पादप जगत
पादप के लक्षण
सेल्यूलोज की बनी कोशिका भित्ति पाई जाती है।
क्लोरोफिल पाया जाता हैं।
स्वपोषी होते हैं। प्रकाश संश्लेषण करते हैं।
भोजन स्टार्च के रूप में रूप में सचित होता है।
शैवाल
शैवालों का अध्ययन एल्गोलॉजी या फाइकोलॉजी कहलाता हैं।
इसे थैलोफाइट भी कहते हैं।
यह जलीय होते हैं तथा शुद्ध एवं लवणीय जल में पाए जाते हैं। कुछ शैवाल मृदा में पाए जाते हैं।
शरीर थैलस के समान होता हैं।
ये अगुणित होते हैं। अपवाद फ्यूकस
क्लोरोफिल वर्णक पाया जाता है।
क्लोरोप्लास्ट उपस्थित ।
कोशिका भित्ति सेल्यूलोज की बनी होती हैं ।
भोजन स्टार्च के रूप में संचित होता है।
संवहनी ऊतकों का अभाव होता है जैसे जाइलम एवं फ्लोएम।
प्रकाश संश्लेषण करते हैं। स्वपोषी होते हैं।
विश्व में पाए जाने वाली सभी शैवालों में समुद्री शैवाल विश्व में प्रकाश संश्लेषण का 50% से अधिक प्रकाश संश्लेषण करते हैं।
ये समबीजाणु (समान बीजाणु) उत्पन्न करते हैं।
इनमें अलैंगिक या लैंगिक जनन पाया जाता हैं।
इनमें भ्रूण नहीं बनते हैं।
Classification of Algae
Green algae
Brown algae
Red algae
ब्रायोफाइटा
आवास नमी छायादार क्षेत्र
जल एवं स्थल दोनों में पाए जाते हैं इसलिए इन्हें पादप जगत का उभयचर कहा जता हैं ।
संवाहिनी ऊतक नहीं पाए जाते ।
इनमें भ्रूण बनते हैं।
शरीर जड़रूपी तना रुपी पत्ती रूपी होता हैं।
लैंगिक अंग बहुकोशिकीय होते हैं।
ये युग्मकोद्भिद होते हैं।
नर लैंगिक अंग को एंथरीडियम एवं मादा लैंगिक अंग को आर्कीगोनिया कहते हैं।
सम बीजाणु बनते हैं।
द्विगुणित अगुणित चक्र पाया जाता है।
द्विगुणित बीजाणुद्भिद अवस्था पाई जाती है किंतु युग्मकोद्भिद अवस्था अधिक स्थाई /प्रभावी होता है।
वर्गीकरण
A) लिवरवर्ट
जेमा कप उपस्थित होता है यह हरि बहुकोशिकीय अलैंगिक कालिका होता है जब यह जमीन पर गिरता है तो इससे नया पौधा बनता है।
मूलाभास एक कोशिकीय होता है।
कायिक जनन पाया जाता है।
मार्केसिया मैं बीजाणु प्रकीर्णन के लिए एलेटर्स कैप्सूल में पाए जाते हैं।
Ex. मार्केसिया, रक्सिया
B) माॅसेस
मूलाभास बहु कोशिकीय होता है।
बीजाणु के अंकुरण से प्रोटोनेमा अवस्था बनता है जो विसर्पी तंतु में अवस्था होता है। इससे पत्तीदार अवस्था उत्पन्न होती है जिससे लैंगिक अंग विकसित होते हैं ।
बीजाणुद्भिद अवस्था मोसेस में अधिक विकसित होता है लिवरवर्ट की तुलना में।
Ex. स्फैग्नम, फुनेरिया, पॉलीट्रिकम
Life cycle of bryophyta
Liverwort
Mossses
टेरिडोफाइटा
आवास नमी छायादार क्षेत्र
शरीर जड़ तना पत्ती में विभेदित ।
प्रथम स्थलीय पादप माने जाते हैं। किंतु कुछ टेरिडोफाइटा को निषेचनहेतु जल की आवश्यकता होती है अतः कहा जाता है कि सजीव टेरिडोफाइट्स सभी जगह नहीं मिलते हैं।
संवाहिनी ऊतक पाए जाते, किंतु जायलम में वाहिका एवं फ्लोएम में चालनी नली का अभाव होता है।
द्विगुणित अगुणित चक्र पाया जाता है।
माइक्रोफिलस पत्ती (सैलेजिनेला एवं लाइकोपोडिया में) एवं मैक्रोफिलस पत्ती (फर्न में) पाए जाते हैं।
सम बीजाणु एवं विषमबीजाणु (सैलेजिनेला, साल्विनिया) बनते हैं।
Note : विषमबीजाणु अवस्था में प्रोथैलस नहीं बनता जबकि समबीजाणु अवस्था में प्रोथैलस बनता है।
बीजाणुद्भिद होते हैं ।
वर्गीकरण
1) सिलोप्सिडा
सबसे पुराना समूह है।
Ex. Psilotum
2) लाइकोप्सिडा
मोसेस कहते हैं।
शंकु बनते हैं।
Ex. Lycopodium, सैलेजिनेला
3) स्फिनोप्सिडा
Horse tail समान होता है।
शंकु बनते हैं।
Ex. Equisetum
4) टेरोप्सिडा
सबसे बड़ा समूह है।
इसके अंतर्गत फर्न आते हैं।
Ex. Adiantum, Azolla, Dryopteris, pteris
Classification of pteridophyta
Psilotum
Lycopodium
Equisetum
Fern
जिम्नोस्पर्म
ये पूर्ण रूप से स्थलीय पादप होता हैं ।
ये फेनेरोगेम्स होते हैं ।
सजावटी पौधे होते हैं ।
संवाहिनी ऊतक पाए जाते, किंतु जायलम में वाहिका एवं फ्लोएम में चालनी नली का अभाव होता है।
बीजाणुद्भिद होते हैं।
शरीर जड़ तना पत्ती में विभेदित ।
मध्यम ऊंचाई वाले होते हैं। कुछ लंबे वृक्ष एवं झाड़ियां भी इसके अंतर्गत आते हैं।
इनमें नग्न बीज बनते हैं। अर्थात बीज फल द्वारा ढके नहीं होते।
सभी विषम बीजाणुक होते हैं नर एवं मादा अलग-अलग बनते हैं।
जीवन चक्र द्विगुणित चक्र होता है।
Gymnosperm - root, stem, leave