बाजार दर्शन
जैनेंद्र कुमार
जैनेंद्र कुमार
“बाजार दर्शन” जैनेंद्र कुमार का एक प्रसिद्ध निबंध है, जिसमें उन्होंने बाजार के प्रभाव और उपभोक्तावाद पर गहरी टिप्पणी की है। लेखक अपने मित्रों और परिचितों के अनुभवों के माध्यम से बताते हैं कि कैसे बाजार की आकर्षक सजावट और विज्ञापन व्यक्ति को अनावश्यक वस्तुएं खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं। वे इसे "शैतान का जाल" मानते हैं, जो लोगों को अपनी आवश्यकताओं से भटका देता है। लेखक का कहना है कि बाजार का उद्देश्य ग्राहकों को आकर्षित करना है, और यदि व्यक्ति का मन खाली होता है, तो वह बाजार के जादू से बच नहीं सकता। इसलिए, बाजार में जाने से पहले अपनी आवश्यकताओं को समझना और मन को नियंत्रित रखना आवश्यक है।
1. “बाजार दर्शन” के लेखक कौन हैं?
A) महादेवी वर्मा
B) फणीश्वरनाथ रेणु
C) धर्मवीर भारती
D) जैनेंद्र कुमार ✅
2. लेखक ने अपने मित्र से पूछा कि उन्होंने इतना सामान क्यों खरीदा, तो मित्र ने क्या उत्तर दिया?
A) बाजार में छूट मिल रही थी
B) पत्नी ने कहा था
C) बाजार शैतान का जाल है ✅
D) घर की आवश्यकता थी
3. लेखक के अनुसार, बाजार का मुख्य उद्देश्य क्या है?
A) ग्राहकों को लूटना
B) ग्राहकों को आकर्षित करना ✅
C) ग्राहकों को संतुष्ट करना
D) ग्राहकों को शिक्षा देना
4. लेखक के अनुसार, बाजार का जादू किसके माध्यम से काम करता है?
A) हाथों के
B) मन के
C) आंखों के ✅
D) कानों के
5. लेखक के अनुसार, बाजार में जाने से पहले क्या करना चाहिए?
A) जेब में पैसे भरने चाहिए
B) मन को नियंत्रित करना चाहिए ✅
C) मित्रों को साथ ले जाना चाहिए
D) बाजार की योजना बनानी चाहिए
6. “पर्चेजिंग पावर” से लेखक का क्या तात्पर्य है?
A) पैसे की शक्ति ✅
B) वस्तुओं की गुणवत्ता
C) बाजार की स्थिति
D) ग्राहक की संख्या
7. लेखक के अनुसार, बाजार में जाने से पहले क्या समझना चाहिए?
A) वस्तुओं की कीमत
B) अपनी आवश्यकताओं को ✅
C) बाजार की सजावट
D) दुकानदार की नीयत
8. लेखक ने बाजार को किससे तुलना की है?
A) शैतान के जाल से ✅
B) स्वर्ग के द्वार से
C) शिक्षा के मंदिर से
D) खेल के मैदान से
9. लेखक के अनुसार, बाजार में जाने से पहले क्या करना चाहिए?
A) मन को नियंत्रित करना चाहिए ✅
B) जेब में पैसे भरने चाहिए
C) मित्रों को साथ ले जाना चाहिए
D) बाजार की योजना बनानी चाहिए
10. लेखक के अनुसार, बाजार का जादू किसके माध्यम से काम करता है?
A) हाथों के
B) मन के
C) आंखों के ✅
D) कानों के
प्रश्न 1: बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या -क्या असर पड़ता है?
उत्तर: बाजार का जादू चढ़ने पर मनुष्य बाजार के आकर्षक वस्तुओं के मोह जाल में फंस जाता है। इसी कारण ग्राहक बाजार से ऐसी वस्तुओं को खरीदकर लाता है जिसकी उसे आवश्यकता ही नहीं होती। ये वस्तुएँ कुछ समय बाद सिर्फ घर के किसी कोने की शोभा बढ़ाती है।
जब बाजार का जादू उतरता है, तो मनुष्य को यह अहसास होता है कि जो वस्तु उन्होंने आराम के लिए खरीदी भी उल्टा वह अब उसके आराम में खलल डाल रही है।
प्रश्न 2: बाजार में भगत जी के व्यक्तित्व का कौन-सा सशक्त पहलू उभरकर आता है ? क्या आपकी नजर में उनका आचरण समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकता है?
उत्तर: बाजार में भगत जी के व्यक्तित्व का यह सशक्त पहलू उभरकर सामने आता है कि उन्हें अपनी आवश्यकताओं का भली-भाँति ज्ञान हैं। वे उतना ही कमाना चाहते है जितनी उन्हें आवश्यकता है। बाजार का जादू उन पर नहीं चल पाता, जो अपनी आवश्यकताओं के वस्तुओं के लिए बाजार का उपयोग करते हैं। वे खुली आँखे, संतुष्ट मन और मग्नभाव से बाजार जाते है भगत जी जैसे व्यक्ति समाज में शांति लाते हैं क्योंकि ये बाजार से अधिक वस्तुओं का संग्रह व संचय नहीं करते है अर्थात् ऐसे लोगों की दिनचर्या संतुलित होती है जिसके फलस्वरूप लोगों में अशांति के साथ-साथ मंहगाई भी नहीं बढ़ती । अतः समाज में शांति बनी रहती है।
प्रश्न 3: बाजारूपन से क्या तात्पर्य है? किस प्रकार के वयक्ति बाज़ार को सार्थकता प्रदान करते है अथवा बाजार की सार्थकता किसमें है?
उत्तर: बाजारूपन का तात्पर्य ऊपरी चमक-दमक से है। समान बेचने वाले जब बेकार वस्तुओं को भी आकर्षक बनाकर मनचाहे दाम में बेचते हैं तब बाजार में बाजारूपन आ जाता है। ऐसे ग्राहक जो अपने धन को दिखाने के लिए अनावश्यक वस्तु खरीदते है, वे भी बाजारूपन बढ़ाते हैं।
केवल वही व्यक्ति बाजार को सार्थकता प्रदान करता है जिसे अपनी आवश्यकताओं का भली-भाँति ज्ञान होता है।
प्रश्न 4: बाजार किसी का लिंग, जाति, धर्म या क्षेत्र नहीं देखता यह देखता है सिर्फ उसकी क्रय शक्ति को। इस रूप में वह एक प्रकार से सामाजिक समता की भी रचना कर रहा है। आप इससे कहा तक सहमत है।
उत्तर: हम इस बात से सहमत है क्योंकि, हम पढ़ाई, आवास, लिंग, जाति, धर्म के क्षेत्र में पढ़ाई, आवास, धर्म, लिंग के आधार पर भेदभाव देखते है किंतु बाजार इन सब से अलग है, वह सबके लिए खुला होता है। बाजार के लिए हर कोई व्यक्ति ग्राहक ही होता है, जहाँ ग्राहक अपनी आवश्यकताओं की वस्तुओं को खरीदता है। इस प्रकार बाजार सामाजिक समता की रचना करता है।
प्रश्न 5: बाजार दर्शन पाठ में बाजार जाने या न जाने के संदर्भ में मां की कई स्थितियों का जिक्र आया है आप इन स्थितियों से जुड़े अपने अनुभवों का वर्णन कीजिए
उत्तर:
मन खाली हो : जब मैं बाजार ऐसी ही घूमने के लिए गई तो मैंने अनावश्यक चीजों को खरीद लिया जिनकी कीमत सामान्य से अधिक थी।
मन खाली न हो : जब मैं बाजार केवल एक कपड़ा लेने के उद्देश्य से गई तो वहां की आकर्षक वस्तुओं की ओर मेरा ध्यान गया ही नहीं मैं बस एक कपड़ा खरीदकर वापस घर आ गई।
मन बंद हो : जब मेरा मन बहुत उदास होता है तो बाजार की आकर्षक वस्तुएं मेरा ध्यान आकर्षित नहीं कर पाती और मैं कुछ लिए बिना ही घर आ जाती हूं।
प्रश्न 6: भगत जी बाजार को सार्थक व समाज को शांत कैसे कर रहे थे? पाठ बाजार दर्शन के आधार पर समझाइए।
उत्तर: भगत जी बाजार को सार्थक व समाज को शांत कर रहे थे क्योंकि उन्हें अपनी आवश्यकताओं का भली-भांति ज्ञान था। वह कभी 6 आना से ज्यादा का चुरन नहीं बेचता था तथा इसके पश्चात बचे हुए चुरन को बच्चों में बांट देता था। वह बाजार से अनावश्यक चीजों का संग्रह नहीं करता था। उदाहरण के लिए जब वह जीरा और काली नमक खरीदने के लिए बाजार गया तब वहा पसारी की दुकान से केवल वही खरीदा और वापस घर आ गया। वह खुली आंखों, संतुष्ट मन तथा मग्न भाव से बाजार जाता था। अतः उनके कारण महंगाई नहीं बढ़ती। अतः समाज में शांति बनी रहेगी।
Q.7 कैपिटलिस्टिक अर्थशास्त्र अर्थात पूंजीवादी अर्थशास्त्र को लेखक ने किन आधारों पर मायावी एवं अनीतिपूर्ण कहां है?
Ans: कैपिटलिस्टिक अर्थशास्त्र अर्थात पूंजीवादी अर्थशास्त्र को लेखक ने निम्नलिखित आधारों पर मायावी एवं अनीतिपूर्ण कहां है -
बाजार का मूल स्वरूप : बाजार का काम आवश्यकताओं की पूर्ति करना होता है किंतु जब बाजार में व्यापारी अधिक धन कमाने के चक्कर में कपट भाव अपने लगता है तब बाजार का मूल स्वरूप ही बदल जाता है।
खराब वस्तुओं को अधिक दाम में बेचना : जब विक्रेता खराब सस्ती वस्तुओं को अधिक आकर्षक बनाकर उसे ऊंचे दाम में बेचने लगता है तब बाजार में कपट भावना आ जाता है।
एक के हानि में दूसरे को अपना लाभ दिखना : पूंजीवादी अर्थशास्त्र में विक्रेता अधिक धन कमाने के चक्कर में दूसरे को हानि भी पहुंचा सकता है।
पूंजीवादी बाजार : पूंजीवादी बाजार में मानवता, आपसी भाईचारे की भावना समाप्त हो जाती है।
Q.8 लेखक के अनुसार, बाजार का जादू कैसे काम करता है और इससे बचने के उपाय क्या हैं?
Ans: लेखक के अनुसार, बाजार का जादू मुख्यतः आंखों के माध्यम से काम करता है। जब व्यक्ति बाजार में जाता है और आकर्षक तरीके से रखी गई वस्तुओं को देखता है, तो उसकी इच्छा उन वस्तुओं को खरीदने की होती है। यदि व्यक्ति का मन खाली होता है, तो वह बाजार के जादू से बच नहीं सकता। इससे बचने के लिए, लेखक सलाह देते हैं कि बाजार में जाने से पहले अपनी आवश्यकताओं को समझना चाहिए और मन को नियंत्रित रखना चाहिए। यदि मन भरा हुआ है, तो बाजार का जादू उस पर असर नहीं करेगा।
Q.9 “बाजार दर्शन” में लेखक ने बाजार के प्रभाव को कैसे दिखाया है?
Ans: लेखक जैनेंद्र कुमार ने “बाजार दर्शन” में यह बताया है कि बाजार केवल वस्तुएँ बेचने के लिए आकर्षक सजावट और विज्ञापनों का प्रयोग करता है। जब कोई व्यक्ति बाजार में जाता है, तो उसकी दृष्टि आकर्षक वस्तुओं पर पड़ती है और वह उन्हें खरीदने की इच्छा महसूस करता है। लेखक इसे “शैतान का जाल” कहते हैं, जो लोगों को अपनी वास्तविक आवश्यकताओं से भटका देता है। यदि व्यक्ति सतर्क नहीं होता, तो वह अनावश्यक चीज़ें खरीदकर अपने पैसे और समय का अपव्यय कर देता है।
Q.10 लेखक ने अपने मित्रों के अनुभव क्यों बताए हैं?
Ans: लेखक ने मित्रों के अनुभव इसलिए बताए हैं ताकि यह स्पष्ट हो सके कि बाजार का प्रभाव किस प्रकार सभी पर पड़ता है। उदाहरण के रूप में, मित्र बाजार में अनावश्यक वस्तुएँ खरीद लेते हैं क्योंकि वे सजावट और विज्ञापनों से प्रभावित होते हैं। यह दृष्टांत पाठकों को बाजार के आकर्षण के प्रभाव को समझने में मदद करता है और चेतावनी देता है कि सतर्क न रहने पर कोई भी इसके जाल में फंस सकता है।
Q.11 बाजार में जाने से पहले व्यक्ति को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
Ans: लेखक के अनुसार, बाजार में जाने से पहले व्यक्ति को अपनी आवश्यकताओं को समझना चाहिए और मन को नियंत्रित रखना चाहिए। केवल वही वस्तुएँ खरीदनी चाहिए जो वास्तव में जरूरी हों। इससे व्यक्ति अनावश्यक खर्च से बचता है और मानसिक शांति बनाए रखता है। सतर्क रहने से बाजार के आकर्षण और विज्ञापनों के प्रभाव से बचा जा सकता है।
Q.12 कहानी से उपभोक्तावाद के बारे में क्या संदेश मिलता है?
Ans: कहानी यह संदेश देती है कि उपभोक्तावाद व्यक्ति की इच्छाओं और मानसिकता को प्रभावित करता है। आकर्षक वस्तुएँ और विज्ञापन मन को भटकाते हैं और अनावश्यक खरीदारी की ओर ले जाते हैं। लेखक कहते हैं कि समझदारी से निर्णय लेने और आवश्यकताओं को पहचानने से ही व्यक्ति इस प्रभाव से बच सकता है।
Q.13 बाजार का मनुष्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
Ans: लेखक के अनुसार, अगर व्यक्ति सतर्क नहीं रहता तो बाजार में जाने से उसके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। वह अनावश्यक खर्च करता है और मानसिक असंतोष अनुभव करता है। लेकिन यदि व्यक्ति समझदारी और आत्म-नियंत्रण से खरीदारी करता है, तो जीवन में संतुलन और आर्थिक सुरक्षा बनी रहती है।