंक कहते हैं।
सार्थक अंक के नियम -
अशून्य अंक सार्थक अंक माने जाते हैं।
Ex. 2002 में 4 सार्थक अंक हैं।
दो अशून्य अंक के मध्य आने वाला शून्य सार्थक अंक माना जाता है।
Ex. 2002 = 4 सार्थक अंक
यदि दशमलव ना हो तो अशून्य अंक के बाद आने वाले शून्य सार्थक अंक नहीं माने जाते हैं।
Ex. 200 = 1 सार्थक अंक
दशमलव के बाद आने वाले शून्य सार्थक अंक माने जाते हैं।
Ex. 2.00 = 3 सार्थक अंक
घात वाली संख्या सार्थक नहीं माने जाते हैं।
Ex. 123×10³ = 3 सार्थक अंक
1.6×10-¹⁹ = 2 सार्थक अंक
मूलानुपाती सूत्र एवं अणु सूत्र
मूलानुपाती सूत्र : यौगिक का वह रासायनिक सूत्र जो उसमें उपस्थित विभिन्न तत्वों के परमाणुओं का सरलतम पूर्णांक संख्या अनुपात प्रदर्शित करता है, मूलानुपाती सूत्र कहलाता है।
Ex. H2O2 में H एवं O का सरलतम अनुपात 1:1 है, अतः इसका मूलानुपाती सूत्र HO होगा।
C6H6 में C एवं H का सरलतम अनुपात 1:1 है, अतः इसका मूलानुपाती सूत्र CH होगा।
अणु सूत्र : किसी यौगिक का वह रासायनिक सूत्र जो उसमें उपस्थित विभिन्न तत्वों के परमाणुओं की वास्तविक संख्या को प्रदर्शित करता है, अणु सूत्र कहलाता है।
Ex. C2H5OH, C6H12O6
मोल : किसी पदार्थ की वह मात्रा जिसमें उसके 6.022×10²³ कण उपस्थित होते हैं, पदार्थ की एक मोल कहलाती है। 6.022×10²³ एवोगेड्रो संख्या कहलाती है।
विलयन की सांद्रता व्यक्त करने के लिए मोल का अनुप्रयोग
पदार्थों में अवस्था परिवर्तन
उर्ध्वपातन (Sublimation) : ठोस का गैस में परिवर्तन उर्ध्वपातन कहलाता है।
निक्षेपण (Deposition) : गैस का ठोस में परिवर्तन निक्षेपण कहलाता है।
संगलन या पिघलना (Melting) : ठोस का द्रव में परिवर्तन संगलन या पिघलना कहलाता है।
जमना (Freezing) : द्रव का ठोस में परिवर्तन जमना कहलाता है।
वाष्पीकरण (Evaporation) : द्रव का गैस में परिवर्तन वाष्पीकरण कहलाता है।
संघनन (Condensation) : गैस का द्रव में परिवर्तन संघनन कहलाता है।