विदाई संभाषण
बालमुकुंद गुप्त
बालमुकुंद गुप्त
हिंदी निबंधकार बालमुकुंद गुप्त का निबंध ‘विदाई-संभाषण’ हास्य और व्यंग्य का अद्भुत उदाहरण है। इसमें अंग्रेज़ी शासनकाल के एक अधिकारी के भारत से लौटने पर आयोजित विदाई समारोह का चित्रण है। ऐसे अवसरों पर औपचारिकता के चलते भारतीय नेता और गणमान्य लोग लंबे-चौड़े भाषणों में अधिकारियों की प्रशंसा करते थे। लेखक ने इन्हीं खोखले भाषणों को व्यंग्यपूर्ण शैली में उजागर किया है।
निबंध में शिवशंभु नामक पात्र की झलक भी मिलती है। शिवशंभु गुप्तजी की व्यंग्यात्मक रचनाओं का प्रमुख पात्र था, जो आम जनता की आवाज़ और व्यंग्यात्मक दृष्टि का प्रतिनिधित्व करता है। उसके माध्यम से अंग्रेज़ शासकों की झूठी अच्छाइयों पर कटाक्ष किया जाता है।
लेखक ने गाय का प्रसंग भी व्यंग्य में जोड़ा है। अंग्रेज़ अधिकारी भारतीय संस्कृति और धार्मिक भावनाओं की अनदेखी करते थे। गौहत्या जैसे मुद्दे पर उनकी नीतियाँ भारतीय जनता की भावनाओं के विपरीत थीं। भाषणों में अधिकारी को ‘भारत-प्रेमी’ और ‘न्यायप्रिय’ बताना जनता के लिए हास्यास्पद था।
इसी क्रम में लेखक ने लॉर्ड करजन के इस्तीफ़े की घटना का भी उल्लेख किया है। करजन ने 1905 में बंग-भंग (Partition of Bengal) की नीति लागू की थी, जिससे जनता में गहरा आक्रोश फैल गया। ब्रिटिश सरकार के साथ मतभेद और भारत में बढ़ते असंतोष के कारण करजन को इस्तीफ़ा देना पड़ा। इस पृष्ठभूमि में विदाई-संभाषण और अधिक प्रभावशाली बन जाता है, क्योंकि इसमें उन नीतियों की पोल खुलती है, जिनसे जनता दुखी थी, परंतु विदाई के समय प्रशंसा के गीत गाने पड़ते थे।
गुप्तजी की व्यंग्यपूर्ण भाषा, चुटीले वाक्य और शिवशंभु जैसे पात्र इस निबंध को हास्य के साथ-साथ सामाजिक यथार्थ का दर्पण बना देते हैं।
1. ‘विदाई-संभाषण’ के लेखक कौन हैं?
(a) प्रेमचंद
(b) बालमुकुंद गुप्त ✔️
(c) हज़ारीप्रसाद द्विवेदी
(d) जयशंकर प्रसाद
2. इस निबंध में किस अंग्रेज़ अधिकारी की विदाई का प्रसंग है?
(a) लॉर्ड विलियम बैंटिक
(b) लॉर्ड करजन ✔️
(c) लॉर्ड रिपन
(d) लॉर्ड डलहौजी
3. ‘विदाई-संभाषण’ किस प्रकार का निबंध है?
(a) गद्यालंकार
(b) व्यंग्यात्मक ✔️
(c) संस्मरण
(d) भावात्मक
4. शिवशंभु किसका प्रतीक है?
(a) अंग्रेज़ शासन का
(b) भारतीय जनता की आवाज़ का ✔️
(c) अंग्रेज़ अधिकारियों का
(d) नेताओं का
5. करजन ने किस नीति के कारण इस्तीफ़ा दिया?
(a) शिक्षा सुधार
(b) बंग-भंग ✔️
(c) कर नीति
(d) भूमि सुधार
6. विदाई भाषण में अधिकारियों की कैसी प्रशंसा की जाती थी?
(a) औपचारिक व झूठी ✔️
(b) सच्ची व ईमानदार
(c) भावुक व आत्मीय
(d) विद्रोही
7. बालमुकुंद गुप्त को हिंदी में किस नाम से जाना जाता है?
(a) निबंध सम्राट ✔️
(b) उपन्यास सम्राट
(c) कहानी सम्राट
(d) कवि सम्राट
8. विदाई-संभाषण का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) मनोरंजन
(b) व्यंग्य के माध्यम से सच प्रकट करना ✔️
(c) अंग्रेज़ों की प्रशंसा
(d) साहित्यिक सौंदर्य
9. करजन ने भारत में कौन-सी योजना लागू की?
(a) बंगाल का विभाजन ✔️
(b) न्यायालय सुधार
(c) रेलवे विस्तार
(d) शिक्षा आयोग
10. विदाई-संभाषण में गाय का प्रसंग किस बात को दर्शाता है?
(a) भारतीय समाज की धार्मिक संवेदनशीलता ✔️
(b) अंग्रेज़ों की दयालुता
(c) राजनीतिक सुधार
(d) भारतीय नेताओं की बहादुरी
प्रश्न 1. ‘विदाई-संभाषण’ किस प्रकार का निबंध है?
उत्तर – ‘विदाई-संभाषण’ व्यंग्यप्रधान निबंध है। इसमें अंग्रेज़ अधिकारियों की विदाई पर दिए जाने वाले भाषणों की खोखली प्रशंसा का चित्रण है। बालमुकुंद गुप्त ने इसे व्यंग्य और हास्य के माध्यम से प्रस्तुत कर औपनिवेशिक शासन की सच्चाई उजागर की है।
प्रश्न 2. इस निबंध का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर – इस निबंध का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि औपनिवेशिक शासकों की खोखली नीतियों और भारतीय नेताओं की चापलूसी को उजागर करना है। लेखक ने व्यंग्य के माध्यम से दिखाया कि कैसे विदाई भाषणों में असत्य और अतिशयोक्ति भरी होती थी।
प्रश्न 3. शिवशंभु कौन है और उसकी क्या भूमिका है?
उत्तर – शिवशंभु लेखक द्वारा रचा गया काल्पनिक पात्र है। वह आम जनता की सोच और व्यंग्यपूर्ण दृष्टि का प्रतिनिधि है। उसके माध्यम से अंग्रेज़ अधिकारियों की नीतियों और झूठी प्रशंसा पर तीखा कटाक्ष किया जाता है। वह व्यंग्य को जीवंत बनाता है।
प्रश्न 4. गाय का प्रसंग निबंध में क्यों जोड़ा गया है?
उत्तर – गाय भारतीय समाज की धार्मिक भावनाओं का प्रतीक है। अंग्रेज़ अधिकारियों द्वारा गौहत्या को बढ़ावा देना जनता की भावनाओं के विपरीत था। फिर भी विदाई भाषणों में उन्हें ‘भारत-हितैषी’ कहा जाता था। इस विरोधाभास को दिखाने के लिए गाय का प्रसंग जोड़ा गया।
प्रश्न 5. लॉर्ड करजन के इस्तीफ़े का कारण क्या था?
उत्तर – लॉर्ड करजन ने 1905 में बंगाल विभाजन (बंग-भंग) लागू किया। इससे पूरे देश में आक्रोश और असंतोष फैल गया। जनता और ब्रिटिश सरकार से मतभेद के कारण करजन को भारत के वायसराय पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा। निबंध में यह संदर्भ भी व्यंग्यात्मक रूप में जुड़ा है।
प्रश्न 6. गुप्तजी ने विदाई भाषणों को क्यों व्यंग्य का विषय बनाया?
उत्तर – क्योंकि ये भाषण वास्तविकता से दूर, केवल औपचारिक और चापलूसीपूर्ण होते थे। अधिकारी जनता को दुख पहुँचाते थे, पर विदाई पर उन्हें महान और न्यायप्रिय कहा जाता था। लेखक ने इस विरोधाभास और झूठी प्रशंसा को व्यंग्य का विषय बनाया।
प्रश्न 7. इस निबंध में हास्य और व्यंग्य किस प्रकार प्रकट हुआ है?
उत्तर – हास्य और व्यंग्य खोखली प्रशंसा, शिवशंभु की टिप्पणियों और गाय व करजन जैसे प्रसंगों के माध्यम से प्रकट हुआ है। लेखक ने गंभीर राजनीतिक और सामाजिक सच्चाइयों को हल्के-फुल्के अंदाज़ में प्रस्तुत किया, जिससे पाठक हँसते भी हैं और सोचते भी।
प्रश्न 8. लेखक की भाषा-शैली की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर – भाषा सरल, चुटीली और व्यंग्यपूर्ण है। इसमें हँसी-मज़ाक के साथ गहरी बात कही गई है। वाक्यों में तंज, विडंबना और व्यंग्य का अद्भुत प्रयोग है। यही भाषा-शैली निबंध को मनोरंजक बनाते हुए उसे गंभीर संदेश देने योग्य भी बनाती है।
प्रश्न 9. इस निबंध से उस समय के भारतीय समाज की कैसी स्थिति झलकती है?
उत्तर – उस समय भारतीय समाज अंग्रेज़ शासन से असंतुष्ट था। धार्मिक और सामाजिक भावनाओं की उपेक्षा होती थी। फिर भी राजनीतिक दबाव और औपचारिकता के कारण नेताओं को अंग्रेज़ अधिकारियों की प्रशंसा करनी पड़ती थी। निबंध इस विवशता और विरोधाभास को उजागर करता है।
प्रश्न 10. ‘विदाई-संभाषण’ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर – यह निबंध हमें सिखाता है कि खोखली प्रशंसा और चापलूसी से बचना चाहिए। सच्चाई का सामना करना और असत्य का विरोध करना आवश्यक है। व्यंग्यात्मक शैली में लिखी गई यह रचना हमें ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और औपनिवेशिक अन्याय के प्रति सजग रहने की प्रेरणा देती है।
1. शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहते हैं?
लेखक ने शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से यह संदेश दिया है कि मनुष्य ही नहीं, पशु भी एक-दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं। शिवशंभु के पास दो गायें थीं, जिनमें से एक दूसरी को मारती रहती थी। एक दिन जब मारने वाली गाय को ले जाया गया, तो दूसरी गाय ने चारा नहीं खाया और उदास हो गई। यह घटना दर्शाती है कि बिछड़ने का समय कितना पवित्र और कोमल होता है, और इस दौरान वैर-भाव भूलकर सभी शांत हो जाते हैं। यह भावनाएँ भारत के मनुष्य के साथ-साथ पशुओं में भी देखने को मिलती हैं।
2. "आठ करोड़ प्रजा के गिड़गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर आपने ज़रा भी ध्यान नहीं दिया" — यहाँ किस ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया गया है?
यह पंक्ति बंगाल के विभाजन (बंग-भंग) की ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत करती है। लॉर्ड कर्जन ने 1905 में बंगाल का विभाजन किया, जिससे बंगाल दो हिस्सों में बंट गया — पश्चिमी बंगाल और पूर्वी बंगाल। इस विभाजन के खिलाफ आठ करोड़ प्रजा ने गिड़गिड़ाकर प्रार्थना की, लेकिन कर्जन ने उनकी एक नहीं सुनी। यह घटना भारतीय जनता की भावनाओं की उपेक्षा और ब्रिटिश शासकों की असंवेदनशीलता को दर्शाती है।
3. लॉर्ड कर्जन को इस्तीफ़ा क्यों देना पड़ा?
लॉर्ड कर्जन को 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद भारतीय जनता के तीव्र विरोध और असंतोष का सामना करना पड़ा। इस विभाजन के कारण भारतीय समाज में भारी असहमति और आक्रोश फैल गया। इसके अतिरिक्त, कर्जन और भारतीय सेना के कमांडर-इन-चीफ, लॉर्ड किचनर के बीच सैन्य सुधारों को लेकर विवाद हुआ, जिससे प्रशासनिक संकट उत्पन्न हुआ। इन दोनों कारणों के कारण कर्जन को 1905 में भारत के वायसराय पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा।