आओं मिलकर बचाएं
निर्मला पुतुल
निर्मला पुतुल
आओ, मिलकर बचाएँ
अपनी बस्तियों को
नंगी होने से
शहर की आबो-हवा से बचाएँ उसे
बचाएँ डूबने से
पूरी की पूरी बस्ती को
हड़िया में
भावार्थ:
कवयित्री अपने समुदाय से अपील करती हैं कि वे अपनी बस्तियों को आधुनिकता और शहरीकरण के प्रभाव से बचाएँ। वे परंपराओं और सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण पर जोर देती हैं।
Questions & Answers:
1. कवयित्री किससे बचाने का आग्रह कर रही हैं?
उत्तर: शहरीकरण और आधुनिक जीवन के प्रभाव से।
2. "हड़िया में" का अर्थ क्या है?
उत्तर: हड़िया एक पारंपरिक आदिवासी पेय और प्रतीक, संस्कृति के संरक्षण के रूप में।
3. “नंगी होने से” का क्या अर्थ है?
उत्तर: अपनी सांस्कृतिक पहचान खोने से।
4. कवयित्री किन चीज़ों को बचाने का आह्वान करती हैं?
उत्तर: परंपराओं और बस्तियों को।
5. कविता का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: संस्कृति और पहचान के संरक्षण की प्रेरणा देना।
ठंडी होती दिनचर्या में
जीवन की गर्माहट
मन का हरापन
भोलापन दिल का
अक्खड़पन, जुझारूपन भी
भावार्थ:
कवयित्री कहती हैं कि शहरीकरण के प्रभाव से जीवन में ठंडक और निष्क्रियता आ गई है। मन का हरापन, भोलापन, अक्खड़पन और जुझारूपन धीरे-धीरे खो रहे हैं।
Questions & Answers:
1. कवयित्री किस कमी को महसूस कर रही हैं?
उत्तर: जीवन की गर्माहट और ऊर्जा की कमी।
2. "ठंडी होती दिनचर्या" का क्या अर्थ है?
उत्तर: जीवन में उत्साह और उमंग का कम होना।
3. कवयित्री किन गुणों को बचाने का आग्रह कर रही हैं?
उत्तर: मन का हरापन, भोलापन, अक्खड़पन और जुझारूपन।
4. "अक्खड़पन" का क्या अर्थ है?
उत्तर: सरलता और स्वाभाविकता।
5. "जुझारूपन" का क्या अर्थ है?
उत्तर: संघर्ष करने की क्षमता।
भीतर की आग
धनुष की डोरी
तीर का नुकीलापन
कुल्हाड़ी की धार
जंगल की ताज़ा हवा
नदियों की निर्मलता
पहाड़ों का मौन
गीतों की धुन
मिट्टी का सोंधापन
फसलों की लहलहाहट
भावार्थ:
कवयित्री कहती हैं कि इन प्राकृतिक और सांस्कृतिक तत्वों में उनकी जीवनशैली और पहचान निहित है। इसे संरक्षित करना ज़रूरी है।
Questions & Answers:
1. कवयित्री किसे अपनी संस्कृति की पहचान मानती हैं?
उत्तर: प्राकृतिक और सांस्कृतिक तत्वों को।
2. "भीतर की आग" का क्या प्रतीक है?
उत्तर: संघर्ष और साहस की भावना।
3. "धनुष की डोरी" का प्रतीक?
उत्तर: परंपरागत अस्तित्व और संस्कृति।
4. "नदियों की निर्मलता" से क्या अभिप्राय है?
उत्तर: स्वच्छता और प्राकृतिक सुंदरता।
5. कवयित्री किसे संरक्षित करना चाहती हैं?
उत्तर: अपनी संस्कृति और पहचान को।
और इस अविश्वास-भरे दौर में
थोड़ा-सा विश्वास
थोड़ी-सी उम्मीद
थोड़े-से सपने
आओ, मिलकर बचाएँ
कि इस दौर में भी बचाने को
बहुत कुछ बचा है
अब भी हमारे पास!
भावार्थ:
वर्तमान समय में अविश्वास का माहौल है, लेकिन थोड़ी उम्मीद, विश्वास और सपने अब भी मौजूद हैं। कवयित्री चाहती हैं कि हम मिलकर अपनी संस्कृति और परंपरा को बचाएँ।
Questions & Answers:
1. कवयित्री किसे बचाने का आह्वान कर रही हैं?
उत्तर: अपनी संस्कृति और परंपरा को।
2. "अविश्वास-भरे दौर" का क्या अर्थ है?
उत्तर: वर्तमान समय में विश्वास की कमी।
3. "थोड़ी-सी उम्मीद" का तात्पर्य?
उत्तर: सकारात्मक सोच और उम्मीद।
4. कवयित्री किसे संरक्षित करने की अपील कर रही हैं?
उत्तर: परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर।
5. संदेश क्या है?
उत्तर: अभी भी बचाने योग्य बहुत कुछ बचा है, हमें मिलकर प्रयास करना चाहिए।
1. कविता "आओ मिलकर बचाएँ" की रचना किसने की?
a) निर्मला पुतुल ✅
b) अवतार सिंह
c) कृष्णचंद्र
d) मीराबाई
2. कविता का मुख्य उद्देश्य क्या है?
a) शहरीकरण बढ़ाना
b) परंपरा और संस्कृति का संरक्षण ✅
c) आधुनिक शिक्षा फैलाना
d) प्रकृति का विनाश
3. “हड़िया” कविता में किसका प्रतीक है?
a) शहरी सभ्यता
b) आदिवासी परंपरा और संस्कृति ✅
c) आधुनिक जीवन
d) पर्यावरण
4. कवयित्री किससे अपील कर रही हैं?
a) सरकार
b) अपने समुदाय से ✅
c) शिक्षकों से
d) बच्चों से
5. कविता में “ठंडी होती दिनचर्या” का क्या अर्थ है?
a) जीवन की ऊर्जा और उत्साह की कमी ✅
b) गर्म मौसम
c) शिक्षा का महत्व
d) खेल-कूद
6. “भीतर की आग” क्या दर्शाती है?
a) प्रकाश
b) संघर्ष और साहस ✅
c) नदियों की निर्मलता
d) जंगल की हवा
7. कविता में “जंगल की ताज़ा हवा” का क्या महत्व है?
a) प्राकृतिक सुंदरता और जीवनशैली का प्रतीक ✅
b) आधुनिक तकनीक
c) शहरी जीवन
d) अपराध
8. कविता में “अविश्वास-भरे दौर” किससे संबंधित है?
a) परंपराओं का समर्थन
b) वर्तमान समय की कठिनाइयों और निराशा ✅
c) प्राकृतिक सुंदरता
d) शिक्षा
9. कविता में “थोड़ी-सी उम्मीद” का क्या अर्थ है?
a) सकारात्मक सोच और प्रयास ✅
b) निराशा
c) खेल-कूद
d) शहरी जीवन
10. कविता का अंतिम संदेश क्या है?
a) अपनी संस्कृति और पहचान बचाएँ ✅
b) आधुनिकता अपनाएँ
c) शहरीकरण बढ़ाएँ
d) परंपरा छोड़ दें
1. कविता “आओ मिलकर बचाएँ” किसके संरक्षण की अपील करती है?
उत्तर: कविता आदिवासी संस्कृति, परंपरा, प्राकृतिक जीवनशैली और बस्तियों के संरक्षण की अपील करती है। कवयित्री शहरीकरण और आधुनिकता के प्रभाव से अपनी पहचान खोने से रोकने के लिए लोगों को जागरूक करती हैं।
2. “हड़िया” का प्रतीक क्या है?
उत्तर: हड़िया आदिवासी परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है। कविता में इसका उपयोग दर्शाने के लिए किया गया है कि हमें अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करना चाहिए।
3. कविता में “ठंडी होती दिनचर्या” का क्या अर्थ है?
उत्तर: ठंडी होती दिनचर्या जीवन में उत्साह, ऊर्जा और संवेदनशीलता की कमी को दर्शाती है। यह शहरीकरण और आधुनिक जीवन के कारण पैदा हुई निष्क्रियता को दर्शाता है।
4. “भीतर की आग” का प्रतीक क्या है?
उत्तर: भीतर की आग संघर्ष, साहस और जीवंतता का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि व्यक्ति के अंदर की ऊर्जा और सक्रियता उसके जीवन और संस्कृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण है।
5. कविता में “जंगल की ताज़ा हवा” क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: जंगल की ताज़ा हवा प्राकृतिक जीवनशैली, ताजगी और संस्कृति का प्रतीक है। यह हमें हमारी जीवनशैली और पारंपरिक मूल्यों से जोड़ती है।
6. कविता में “अविश्वास-भरे दौर” का क्या अर्थ है?
उत्तर: अविश्वास-भरे दौर वर्तमान समय में लोगों में उम्मीद और विश्वास की कमी को दर्शाता है। कवयित्री हमें सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने और मिलकर प्रयास करने की प्रेरणा देती हैं।
7. “थोड़ी-सी उम्मीद” का क्या संदेश है?
उत्तर: थोड़ी-सी उम्मीद सकारात्मक सोच, विश्वास और मिलकर प्रयास करने की प्रेरणा देती है। यह बताती है कि वर्तमान कठिनाइयों के बावजूद हमें अपनी संस्कृति और पहचान को बचाना संभव है।
8. कविता में परंपराओं और संस्कृति का संरक्षण क्यों ज़रूरी है?
उत्तर: परंपरा और संस्कृति हमारी पहचान और जीवनशैली की धरोहर हैं। इन्हें बचाना हमें अपनी जड़ों और आदिवासी मूल्यों से जोड़े रखता है।
9. कविता का अंतिम संदेश क्या है?
उत्तर: कविता का अंतिम संदेश है कि मिलकर प्रयास करें और अपनी संस्कृति, परंपरा और पहचान को बचाएँ, क्योंकि अभी भी बहुत कुछ संरक्षित करने योग्य है।
10. कवयित्री लोगों से क्या अपेक्षा करती हैं?
उत्तर: कवयित्री चाहती हैं कि लोग मिलकर अपनी बस्तियों, परंपराओं और प्राकृतिक जीवनशैली को बचाएँ और विश्वास, उम्मीद और सपनों को बनाए रखें।
1) “मिट्टी का रंग” प्रयोग करते हुए किस बात की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर: कवयित्री ने कविता में “मिट्टी का रंग” का प्रयोग किया है, जो आदिवासी समाज और उनकी प्राकृतिक जीवनशैली का प्रतीक है। मिट्टी उनके जीवन का आधार है, उनका खेत-खलिहान, बस्तियाँ और पारंपरिक रहन-सहन इसी से जुड़े हैं। मिट्टी का रंग उनकी पहचान, संस्कृति और धरोहर का प्रतीक है। कवयित्री इस प्रयोग के माध्यम से यह संकेत देती हैं कि आधुनिक जीवन और शहरीकरण के प्रभाव से यदि यह मिट्टी, यह पहचान खो गई, तो आदिवासी संस्कृति और जीवनशैली भी नष्ट हो जाएगी। मिट्टी का रंग उनके जीवन के मूल तत्व, आत्मा और प्राकृतिक संबंध को भी दर्शाता है। यह हमें यह समझाता है कि हमें अपनी जड़ों और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने की आवश्यकता है।
2) भाषा में “झारखंडपन” से क्या अभिप्राय है?
उत्तर: कविता में “झारखंडपन” शब्द का प्रयोग आदिवासी समाज की स्थानीय भाषा, बोली और सांस्कृतिक विशेषताओं का प्रतीक है। झारखंडी भाषा, मुहावरे और बोलचाल उनकी पहचान और अस्मिता का हिस्सा हैं। कवयित्री यह संदेश देती हैं कि भाषा न केवल संवाद का माध्यम है, बल्कि यह उनकी संस्कृति और परंपरा की रक्षा भी करती है। शहरीकरण और आधुनिक जीवनशैली के दबाव में यदि यह भाषा खो गई, तो उनकी सांस्कृतिक पहचान भी मिट सकती है। “झारखंडपन” से अभिप्राय यह है कि स्थानीय भाषा और उसकी सहजता, मौलिकता और सरलता को संरक्षित करना आवश्यक है। यही उनकी परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों की आत्मा है।
3) दिल के भोलापन के साथ-साथ अक्खड़पन और जुझारूपन को भी बचाने की आवश्यकता पर क्यों बल दिया गया है?
उत्तर: कविता में दिल के भोलापन के साथ-साथ अक्खड़पन और जुझारूपन को भी बचाने की आवश्यकता पर बल इसलिए दिया गया है क्योंकि ये गुण आदिवासी समाज की सहजता, संघर्षशीलता और प्राकृतिक जीवनशैली को दर्शाते हैं। भोलापन सरलता और मासूमियत का प्रतीक है, जबकि अक्खड़पन स्वाभाविकता और जुझारूपन व्यक्ति की साहसिकता और चुनौतियों का सामना करने की क्षमता को दर्शाता है। कवयित्री यह संदेश देती हैं कि केवल मासूमियत ही नहीं, बल्कि संघर्षशीलता और सक्रियता भी समाज और संस्कृति को बचाने के लिए आवश्यक है। यह गुण समाज की पहचान और जीवनशैली की अखंडता बनाए रखने में मदद करते हैं।
4) प्रस्तुत कविता आदिवासी समाज की किन बुराइयों की ओर संकेत करती है?
उत्तर: कविता आदिवासी समाज में वर्तमान समय की कुछ बुराइयों की ओर संकेत करती है, जैसे कि शहरीकरण का प्रभाव, संस्कृति और परंपरा का क्षरण, दिनचर्या में ठंडक, जीवन की गर्माहट का न खो पाना और अविश्वास-भरा वातावरण। ये सभी बुराइयाँ समाज की पहचान, भाषा, परंपरा और प्राकृतिक जीवनशैली को कमजोर कर रही हैं। कवयित्री चेतावनी देती हैं कि यदि लोगों ने मिलकर प्रयास नहीं किया, तो उनकी सांस्कृतिक धरोहर और आदिवासी मूल्यों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। इसके अलावा, निष्क्रियता और संवेदनहीनता भी समाज के लिए खतरनाक है।
5) “इस दौर में भी बचाने को बहुत कुछ बचा है” – से क्या आशय है?
उत्तर: कविता में यह पंक्ति आश्वस्त और प्रेरक संदेश देती है कि वर्तमान कठिन परिस्थितियों और शहरीकरण के प्रभाव के बावजूद हमारी संस्कृति, परंपरा, भाषा, जीवनशैली और आदिवासी मूल्यों को बचाने के लिए बहुत कुछ अभी भी सुरक्षित है। यह हमें सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने, मिलकर प्रयास करने और अपनी पहचान और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने की प्रेरणा देती है। कवयित्री यह संदेश देती हैं कि अभी भी समय है, और अगर हम सतर्क और सक्रिय रहें तो हमारी संस्कृति और पहचान सुरक्षित रहेगी।