मियाॅं नसीरुद्दीन
कृष्णा सोबती
कृष्णा सोबती
लेखिका कृष्णा सोबती एक दिन दिल्ली के मटियामहल क्षेत्र में स्थित मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान पर जाती हैं, जो छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने के लिए प्रसिद्ध है। वह मियाँ नसीरुद्दीन से उनके पेशे और रोटियाँ बनाने की कला के बारे में पूछती हैं। मियाँ नसीरुद्दीन अपने खानदानी पेशे पर गर्व करते हैं और बताते हैं कि उन्होंने यह कला अपने बुजुर्गों से सीखी है। वे इसे केवल पेशा नहीं, बल्कि एक कला मानते हैं।
जब लेखिका उनसे बादशाहों के बारे में पूछती हैं, तो मियाँ नसीरुद्दीन खीज जाते हैं और बताते हैं कि वे अपने पेशे में इतने निपुण हैं कि कुएँ में भी रोटी पका सकते हैं। वे लेखिका से अपने परिवार के बारे में भी बात करते हैं और बताते हैं कि वे अपने शागिर्दों को उचित वेतन देते हैं।
कहानी में मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र प्रस्तुत करते हुए लेखिका उनके चेहरे की झुर्रियों, अनुभव और मासूमियत को दर्शाती हैं, जो उनके जीवन के संघर्षों और पेशे के प्रति समर्पण को व्यक्त करते हैं।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी भी पेशे को सम्मान और समर्पण के साथ अपनाना चाहिए, क्योंकि यही जीवन की सच्ची कला है।
1. मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा गया है?
a) वे केवल रोटियाँ बनाते हैं
b) वे छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाते हैं ✔️
c) वे शाही बावर्चीखाने में काम करते हैं
d) वे रोटियाँ नहीं बनाते
2. लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन से क्यों मिलना चाहती थीं?
a) उनके खानदानी पेशे के बारे में जानने के लिए ✔️
b) उनसे रोटियाँ खरीदने के लिए
c) उनके परिवार के बारे में जानने के लिए
d) उनके साथ खाना खाने के लिए
3. मियाँ नसीरुद्दीन की उम्र कितनी थी?
a) 50 वर्ष
b) 60 वर्ष
c) 70 वर्ष ✔️
d) 80 वर्ष
4. मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर क्या विशेषता थी?
a) गुस्सा
b) अनुभव और मासूमियत ✔️
c) उदासी
d) खुशी
5. मियाँ नसीरुद्दीन ने रोटियाँ बनाने की कला कहाँ से सीखी थी?
a) स्कूल से
b) उस्ताद से ✔️
c) स्वयं से
d) किताबों से
6. मियाँ नसीरुद्दीन ने कितने प्रकार की रोटियाँ बनाई थीं?
a) 50
b) 55
c) 56 ✔️
d) 60
7. मियाँ नसीरुद्दीन के दादा का नाम क्या था?
a) आला नानबाई ✔️
b) मियाँ बरकतशाही
c) मियाँ नसीरुद्दीन
d) मियाँ कल्लन
8. लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन से कौन सा प्रश्न पूछा था?
a) आपके बेटे-बेटियाँ कितने हैं?
b) आपने रोटियाँ कैसे बनाईं? ✔️
c) आपने शाही बावर्चीखाने में कब काम किया?
d) आप कहाँ रहते हैं?
9. मियाँ नसीरुद्दीन ने लेखिका से कौन सा प्रश्न पूछा था?
a) आप कौन हैं?
b) आप कहाँ से आई हैं?
c) आप क्या चाहती हैं? ✔️
d) आप क्या पूछना चाहती हैं?
10. मियाँ नसीरुद्दीन ने लेखिका के सवालों का क्या किया?
a) उत्तर दिए
b) टालमटोल किया ✔️
c) गुस्से में आ गए
d) चुप रहे
1. मियाँ नसीरुद्दीन कौन थे?
Ans: मियाँ नसीरुद्दीन एक मशहूर नानबाई थे, जो छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने में माहिर थे। उनका पेशा उनके परिवार से चलता आ रहा था। वे केवल रोटियाँ बनाने वाले नहीं, बल्कि अपने पेशे को कला और विज्ञान की तरह अपनाते थे।
2. लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन से क्यों मिलीं?
Ans: लेखिका उनसे उनके खानदानी पेशे और रोटियाँ बनाने की कला के बारे में जानने आईं। उनका उद्देश्य मियाँ नसीरुद्दीन के जीवन और उनके अनुभवों को समझना और पाठकों को यह दिखाना था कि पेशे में निपुणता कितनी महत्वपूर्ण होती है।
3. मियाँ नसीरुद्दीन का पेशा क्या था?
Ans: मियाँ नसीरुद्दीन पेशे से नानबाई थे। वे छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने में माहिर थे। वे इसे केवल कमाई का जरिया नहीं मानते थे बल्कि इसे एक कला की तरह करते थे। उनका यह पेशा उनके परिवार से पीढ़ियों तक चलता आ रहा था।
4. मियाँ नसीरुद्दीन की उम्र कितनी थी?
Ans: मियाँ नसीरुद्दीन लगभग 70 वर्ष के थे। उनकी उम्र उनके चेहरे पर झुर्रियों और अनुभव से स्पष्ट थी। उनका व्यक्तित्व दिखाता था कि वे अपने पेशे में लंबे समय से लगे हुए हैं और अपनी कला में पारंगत हैं।
5. मियाँ नसीरुद्दीन ने रोटियाँ कैसे बनाई?
Ans: मियाँ नसीरुद्दीन ने रोटियाँ बनाने की कला अपने उस्ताद और पिता से सीखी। उन्होंने यह कला अत्यंत ध्यान और अभ्यास से विकसित की। रोटियाँ बनाने में उनका कौशल और समर्पण दिखाता था कि वे इसे पेशा नहीं बल्कि जीवन का हिस्सा मानते थे।
6. मियाँ नसीरुद्दीन की रोटियों की खासियत क्या थी?
Ans: उनकी रोटियाँ स्वादिष्ट, मुलायम और अलग-अलग प्रकार की थीं। उन्होंने कुल छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाईं। उनके रोटियों का आकार, बनावट और स्वाद सभी में उत्कृष्टता थी। यह दर्शाता है कि मियाँ अपने पेशे में कितने पारंगत और निपुण थे।
7. मियाँ नसीरुद्दीन के दादा का पेशा क्या था?
Ans: मियाँ नसीरुद्दीन के दादा आला नानबाई थे। वे शाही बावर्चीखाने में काम करते थे और रोटियाँ बनाने की कला में पारंगत थे। उनके पिता भी नानबाई थे। मियाँ ने अपने दादा और पिता की कला और अनुभव से यह पेशा सीखा।
8. लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन से क्या पूछा?
Ans: लेखिका ने उनसे उनके पेशे, रोटियाँ बनाने की तकनीक और उनके खानदानी इतिहास के बारे में पूछा। वह यह जानना चाहती थीं कि मियाँ ने इतनी विविध और उत्कृष्ट रोटियाँ कैसे बनाई और उनके जीवन में इस पेशे का क्या महत्व है।
9. मियाँ नसीरुद्दीन ने लेखिका से क्या सवाल किया?
Ans: मियाँ नसीरुद्दीन ने लेखिका से पूछा कि वह कौन हैं और क्या जानना चाहती हैं। इससे उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और सरल स्वभाव झलकता है। वे जानना चाहते थे कि उनके बारे में जानकारी लेने वाली व्यक्ति की मंशा क्या है।
10. कहानी का मुख्य संदेश क्या है?
Ans: कहानी यह सिखाती है कि किसी भी पेशे को ईमानदारी, समर्पण और कला की दृष्टि से करना चाहिए। मियाँ नसीरुद्दीन का जीवन उदाहरण है कि संतोष, मेहनत और कौशल से जीवन को सरल और सार्थक बनाया जा सकता है।
1. मियाँ नसीरुद्दीन कौन थे और उनका पेशा क्या था?
Ans: मियाँ नसीरुद्दीन एक प्रसिद्ध नानबाई थे। उनका पेशा खानदानी था और पीढ़ियों से उनके परिवार में चला आ रहा था। वे छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने में निपुण थे। मियाँ नसीरुद्दीन का पेशा केवल कमाई का साधन नहीं था, बल्कि उनके लिए यह कला का माध्यम था। वे रोटियाँ बनाने में इतना दक्ष थे कि प्रत्येक रोटी का आकार, बनावट और स्वाद उत्तम होता था। उनकी कला का महत्व इतना था कि लोग दूर-दूर से उनकी बनाई रोटियाँ लेने आते थे। मियाँ नसीरुद्दीन की सरलता, विनम्रता और समर्पण उनके व्यक्तित्व में स्पष्ट झलकती थी। उनका जीवन दर्शाता है कि पेशे को ईमानदारी, लगन और समर्पण से अपनाने से उसे कला में बदलना संभव है।
2. लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन से क्यों मिलीं और बातचीत का उद्देश्य क्या था?
Ans: लेखिका कृष्णा सोबती मियाँ नसीरुद्दीन से मिलने उनके पेशे और खानदानी जीवन के बारे में जानने के लिए गईं। उनका उद्देश्य था मियाँ के जीवन और उनके पेशे की विविधताओं को समझना। बातचीत के दौरान मियाँ ने अपने पेशे के प्रति गर्व और लगन दिखाई। लेखिका ने उनसे रोटियाँ बनाने की तकनीक, उनके अनुभव और परिवार के बारे में सवाल किए। मियाँ ने इन सवालों का उत्तर देते हुए यह स्पष्ट किया कि उनका पेशा केवल रोज़गार का जरिया नहीं बल्कि जीवन का अभिन्न हिस्सा है। इस संवाद के माध्यम से पाठक यह समझते हैं कि पेशे में समर्पण, कौशल और संतोष ही असली सफलता है। कहानी में लेखिका और मियाँ की बातचीत से पाठक को ग्रामीण जीवन और पारंपरिक पेशों की गहराई का अनुभव होता है।
3. मियाँ नसीरुद्दीन की रोटियों की विशेषताएँ और प्रकार क्या थे?
Ans: मियाँ नसीरुद्दीन की रोटियाँ स्वादिष्ट, मुलायम और विविध प्रकार की थीं। उन्होंने कुल छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाईं, जिनमें बाकरखानी, शीरमाल, ताफ़तान, बेसनी, खमीरी, रूमाली आदि शामिल थीं। उनकी रोटियाँ आकार और बनावट में उत्तम थीं। हर रोटी में मियाँ की कला और अनुभव झलकता था। उनकी रोटियाँ केवल खाने के लिए नहीं, बल्कि देखने और अनुभव करने के लिए भी खास थीं। यह उनकी मेहनत, अनुशासन और कौशल को दर्शाता है। मियाँ ने यह कला अपने दादा और पिता से सीखी थी और इसे पीढ़ियों तक बनाए रखा। उनकी रोटियाँ न केवल स्वाद में बल्कि बनावट और प्रस्तुति में भी अद्वितीय थीं, जो दर्शाती हैं कि पेशे में महारत हासिल करना धैर्य और अभ्यास से ही संभव है।
4. मियाँ नसीरुद्दीन के दादा और परिवार का पेशा उनके लिए क्यों महत्वपूर्ण था?
Ans: मियाँ नसीरुद्दीन के दादा आला नानबाई थे, जो शाही बावर्चीखाने में काम करते थे। उनके पिता भी नानबाई थे। यह पेशा मियाँ के लिए खानदानी और गौरवशाली था। परिवार की परंपरा और अनुभव ने मियाँ को पेशे में उत्कृष्ट बनने में मदद की। उन्होंने अपने दादा और पिता से कला सीखी और इसे अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लिया। परिवार की परंपरा के कारण मियाँ अपने पेशे के प्रति गर्व महसूस करते थे। यह दिखाता है कि जीवन में पारिवारिक मूल्य और परंपराएं व्यक्ति की सफलता और कौशल को प्रभावित कर सकती हैं। मियाँ का जीवन इस बात का उदाहरण है कि परंपरा, अनुभव और लगन मिलकर पेशे को कला में बदल सकते हैं।
5. मियाँ नसीरुद्दीन की सरलता और व्यक्तित्व का वर्णन करें।
Ans: मियाँ नसीरुद्दीन का व्यक्तित्व बहुत सरल, विनम्र और सकारात्मक था। उनके चेहरे पर अनुभव और मासूमियत का मिश्रण स्पष्ट था। वे जीवन की कठिनाइयों को सहजता से स्वीकार करते थे और अपने पेशे में पूरी निष्ठा और लगन दिखाते थे। मियाँ दूसरों के साथ अपने अनुभव साझा करते थे, लेकिन उनकी गर्वहीनता और विनम्रता उन्हें अलग बनाती थी। उनका व्यक्तित्व यह दिखाता है कि जीवन में संतोष और सकारात्मक दृष्टिकोण से कठिनाइयों का सामना किया जा सकता है। मियाँ की यह सरलता उनके पेशे में भी झलकती थी, क्योंकि वे इसे केवल कला और जीवन के उद्देश्य के रूप में मानते थे, न कि केवल कमाई के साधन के रूप में।
6. कहानी में लेखक ने किस दृष्टि से गाँव और पेशे को प्रस्तुत किया है?
Ans: लेखिका ने कहानी में गाँव के जीवन और पारंपरिक पेशों को संवेदनशील और वास्तविक दृष्टि से प्रस्तुत किया है। उन्होंने मियाँ नसीरुद्दीन के जीवन के माध्यम से पेशे में समर्पण, कौशल और संतोष को उजागर किया। गाँव की सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थितियाँ पाठकों के सामने स्पष्ट होती हैं। लेखक ने पेशे के महत्व और पारिवारिक परंपराओं को भी दिखाया। कहानी में ग्रामीण जीवन की सरलता, लोगों की समझदारी और जीवन की यथार्थता पाठकों तक पहुंचाई गई है। यह कहानी हमें यह समझाती है कि पेशे में ईमानदारी और लगन से जीवन में सफलता और संतोष पाया जा सकता है।
7. मियाँ नसीरुद्दीन और लेखिका की बातचीत से क्या सिखने को मिलता है?
Ans: मियाँ नसीरुद्दीन और लेखिका की बातचीत से यह सिखने को मिलता है कि पेशे में समर्पण और अनुभव कितने महत्वपूर्ण हैं। बातचीत में मियाँ ने अपने पेशे, परिवार और जीवन के अनुभवों को साझा किया। लेखिका ने उनसे रोटियाँ बनाने की तकनीक और पेशे की कठिनाइयों के बारे में सवाल किए। मियाँ ने विनम्रता और सरलता से जवाब दिए। इस संवाद से पाठक समझते हैं कि मेहनत, कौशल और संतोष जीवन में सफलता और सम्मान का आधार हैं। यह बातचीत पेशेवर जीवन और व्यक्तिगत मूल्यों के बीच संतुलन का उदाहरण भी प्रस्तुत करती है।
8. कहानी में मियाँ के पेशे को कला के रूप में कैसे दिखाया गया है?
Ans: कहानी में मियाँ नसीरुद्दीन के पेशे को कला के रूप में दिखाया गया है। वे छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाते थे और हर रोटी का स्वाद, बनावट और आकार उत्तम होता था। यह सिर्फ काम नहीं बल्कि उनकी कलात्मक क्षमता और अनुभव को दर्शाता है। मियाँ अपने पेशे में इतनी महारत रखते थे कि हर रोटी में मेहनत और कौशल झलकता था। उनके लिए पेशा केवल कमाई का साधन नहीं था, बल्कि जीवन की कला और परिवार की परंपरा का हिस्सा था। कहानी में लेखक ने पेशे के प्रति समर्पण और कौशल को दिखाकर इसे कला के रूप में प्रस्तुत किया है।
9. मियाँ नसीरुद्दीन का जीवन आज के समय में हमें क्या सिखाता है?
Ans: मियाँ नसीरुद्दीन का जीवन आज के समय में यह सिखाता है कि पेशे में निपुणता, समर्पण और संतोष कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने पेशे को कला की तरह अपनाया और जीवन की छोटी-छोटी खुशियों को समझा। उनका जीवन यह बताता है कि मेहनत, अनुशासन और ईमानदारी के साथ कोई भी पेशा महान बन सकता है। वे दिखाते हैं कि व्यक्तित्व और व्यवहार का असर समाज में सम्मान और पहचान बनाने में भी महत्वपूर्ण होता है। आज भी मियाँ का जीवन विद्यार्थियों और पेशेवरों के लिए प्रेरणा स्रोत है।
10. कहानी का मुख्य संदेश क्या है?
Ans: कहानी का मुख्य संदेश यह है कि जीवन में पेशे को ईमानदारी, कौशल और लगन से करना चाहिए। मियाँ नसीरुद्दीन का उदाहरण हमें दिखाता है कि संतोष, मेहनत और कला के प्रति समर्पण जीवन को सरल और सार्थक बनाते हैं। कहानी यह भी बताती है कि पारिवारिक परंपरा, अनुभव और शिक्षा व्यक्ति की सफलता में योगदान करते हैं। पेशे को केवल रोज़गार का साधन न मानकर इसे कला और जीवन का हिस्सा बनाने से समाज में सम्मान और संतोष प्राप्त होता है।