पहलवान की ढोलक
फणीश्वर नाथ रेणु
फणीश्वर नाथ रेणु
“पहलवान की ढोलक” फणीश्वरनाथ रेणु की एक उत्कृष्ट आंचलिक कहानी है, जो ग्रामीण जीवन की सजीव चित्रण प्रस्तुत करती है। कहानी का नायक लुट्टन सिंह है, जो एक राजदरबारी पहलवान है। राजा की मृत्यु के बाद नया राजकुमार कुश्ती की बजाय घुड़दौड़ को प्राथमिकता देता है, जिससे लुट्टन सिंह को दरबार से बाहर कर दिया जाता है। वह अपने परिवार के साथ गाँव लौट आता है और वहाँ बच्चों को कुश्ती सिखाता है।
गाँव में मलेरिया और हैजा जैसी महामारियाँ फैल जाती हैं, जिससे पूरा गाँव प्रभावित होता है। लुट्टन सिंह स्वयं भी बीमार हो जाता है, लेकिन वह रात भर ढोलक बजाकर गाँववालों में साहस और उम्मीद बनाए रखता है। उसकी ढोलक की आवाज़ गाँववालों के लिए संजीवनी का काम करती है। अंत में, जब उसके दोनों बेटे भी महामारी से मर जाते हैं, तो वह फिर भी अपनी ढोलक बजाता रहता है, ताकि गाँववालों का हौंसला बना रहे। कहानी में पुराने और नए समाज के बीच संघर्ष और लोक कला की प्रासंगिकता को दर्शाया गया है।
1. कहानी "पहलवान की ढोलक" के लेखक कौन हैं?
A) प्रेमचंद
B) फणीश्वरनाथ रेणु ✅
C) जयशंकर प्रसाद
D) महादेवी वर्मा
2. लुट्टन सिंह का पेशा क्या था?
A) किसान
B) पहलवान ✅
C) शिक्षक
D) व्यापारी
3. कहानी में लुट्टन सिंह को दरबार से क्यों निकाला गया?
A) उनकी उम्र अधिक हो गई थी
B) नए राजकुमार ने कुश्ती की बजाय घुड़दौड़ को प्राथमिकता दी ✅
C) उन्होंने राजा के आदेश का पालन नहीं किया
D) उन्होंने दरबार में झगड़ा किया
4. लुट्टन सिंह ने गाँव में क्या कार्य शुरू किया?
A) खेती
B) बच्चों को कुश्ती सिखाना ✅
C) व्यापार
D) संगीत सिखाना
5. गाँव में कौन सी महामारियाँ फैली थीं?
A) मलेरिया और हैजा ✅
B) बर्ड फ्लू और डेंगू
C) कोरोना और स्वाइन फ्लू
D) पोलियो और चेचक
6. लुट्टन सिंह रात भर क्या बजाता था?
A) बांसुरी
B) ढोलक ✅
C) तबला
D) हारमोनियम
7. लुट्टन सिंह के दोनों बेटे किस कारण मरे?
A) दुर्घटना
B) महामारी ✅
C) भूख
D) बर्फीली हवा
8. कहानी में लुट्टन सिंह की ढोलक की आवाज़ का क्या प्रभाव था?
A) लोगों को नींद आती थी
B) लोगों में साहस और उम्मीद बनी रहती थी ✅
C) लोग परेशान हो जाते थे
D) लोग सो जाते थे
9. कहानी में लुट्टन सिंह का जीवन किससे प्रभावित था?
A) युद्ध
B) महामारी और गरीबी ✅
C) प्रेम
D) शिक्षा
10. कहानी का मुख्य संदेश क्या है?
A) कला की प्रासंगिकता और संघर्ष की महत्ता ✅
B) युद्ध की आवश्यकता
C) प्रेम का महत्व
D) शिक्षा की आवश्यकता
प्रश्न 1: लुट्टन सिंह का जीवन संघर्षपूर्ण क्यों था?
उत्तर: लुट्टन सिंह का जीवन संघर्षपूर्ण था क्योंकि उसके माता-पिता का निधन बचपन में ही हो गया था। वह अपनी विधवा सास के साथ रहता था और गाँववालों की तंगदिली का शिकार होता था। इन परिस्थितियों ने उसे पहलवान बनने की प्रेरणा दी।
प्रश्न 2: लुट्टन सिंह की ढोलक की आवाज़ का गाँववालों पर क्या प्रभाव था?
उत्तर: लुट्टन सिंह की ढोलक की आवाज़ गाँववालों में साहस और उम्मीद का संचार करती थी। यह आवाज़ रात की निस्तब्धता में एक प्रकाश की तरह थी, जो उन्हें महामारी से लड़ने की ताकत देती थी।
प्रश्न 3: कहानी में महामारी का क्या चित्रण है?
उत्तर: कहानी में महामारी का चित्रण इस प्रकार है कि मलेरिया और हैजा ने गाँव में हाहाकार मचा दिया था। लोगों की मौतों से गाँव सुनसान हो गया था, और लोग अपने प्रियजनों को खोने के बाद भी संघर्ष कर रहे थे।
प्रश्न 4: लुट्टन सिंह के दोनों बेटों की मृत्यु किस कारण हुई?
उत्तर: लुट्टन सिंह के दोनों बेटे महामारी के कारण मरे। हालाँकि, वे अपने पिता से ढोलक बजाने की इच्छा व्यक्त करते हुए मर गए, जिससे उनके पिता को और भी अधिक दुःख हुआ।
प्रश्न 5:कहानी में पुराने और नए समाज के बीच संघर्ष को कैसे दर्शाया गया है?
उत्तर: कहानी में पुराने और नए समाज के बीच संघर्ष को इस प्रकार दर्शाया गया है कि पुराने समय में कुश्ती जैसे लोककला को महत्व दिया जाता था, लेकिन नए समय में घुड़दौड़ जैसी गतिविधियों को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे लोककला अप्रासंगिक हो जाती है।
प्रश्न 6: कुश्ती के समय ढोल की आवाज और लुट्टन के दांव-पेंच में क्या तालमेल था। पाठ में आए ध्वन्यात्मक शब्द और ढोल की आवाज आपके मन में कैसी ध्वनि पैदा करते हैं। उन्हें शब्द दीजिए।
उत्तर: कुश्ती के समय ढोल की आवाज और लुट्टन के दांव-पेंच में अद्भुत ताल मेल था। ढोल की आवाज के बल पर लुट्टन कुश्ती कर रहा था। केवल ढोल की आवाज ही लुट्टन को प्रोत्साहित कर रही थी। ढोल की आवाज व लुट्टन के दांव-पेंच में निम्नानुसार ताल मेला था -
धाक विना, तिरकट तिना - दांव कांटों बाहर हो जाओ।
चटाक चट धा - उठाकर पटक दे।
धिना-धिना, धिक धिना - चारों खाने चित्त कर दें।
ढोल की ध्वन्यात्मक शब्द हमारे मन में उत्साह का संचार करती हैं। ढोल की आवाज लुट्टन को एक नई उम्मीद देती थी, उसे प्रोत्साहित करती थी।
प्रश्न 7: कहानी के किस-किस मोड़ पर लुट्टन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए?
उत्तर: कहानी के निम्न मोड़ पर लुट्टन के जीवन में निम्नलिखित परिवर्तन आए -
बाल्यावस्था : लुट्टन के माता-पिता का देहांत उसके बचपन में ही हो गया। उसकी साॅंस ने उसका पालन पोषण किया, जिसे गांव के लोग बहुत परेशान करते थे। इसका बदला लेने के लिए लुट्टन ने पहलवानी सीखा।
यौवनावस्था : लुट्टन ने कुश्ती में शेर के बच्चे चांद सिंह को हरा दिया जिसके कारण राजा ने उसे दरबार में रख लिया। कुछ समय बाद उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई और उसने अपने दोनों पुत्रों को भी कुश्ती सिखाया।
राजा की मृत्यु : राजा की मृत्यु के बाद नए राजकुमार ने लुट्टन को दरबार से निकाल दिया जिसके कारण लुट्टन को अपने दोनों पुत्रों के साथ गांव जाना पड़ा। गांव में हैजा और मलेरिया फैलने के कारण उनके दोनों पुत्रों की मृत्यु हो गई। लुट्टन ढोल बजता रहता था जिसकी आवाज लोगों में संजीवनी शक्ति व उत्साह भरती थी।
प्रश्न 8: लुट्टन पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है?
उत्तर: मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है लुट्टन पहलवान के ऐसा कहने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं -
लुट्टन ने कुश्ती किसी गुरु से नहीं बल्कि ढोल की आवाज से सीखी थी।
ढोल की आवाज उसे दांव पेंच सिखाती हुई तथा आदेश देती हुई प्रतीत होती थी।
ढोल की आवाज लुट्टन को कुश्ती के लिए प्रोत्साहित करती थी। जब भी वह ढोल की आवाज सुनता था तब उसक मन सामने वाले को पछाड़ने के लिए मचलने लगता था।
ढोल की आवाज से ही उसने 'शेर के बच्चे' चांद सिंह को कुश्ती में हरा दिया था।
प्रश्न 9: गांव में महामारी फैलने और अपने बेटों की मृत्यु के बाद भी लुट्टन ढोल क्यों बजाता रहा?
उत्तर: जब राजा की मृत्यु हो गई और नए राजकुमार ने शासन अपने हाथ में लिया, तब लुट्टन और उसके दोनों पुत्र को राजकुमार ने दरबार से निकाल दिया जिसके बाद लुट्टन अपने पुत्रों के साथ गांव चला गया। उसी समय गांव में हैजा और मलेरिया काफी फैल चुका था तथा गांव वालों की मृत्यु के कारण गांव में सन्नाटा छाया हुआ था। इसी प्रकार की सन्नाटा लुट्टन पहलवान के मन में भी उनके दोनों पुत्रों की मृत्यु के बाद छाया हुआ था। ऐसे में लुट्टन की ढोल की आवाज गांव वालों की निराशा कम करती थी। गांव में महामारी फैलने व अपने दोनों बेटों की मृत्यु के बाद भी लुट्टन ढोल इसलिए बजाता रहा जिससे वह महामारी को चुनौती दे सके तथा उसके पुत्रों की मृत्यु का दुख कम हो और गांव वालों को इस महामारी से लड़ने की प्रेरणा दे सके।
प्रश्न 10: ढोलक की आवाज का पूरे गांव पर क्या असर होता था?
उत्तर: ढोलक की आवाज का पूरे गांव पर निम्नलिखित असर होता था -
गांव में हैजा व मलेरिया फैलने तथा सूखे के कारण लोगों की मृत्यु होने लगी थी जिसके कारण गांव में सन्नाटा छाया हुआ था। ऐसी स्थिति में ढोलक की आवाज गांव वालों में संजीवनी शक्ति तथा जीने की एक आशा उत्पन्न करती थी।
ढोलक की आवाज महामारी को चुनौती देती थी क्योंकि ढोलक की आवाज लोगों के साहस को दुगनी करती थी।
ढोलक की आवाज ही लुट्टन पहलवान के दोनों पुत्रों के मृत्यु के दुख को कम करती थी तथा लोगों को महामारी से लड़ने की प्रेरणा देती थी।
ढोलक की आवाज गांव में व्याप्त सन्नाटे को कम करती थी।
प्रश्न 11: महामारी फैलने के बाद गांव में सूर्योदय तथा सूर्यास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था?
उत्तर: महामारी फैलने के बाद गांव में सूर्योदय तथा सूर्यास्त के दृश्य में अंतर इस प्रकार था
सूर्योदय का दृश्य : सूर्योदय के समय गांव में कोलाहल तथा हाहाकार के बावजूद भी लोगों के चेहरे पर जीवन की चमक होती थी। लोग एक-दूसरे को दिलासा देते रहते हैं थे और एक दूसरे के दुख में शामिल होते थे।
सूर्यास्त का दृश्य : सूर्यास्त होते ही गांव का सारा दृश्य बदल जाता था। लोग अपने-अपने घरों में डूबकर बैठ जाते थे। गांव में चारों ओर सन्नाटा छा जाता था। केवल बच्चों के रोने की आवाज, कुत्तों के रोने की आवाज, उल्लू की आवाज़ें सुनाई पड़ती थी। ऐसे समय में लुट्टन पहलवान अपना ढोल बजाता था जो महामारी को चुनौती देता था।
प्रश्न 12: ढोलक की थाप मृत गांव में संजीवनी शक्ति भरती रहती थी। कला से जीवन के संबंध को ध्यान में रखते हुए समझाइए।
उत्तर: ढोलक की थाप मृत गांव में संजीवनी शक्ति भरती रहती थी। कला से जीवन का संबंध निम्नलिखित प्रकार से होता है -
कला व्यक्ति के मन से परिवार, धर्म, जाति, भाषा आदि की सीमाएं को मिटाकर मानव मन को व्यापकता प्रदान करता है।
कला व्यक्ति के मन को उदार बनती है।
कला में ही मानव के अभिरुचि को दिशा देने, उसके मन में संवेदनाएं उभारने की क्षमता होती है।
कला के ज्ञान को अर्जित करने से आत्म संतोष एवं आनंद की अनुभूति होती है।
मानव जीवन का कला के हर रूप
काव्य, संगीत, नृत्य आदि से अटूट संबंध है।
प्रश्न 13: लुट्टन सिंह का चरित्र चित्रण कीजिए।
उत्तर: लुट्टन सिंह एक संघर्षशील और साहसी पहलवान है। उसका जीवन कठिनाइयों से भरा था, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। वह अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद अपनी विधवा सास के साथ रहा और गाँववालों की तंगदिली का शिकार हुआ। इन परिस्थितियों ने उसे पहलवान बनने की प्रेरणा दी। वह राजदरबारी पहलवान था, लेकिन नए राजकुमार के आने के बाद उसे दरबार से बाहर कर दिया गया। वह अपने परिवार के साथ गाँव लौट आया और बच्चों को कुश्ती सिखाने लगा। गाँव में महामारी फैलने पर, उसने रात भर ढोलक बजाकर गाँववालों में साहस और उम्मीद का संचार किया। उसकी ढोलक की आवाज़ गाँववालों के लिए संजीवनी का काम करती थी। उसका जीवन संघर्ष, साहस और लोककला के प्रति प्रेम का प्रतीक है।
प्रश्न 14: कहानी में महामारी का प्रभाव और लुट्टन सिंह की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: कहानी में महामारी का प्रभाव इस प्रकार दिखाया गया है कि मलेरिया और हैजा ने गाँव में हाहाकार मचा दिया था। लोगों की मौतों से गाँव सुनसान हो गया था, और लोग अपने प्रियजनों को खोने के बाद भी संघर्ष कर रहे थे। लुट्टन सिंह ने इस कठिन समय में अपनी ढोलक की आवाज़ से गाँववालों में साहस और उम्मीद का संचार किया। वह रात भर ढोलक बजाता था, ताकि लोग महामारी से लड़ने की ताकत पाएं। उसकी ढोलक की आवाज़ गाँववालों के लिए संजीवनी का काम करती थी। उसकी भूमिका इस समय में एक प्रेरणास्त्रोत की थी, जो लोगों को संघर्ष और उम्मीद की राह दिखाता था।
प्रश्न 15: कहानी में पुराने और नए समाज के बीच संघर्ष को कैसे दर्शाया गया है?
उत्तर: कहानी में पुराने और नए समाज के बीच संघर्ष को इस प्रकार दर्शाया गया है कि पुराने समय में कुश्ती जैसे लोककला को महत्व दिया जाता था, लेकिन नए समय में घुड़दौड़ जैसी गतिविधियों को प्राथमिकता दी जाती है। नए राजकुमार के आने के बाद, लुट्टन सिंह को दरबार से बाहर कर दिया जाता है, क्योंकि वह कुश्ती के बजाय घुड़दौड़ को प्राथमिकता देता है। यह बदलाव पुराने और नए समाज के बीच संघर्ष को दर्शाता है, जहाँ लोककला को अप्रासंगिक माना जाता है। कहानी में यह दिखाया गया है कि कैसे समय के साथ समाज की प्राथमिकताएं बदलती हैं और लोककला की प्रासंगिकता कम होती जाती है।