Q.1 अलैंगिक जनन द्वारा बनी संतति को क्या कहते हैं?
Ans: क्लोन
Q.2 अलैंगिक जनन में कितने जनक भाग लेते हैं?
Ans: एक
Q.3 अलैंगिक जनन में कौन सा विभाजन पाया जाता है?
Ans: समसूत्री विभाजन
Q.4 क्या अलैंगिक जनन में निषेचन की प्रक्रिया पाई जाती है?
Ans: नहीं
Q.5 जेम्यूल किसमें पाए जाते हैं?
Ans: स्पंज में
Q.6 हाइड्रा में जनन कैसे होता है?
Ans: मुकुलन द्वारा।
Q.7 कोनिडिया किस में पाया जाता है?
Ans: पेनिसिलियम
Q.8 कौन से जनन में विभिन्नताएं उत्पन्न होती है?
Ans: लैंगिक जनन
Q.9 लैंगिक जनन में कितने जनक भाग लेते हैं?
Ans: दो
Q.10 क्या लैंगिक जनन से क्लोन बनते हैं?
Ans: नहीं क्योंकि इससे उत्पन्न संतति जनक से भिन्न होते हैं।
Q.11 मेंस्ट्रूअल चक्र किनमें पाया जाता है?
Ans: मादा प्राइमेट मैमल्स (मनुष्य, कपि, बंदर, गोरिल्ला)
Q.12 ऑस्ट्रस चक्र किसमें पाया जाता है?
Ans: नॉन प्राइमेट्स मैमल्स (गाय, कुत्ता, चिंता, भैंस, चूहा, बिल्ली आदि)
Q.13 लैंगिक जनन में कौन सा विभाजन पाया जाता है?
Ans: समसूत्री एवं अर्धसूत्री विभाजन।
Q.14 बांस अपने जीवन में कब पुष्पम करता है?
Ans: 50 से 100 वर्ष में जीवन में एक बार पुष्पण करता है।
Q.15 नीलाकुरंजी (स्ट्राॅबिलस कुंथियाना) अपने जीवन काल में कब पुष्पण करता है?
Ans: प्रत्येक 12 वर्ष में।
Q.16 क्लेमाइडोमोनास में जनन कैसे होता हैं?
Ans: चल बीजाणु (zoospore) द्वारा अलैंगिक जनन।
Q.17 किस जनन में विभिन्नताएं उत्पन्न होती है?
Ans: लैंगिक जनन
Q.18 जीवों के लिए जनन क्यों अनिवार्य है?
Ans: जनन किसी जीव द्वारा अपने सामान संतति यह उत्पन्न करने की क्षमता जनन कहलाती है। जीवों में जनन जातीयता, वंश को बनाए रखने के लिए होता है। जनन के द्वारा जीवन की निरंतरता बनी रहती है। प्रत्येक जीव निश्चित अवधि के बाद मृत हो जाता है, किंतु इससे पहले जनन की क्रिया द्वारा नयी संतति का निर्माण करता है। जनन के कारण ही पादपों,जंतुओं, पक्षियों आदि की संख्या बनी हुई है। यदि जनन नहीं होगा, तो जीवों का अस्तित्व ही नहीं होगा। अतः जीवों के लिए जनन अनिवार्य है।
Q.19 जनन की अच्छी विधि कौन सी है और क्यों?
Ans: प्राय: लैंगिक जनन को ही जनन की अच्छी विधि माना जाता है क्योंकि इसके अंतर्गत गुणसूत्रों की अदला बदली होती है, जिसके कारण संतति अपने जनक से भिन्न होता है। लैंगिक जनन से विभिन्नताएं उत्पन्न होती है जो जैव विकास के लिए महत्वपूर्ण अवयव है। लैंगिक जनन के द्वारा जंतुप्रजक एक परिपक्व शिशु को जन्म देते हैं जिन्हें प्रतिकूल परिस्थितियों, शिकारियों आदि से कोई खतरा नहीं होता है। अतः यह जनन की सबसे अच्छी विधि है।
Q.20 अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतति को क्लोन क्यों कहा जाता है?
Ans: जनन की वह विधि जिसमें केवल एक जनक संतति का निर्माण करता है अलैंगिक जनन कहलाता है। इसमें जनक ही विभाजन द्वारा विभाजित होकर संतति बनता है। यह संतति आकारिकी, आनुवंशिक एवं शारीरिक रूप से बिल्कुल अपने जनक के समान होती है इसलिए इन्हें क्लोन कहा जाता है।
उदाहरण : एककोशिकीय जीव, अमीबा, हाइड्रा ,आदि।
Q.21 द्विलिंगी पुष्प क्या है? द्विलिंगी पुष्पों के सामान्य व वैज्ञानिक नाम लिखिए।
Ans: ऐसे पुष्प जिसमें नर एवं मादा जनन अंग पाए जाते हैं, द्विलिंगी पुष्प कहलाते हैं। इनमें सामान्यतः स्वपरागण पाया जाता है।
उदाहरण :
सरसों - ब्रैसिका कैम्पेस्ट्रिस
आम - मैंगिफेरा इंडिका
Q.22 लैंगिक जनन के द्वारा बने संतति को जीवित रहने के अच्छे अवसर होते हैं क्यों? क्या यह कथन हर समय सही होता है?
Ans: यह कथन सही है कि लैंगिक जनन के परिणामस्वरुप बनी संतति को जीवित रहने के अच्छे अवसर होते हैं क्योंकि इनमें नर व मादा दोनों जनकों के गुणसूत्र उपस्थित होते हैं। इन संतति में विभिन्नताएं पाई जाती है।
यह कथन सदैव सही नहीं होता क्योंकि जनकों के रोग ग्रस्त होने पर वह रोग आने वाली पीढ़ियों में स्थानांतरित हो जाता है।
Q.23 अलैंगिक जनन द्वारा निर्मित संतति लैंगिक जनन द्वारा निर्मित संतति से किस प्रकार भिन्न है?
Ans: अलैंगिक जनन में केवल एक ही जनक भाग लेता है, जो समसूत्री विभाजन द्वारा विभाजित होकर संततियों का निर्माण करता है। इससे उत्पन्न संतति शारीरिक, आनुवंशिक रूप से अपने जनक के समान होते हैं तथा इन्हें क्लोन कहा जाता है।
उदाहरण : एक कोशिकीय जीव अंबा हाइड्रा आदि।
जबकि लैंगिक जनन में दो जनक भाग लेते हैं। इसमें अर्ध्दसूत्री विभाजन एवं समसूत्री विभाजन के द्वारा संतति का निर्माण होता है, जो जनक से भिन्न होते हैं अर्थात् इससे विभिन्नताएं पैदा होती है।
Q.24 कायिक जनन को अलैंगिक जनन क्यों माना जाता है?
Ans: कायिक जनन : यह पौधों में पाया जाता है जनन की इस विधि में जनक के शरीर में प्रवर्ध बनते हैं यही प्रावधान ने संतति का निर्माण करते हैं जो जनक के समान होती है इसलिए इसे अलैंगिक जनन कहते हैं।
उदाहरण : आलू में आंखें, अदरक में राइजोम, ब्रायोफिलम में पत्र कालिका, जलकुंभी में भूस्तारिका द्वारा कायिक प्रजनन होता है।
Q.25 व्याख्या करें
किशोर चरण
प्रजनन चरण
जीर्णता चरण
Ans: किशोर चरण (Juvenile stage) : सभी जीवो में वृद्धि निश्चित अवस्था तक होती है तथा परिपक्वता तक के वृद्धि के काल कों किशोर चरण कहते हैं। किशोर चरण का अंत प्रजनन चरण की शुरुआत को दर्शाता है। इस चरण में जीव प्रजनन की तैयारी करता है। पौधों में इसे कायिक प्रावस्था कहते हैं।
प्रजनन चरण (Reproductive stage) : इस अवस्था में जीव लैंगिक रूप से परिपक्व हो जाता है। युग्मकों का निर्माण होने लगता है। नए जीवों का निर्माण होता है। इस अवस्था में अंडाशय के गुणों में परिवर्तन, हार्मोन परिवर्तन होता है। इस चरण के दौरान ऑस्ट्रस ( मादा नाॅन प्राइमेट्स मैमल्स) एवं मेंस्ट्रूअल (मादा प्राइमेट्स मैमल्स) चक्र शुरू हो जाता है। इस अवस्था में पौधों में पुष्पण की शुरुआत होती है।
जीर्णता चरण (Sensory stage) : जनन के चरण का अंत जीर्णता कहलाता है। इस चरण के दौरान उपापचय क्रियाएं मंद होने लगती है। जीवो में चलने वाला मेंस्ट्रूअल चक्र, ऑस्ट्रस चक्र का अंत होता है। पौधे की पत्तियां पीली पड़ जाती है। उपापचय क्रियाओं का रुक जाना मृत्यु कहलाता है।
Q.26 अपनी जटिलता के बावजूद बड़े जीवो में लैंगिक जनन पाया जाता है क्यों?
Ans: लैंगिक जनन जटिल, विस्तृत व धीमी गति से होने वाली प्रक्रिया है। जनन की इस विधि के दौरान गुणसूत्र की अदला-बदली होने से नए लक्षण संतति में विकसित होते हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होते रहते हैं। इस प्रकार के जनन से विभिन्नताएं उत्पन्न होती है, जो जैव विकास के लिए आवश्यक होता है। अपने इन्हीं गुणों के कारण बड़े जीवों में लैंगिक जनन पाया जाता है।
Q.27 व्याख्या कीजिए कि अर्ध्दसूत्री विभाजन और युग्मक जनन सदैव अंतर संबंधित होते हैं।
Ans: लैंगिक जनन करने वाले जीव धारी में प्रजनन के दौरान अर्ध्दसूत्री विभाजन तथा युग्मक जनन की क्रियाएं होती है। सामान्यतः लैंगिक जनन करने वाले जीवधारी द्विगुणित होते हैं। युग्मक निर्माण की प्रक्रिया युग्मक जनन कहलाता है। शुक्राणुओं के निर्माण को शुक्राणुजनन तथा अंडाणुओं के निर्माण को अण्डाणुजनन कहते हैं। युग्मकों में गुणसूत्र की संख्या आधी होती है अर्थात् युग्मक सदैव अगुणित होते हैं। अतः युग्मक जनन की प्रक्रिया अर्ध्दसूत्री विभाजन द्वारा होता है। इस प्रकार युग्मक जनन व अर्धसूत्री विभाजन सदैव अंतर संबंधित होते हैं। निषेचन के दौरान यही अगुणित अंडाणु व शुक्राणु मिलकर द्विगुणित युग्मनज बनाते हैं। इस युग्मनज से भ्रूण बनता है जो नए जीव का निर्माण करता है।
Q.28 एक पुष्प में निषेचन पश्च अवस्था निषेचन के पश्चात् होने वाले परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
Ans: पुष्पीय पादपों में दोहरा निषेचन के दौरान युग्मन संलयन व त्रिसंलयन होता है। इसके फल स्वरुप भ्रूणकोष में द्विगुणित युग्मनज तथा त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रक बनता है। इससे क्रमशः भ्रूण तथा भ्रूणपोष बनता है। भ्रूणपोष परिपक्व हो रहे भ्रूण को पोषण देता है। इसके साथ-साथ बीजाण्ड में निम्न परिवर्तन होते हैं, जिसके फल स्वरुप बीजाण्ड, बीज में तथा अंडाशय, फल में परिवर्तित होता है।
बीजाण्डवृंत - बीजवृंत बनाता है ।
अध्यावरण - बीजावरण
अण्डद्वार - बीजद्वार
बीजाण्डकाय - नष्ट हो जाता है। कभी-कभी कुछ भाग बचा होता है, जिसे परिभ्रूणपोष कहते हैं।
अंडाशय भित्ति - फल भित्ति ।
Q.29 अण्डप्रजक प्राणियों की संतानों का उत्तरजीवन (सर्वाइवल) सजीवप्रजक प्राणियों की तुलना में अधिक जोखिमयुक्त होता है क्यों? व्याख्या करें।
Ans: अण्डप्रजक : ऐसे प्राणी जिनमें बाह्य निषेचन होता है अर्थात् निषेचित अंडे का विकास मादा शरीर के बाहर होता है, उसे अण्डप्रजक कहते हैं। मादा कैल्शियम युक्त कवच से ढके अंडे को सुरक्षित स्थान पर मुक्त करती हैं। अंडों में भ्रूणीय विकास होता है तथा शिशु का निर्माण होता है। निश्चित अवधि के बाद अंडों के फूटने से शिशु मुक्त हो जाता है, इसे बाह्य परिवर्धन (external development) कहते हैं। अतः यह पर्यावरणीय प्रतिकूल परिस्थितियों एवं शिकारियों से प्रभावित होते हैं इसलिए इनकी उत्तरजीविता अधिक जोखिमयुक्त होता है। अण्डप्रजक प्राणियों को विकास के लिए कम समय मिलता है।
उदाहरण मत्स्य, उभयचर, सरीसृप, पक्षी वर्ग के प्राणी अण्डप्रजक होते हैं।
सजीवप्रजक : इसमें आंतरिक निषेचन होता है अर्थात् निषेचित युग्मनज का विकास मादा शरीर के अंदर होता है, इसे आंतरिक परिवर्धन (internal development) कहते हैं। युग्मनज से भ्रूणीय विकास द्वारा शिशु का निर्माण होता है। शिशु का विकास पूरा होने के बाद प्रसव के द्वारा शिशु का जन्म होता है। इसमें शिशु का विकास आंतरिक होने के कारण और विकास में अधिक समय लगने के कारण इनकी उत्तरजीविता कम जोखिमपूर्ण होती है। आंतरिक विकास के कारण यह बाह्य वातावरण व बाह्य प्राणियों (शिकारियों) से सुरक्षित होते हैं। यही कारण है कि सजीवप्रजक की उत्तरजीविता अण्डप्रजक अपेक्षा अधिक होती है।
उदाहरण स्तनधारी वर्ग के प्राणी सजीवप्रजक होते हैं।
Q.30 बाह्य निषेचन एवं आंतरिक निषेचन में अंतर लिखिए।
Q.31 युग्मकजनन एवं भ्रुणोद्भव के बीच अंतर लिखिए।
Q.32 जूस्पोर एवं युग्मनज में अंतर लिखिए।
Q.33 मद चक्र एवं आर्तव चक्र में अंतर लिखिए।
Q.34 अलैंगिक जनन एवं लैंगिक जनन में अंतर लिखिए।