अतीत में दबे पांव
ओम थानवी
ओम थानवी
लेखक ने मोहनजोदड़ो की यात्रा के माध्यम से प्राचीन सभ्यता की समृद्धि और उसकी योजनाबद्ध संरचना को उजागर किया है। उन्होंने वहाँ की सड़कों, गलियों, स्नानागारों, कुओं और अन्य संरचनाओं का विवरण दिया है, जो उस समय की उन्नत नगर योजना को दर्शाते हैं। लेखक के अनुसार, मोहनजोदड़ो और हड़प्पा प्राचीन भारत के ही नहीं, बल्कि विश्व के सबसे पुराने और योजनाबद्ध तरीके से बसे शहरों में से हैं।
मोहनजोदड़ो की नगर योजना अत्यधिक व्यवस्थित थी, जिसमें सड़कों का ग्रिड प्लान, पक्की ईंटों से बने स्नानागार और जल निकासी की सुव्यवस्थित व्यवस्था शामिल थी। लेखक ने वहाँ की टूटी-फूटी सीढ़ियों, घरों की देहरी और रसोई की खिड़कियों के माध्यम से अतीत की गंध और संस्कृति को महसूस किया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इन खंडहरों में खड़े होकर व्यक्ति इतिहास के उस पन्ने को महसूस कर सकता है, जो अब तक अनलिखा था।
लेखक ने मोहनजोदड़ो के बौद्ध स्तूप का भी उल्लेख किया, जिसे नागर भारत का सबसे पुराना लैंडस्केप माना जाता है। यह स्तूप पच्चीस फुट ऊँचे चबूतरे पर स्थित है, जो बौद्ध भिक्षुओं के कक्षों से घिरा हुआ है। इसके इर्द-गिर्द की खुदाई से सिंधु घाटी सभ्यता की देहरी पर पहुँचा गया, जिससे यह सिद्ध हुआ कि भारत में प्राचीन सभ्यता का अस्तित्व था।
इस यात्रा-वृत्तांत के माध्यम से लेखक ने अतीत की सभ्यता और संस्कृति को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया है, जिससे पाठकों को इतिहास के प्रति गहरी रुचि और समझ विकसित होती है।
1. "अतीत में दबे पाँव" के लेखक कौन हैं?
(a) आनंद यादव
(b) ओम थानवी ✅
(c) मनोहर श्याम जोशी
(d) फणीश्वरनाथ रेणु
2. लेखक किस स्थान की यात्रा का वर्णन करते हैं?
(a) दिल्ली
(b) मोहनजोदड़ो ✅
(c) वाराणसी
(d) अजंता
3. मोहनजोदड़ो किस प्राचीन सभ्यता का हिस्सा था?
(a) मौर्य
(b) सिंधु घाटी ✅
(c) गुप्त
(d) विजयनगर
4. लेखक मोहनजोदड़ो की यात्रा में किस चीज़ का विशेष उल्लेख करते हैं?
(a) सड़कों और गलियों ✅
(b) समुद्र तट
(c) पहाड़
(d) मंदिर
5. मोहनजोदड़ो की नगर योजना का क्या विशेष था?
(a) गलियों का अराजक वितरण
(b) ग्रिड प्लान और जल निकासी ✅
(c) केवल धार्मिक स्थल
(d) केवल आवासीय भवन
6. मोहनजोदड़ो में लेखक ने किस संरचना का विशेष वर्णन किया?
(a) स्तूप और स्नानागार ✅
(b) महल
(c) बाजार
(d) किला
7. लेखक ने मोहनजोदड़ो में क्या महसूस किया?
(a) आधुनिकता
(b) अतीत की सभ्यता और संस्कृति ✅
(c) शहरी जीवन
(d) खेल-कूद
8. मोहनजोदड़ो का बौद्ध स्तूप किस ऊँचाई पर स्थित है?
(a) 10 फुट
(b) 25 फुट ✅
(c) 50 फुट
(d) 100 फुट
9. लेखक के अनुसार मोहनजोदड़ो और हड़प्पा का महत्व क्या है?
(a) केवल धार्मिक दृष्टि से
(b) विश्व के सबसे पुराने और योजनाबद्ध शहर ✅
(c) केवल खेलकूद स्थल
(d) व्यापारिक केंद्र
10. "अतीत में दबे पाँव" का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) पर्यटन स्थल दिखाना
(b) इतिहास और संस्कृति का अनुभव कराना ✅
(c) केवल यात्रा वर्णन
(d) आधुनिक शहरों का तुलनात्मक अध्ययन
प्रश्न 1: अतीत के दबे पांव में वर्णित महाकुंड का वर्णन कीजिए।
उत्तर: अतीत के दबे पांव में एक महाकुंड का वर्णन हुआ है जो मोहन-जोदड़ो में स्थित है, इसकी विशेषताएं निम्नलिखित है -
यह महाकुंड 40 फुट लंबा, 25 फुट चौड़ा और 7 फुट गहरा है।
महाकुंड में उत्तर व दक्षिण से सीढ़ियां उतरती है।
महाकुंड के उत्तर दिशा में आठ स्नानघर है।
महाकुंड के तीनों ओर साधुओं के कक्ष बने हुए हैं।
इस महा कुंड की खास बात यह है कि यह पक्की ईटों से बनी है तथा इसका पानी रिस ना सके और बाहर का गंदा पानी इसके जल में ना मिल सके, इसके लिए इसमें चूने के गारो का प्रयोग किया गया है।
यह कुंड वास्तुकला का अनुपम उदाहरण है।
इस कुंड के गंदे पानी को बाहर निकालने के लिए नालियां बनाई गई है जो पक्की ईटों से बनी है और पक्की ईटों से ढकी हुई है। महाकुंड में पानी के बंदोबस्त हेतु एक कुआं है। यह एकमात्र दोहरी घेरे वाला कुआं है।
प्रश्न 2: मोहनजोदड़ो की सभ्यता को 'लो प्रोफाइल सभ्यता' क्यों कहा गया है
उत्तर: मोहनजोदड़ो की सभ्यता 'लो प्रोफाइल सभ्यता' कहा गया है, इसके निम्नलिखित कारण है -
यहां पर राजा की मूर्ति मिली है जिस पर मुकुट है इस मुकुट का आकार बहुत छोटा है।
यहां पर नाव भी मिली है इसका आकार बहुत छोटा है।
यहां पर बड़े-बड़े पूजा स्थल मूर्तियां नहीं पाई गई जो अन्य सभ्यताओं में धर्म की ताकत दिखाते हुए पाए गए।
यहां कोई भी ऐसी वस्तुएं अथवा मूर्तियां नहीं पाई गई है जिसमें दिखावा हो।
हड़प्पा में वास्तु कला पत्थर एवं धातु की बनी मूर्तियां मिट्टी के बानी बरतन तथा उन पर बने चित्र खिलौने शुगर लिपि आभूषण पाए गए किंतु मोहनजोदड़ो में नहीं।
हड़प्पा कला सौंदर्य शिव समृद्धि तो थी किंतु यह कला सौंदर्य राज पोषित या धर्म पोषित नहीं बल्कि समाज पोषित था।
यहां एक महाकुंड पाया गया है जो किसी खास व्यक्ति के लिए नहीं बल्कि सामूहिक स्नान के लिए है।
यहां मिले राजाओं के महल छोटे हैं अर्थात् मोहनजोदड़ो की सभ्यता को 'लो प्रोफाइल सभ्यता' कहा जा सकता है।
प्रश्न 3: सिंधु घाटी सभ्यता साधन संपन्न थी किंतु उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था। कैसे?
उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता साधन संपन्न थी, किंतु उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था यह निम्नलिखित तथ्यों से पता चलता है -
सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई से मिले प्रमाणों से पता चलता है कि यहां सभी चीजें आवश्यकता के अनुरूप थी।
यहां की सड़कों, नालियों, घरों का निर्माण सुनियोजित नगर के रूप में हुआ है।
यहां जितने भी खेती के औजार, कामगारों के औजार, वास्तुकला, बर्तनों पर चित्रकारी, मूर्तियां, आभूषण पर चित्रकारी सभी आवश्यकताओं के अनुरूप है दिखावे की नहीं।
यहां जल की व्यवस्था हेतु अनेक कुएं है तथा यह कुएं पक्की ईटों से बनी है तथा इसके पानी को रिसने से और गंदे पानी को इसमें मिलने से रोकने के लिए इसमें चूने के गारे लगाए गए हैं।
यहां पर एक महाकुंड है जो सामूहिक स्नान के लिए बनाया गया था।
यहां मिली राजा की मूर्ति पर जो मुकुट है, वह छोटे आकार का है।
यहां मिली नवें छोटे आकार की है।
यहां जल निकासी की सुनियोजित व्यवस्था की गई है। जल निकासी हेतु बनाई गई नालियां पक्की ईंटों से बनी है तथा पक्की ईंटों से ढकी गई है।
यहां के अन्नभंडार, बैलगाड़ियां आदि इस बात को प्रमाणित करते हैं कि यह साधन संपन्न थी किंतु इसमें भव्यता का दिखावा नहीं था।
प्रश्न 4: सिंधु सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य बोध है जो राज्य पोशाक यह धर्म पोषित ना होकर समाज पोषक था ऐसा क्यों कहा गया है?
या
सिंधु घाटी के लोगों में कल या सुरुचि का महत्व अधिक था उदाहरण देकर समझाइए।
या
सिंधु घाटी सभ्यता की कला का वर्णन कीजिए।
उत्तर: सिंधु सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य बोध है जो राज पोशाक या धर्म पोषित ना होकर समाज पोषित था यह निम्नलिखित तथ्यों से पता चलता है -
या
सिंधु घाटी के लोगों में कल या सुरुचि का अधिक महत्व था यह निम्नलिखित तथ्यों से पता चलता है -
या
सिंधु घाटी सभ्यता का कला सौंदर्य अद्भुत है यह निम्नलिखित तथ्यों से पता चलता है -
सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई से वास्तुकला, बर्तनों पर चित्रकारी, मूर्तियां, पत्थर एवं धातुओं की बनी मूर्ति, आभूषणों पर की गयी चित्रकारी, मनुष्य, वनस्पति, पशु-पक्षियों की छवियां, सुघड़ लिपि खिलौने आदि मिले हैं, जो यहां की कला सिद्ध जाहिर करता है।
सिंधु घाटी सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य बोध है जिसमें आकार की भव्यता की जगह कला की भव्यता दिखाई देती है।
यहां के लोग सुइयों से कसीदाकारी का काम करते थे।
यहां सुए से दरियां बुनते थे।
नर्तकों, दाढ़ी वाले नरेशों की मूर्ति इसकी कल के नमूने हैं।
प्रश्न 5: अतीत के दबे पांव के आधार पर पर्यटक मोहनजोदड़ो में क्या-क्या दृश्य देख सकते हैं?
उत्तर: अतीत के दबे पांव के आधार पर पर्यटक मोहनजोदड़ो में निम्नलिखित दृश्य देख सकते हैं -
बौद्ध स्तूप : मोहनजोदड़ो में सबसे ऊंचे टीले पर बड़ा बौद्ध स्तूप है। यह स्तूप 25 फीट ऊंचे चबूतरे पर बनी है। इसे भारत का सबसे पुराना लैंडस्केप कहते हैं। यह चबूतरा एक खास हिस्से में है, जिसे गढ़ कहते हैं।
प्रसिद्ध महाकुंड : मोहनजोदड़ो में एक महाकुंड है । यह 40 फुट लंबा, 25 फुट चौड़ा और 7 फुट गहरा है। इसमें उत्तर व दक्षिण से सीढ़ियां उतरती है। यह पक्की ईटों से बनी है तथा इसमें चूने के गारो का प्रयोग किया गया हैं।
मूर्तियां : यहां धातु एवं पत्थरों की बनी मूर्तियां है, जो यहां की वास्तुकला को दर्शाता है। यहां पर नरेश की मूर्ति मिली है।
जल निकासी : यहां जल निकासी की सुनियोजित व्यवस्था की गई है। यहां की नालियां पक्की ईटों से बनी है तथा पक्की ईटों से ढकी हुई भी है।
सुनियोजित नगर व्यवस्था : मोहनजोदड़ो में सुनियोजित नगर की व्यवस्था है।
प्रश्न 6: नंदी, कुएं, स्नानागार और बेजोड़ निकासी व्यवस्था को देखते हुए लेखक पाठकों से प्रश्न करता है कि क्या हम सिंधु घाटी सभ्यता को 'जल संस्कृति' कह सकते हैं ?
उत्तर: नंदी, कुएं, स्नानागार और बेजोड़ निकासी व्यवस्था को देखते हुए सिंधु घाटी सभ्यता को 'जल संस्कृति' कहा जा सकता है इसके निम्नलिखित कारण है -
सिंधु नदी : सिंधु घाटी सभ्यता सिंधु नदी के किनारे बसी हुई है। अतः यहां पानी की कमी नहीं रही होगी। उन्हें खेतों में सिंचाई हेतु नदी से पानी प्राप्त होता रहा होगा।
कुएं : सिंधु घाटी सभ्यता में अनेक कुएं लगभग 700 पाए गए हैं। उनकी विशेषताएं यह है कि यह कुंए पक्की ईटों से बनी है तथा इसमें चूने के गारो का प्रयोग किया गया है ताकि स्वच्छ जल रिस ना सके और गंदा जल कुएं के पानी में ना मिले।
स्नानागार : मोहनजोदड़ो में एक महाकुंड पाया गया, जो सामूहिक स्नान के लिए बनाया गया था। यह महाकुंड 40 फुट लंबा, 25 फुट चौड़ा और 7 फुट गहरा है। इसमें उत्तर व दक्षिण से सीढ़ियां उतरती है। यह पक्की ईटों से बनी है तथा इसमें चूने के गारो का प्रयोग किया गया हैं।
जल निकासी व्यवस्था : सिंधु घाटी सभ्यता में सुनियोजित जल निकासी व्यवस्था थी। यहां नालियां पक्की ईटों से बनी थी और पक्की ईंटों से ढकी भी थी।
प्रश्न 7: सिंधु सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता थी। कैसे?
उत्तर: सिंधु सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता थी। यह निम्नलिखित तथ्यों से पता चलता है -
औजार एवं हथियार सिंधु सभ्यता में पाए गए खेती के औजार, कामगारों के औजार आवश्यकता के अनुरूप है, किंतु यहां उस प्रकार के हथियार नहीं पाए गए जो कि किसी राजतंत्र में पाए जाते हैं।
घरों की बनावट सिंधु सभ्यता में घरों का आकर एक समान है तथा उन घरों में कमरों की संख्या एक समान है। यहां नरेश के बड़े-बड़े महल नहीं मिले जो अन्य राजतंत्र में होते हैं।
नरेश का मुकुट यहां मिले नरेश के मुकुट का आकार अन्य देशों के राजाओं के मुकुट के आकार से काफी छोटे हैं।
नांव का आकार यहां अनेक नांव पाए गए जो छोटे आकार के हैं। किंतु अन्य राजतंत्र में बड़े-बड़े नांव पाए गए।
पूजा स्थल एवं मूर्तियां सिंधु घाटी सभ्यता में धातु, पत्थरों की मूर्तियां पायी गयी है, किंतु राजतंत्र की तरह यहां पर विशाल पूजा स्थल, बड़े-बड़े मूर्तियां नहीं मिले।
प्रश्न 8: टूटे-फूटे खंडहर सभ्यता और संस्कृति के इतिहास के साथ-साथ धड़कते जिंदगियों के अंश हुए समय का भी दस्तावेज होते हैं भाव स्पष्ट करें।
उत्तर: टूटे-फूटे खंडहर सभ्यता और संस्कृति के इतिहास के साथ-साथ धड़कते जिंदगियों के अंश हुए समय का भी दस्तावेज होते हैं। इसका भाव इस प्रकार है -
किसी भी अतीत के पांव में दबी सभ्यता की जानकारी उसके टूटे-फूटे खण्डहरों, खुदाई से प्राप्त वस्तुओं से मिलती है।
ओम थानवी के अनुसार उन खंडहरों की दीवारों पर टिक्कर हम उसकी वास्तुकला द्वारा उसकी प्राचीन संस्कृति को समझ सकते हैं।
हम रसोई घर की खिड़की पर खड़े होकर उनके गंध का अनुभव कर सकते हैं।
हम सुनसान शहर के सड़कों पर बैलगाड़ी की रुन-झुन सुन सकते हैं।
मिट्टी के रंग से उस काल के बर्तनों व मूर्तियों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
कई नगर योजनाएं ऐसी भी है जो तब से आज तक वैसी की वैसी बनी हुई है। मानो कल की बात हो, लोग निकल गए वक्त रह गया। शायद लोग शाम तक लौट आने वाले हो।